Thursday, August 13, 2020
Wednesday, August 12, 2020
भारत सरकार की नयी निति-पर्यावरण के लिए घातक .
भारत सरकार की नयी निति - आदिवासिओं के संस्कृतिक धरोहर व पर्यावरण के लिए घातक।
युवा कॉग्रेस विरोध पर्दर्शन करेगी - डॉ अनील कुमार मीणा (प्रभारी दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस )
एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार )
आदिवासियों की सांस्कृतिक धरोहर पर्यावरण को तहस-नहस कर देगा। भारत सरकार का नया पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना; भारतीय युवा कांग्रेस सड़कों पर करेगी विरोध प्रदर्शन।
सरकार के 'ओपन बुक एग्जाम' के फार्मूले से परेशान है दिल्ली विश्वविद्यालय का शिक्षक एवं छात्र।
Saturday, August 8, 2020
शख्सियत - इक़बाल खान (एक कामयाब भारतीय मुसलमान )
Friday, August 7, 2020
देश में फैलते कोरोना वाइरस और गिरती अर्थ व्यवस्था - प्रो0 डॉ0 आसमी रज़ा
देश में फैलते कोरोना वाइरस और गिरती अर्थ व्यवस्था पर जनहित में भारत सरकार को नई योजना तैयार करने पर विचार करना चाहिये - प्रो0 डॉ0 आसमी रज़ा
द हिंदू में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, “ये हमारे देश और दुनिया के लिए असाधारण कठिन समय हैं। COVID-19 से लोग बीमारी और मौत के भय के चपेट में हैं। यह भय सर्वव्यापी है। कोरोना वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए देश की अक्षमता और बीमारी के लिए एक पुष्ट इलाज के अभाव ने लोगों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। लोगों में इस तरह की चिंता की भावना समाज के कामकाज में जबरदस्त उथल-पुथल पैदा कर सकती है। नतीजतन सामान्य सामाजिक व्यवस्था में उथल-पुथल से आजीविका और बड़ी अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। ”
मनमोहन सिंह ने कहा, “आर्थिक संकुचन केवल अर्थशास्त्रियों के विश्लेषण और बहस के लिए जीडीपी नंबर नहीं है। इसका अर्थ है कई वर्षों की प्रगति का उलटा असर हमारे समाज के कमजोर वर्गों की एक बड़ी संख्या गरीबी में लौट सकती है, यह एक विकासशील देश के लिए दुर्लभ घटना है। कई उद्योग बंद हो सकते हैं। गंभीर बेरोजगारी के कारण एक पूरी पीढ़ी खत्म हो सकती है। संकुचित अर्थव्यवस्था के चलते वित्तीय संसाधनों में कमी के कारण अपने बच्चों को खिलाने और पढ़ाने की हमारी क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। आर्थिक संकुचन का घातक प्रभाव लंबा और गहरा है, खासकर गरीबों पर। ”
भारत की गिरती अर्थव्यवस्था को पटरी पर वापस लाने के लिए भारत सरकार को सभी अर्थशास्त्रिओं को विश्वास में ले कर योजनाबद्ध काम करना चाहिए । आर्थिक गतिविधियों में स्लोडाउन बाहरी कारकों जैसे लॉकडाउन और भय से प्रेरित लोगों और कंपनियों का व्यवहार है। हमारी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने का आधार पूरे इकोसिस्टम में विश्वास को वापस लाना होगा । लोगों को भी अपने जीवन और आजीविका के बारे में विचार करना चाहिए। उद्यमियों को निवेश को फिर से खोलने और बैंकरों को पूंजी प्रदान करने के बारे में विचार करना चाहिए। “मल्टीलैटर ऑर्गेनाइजेशन को भारत को फंडिंग प्रदान करने के लिए पर्याप्त आत्मविश्वास के साथ विचार कर भारत सरकार के साथ सहोग करना चाहिए। सॉवरेन रेटिंग्स एजेंसियों को अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने और आर्थिक विकास को बहाल करने की भारत की क्षमता के बारे में आश्वस्त होना चाहिए”
विश्व में फैलती महामारी कोवित 19 कोरोना वाइरस का भय यह जान बुझ कर हर देश के नागरिकों में मीडिया तथा अन्य माध्यमों से मनोवैज्ञानिक असर डाला गया है। दूसरी और सोशल मीडिया के माध्यम से ही 19 कोरोना वाइरस के भय का असर कम करने के लिए अमेरिका इस्राइल , स्पेन, इटली, चाइना, के सरकार और बड़े कॉर्पोरेटों के षड्यंत्रों उजागर किया जा रहा है। जिसे वैक्सीन किट और मास्क के पेटेंट को अपने क़ब्ज़े में ले कर वैश्विक बाज़ारों पर क़ब्ज़ा किया जा सके। ताकि नागरिकों में भये बना रहे और सुरक्षा की दृष्टिकोण से वैक्सीन पर विदेशी दवाइयां किट, मास्क इत्यादि हमारे भारत में धड़ल्ले से भारत के नागरिक खरीद कर इस्तिमाल करते रहें - ऑक्सफेम के सर्वे के अनुसार विश्व का सबसे बड़ा खुदरा बाज़ार चाइना की आबादी के अनुपात भारत को ही माना जाता है। इसलिए इसका सबसे बड़ा लाभ भारत से मिलने अधिक उम्मीद है।
जिस प्रकार से मीडिया द्वारा कोविट19 का भये फैलाया जा रहा है इससे मानव जीवन पर मनोवैज्ञानिक इतना बुरा असर पड़ रहा है की भय कारण मानवों में बिमारी उतपन्न हो रही है और उसके कारण मनो मस्तिष्क में अविश्वास की भावना के कारण हृदय गति का रुकना सम्भवता मृत्यु का हों निश्चित है। फिर केवल कोरोना के भये से 2024 तक भारत की एक तिहाई आबादी मौत के आगोश में आने की संभावना बन जाती है। और इस कारण जब लोग अपने कारोबार के लिए घरो से नहीं निकलेंगे तो स्पष्ट है की भारत आर्थिक दृष्टिकोण से इतना कमज़ोर हो सकता है की ना चाहते हुए भी भारत को अन्य देशों से सहायता लेना पड़ सकता तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। भारत के नागरिक उस समय और अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
2019 में दावोस में वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम में ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट ‘टाइम टू केयर’ में समृद्धि के नाम पर पनप रहे नये नजरिया, विसंगतिपूर्ण आर्थिक संरचना एवं अमीरी गरीबी के बीच बढ़ते फासले की तथ्यपरक प्रभावी प्रस्तुति देते हुए इसे घातक बताया है। आज दुनिया की समृद्धि कुछ लोगों तक केन्द्रित हो गयी है, हमारे देश में भी ऐसी तस्वीर दुनिया की तुलना में अधिक तीव्रता से देखने को मिल रही है। देश में मानवीय मूल्यों और आर्थिक समानता को हाशिये पर डाल दिया गया है और येन-केन-प्रकारेण धन कमाना ही सबसे बड़ा लक्ष्य बनता जा रहा है। आखिर ऐसा क्यों हुआ ? क्या इस प्रवृत्ति के बीज हमारी परंपराओं में रहे हैं या यह बाजार के दबाव का नतीजा है ? इस तरह की मानसिकता राष्ट्र को कहां ले जाएगी ? ये कुछ प्रश्न ऑक्सफैम रिपोर्ट एवं प्रस्तुत होने वाले आम बजट के सन्दर्भ में महत्त्वपूर्ण हैं, जिन पर मंथन जरूरी है।
साम्राज्यवाद की पीठ पर सवार पूंजीवाद ने जहां एक ओर अमीरी को बढ़ाया है तो वहीं दूसरी ओर गरीबी भी बढ़ती गई है। यह अमीरी और गरीबी का फासला कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है जिसके परिणामों के रूप में हम आतंकवाद को, नक्सलवाद को, सांप्रदायिकता को, प्रांतीयता को देख सकते हैं, जिनकी निष्पत्तियां समाज में हिंसा, नफरत, द्वेष, लोभ, गलाकाट प्रतिस्पर्धा, रिश्तों में दरारें आदि के रूप में देख सकते हैं। सर्वाधिक प्रभाव पर्यावरणीय असंतुलन एवं प्रदूषण के रूप में उभरा है। चंद हाथों में सिमटी समृद्धि की वजह से बड़े और तथाकथित संपन्न लोग ही नहीं बल्कि देश का एक बड़ा तबका मानवीयता से शून्य अपसंस्कृति का शिकार हो गया है। ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर ने कहा कि अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई तब तक नहीं कम होगी, जब तक सरकार की तरफ से इसको लेकर ठोस कदम नहीं उठाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि असमानता दूर करने के लिए सरकार को गरीबों के लिए विशेष नीतियां अमल में लानी होंगी।
भारत की गिरती अर्थ व्यवस्था पर चिंता कर रहे हैं दिल्ली विश्वविद्यालय अर्थशास्त्र विभाग के प्रो0 डॉ0 आसमी रज़ा - यह उनके विचार है।
Thursday, August 6, 2020
मलिक बिरादरी के बीहड़ ब्यानबान में सूरज की नई किरण दिखाई देने लगी ?
मलिक बिरादरी के बीहड़ ब्यानबान में एक बार फिर से शिक्षा के उगते सूरज की नई किरण दिखाई देने लगी ?
Tuesday, August 4, 2020
जनता को गुमराह कर सत्ता पर क़ाबिज़ होती भाजपा

Monday, August 3, 2020
केरला के आरटीआई कार्यकर्ता डोमिनिक साइमन की सऊदी सरकार द्वारा गिरफ्तारी क्यूँ ?

Sunday, August 2, 2020
आरटीआई कार्यकर्ता डोमिनिक साइमन की गिरफ्तारी पर निंदनीय है,
Tuesday, July 14, 2020
15 साल के गड़े मुर्दे उखाड़ रही भाजपा
15 साल के गड़े मुर्दे उखाड़ रही भाजपा, भाजपा इंडिया फाउंडेशन और विवेकानंद फाउंडेशन की भी जांच कराये - शिव भाटिया वरिष्ठ कांग्रेस नेता।
चाइना का भारत पर बढ़ता दबाव और घुसपैठ - कांग्रेस द्वारा चाइना के सैनिक घुसपैठ पर केंद्र सरकार क्या कर रही है के सवाल पर सरकार बौखलाई ?
जवाब में कांग्रेस पर किया हमला, राजीव गाँधी फाउंडेशन को घेरने का प्रयास
भाजपा दिमागी रूप से एक विचलित पार्टी है दरअसल इस पार्टी का नाम बंगारू लक्षण जूदेव पार्टी होना चाहिए था।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं हुड्डा सरकार में रहे राजनितिक सलाहकार शिव भाटिया ने कहा की भाजपा सरकार की ओछी मानसिकता की एक प्रतीक है की कोई भी सरकार के खिलाफ आवाज़ उठा रहा है या सवाल कर रहे हैं उसे भाजपा सरकार अपराधी करार दे देती है या उसे देश द्रोही करार दे देती है।
उन्होंने ने कहा की इस सरकार का खुद दामन साफ़ नहीं है , भीमा कोरे गांव का मामला ले लीजिये, भीमा कोरे गांव के मामले से जुड़े वह तमाम बुद्धिजीवी लोगों को दबा दिया उसके बाद एनटीपीसी का मामला ले लीजिये एनटीपीसी के मामले में प्रदर्शन करने वालों को दबा दिया गया।
भाटिया ने वाजपयी सरकार के कार्यकाल की याद दिलाते हुए कहा की बंगारू लक्षण और जूदेव जो कैमरे के सामने आर्मस डील में रिश्वत लेते हुए दिखाए गए थे तो उसे भाजपा ने उस रिश्वत को पार्टी फंड का नाम दे कर लीपापोती कर दिया जिसे भारत की जनता ने देखा और जनता को याद भी है और दुनिया ने भी देखा उसी सरकार में जॉर्ज फर्नांडिस ने ताबूत घोटाला किया जिसे दुनियां ने देखा, यह 2015 का केस है उसका ऑडिट भी हो चूका है, यदि कोई जांच करनी है तो इनकम टेक्स डिपार्टमेंट से पूछिए, जिसका ऑडिट हो चुका है आज क्यों 15 साल बाद भाजपा को याद आ रहा जब भाजपा ने पीएम केयर फंड में कई सौ करोड़ ले लिया, अभी अभी 100 करोड़ तो केवल पेटीएम कम्पनी से लिया गया है, कहाँ 90 लाख और कहाँ कई सौ करोड़, इस पर जब भाजपा पर जब प्रेशर बनने लगे और हर जगह करकिरी होने लगी तो आपने मुद्दे से भटकाने के लिए बहाना निकाल लिया, आपको 15 साल पुराना केस याद आ गया, भाजपाई सरकार इतना ही ईमानदारी साबित करना चाहती है तो इंडिया फाउंडेशन और विवेकानंद फाउंडेशन की जांच भी कराये। उसकी जांच इसलिए नहीं होगी की वह उनके हित का है।
कांग्रेस नेता भाटिया ने कहा की भाजपा, कांग्रेस से मानसिकरूप से विचलित हो चुकी है। आज चाइना के मुद्दे पर सवाल उठाया जा रहा है तो सरकार को इस मुद्दे पर गम्भीरता दिखाना चाहिए और उसपर समाधान तलाशना चाहिए था न की राजिव गांधी के परिवार से व्यक्तिगत दुश्मनी साधने का अवसर तलाशना चाहिए था। पिछले सत्र में सदन में बहस के दौरान राहुल गांधी द्वारा बेरोज़गारी के मुद्दे पर उठाये गए सवाल पर स्पष्ट रूप से मोदी जी ने राहुल गांधी के द्वारा बेरोज़गारी पर उठाये गए प्रश्न के जवाब में कहा था की भारत की बेरोज़गारी दूर करे या न करें लेकिन आपकी बेरोज़गारी दूर नहीं होने देंगे यानी कांग्रेस की बेरोज़गारी दूर नहीं होने देंगे, सरकार के पास न तो कोरोना के मुद्दे पर कोई जवाब है न तो कोई चाइना के मुद्दे पर कोई जवाब है , सरकार से जब भी कोई सवाल करता है सरकार उसे अपराधी या देशद्रोही करार दे कर उसे दबा देती है। कांग्रेस जब सवाल करती है तो उसे घर खाली कराने की नोटिस दे दिया जाता है तो कभी राजिव गांधी फाउंडेशन का मामला उठाया जाता है इस पर हंगामा कर लोगों का ध्यान भटकाने का काम रही है।
भाटिया ने पीएम केयर फण्ड पर सवाल उठाते हुए पूछा की जो इन्होने ट्रस्ट बनाया है क्या यह वैध है रजिस्टर्ड है ? जो भी पैसा देश से माँगा जा रहा है और वह सीएसआर के लिए खर्च किया जाएगा तो क्या सीएसआर के द्वारा किया गया खर्च सरकारी खर्च में नहीं आएगा ? इस में जो फंड लिया जा रहा है वह फंड किसका है किस कंपनी का है और वह पैसा कहाँ खर्च किया जा रहा है ? जबकि न तो उसका ऑडिट है न कोई लेखा जोखा और न तो सरकार उसे आरटीआई के दायरे में रखना चाहती है आखिर क्यूँ ? फिर किस क़ानून के तहत यह फौरन फंडिंग पीएम केयर फंड में लिया जा रहा है ? जबकि राजीव गाँधी फाउंडेशन का नियमित रूप से ऑडिट हो रहा है और उसका एफसीआरए रजिस्टर्ड है। उन्होंने भाजपा से पूछा की भाजपा क्या जनता को बता पाएगी की भाजपा को चन्दा के नाम पर 2015 में 500 करोड़ डोनेशन आता था तो 2018,19 में अचानक से 2400 करोड़ कैसे आने लगा ?
भाटिया ने बड़े ही स्पष्ट रूप से भाजपा के प्रति आरोपपूर्ण लहजे में कहा की इंद्रा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट,या राजीव गाँधी ट्रस्ट कांग्रेस की कोई भी संस्था है वह पूर्ण रूप से पारदर्शित है। सरकार कभी भी कांग्रेस के किसी भी संस्था के निष्पक्ष जांच कराये तो मै समझता हूँ उसका ऑडिट व सारे लेखा जोखा एवं उसका मिनट बुक सभी अपडेट मिलेंगे बर्शर्ते की ईमानदारी से निष्पक्ष जांच होनी चाहीये न की द्वेष और दुराग्रह के तहत।
उन्होंने भाजपा सहिंत संघ को आड़े हांथों लेते हुए कहा की आज केंद्र सरकार द्वारा कांग्रेस के साथ जो भी किया जा रहा है वह एक द्वेषपूर्ण और दुराग्रह तहत किया जा रहा है। जो ना तो राजनीती है और न ही नैतिक आधार, भाजपा के नाम पर सरकार में बैठे संघ मनुवादी लोग आज कांग्रेस के नाम पर सोनिया गांधी के परिवार,1975 से 1977 के आपातकाल में अधिकतर संघ के लोग ही थे जो उस समय भी अपना चोला बदल कर इंद्रा कांग्रेस का विरोध कर रहे थे। जिन्हे जेल में डाला गया था।
कांग्रेस नेता भाटिया ने कहा भाजपा इस समय केंद्र सरकार, संविधान और लोकतंत्र की हत्या करने में लगी हुई है। जिसका परिणाम भारत की जनता बेगुनाह होते हुए भी बेरोज़गारी के रूप में भुगत रही है। भारत की जनता बेशक कांग्रेस को न बचाये लेकिन भारत को बिखरने और टूटने तथा बिकने से बचाने के लिए कांग्रेस नेतृत्व में सड़कों पर उतर कर वर्तमान मनुवादी भारत सरकार का विरोध करना होगा तभी भारत के संविधान और लोकतंत्र तथा आरक्षण की रक्षा कर पाएंगे अन्यथा बंधुआ गुलाम बन कर अपना जीवन बिताएंगे