Wednesday, August 12, 2020

भारत सरकार की नयी निति-पर्यावरण के लिए घातक .

 

भारत सरकार की नयी निति - आदिवासिओं के संस्कृतिक धरोहर व पर्यावरण के लिए घातक।  

युवा कॉग्रेस विरोध पर्दर्शन करेगी - डॉ अनील कुमार मीणा (प्रभारी दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस )


एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार )  


आदिवासियों की सांस्कृतिक धरोहर पर्यावरण को तहस-नहस कर देगा।  भारत सरकार का नया पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना; भारतीय युवा कांग्रेस  सड़कों पर करेगी विरोध प्रदर्शन। 


सरकार के द्वारा लाया गया पर्यावरणीय प्रभाव आकलन मसौदा, 2020 ( Environmental Impact assessment Draft) पर्यावरण प्रभाव आकलन के मूल प्रावधानों को कमज़ोर करता है, जिससे उद्योग पतियों को पर्यावरण में प्रदूषण फैलाने की खुली छूट मिल जाएगी। 
पर्यावरणीय प्रभाव आकलन से तात्पर्य पर्यावरणीय प्रभाव आकलन भारत की पर्यावरणीय निर्णय लेने की प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण घटक है, जिसमें प्रस्तावित परियोजनाओं के संभावित प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण किया जाता है।   
यह किसी प्रस्तावित विकास योजना में संभावित पर्यावरणीय समस्या का पूर्व आकलन करता है और योजना के निर्माण व प्रोजेक्ट से निपटने के उपाय करता है। यह योजना निर्माताओं के लिये एक उपकरण के रूप में उपलब्ध है, ताकि विकासात्मक गतिविधियों और पर्यावरण संबंधी चिंताओं के बीच समन्वय स्थापित हो सके।
यह पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाने वाली रिपोर्ट के आधार पर पर्यावरण मंत्रालय या अन्य प्रासंगिक नियामक निकाय किसी परियोजना को मंजूरी देने या नहीं देने का निर्णय करती है। यह सरकारी संस्थानों गैर सरकारी संस्थानों एवं उद्योग पतियों कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली परियोजनाओं एवं उद्योगों मंजूरी नहीं देने का निर्णय करती थी।  

भारत में पर्यावरण प्रभाव आकलन का आरंभ 1978 -79 में हुआ।  जो फिलहाल नदी घाटी परियोजनाओं, ताप विद्युत परियोजनाओं के पर्यावरण प्रभाव का आकलन करता है और कई मानदंडों को अधिसूचित करता है।  जैसे प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग, उपभोग और पर्यावरण को प्रभावित करने  वाली गतिविधियों को विनियमित करने का एक वैधानिक तंत्र स्थापित करता है।  प्रत्येक परियोजनाओं को विकास की यात्रा तय करने से पहले पर्यावरण प्रभाव आंकलन की स्वीकृति से गुजरना पड़ता है। 

जिसको सरकार ने इस मसौदे में कमजोर करने का काम किया है।  दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रभारी डॉ अनिल मीणा ने बताया कि पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2020 के ज़रिये व्यापार सुगमता के नाम पर मोदी सरकार उद्योगपतियों  से दोस्ती निभाने एवं उनके निजी स्वार्थों को पूरा करने के लिए पर्यावरण को गंभीर ख़तरा पहुंचाने का रास्ता खोल रही है।  इस मसौदे में पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए देश के नागरिकों के अधिकारों को भी कमजोर करने का काम किया है। 

 देश में गलत शिक्षा नीति बनाने के चलते प्रकाश जावड़ेकर को पर्यावरण मंत्री बना दिया था जो फिलहाल आदिवासियों की सांस्कृतिक धरोहर पर्यावरण विरोधी कानून बना रहे हैं। जिसके चलते उद्योगपति आदिवासियों को जमीन से बेदखल कर उनकी जमीन पर बिना किसी पर्यावरण प्रभाव आकलन 2020 अधिसूचना  की मंजूरी के बिना अपनी परियोजनाएं एवं उद्योग धंधे स्थापित करने का खुला लाइसेंस मिल जाएगा।  भारतीय युवा कांग्रेस ईआईए मसौदा 2020 का विरोध इसलिए कर रही है कि पहले भी उद्योगपतियों ने अपने निजी स्वार्थ को पूरा करने के लिए पर्यावरण को तहस नहस कर दिया था जिसके कारण देश को बड़ी त्रासदी का सामना करना पड़ा | जैसे 7 मई 2020 को विशाखापत्तनम की एलजी पॉलिमर फैक्ट्री में हुई गैस रिसाव की घटना पोस्ट- फैक्टो नियमन के भयानक परिणामों का हालिया उदाहरण है। इस दुर्घटना में 12 लोग मारे गए और सैकड़ों लोग बीमार हो गए। यह फैक्ट्री पर्यावरणीय मंजूरी (ईसी) के बिना ही काम कर रही थी। नई अधिसूचना विभिन्न परियोजनाओं की एक बहुत लंबी सूची पेश करती है जिसे जनता के साथ विचार-विमर्श के दायरे से बाहर रखा गया है| देश की सीमा पर स्थित क्षेत्रों में रोड या पाइपलाइन जैसी परियोजनाओं के लिए सार्वजनिक सुनवाई (पब्लिक हीयरिंग) की जरूरत नहीं होगी। 

  उत्तर-पूर्व का जैव विविधता के अलावा सभी अंतरदेशीय जलमार्ग परियोजनाओं और राष्ट्रीय राजमार्गों के चौड़ीकरण को ईआईए अधिसूचना के तहत मंजूरी लेने के दायरे से बाहर रखा गया है|  अब उन कंपनियों या उद्योगों को भी क्लीयरेंस प्राप्त करने का मौका दिया जाएगा जो इससे पहले पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करती आ रही हैं इसे ‘पोस्ट-फैक्टो प्रोजेक्ट क्लीयरेंस’ कहते हैं| किसी कंपनी ने पर्यावरण मंजूरी नहीं ली है तो वो 2,000-10,000 रुपये प्रतिदिन के आधार पर फाइन जमा कर के मंजूरी ले सकती है| केमिकल उद्योग, कोयला खनन, अवैध बालू खनन से कीजिए| प्रतिदिन करोड़ों रुपए कमाने के बाद  2000 से ₹10000 हर्जाना देने से उद्योगपतियों का कुछ बिगड़ने वाला नहीं है।  इस अधिसूचना में जनता द्वारा किसी भी उल्लंघन की शिकायत करने का कोई विकल्प नहीं है।  
 फिलहाल देश में कोरोना महामारी के चलते  हजारों लोग मारे जा चुके हैं जिनमें अधिकांशतः वे लोग हैं जो पर्यावरण प्रदूषण के कारण स्वस्थ वातावरण नहीं मिला | पर्यावरण प्रभाव आकलन 2020 की अधिसूचना से पूरी तरह उद्योगपतियों को उद्योग धंधे स्थापित करने, पर्यावरण प्रदूषण फैलाने की खुली छूट मिल जाएगी  जिससे देश में बड़े व्यापक स्तर पर पर्यावरण प्रदूषण बढ़ेगा और अनेक बीमारियों का जन्म होगा | जिसके कारण देश के आम नागरिक के लिए जीवन धारण करना एक चुनौती बना रहेगा। 

सरकार के 'ओपन बुक एग्जाम' के फार्मूले से परेशान है दिल्ली विश्वविद्यालय का शिक्षक एवं छात्र।

 

सरकार के 'ओपन बुक एग्जाम' के फार्मूले से परेशान है दिल्ली विश्वविद्यालय का शिक्षक एवं छात्र।



दिल्ली विश्वविद्यालय में हो रही आयोजित ऑनलाइन परीक्षाएं फिलहाल मजाक बनकर रह गई है। कोरोना महामारी के कारण फिलहाल देश संकट के दौर से गुजर रहा है|  देश के अधिकांश शिक्षण संस्थानों में परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया गया ।कोरोनावायरस के कारण फैली महामारी को देखकर विश्व के अधिकांश देशों की शिक्षण व्यवस्था दिसंबर तक स्थगित करने का निर्णय लिया, लेकिन वही भारत में दिल्ली विश्वविद्यालय ने मिसाल प्रस्तुत करते हुए 'ओपन बुक एग्जाम' करवाने का निर्णय लिया।  

9 अगस्त से दिल्ली विश्वविद्यालय में ओपन बुक एग्जाम शुरू हुए  जिसके कारण छात्र एवं अध्यापकों को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।  दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रभारी डॉ अनिल कुमार मीणा ने बताया कि 'ओपन बुक एग्जाम, से ग्रामीण परिवेश से आने वाले छात्र छात्राओं को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्रत्येक छात्र के पास स्मार्टफोन नहीं होने की वजह से कई छात्र परीक्षा देने से वंचित हो रह गए। जिन छात्र-छात्राओं के पास स्मार्टफोन थे वे 'ऑनलाइन बुक एग्जाम' देते समय अनेक प्रकार की गलतियां कर बैठे, जानकारी पूरी नहीं हो पाने के कारण वे छात्र भी असमंजस की अवस्था में है कि दिल्ली विश्वविद्यालय का प्रशासन उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करेगा।  कई छात्रों के पास स्मार्टफोन होने के बावजूद इंटरनेट की व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं होने के कारण परीक्षाओं में शामिल नहीं हो पाए। 

 डॉ अनिल मीणा ने बताया कि 'ओपन बुक एग्जाम' से होने वाली समस्याओं को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षक संगठनों ने दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन एवं सरकार को समझाने का प्रयास किया लेकिन सरकार ने इसकी कोई सुध नहीं ली। इसे हम 'ओपन बुक एग्जाम' का नाम हम कैसे दे सकते हैं परीक्षाएं तब ली जाती है जब छात्रों की योग्यता का मूल्यांकन करना हो।
 
ओपन बुक एग्जाम से छात्रों की योग्यता का समीक्षा कर पाना मुश्किल है जिसके कारण मेहनत करने वाले छात्र एवं मेहनत नहीं करने वाले छात्र बराबर की स्थिति में आने से शिक्षा व्यवस्था पर अनेक सवाल खड़ा करते  है | 

दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन चाहता तो प्रत्येक कॉलेज के अध्यापक छात्रों का मूल्यांकन करके इस  को व्यवस्था से बचा सकता था। लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्री निशंक पोखरियाल की खामोशी के कारण दिल्ली विश्वविद्यालय में नई शिक्षा व्यवस्था ने जन्म ले लिया है जिसका दुष्परिणाम आने वाले समय पर छात्र एवं अध्यापकों को पर पड़ेगा। ऑनलाइन एग्जाम और ऑनलाइन  कक्षाएं लेने का जो सिलसिला शुरू हुआ है उसकी आने वाली तकनीकी ज्ञान में अनभिज्ञता रखने वाले शिक्षकों पर गाज गिरने वाली है।

Saturday, August 8, 2020

शख्सियत - इक़बाल खान (एक कामयाब भारतीय मुसलमान )

"किसी के जीवन में एक भी सीधी रेखा नहीं है, यदि आपके पास कोई लक्ष है तो इस आशा के साथ मेहनत करते है, तो आप को निश्चित ही सफलता हासिल होगी।" इक़बाल खान (एक कामयाब भारतीय मुसलमान ) 

एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार)  


इक़बाल खान अर्थात इके खान जो सितंबर 2012 में एक सिस्टम एनालिस्ट और डेवलपर के रूप में एडेल्फी परिवार में शामिल हुए। हालाँकि, खान के जीवन का सफर जीव विज्ञान में डिग्री और पूर्वी भारत का एक इत्तिहासिक नगर गया के मगध विश्विद्यालय के अधीन ग़ालिब कॉलेज में एक असोसिएट प्रोफेसर के रूप एक  आरम्भ  हुआ था । 
खान का प्रारम्भिक जीवन लालन लापन शिक्षा दीक्षा झारखंड के रांची में हुआ, जो पूर्वी भारत में स्थित है। उनके पिता स्थानीय रांची विश्वविद्यालय में जीव विज्ञान के प्रोफेसर थे और खान ने रांची विश्वविद्यालय से जीव विज्ञान में अपनी मास्टर डिग्री प्राप्त की ताकि वे भी प्रोफेसर बन सकें। परन्तु भाग्य का लिखा कोई मिटा नहीं सकता , खान साहब की सेवा तो कहीं और लिखी थी , इसलिए वे अपनी डिग्री प्राप्त करने के बाद, मगध विश्वविद्यालय ज्वाइन कर लिया और उसी विश्वविधालय के एक कॉलेज में छात्रों को जीव विज्ञान पढ़ाने लगे , वह जगह उनके अपने पैतृक गांव से  130 मिल दूरी पर था। 
1980 में, चार साल के अध्यापन के बाद, खान ने भारत छोड़ दिया और अपने भाई-बहनों के यहां संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए, जो कुछ साल पहले यहां आए थे। खान साहब ,लांग आइलैंड पर बस गए, जहां उन्होंने शादी की और उनके तीन बच्चे हुए। वह अपने चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान के साथ कहते हैं, "मैं एक लंबे द्वीप का मूल निवासी रहा हूँ," 
उन्होंने कहा "भारत छोड़ने के बाद, ग्रुम्मन डेटा सिस्टम्स इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया-जो बाद में ब्रिकक्लिफ कॉलेज का विभाग बन गया। उसी से कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया। "चूँकि प्रोग्रामिंग मेरा एक इंट्रस्टिंग सब्जेक्ट बन गया था" उसके बाद "मुझे पीएचडी करने की जरूरत ही महसूस नहीं की।   उन्हों ने कहा। "जिस विषय में मैंने डिप्लोमा किया था , वह एक प्रमुख सौंदर्य कॉटी निर्माता की नौकरी के लिए  सक्षम था। जहां मैंने एक एंटरप्राइज़ रिसोर्स प्लानिंग सिस्टम डेटाबेस डिज़ाइन पर काम किया, और उस काम मुझे काफी कामयाबी मिली इसलिए कंपनी ने कंप्यूटर प्रोग्रामर के रूप मुझे व्यापार को अधिक प्रभावी ढंग से व्यवस्थित तरीके से चलाने के लिए एकीकृत अनुप्रयोगों की एक प्रणाली बना कर यूरोप की मार्केट में लांच करने की ज़िम्मेवारी सौंपी दी , जिसे मैंने एक चैलेन्ज के रूप में स्वीकारा।

 क्योंकि वह भविष्य में एक M.B.A प्रोग्रामिंग में आवेदन करने की योजना बना रहे थे - और इसी ख़याल से खान उत्तरी एडोलिना में अनुसंधान त्रिकोण में काम करने के लिए एडेल्फी पहुंचे।  वह एक नए और अधिक उन्नत कैरियर के अवसर की तलाश में एडेल्फी आये थे।, जहां कोटी अपना आईटी विभाग चला रहा था।  हालांकि खान जानते थे कि उन्हें अपने क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए, इसी कोर्स में मास्टर डिग्री की आवश्यकता पड़ेगी। 

इसलिए उन्होंने 1989 में एम. एस. कंप्यूटर विज्ञान में हॉफस्ट्रा विश्वविद्यालय से मास्टर की डिग्री हांसिल करने के साथ साथ , उन्होंने एक प्रबंधक की ज़िम्मेदारी लेते हुए बिज़नेस टीमों का नेतृत्व भी करने लगे। खान ने डीन विटर रेनॉल्ड्स इंक सहित कुछ अन्य कंपनियों के लिए भी काम किया है, लेकिन उन्होंने अपना अधिकांश व्यावसायिक जीवन सिस्टम एकीकरण के कार्य में लगाया। 
अपने आपको उन्हों ने "अधिकांश दिन व्यस्त रखने लगे " खान कहते हैं। उनके काम में प्रबंधन और प्रोग्रामिंग दोनों का मिश्रण शामिल है और वह वर्तमान में व्यावसायिक खुफिया परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। इसमें नया डेटा 360 प्रोग्राम शामिल है।  जिसे विश्वविद्यालय ने हाल ही में एकीकृत किया है। डेटा 360 संकाय और परामर्शदाताओं को एक छात्र की सभी प्रासंगिक जानकारी देखने की अनुमति देता है। इसका उद्देश्य प्रत्येक छात्र की आवश्यकताओं पर अधिक ध्यान देना है। खान के अनुसार, जब से उन्होंने यहां काम किया है, उन्होंने विश्लेषण और डेटा की लगभग 1,400 रिपोर्टें चलाई हैं। "अब सुबह से ले कर शाम तक हर दिन बहुत व्यस्तता रहता है,"।

जबकि खान की विशेष आदत असाधारण है, जो उसके बारे में सबसे ज्यादा हैरान करने वाला है, वह है उसकी संक्रामक मुस्कान और मृदुल स्वभाव। उनकी सकारात्मक प्रकृति और आशावादी संवेदनशीलता उन्हें स्वीकार्य और बात करने में आसान बनाती है। खान के साथ चलें और आप देखेंगे कि आपके द्वारा पास किया गया हर व्यक्ति तरंगित होकर बाहर निकलेगा, “हाय इक्के! क्या हाल है?।" यह स्पष्ट है कि हर कोई Ike को पसंद करता है। " जबकि वह अब सेवानिवृत्ति हो चुके हैं ," वह कहते हैं, हालांकि उसके पास इसके लिए कोई तत्काल योजना नहीं है। लेकिन वह अब दूसरों के लिए प्रेरणा हैं।  वह कहते हैं  "किसी के जीवन में एक भी सीधी रेखा नहीं है, यदि आपके पास इस आशा के साथ मेहनत करते है, तो आप को सफलता ज़रूर हासिल होगी।"

Friday, August 7, 2020

कैसे लग पाएगी भाजपा के इन मुस्लिम भौंपूओं पर रोक

Beirut Explosion की वजह बना इतना Ammonium Nitrate Lebanon में कहां से आय...

वुहान में कोरोना संक्रमित मरीजों के साथ अब परिजन भी नहीं खाते खाना, चलने...

देश में फैलते कोरोना वाइरस और गिरती अर्थ व्यवस्था - प्रो0 डॉ0 आसमी रज़ा

 देश में फैलते कोरोना वाइरस और गिरती अर्थ व्यवस्था पर जनहित में भारत सरकार को नई योजना तैयार करने पर विचार करना चाहिये  - प्रो0 डॉ0 आसमी रज़ा   


भारत के बुद्धिजीवी शिक्षित नागरिकों को अपने देश के हित में भारत की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए भारत के विश्वास का पुनर्निर्माण करना होगा।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बिलकुल सही आकलन कर कहा कि कोरोना वायरस महामारी का असर भारत के साथ ग्लोबल इकोनॉमी पर पड़ा है. COVID-19 का आर्थिक प्रभाव काफी चर्चा में रहा है. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था इतिहास में अपने सबसे खराब दौर से गुजरेगा। भारत में कोई अपवाद नहीं है और इस प्रवृत्ति को कम नहीं कर सकता है।  हालांकि अनुमान अलग-अलग हैं और यह स्पष्ट है कि कई दशकों में पहली बार भारत की अर्थव्यवस्था में संकुचन होगा। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस की मार से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए भारत के विश्वास का पुनर्निर्माण और अर्थव्यवस्था को रिवाइव करना होगा। 

द हिंदू में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, “ये हमारे देश और दुनिया के लिए असाधारण कठिन समय हैं।  COVID-19 से लोग बीमारी और मौत के भय के चपेट में हैं।  यह भय सर्वव्यापी है। कोरोना वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए देश की अक्षमता और बीमारी के लिए एक पुष्ट इलाज के अभाव ने लोगों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। लोगों में इस तरह की चिंता की भावना समाज के कामकाज में जबरदस्त उथल-पुथल पैदा कर सकती है। नतीजतन सामान्य सामाजिक व्यवस्था में उथल-पुथल से आजीविका और बड़ी अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। ”

मनमोहन सिंह ने कहा, “आर्थिक संकुचन केवल अर्थशास्त्रियों के विश्लेषण और बहस के लिए जीडीपी नंबर नहीं है।  इसका अर्थ है कई वर्षों की प्रगति का उलटा असर हमारे समाज के कमजोर वर्गों की एक बड़ी संख्या गरीबी में लौट सकती है, यह एक विकासशील देश के लिए दुर्लभ घटना है।  कई उद्योग बंद हो सकते हैं।  गंभीर बेरोजगारी के कारण एक पूरी पीढ़ी खत्म हो सकती है। संकुचित अर्थव्यवस्था के चलते वित्तीय संसाधनों में कमी के कारण अपने बच्चों को खिलाने और पढ़ाने की हमारी क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। आर्थिक संकुचन का घातक प्रभाव लंबा और गहरा है, खासकर गरीबों पर। ”

भारत की गिरती अर्थव्यवस्था को पटरी पर वापस लाने के लिए भारत सरकार को सभी अर्थशास्त्रिओं को विश्वास में ले कर योजनाबद्ध काम करना चाहिए । आर्थिक गतिविधियों में स्लोडाउन बाहरी कारकों जैसे लॉकडाउन और भय से प्रेरित लोगों और कंपनियों का व्यवहार है।  हमारी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने का आधार पूरे इकोसिस्टम में विश्वास को वापस लाना होगा ।  लोगों को भी अपने जीवन और आजीविका के बारे में विचार करना चाहिए। उद्यमियों को निवेश को फिर से खोलने और बैंकरों को पूंजी प्रदान करने के बारे में विचार करना चाहिए। “मल्टीलैटर ऑर्गेनाइजेशन को भारत को फंडिंग प्रदान करने के लिए पर्याप्त आत्मविश्वास के साथ विचार कर भारत सरकार के साथ सहोग करना चाहिए। सॉवरेन रेटिंग्स एजेंसियों को अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने और आर्थिक विकास को बहाल करने की भारत की क्षमता के बारे में आश्वस्त होना चाहिए” 

 विश्व में फैलती महामारी कोवित 19 कोरोना वाइरस का भय यह जान बुझ कर हर देश के नागरिकों में मीडिया तथा अन्य माध्यमों से मनोवैज्ञानिक असर डाला गया है। दूसरी और सोशल मीडिया के माध्यम से ही 19 कोरोना वाइरस के भय का असर कम करने के लिए अमेरिका इस्राइल , स्पेन, इटली, चाइना, के सरकार और बड़े कॉर्पोरेटों के षड्यंत्रों उजागर किया जा रहा है। जिसे वैक्सीन किट और मास्क के पेटेंट को अपने क़ब्ज़े में ले कर वैश्विक बाज़ारों पर क़ब्ज़ा किया जा सके।  ताकि नागरिकों में भये बना रहे और सुरक्षा की दृष्टिकोण से  वैक्सीन  पर विदेशी दवाइयां किट, मास्क इत्यादि हमारे भारत में धड़ल्ले से भारत के नागरिक खरीद कर इस्तिमाल करते रहें - ऑक्सफेम के सर्वे के अनुसार विश्व का सबसे बड़ा खुदरा बाज़ार चाइना की आबादी के अनुपात भारत को ही माना जाता है। इसलिए इसका सबसे बड़ा लाभ भारत से मिलने अधिक उम्मीद है। 

 जिस प्रकार से मीडिया द्वारा कोविट19 का भये फैलाया जा रहा है इससे मानव जीवन पर मनोवैज्ञानिक इतना बुरा असर पड़ रहा है की भय कारण मानवों में बिमारी उतपन्न हो रही है और उसके कारण मनो मस्तिष्क में अविश्वास की भावना के कारण हृदय गति का रुकना सम्भवता मृत्यु का हों  निश्चित है। फिर केवल कोरोना के भये से 2024 तक भारत की एक तिहाई आबादी मौत के आगोश में आने की संभावना बन जाती है। और इस कारण जब लोग अपने कारोबार के लिए घरो से नहीं निकलेंगे तो स्पष्ट है की भारत आर्थिक दृष्टिकोण से इतना कमज़ोर हो सकता है की ना चाहते हुए भी भारत को अन्य देशों से सहायता लेना पड़ सकता तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। भारत के नागरिक उस समय और अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।  

2019 में दावोस में वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम में ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट ‘टाइम टू केयर’ में समृद्धि के नाम पर पनप रहे नये नजरिया, विसंगतिपूर्ण आर्थिक संरचना एवं अमीरी गरीबी के बीच बढ़ते फासले की तथ्यपरक प्रभावी प्रस्तुति देते हुए इसे घातक बताया है। आज दुनिया की समृद्धि कुछ लोगों तक केन्द्रित हो गयी है, हमारे देश में भी ऐसी तस्वीर दुनिया की तुलना में अधिक तीव्रता से देखने को मिल रही है। देश में मानवीय मूल्यों और आर्थिक समानता को हाशिये पर डाल दिया गया है और येन-केन-प्रकारेण धन कमाना ही सबसे बड़ा लक्ष्य बनता जा रहा है। आखिर ऐसा क्यों हुआ ? क्या इस प्रवृत्ति के बीज हमारी परंपराओं में रहे हैं या यह बाजार के दबाव का नतीजा है ? इस तरह की मानसिकता राष्ट्र को कहां ले जाएगी ? ये कुछ प्रश्न ऑक्सफैम रिपोर्ट एवं प्रस्तुत होने वाले आम बजट के सन्दर्भ में महत्त्वपूर्ण हैं, जिन पर मंथन जरूरी है।  

साम्राज्यवाद की पीठ पर सवार पूंजीवाद ने जहां एक ओर अमीरी को बढ़ाया है तो वहीं दूसरी ओर गरीबी भी बढ़ती गई है। यह अमीरी और गरीबी का फासला कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है जिसके परिणामों के रूप में हम आतंकवाद को, नक्सलवाद को, सांप्रदायिकता को, प्रांतीयता को देख सकते हैं, जिनकी निष्पत्तियां समाज में हिंसा, नफरत, द्वेष, लोभ, गलाकाट प्रतिस्पर्धा, रिश्तों में दरारें आदि के रूप में देख सकते हैं। सर्वाधिक प्रभाव पर्यावरणीय असंतुलन एवं प्रदूषण के रूप में उभरा है। चंद हाथों में सिमटी समृद्धि की वजह से बड़े और तथाकथित संपन्न लोग ही नहीं बल्कि देश का एक बड़ा तबका मानवीयता से शून्य अपसंस्कृति का शिकार हो गया है। ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर ने कहा कि अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई तब तक नहीं कम होगी, जब तक सरकार की तरफ से इसको लेकर ठोस कदम नहीं उठाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि असमानता दूर करने के लिए सरकार को गरीबों के लिए विशेष नीतियां अमल में लानी होंगी। 

 भारत की गिरती अर्थ व्यवस्था पर चिंता कर रहे हैं दिल्ली विश्वविद्यालय अर्थशास्त्र विभाग के प्रो0 डॉ0 आसमी रज़ा - यह उनके  विचार है। 

Thursday, August 6, 2020

मलिक बिरादरी के बीहड़ ब्यानबान में सूरज की नई किरण दिखाई देने लगी ?

 मलिक बिरादरी के बीहड़ ब्यानबान में एक बार फिर से शिक्षा के उगते सूरज की नई किरण दिखाई देने लगी ? 


एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार)  

नयी दिल्ली - बिहार के इत्तिहासिक नालंदा से राजनितिक धुरेन्दर कहे जाने वाले चाणक्या ने अपनी कूटनीतिक का आरम्भ किया और मगध के राजा के माध्यम से अवध को झुकने पर मजबूर कर दिया।  उसी धरती पर चाणक्या ने विश्व का पहला विश्वविधालय स्थापित कर बिहार वासिओं को राजनितिक का नया अध्याय दे कर बिहार को राजनितिक उपजाऊ धरती बना दिया।  उसी धरती पर सैयद इब्राहिम मलिक बया (रह0) से  पैदा "मलिक क़बीला" और उसकी बढ़ती आबादी धीरे धीरे जंगली बलकुरमी की लकड़ी वाली लत और अमरलत्ता जैसी फैलती हरे दरख्तों को घेरने वाला अमरलत्ता का लत - एक सिमित आबादी वाला कबीला कहे जाने वाला धीरे धीरे मलिक बिरादरी में बदल गया एक जाती विशेष का दर्जा ले लिया जो नालंदा ,बिहार शरीफ , नवादा, जमुई, मुंगेर, पटना, जहानाबाद , गया , तक सीमित होते हुए भी उस नस्ल के लोग विश्व के लगभग हर देश में अच्छे मुक़ाम यानी पद पर विराजमान अपनी जाती छुपाते हुए मिलेंगे। लेकिन भारत में बिहारशरीफ नालंदा और जहानाबाद इन दो ज़िलों में मलिक क़बीलायी होते हुए मलिक को एक बिरादरी के रूप में एक जाती विशेष में अपनी पहचान बनाई और अपने आपको मलिक जाती का बोध कराया। विशेष कर इन दो ज़िलों की मलिक बिरादरी के लोगों ने कभी अपनी जाती नहीं छुपायी बल्कि अपनी जाती को उपनाम में इस्तेमाल करना गर्व समझते हैं, यही कारण है की बिहार में मुस्लिम समुदाये में मलिकों की एक अलग पहचान बनी हुयी है। 
इस बिरदारी में 70 के दशक तक शिक्षा की कोई अधिक पहचान थी और न तो कोई शिक्षा को इतना महत्व ही देता था।  मलिक बिरादरी में शिक्षा को गुलामी की एक ज़ंज़ीर समझ कर उससे अपनी नस्लों को दूर रखना उचित समझते थे, बहुत हुआ तो मदरसे की पढ़ाई , हाफ़िज़ ए क़ुरआन, तक सिमित रखते थे या बहुत हुआ तो मैट्रिक, या इंटर तक अंग्रेजी हिंदी उर्दू में नाम पता पढ़ लेना यह बहुत था, सिपाही की नौकरी आसानी से मिल जाती थी और उससे ज़्यादा हुआ तो दरोगा जी बन गए तो समाज में इज़्ज़त बढ़ गई। 

 लेकिन 80 के दशक के बाद मलिक बिरादरी में एक अचानक सा बदलाव आने लगा जब डॉ0 आशिक़ इब्राहीमी बिहार में ही रह कर शिक्षा को तरजीह देते हुए अपनी लगन और मेहनत से एकलौते होनहार 1978 बैच के आईएएस जैसे परीक्षा में उत्तीर्ण हो कर जहां अपने खानदान को सम्मान दिलाया वहीं बिरादरी को सर्वो समाज में गौरवान्वित कर बिरादरी में शिक्षा की एक नई ऊर्जा पैदा कर दिया और जब वह सरकारी महकमा में उच्च पद पर आसीन हुए तो बिरादरी ने उनकी शैक्षणिक क्षमता को समझा और बिरादरी के लोगों में शिक्षा की शक्ति को स्वीकार किया तब बरादरी में जागरूकता आयी और नालंदा जिला में मलिक क़बीला में शिक्षा की लौ जली और बिरादरी के कुछ लोग शिक्षा के लिए अग्रसर हुए। उसके बाद 1984 बैच में भी मलिक बिरादरी के (सेवानिवृत्त) शफीकुर रहमान आईआरएस 1984 बैच के, (सेवानिवृत्त) जनाब सलीम हक़ साहब इंडियन पोस्टल सर्विस, ऐसे एक के बाद एक आते गये यानी मलिक बिरादरी में सब से पहले यदि किसी उच्य शिक्षा और उच्च पद के लिए हौंसला और जज़्बा पैदा करने की बात निकलेगी तो पहला आईएएस में डॉ आशिक़ इब्राहीमी का ही नाम सम्मानपूर्वक लिया जाएगा। 

आज के माहौल में मलिक बिरादरी में अन्य सम्मानित पदों पर अनेको मलिक विराजमान हैं। इसी संदर्भ में दिल्ली में  सम्मानित स्कॉलर प्रो0 डॉ0 आसमी रज़ा जो इस समय दिल्ली विष्वविधालय में अर्थशास्त्र विभाग में असीन हैं। वह भी बिहार के उसी बिरनावां के रहने वाले हैं जहां के डॉ आशिक़ इब्राहीमी साहब का ननिहाल है, उनसे एक अनौपचारिक वार्ता के दौरान उन्होंने  बताया की बिहार के मलिक बिरादरी में यह कामयाबी लगभग 40 वर्षों के बाद  जहानाबाद ज़िला से यह दुसरा लड़का मोहम्मद शब्बीर आलम जिसने युपीएससी की परीक्षा में 403 रैंक पर कामयाबी हासिल किया है। यह भी इत्तफ़ाक़ ही कहा जाएगा की यह भी लड़का पूर्व आईएएस डॉ आशिक़ इब्राहीमी साहब के ननिहाली खानदान का ही है। डॉ0 रज़ा बताते है की मोहम्मद शब्बीर आलम साधारण एवं मध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखता है उसके पिता ज़फर आलम जहानाबाद के एक गांव पिपला सीलमपुर के रहने वाले हैं। इस समय पिता ज़फर आलम झारखंड के जमशेदपुर में आईटीआई एक संस्था का संचालन कर रहे हैं। उनका लड़का शब्बीर आलम का बचपन मेरी नज़रों से गुज़रा है वह पढ़ाई के मामले में काफी मेहनती है, मैं उस युवा पर गर्व महसूस कर रहा हूँ जिसने अपनी मेहनत और लगन से  इस आला मुक़ाम को हासिल किया। मैं तहे दिल से उसे मुबारकबाद देता हूँ और मैं समझता हूँ की समस्त मलिक बिरादरी को उसकी मेहनत और कामयाबी पर गर्व होना चाहिये।  
 
अर्थशास्त्रीय डॉ0 रज़ा इस वर्ष के उत्तीर्ण छात्रों का आंकड़ा देते हुए कहते हैं की मुझे समाज के सभी उन छात्रों पर गर्व हैं जिन्हें इस वर्ष  की (यूपीएससी) में सिविल सेवा परीक्षा 2019 के फाइनल में 829 उम्मीदवारों का चयन किया गया है। इसमें 304 उम्मीदवार जनरल कैटेगरी से, 78 ईडब्ल्यूएस, 251 ओबीसी, 129 एससी और 67 एसटी कैटेगरी से हैं। इस परीक्षा में मुस्लिम प्रतियोगियों ने सफलता का कीर्तिमान स्थापित किया है, यह हमारे लिए सब से गर्व की बात है की भारतीय मुस्लिम समुदायों में अब जागरूकता आ गई और मुस्लिम समुदाय की नई नस्लें अब देश की मुख्यधारा से जुड़ने लगा है।  UPSC में चयनित होने वाले इन सभी भाइयों को बहोत बहोत बधाई।
 
   

Tuesday, August 4, 2020

जनता को गुमराह कर सत्ता पर क़ाबिज़ होती भाजपा

जनता को गुमराह कर सत्ता पर क़ाबिज़ होती भाजपा और सत्ता में बढ़ता संघ का वर्चस्व तथा भारत की बदलती राजनितिक परिभाषा। 

मुझे गर्व है और बे हद खुशी भी कि हमारा देश इस समय विश्व की तीसरी शक्ति बन चुका है।
भारत की जनता बिद्धिजीवी है शिक्षित है साथ मे सहनशील है जो किसी भी गलत राजाओं या उनकी गलत नीतियों को एक सीमा तक बर्दाश्त करेगी । फिर उनका अंत भी यही भारत की जनता ही करेगी - कॉग्रेस नेता शिव भाटिया

एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार )

 
जनता को गुमराह कर सत्ता पर क़ाबिज़ होती भाजपा और सत्ता में बढ़ता संघ का वर्चस्व तथा भारत की बदलती राजनितिक परिभाषा।  हम आज इसी पर चर्चा करने जा रहे हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं हरियाणा की पूर्व हुड्डा सरकार में रहे राजनितिक सलाहकार श्री शिव भाटिया से जो वर्तमान केंद्र सरकार की नीतिओं पर ज्वलंत मुद्दों पर  अपनी तीखी प्रतिक्रिया देने जा रहे ।  प्रस्तुत है आईना इंडिया के वरिष्ठ पत्रकार एस. ज़ेड.मलिक के ज्वलंत प्रश्नों के बेबाकी जवाब।
     
  प्र0 - 2014 में भाजपा सत्ता पर क़ाबिज़ होते ही  पहले नोट बंदी की निति अपनाई इसके पीछे भारत सरकार का क्या मक़सद था ?

पहला कारण भारत की जनता को पंख उजड़ी मुर्गे के समान अपने चरणों पर दाना चुनवाते हुए रखना। यानी गुलाम बना कर अपने चरणों में रखना। दूसरा कारण - नोट बंदी के बहाने भारत की सभी वैसे उद्योगों को आर्थिक दृष्टि से कमज़ोर कर देना जो गाहे बिगाहे कांग्रेस से जुड़ कर आम जनता का सहयोग करते थे और हर उस राजनीतिक दलों को आर्थिक दृष्टिकोण से कमज़ोर कर देना जो अपने अपने क्षेत्र में राजनितिक दृष्टिकोण से आर्थिक स्तर मज़बूत थे और भाजपा उनके कारण राजनितिक स्तर पर ज़मीन नहीं बनती दिखायी दे रहा था, नॉट बंदी से सबके पैसे जमा करवा कर भारत की आम जनता को हैंड टू माउथ कर दिया। और स्वयं को 6 - 7 महीने तक अपनी पार्टिओं में संस्थाओं में संघ की शाखाओं में नए नोटों को भरते रहे और अचानक से 8 नवंबर 2016 में 8 बजेरात्रि में नोट बंदी का एलान कर हिन्दुस्तान में भगदड़ मचा दिया इससे क्या साबित होता है। इस समय भाजपा समर्थित संघ आर्थिक दृष्टिकोण से इतना मज़बूत हो गई है की अब जैसे चाहे भारत की आम जनता को अपने अनुकूल चला सकती है और चला रही है।         

  प्र0 - क्या भारत से वंचितों दलितों, पिछड़ी जातिओं , अन्य पिछड़ी जाती का आरक्षण समाप्त कर दिया जाएगा?   

मैं समझता हूं जिस प्रकार से यूएपी, एनएसए, और एनआईए, जैसे क़ानून बना का भाजपा भारत मे खुले आम दुरुपयोग कर रही है भारत का हर बुद्धिजीवी और शिक्षित वर्ग अच्छी तरह से समझ रहा है, आरक्षण हो या आम आदमी का अधिकार हो, सब पर भाजपा की सरकार क़ाबिज़ हो कर उनके अधिकार को हड़प रही है, आप अब विरोध नहीं कर सकते क्योंकि क़ानून का डंडा आप के सर पर खड़ा है। 
आपको समझाने के लिए कुछ तथ्य के साथ बताना चाहूंगा, सबसे पहले उन्होंने जम्मू व कश्मीर में धारा 370 को हटाने, नागरिकता संशोधन अधिनियम व  यूएपीए ( Unlawful Activities Prevention Act ) को क़ानून में बदलने के लिए  संसद से पास कराया।  इसके अलावा कई ऐसे छोटे मोटे बिल पास कराए जिससे सरकार की ताक़त बढ़ती हो।  एक तरह से डंडे के बल पर एक तरह से डंडे के बल पर 370 हटाई गयी।  इसके बाद दूसरा बिल नागरिकता के ऊपर लाया गया।  यू.ए.पी.ए. क़ानून ( Unlawful Activities Prevention Act )  ( गैर कानूनी गतिविधियाँ रोकथाम क़ानून )
देश में आतंकवाद की समस्या को देखते हुए आतंकी संगठनों और आतंकवादियों की नकेल कसने के लिए यह क़ानून बनाया गया i इस क़ानून को बनने के बाद सरकार किसी भी व्यक्ति को आतंकी घोषित किया जा सकता है i आतंकी होने के नाम पर उसकी संपत्ति जब्त की जा सकती है।  इसके अलावा इस क़ानून ने NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी ) को असीमित अधिकार दे दिए हैं।  इस क़ानून का मकसद आतंकवाद की घटनाओं में कमी लाना, आतंकी घटनाओं की तीव्र गति से जांच करना और आतंकवादियों को जल्दी सज़ा दिलवाना है। 

 दरअसल,देश की एकता और अखंडता पर चोट करने वाले के खिलाफ सरकार को असीमित अधिकार दे दिए हैं।  यह सत्य है की सरकार व उसकी मशीनरी इसका गलत इस्तेमाल कर सकती है।  इसके अनुसार सरकार किसी भी तरह से आतंकी गतिविधियों में शामिल संगठन या व्यक्ति को आतंकी घोषित कर सकती है। 
सरकार सबूत न होने की स्थिति में भी सिर्फ शक के आधार पर भी किसी को आतंकी घोषित कर सकती है।  
राष्ट्रीय जांच एजेंसी को इस क़ानून में यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी राज्य में जाकर कहीं भी छापा डाल सकती है।  इसके लिए उसे सम्बंधित राज्य की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।  
 इसके अलावा योगी जी ने अपने राज्य में सबसे ज्यादा NSA लगाया है।  ऐसे ऐसे लोगों पर NSA लगाया है जो कि सामाजिक कार्यकर्ता  हैं और जो समाज को शिक्षित करने का काम करते रहे हैं।  इससे  विपक्ष ने जिस बात की आशंका व्यक्त की थी वह सही निकली।  इस क़ानून का इस्तेमाल जामिया के छात्रों  और जो नागरिकता क़ानून के विरोध में शाहीन बाग़ में धरने पर बैठी थी उसके खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियाँ रोकथाम क़ानून के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।  इसके अतिरिक्त तालाबंदी के दौरान भी अनेक छात्र छात्राओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ इस क़ानून का दुरूपयोग किया गया, यानी जिसने भी विरोध करने की कोशिश की उन्हें परेशान किया गया, उसके जीवन को बर्बाद करने के षड्यंत्र रचे जा रहे हैं।  यह क़ानून भी केंद्र सरकार ने अपनी ताक़त बढाने के लिए बनाया।  यह सरकार संवाद में भरोसा नहीं करती।  विपक्ष को बदनाम करके व उसके खिलाफ पुलसिया कार्यवाही करके अपनी राजनीति करती है।  स्पष्ट हैं की ऐसे ही क़ानून का दुरूपयोग कर के केंद्र की सरकार आरक्षण भी समाप्त करा देगी और जनता ऐसे ही मूक दर्शक बनी तमाशा देखती रहेगी जो विरोध करेगा वह बे मौत मारा जाएगा। 

 प्र0 - आखिर क्या कारण है की भाजपा एक के बाद एक नए नए क़ानून सांसद में बनाती रही और पास करवाती रही  विपक्ष में कांग्रेस छोड़ कर और कोई भी यूपीए का घटक दल विरोध करना तो दूर बल्कि भाजपा द्वारा बनाये गए हर नए क़ानून का समर्थन और उसके पक्ष में  वोट करता रहा हत्ताकि की बाम दाल जैसी पार्टियां भी आंतरिक तौर पर भाजपा के साथ खड़ी दिखाई देती रही ?        
  
जवाब - डर , भय , और दुसरा लालच यह एक क्रिया है जिस किसी के अंदर भी बैठ गया, वह चाहे अपराधी हो या  बड़े बड़े हिम्मतवर, सभी को समय अनुकूल शांत रहना पड़ता है। इसी लिए वह शांत हैं, और साथ देने पर माजबूर हैं। 

प्र0 - चीन का भारत के लद्दाक के गहलवान घाटी के18 की0 मी0 अंदर और सियाचीन के रास्ते 8 की0मी0 अंदर घुसा पड़ा है तथा पीएल 10,11,12,13,14, पर सेना गश्त नहीं कर पा रही है और प्रधानमंत्री यह कह कर देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं की हमारे सेना ने चीन को पीछे धकेलने में काम रही है चीन अब हमारे ज़मीन कभी भी नहीं चढ़ पायी है आखिर बार बार भारत के के प्रधानमंत्री जनता से झूठ क्यों बोल रहे हैं ?  

जवाब - भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी जी अपने 6 वर्षों के प्रधानमंत्री कार्यकाल में भारत का चाहे वह विकास का मामला हो या रोज़गार या महंगाई का अंतर्राष्ट्रीय राजनीति कूटनीति अथवा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का मामला हो इन सभी नीतिओं में फेल्योर रहे हैं तथा भारत के आंतरिक मामले में चाहे साम्प्र्दायिक दंगा हो या भ्रष्टाचार , दुराचार ,दुष्कर्म , दलितों ,पिछड़ों एवं मुसलमानों पर ग्रामीण व कस्बों में अत्याचार ,व ह्त्या सुचारू रूप से नियमतः पुलिस प्रसाशन के सुरक्षा में घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है - साक्ष्य चाहिए तो तो दैनिक चामचार पत्र ले लीजिये उत्तरप्रदेश ले लीजिये या अन्य भाजपा साशित भारत में कोई सा प्रदेश देख लीजिए ऐसे दुरदयांत घटनाये तो अब आम सी हो गयी है। इन सभी घटनाओं को रोकने में नाकामयाब रहे, इसलिए अपनी नाकामी को छुपाने के लिए तथा अपने मनुवादी भरष्ट दुष्ट लोगों को बचाने के लिए बार बार प्रधानमंत्री को झूठ का सहारा ले कर हिन्दुस्तान की जनता को मजबूरन गुमराह करना पड़ता है इसी लिए शायद भारत की जनता प्रधान मंत्री की मजबूरी को भली भान्ति समझ चुकी है इसी लिय उन्हें बार बार माफ़ कर देती है। चीन और नेपाल को भारत पर अपनी कूटनीति के तहत चढ़ाई करवाने का मतलब साफ़ है भारत की जनता से सिम्पैथी बटोरना चूँकि बिहार में और बंगाल में चुनाव है। 

 प्र0 - कोविट 19 कोरोना वाइरस क्या एक साजिश है या प्रकृतिक आपदा या विश्व के धनपतिओं और महाशक्ति  देशों के द्वारा विश्व में आम कमज़ोर गरीबों को गुलाम बनाने के लिए प्रोजेक्ट किया हुआ एक षड्यंत्र ?  

जवाब - जहां तक मैं समझता हूं कि कोविट 19 कोरोना वाइरस एक आपदा है, एक महामारी है, लेकिन उससे बचने के उपाय भी हैं । भारत के पास क्या नही है? भारत सरकार चाहती तो फरवरी से इस महामारी का उपाय  निकाल सकती थी,  परन्तु भारत सरकार ने कभी चाह ही नही, भारत सरकर की नियत साफ नहीं है,  जहां तक मैं समझता हूं कि कोविट 19 कोरोना वाइरस एक आपदा है, एक महामारी है, लेकिन उससे बचने के उपाय भी हैं । भारत के पास क्या नही है? भारत सरकार चाहती तो फरवरी से इस महामारी का उपाय निकाल सकती थी,  परन्तु भारत सरकार ने कभी चाह ही नही। भारत सरकर की नियत साफ नहीं है। भारत सरकार का तारगेट हिन्दू राष्ट्र है। भारत सरकार अपने झूठे योजना को फैलाने के लिये मेडिया एवं अन्य प्रचार माध्यमों का सहारा ले कर प्रचार और प्रसार पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वैक्सीन व किट के खरीदारी के लिये करोडों रुपये एक बार चीन को दिए और दूसरी बार स्पेन को दिया और अब अमेरिका को ? जबकि भारत सरकार यदि ईमानदार होती तो वैक्सीन और किट दोनो ही भारत मे ही तैयार करा सकती थी। परन्तु करोड़ों की दलाली उन्हें अपने एजेंट को जो देना था । अन्य देशों की साजिश हो या न हो परन्तु हमारे देश के वर्तमान सरकारी व्यावस्था में षड्यंत्र की बू ज़रूर आ रही है।

 प्र0 - दिल्ली दंगे पर आपकी की क्या प्रतिक्रिया है ? 

जवाब - दिल्ली दंगा एक प्रयोजित साजिश है,  भाजपा ने दिल्ली विधान सभा हर का बदला लिया । उत्तरीपूर्वी दिल्ली दिल्ली में जो दंगा था वह सम्प्रदायिक नहीं था लेकिन उसे सम्प्रदायिक बनाया गया , इन क्षेत्रों में यह दंगा हुया वहां आज भी आपसी सौहार्द क़ायम है, जिनके घर जलाये गये उसमे हिंदुओ के भी थे, यह विचारणीय है कि एक ही गाली में रहने वाले हिन्दू और मुसलमान बीच यदि सम्प्रदायिक नफ़रत होता तो या तो जिसकी समुदायें की अधिक आबादी होती वह दूसरे समुदायें पर भारी होता और उस गली में रहने वाले अल्पसंख्यक जो भी समुदायें होता केवल उसका ही जानी और माली नुक्सान होता लेकिन वहां तो दोनों का केवल माली नुकसान हुआ, दंगाईयों को जो दाढ़ी वाला दिखाई दिया या टोपी वाला दिखाई दिया उसे मार दिया। मस्जिदें तागेट किया गया, इससे स्पष्ट है कि दंगाईयो स्थानीय नही थे बल्की दिल्ली के बाहर से बुलाये गए भाड़े के लोग थे उसके बहुत से वीडियो है जो यह साबित करने के लिये काफी है। यह पूरा का पूरा केंद्र सरकार के गृहमंत्रालय के देख रेख था दिल्ली तीन दिन तक पुलिस शांत रह कर अनदेखा करती रही और दिल्ली जलती रही। इस पूर्ण रूप से प्रयोजित साजिश था।

 प्र0 - भारत ने 5 राफेल खरीद कर दिखाया दिया जबकि राहुल गांधी बार बार राफेल पर बहंस कराने एवं जांच कराने की गुहार लगा रहे थे । भारत सरकार ने राफेल को भारत मे उतार कर दिया दिया । क्या अब कांग्रेस संतुष्ट है ? क्या अब भारत की हवाई शक्ति बढ़ी ?

 जवाब - मुझे गर्व है और बे हद खुशी भी कि हमारा देश इस समय विश्व की तीसरी शक्ति बन चुका है। लेकिन भाजपा देश की जनता को आज भी गुमराह कर रही है । राफेल डील 2012 में यूपीए सरकर की देन है भाजपा हमेशा दूसरों का बनाया खाना खाया और खूब प्रचार किया कि हमने बनाया। 6 वर्षों में भाजपा का एक भी प्रोजेक्ट दिखादे जनता ? सिवा 3000 हज़ार करोड़ की स्वर्गीय पटेल सहब की मूर्ति को छोड़ कर , राफेल का सौदा 126 लड़ाकू विमान का था, न कि केवल 36 पर डील था 2014 में भाजपा की सरकार बनने के बाद यूपीए की डील को रद कर दिया गया जिस पर कांग्रेस ने आवाज़ उठाई और भाजपा ने उस आवाज़ दबने के लिये टाल-मटोल करती रही । अब जब बार बार भाजपा से राहुल गांधी राफेल के मुद्दे पर सवाल करते रहे तब डीलर से हाँथ पैर जोड़ कर 5 राफेल भारत की धरती पर उतार कर भारत की जनता को फिर से गुमराह करने की कोशिश कर रही है। इस समय कोविट 19 कोरोना का प्रकोप से विश्व भर में हड़कंप मचा हुआ है भारत मे प्रति दिन कोरोना पोज़ीटिव और कोरोना से हज़ारों मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है सरकार के पास इसे रोकने के लिये कोई ठोस उपाय नही है और न उपाय कर रही है , ऐसे महामारी में बिहार का चुनाव के समय की घोषणा कर दी गई, बंगाल में चुनाव की रट लगाए चुनाव तैयारी हिन्दू मुसलमान का धुर्वीकरण, सम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का पूरा प्लान के साथ वहां अपने कार्यकर्ताओं को मैदान में उतार रखा है, और जनता से सिम्पैथी बटोरने के लिये जहां चीन में मुद्दे पर झूठ बोल कर जनता को गुमराह कर रही है वहीं अब 3 राफेल लड़ाकू विमान को भारत की धरती उतार कर  प्रचार प्रसार कर जनता का असली मुद्दे से  ध्यान भटका रही है। जब कि 2 राफेल ट्रेनिग देने के लिए आये है। 

इस समय सरकार की गलत नीतियों के कारण कोरोना भारत काल मे अपादाओ और अन्य विपत्तियों को झेल रहा है , भारत के नागरिक इस समय आर्थिक विषमता के शिकार हो चुके हैं , भारत की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है, करोड़ो नागरिक बेरोज़गार हो गए है, महंगाई अपने चरम सीमा को लांघ रही है, शिक्षा संस्थाने बन्द हो चुके हैं , कल-कारखाने बन्द हो चुके हैं, गृहउधोग समाप्त कर दिया गया है। और भाजपा सरकार अपने मज़बूत और मस्त शाशनकाल का परिचय दे रही है, आरएसएस का मुख्यालय से लेकर क्षेत्रीय कार्यालय तक को मज़बूत करने के लिये भारत मे नागपुर से ले कर दिल्ली और बेंगलोर कर्नाटका, केरला , तमिलनाडु, लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, पटना , कोलकाता,  और ना जाने भारत मे कहां कहां करोड़ों अरबों रुपये उसमे झोंके जा रहे है, जिसका कोई लेखा जोखा नहीं ना कोई वर्तमान सरकार से हिंसाब मांगने वाला है । सरकार से मांगने का हिम्मत भी कैसे करे , कैग जैसी संस्था आज आने आपको बचाने की कोशीश कर रही , अब सच बोलने वाले को मौत के घाट उतार दिया जाएगा या उसे खामोश रहने पर माजबूर कर दिया जाएगा । जस्टिस लोया की रहस्यमयी मौत, और एक जस्टिस मुरलीधरन का आधी रात में स्थानांतरण। क्या यह सब भाजपा सरकार की मनमानी और हठधर्मी नही दर्शाता है ?  

भाजपा अपने इन तमाम गलतियों नाकामियों को छुपाने के लिये साम, दाम, दण्ड, भेद, की नीति अपना कर अपना वर्चस्व क़ायम रखते हुये भारत की संप्रभुता एकता अखण्डता तथा संविधान और लोकतंत्र को ध्वस्त कर राजतंत्र की स्थापना कर आम नागरिकों को गुलाम बनाएगी तथा एक समुदायें मुस्लिम समाज को समाप्त करने का स्वांग रच रही जब कि ऐसा कदापि नही हो सकता। क्यूँ की भारत की जनता बिद्धिजीवी है शिक्षित है साथ मे सहनशील है जो किसी भी गलत राजाओं या उनकी गलत नीतियों को एक सीमा तक बर्दाश्त करेगी । फिर उनका अंत भी यही भारत की जनता ही करेगी । जनता ने इन्हें सत्ता दिया था और आने वाले समय मे जनता ही इन्हें हमेशा के लिये नामो निशान भी मिटा देगी।

Monday, August 3, 2020

केरला के आरटीआई कार्यकर्ता डोमिनिक साइमन की सऊदी सरकार द्वारा गिरफ्तारी क्यूँ ?

  केरला के आरटीआई कार्यकर्ता डोमिनिक साइमन की सऊदी सरकार द्वारा गिरफ्तारी क्यूँ ? 
 

एस. ज़ेड. मलिक (स्वतंत्र पत्रकार )
  
नई दिल्ली :सऊदी अरब में एक केरला निवासी  भारतीय आरटीआई कार्यकर्ता डोमिनिक साइमन की गिरफ्तारी विचारणीय है। सवाल है क्या  केरला निवासी  भारतीय आरटीआई कार्यकर्ता डोमिनिक साइमन अवैध रूप से रह रहा था ? क्या सऊदी में उसकी संदिग्ध भूमिका थी ?  या सऊदी अब प्रसाशन को गुमराह कर उसे जान बुझ कर एक षड्यंत्र के तहत  गया ? यह सवाल इस लिए अनिवार्य की जो व्यक्ति विशेषकर कोविद -19 महामारी के दौरान अपनी जान की परवाह किय बगैर लोगो को सुरक्षा के प्रति जागरूक करता हो और विशेष कर सऊदी में रह रहे प्रवासी केरल वासियों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने के लिये विमान की विशेष व्यावस्था कराने और परवासिओं को  उनके गंतव्य स्थानों तक सुरक्षित पहुंचाने का सक्रिय भूमिका अदा कर सराहनीय कार्य किया है। आरटीआई कार्यकर्ता डोमिनिक साइमन की गिरफ्तारी केवल इसलिये किया गया कि वह सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों का प्रभावी उपयोग कर लोगों को अधिकारों के बारे में शिक्षित और जागरूक कर रहा था। 
आखिर इसकी सच्चाई क्या है ? आइना इंडिया इस सच्चाई को जानने के किय कुछ तथ्य तलाशने की कोशिश में सर्वपर्थम 
एक एड्स संस्था के विशेषज्ञ और आरटीआई कार्यकर्ता महेश विजयन से फोन पर बात की उन्होंने बताया की  डोमिनिक साइमन  रियाद के आईटी कम्पनी में कार्यरत था और वह हमेशा प्रवासी भारतीयों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाता था। वह केरल के पाल निवासीयों के विवारविकाशिकल आरवीआई उत्साही लोगों के एक समूह का वह सक्रिय सदस्य था, जो प्रवासी कानूनी प्रकोष्ठ के वैध सलाहकार के रूप में उसे प्रकोष्ठ की ओर से एक पुरस्कार भी दिया था। विजयन ने कहा साइमन ने इस साल मई में धमकी वाले कॉल के बारे में भारतीय दूतावास को जानकारी दे कर मदद की गुहार लगाईं थी लेकिन उसे कोई वैधानिक मदद तो छोड़िये आश्वासन तक नही मिला ।  

यह भारत सरकार के सरकारी तंत्र की व्यावस्था की विडंबनाआ कहे कि साइमन को 8 जुलाई को उसकी गिरफ्तारी के बाद रियाद के अल हेयर जेल में रखा जा रहा है, लेकिन उसके परिवार को भारत सरकार ने सूचित करना उचित नहीं समझा, साइमन के घर वालों को आज भी नहीं पता कि उसे क्यों उठाया गया था।
इस बाबत में साइमन के परिवार वालों ने रियाद में भारतीय दूतावास एवं केंद्रीय विदेश मंत्रालय में याचिका दायर कर साइमन की जानकारी मांगी है।

ऐसा माना जाता है कि सोशल मीडिया की पोस्ट पर आलोचना करने के लिए किसी ने भारतीय दूतावास द्वारा एक झूठी शिकायत के आधार पर एक मिशन के तहत उन्हें गिरफ्तार किया गया था। इस मामले को ले कर उनकी मां बुधवार को हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। 

 विजयन ने कहा की जैसा कि सूत्रों से पता चला कि इस वर्ष के मई में लोकडाउन के दौरान रियाद में फंसे हुए भारतीओं को भारत सरकार द्वारा वंदे भारत मिशन के तहत वहां के भारतीय दूतावास के माध्यम से उनके अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचाने के लिये जिस फ्लाइट की व्यस्था की गई थी उसमे भारतीय दूतावास के कुछ ज़िम्मेवार अधिकारियों द्वारा अलग से पैसे लेकर उन्हें उनके गंतव्य स्थान तक भेजा जा रहा था। जब इस बात की जानकारी साइमन को मिली तो साइमन समाजिक कार्यकर्ता वह सहन नहीं कर सका और उसने इस बात की सही जानकारी लेने के लिये भारत के विदेश मंत्रालय में आरटीआई लगा कर रियाद में भारत दूतावास में हो रहे व्याप्त भ्र्ष्टाचार को उजागर करने के लिए वन्दे भारत मिशन के यात्रा सम्बंधित जानकारी मांगी, मंत्रालय का जवाब को साइमन ने प्रवासिओं के सुविधा के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर वंदे भारत मिशन की सही जानकारी सऊदी अरब में रह रहे केरला परवासिओं को देने कोशीश की जिससे दूतावास के अधिकारियों को काफी बुरा लगा, रियाद के भारतीय दूतावास के अधिकारिओं ने साइमन द्वारा सोशल मीडिया पर प्रसारित सुचना को गलत तरीके से प्रस्तुत कर सऊदी सरकार को गुमराह कर साइमन को सऊदी क़ानून के तहत गिरफ्ता करवा दिया गया और इसके गिरफ्तारी की सुचना को साइमन के परिवार वालों से रियाद के भारतीय दूतावास द्वारा गुप्त रखा गया लेकिन केरला परवासिओं को जानकारी मिलते ही केरला परवासिओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से साइमन की गिरफ्तारी को स्वर्जनिक कर दिया। जिसका परिणाम आज साइमन को जेल में भुगतना पड़ रहा है। 
साइमन की पत्नी ने अपने पति के गिरफ्तारी के बाबत पीजी पोर्टल के माध्यम से सऊदी सरकार से अपने पति की गिरफ्तारी का कारण जानना चाहा था। जिसमे उन्होंने रियाद में भारतीय दूतावास के अधिकारिओं द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था जिसके जवाब रियाद के भारतीय दूतावास एक पदाधिकारी श्यामसुंदर नामक ने 15 जुलाई 2020 को बताया की साइमन ने सोशल मीडिया पर सरकार के वंदे भारत मिशन में भ्रष्टाचार’ का आरोप लगाते हुये विट्रियल की टिप्पणी किया था तथा लोगों की भीड़ जुटाने के लिए सोशल मीडिया का दुरुपयोग किया जी की सऊदी कानून के खिलाफ है ... सोशल मीडिया पर उनके इस असर को देखते हुए, ऐसा लगता है कि सऊदी अधिकारियों ने उनकी गतिविधियों का संज्ञान लिया है और उन्हें हिरासत में लिया है।

जानकार सूत्रों द्वारा सऊदी अरब की पुलिस ने एक भारतीय आरटीआई कार्यकर्ता डोमिनिक साइमन को पिछले एक महीने से अपने हिरासत में रखा हुआ है। तथा साइमन  पत्नी  सेलिनी स्कारिया जॉय अपने पति डोमिनिक साइमन की रिहाई के लिए लगातार कोशिश जारी रखे हुए हैं।  उनका आरोप है कि 8 जुलाई को भारतीय दूतावास में या तो अधिकारियों द्वारा की गई शिकायत के आधार पर या डोमिनिक द्वारा प्रस्तुत आरटीआई प्रश्नों के प्रतिशोध में उनके द्वारा की गई शिकायत के आधार पर सऊदी अधिकारियों ने भर्मित हो कर डोमिनिक को हिरासत में ले लिया है।

इस बाबत में  सेलिनी ने  केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को अपनी शिकायत में, कहा कि डोमिनिक ने राहत कार्यों के लिए और वंदे भारत मिशन प्रत्यावर्तन उड़ानों पर कल्याणकारी धन का विवरण की जानकारी के लिए आरटीआई प्रश्न प्रस्तुत किए थे। इसके लिए उन्हें तत्काल दिनों में दूतावास के एक अधिकारी से धमकी मिली थी कि उनके पति को अपने आरटीआई के सवालों को वापस लेना चाहिए नहीं तो अंजाम अच्छा नहीं होगा हालांकि, सऊदी अरब में भारतीय दूतावास ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

सलोनी फोन पर सऊदी के टीओआई को बताया की डोमिनिक को शुरू में कोविद कोरंटीन सेंटर में रखा गया था और बाद में उसे गुरुवार को जेल भेज दिया गया। “उसके बाद उससे बात नहीं कर पायी। जबकि कोरंटीन सेंटर से बात चीत की संभावना भी सीमित ही थी।  “मुझे अपने पति के खिलाफ शिकायत की कॉपी नहीं मिली है। केस का औपचारिक पंजीकरण संगरोध केंद्र से जेल में डोमिनिक को स्थानांतरित करने के बाद शुरू होना था। हालांकि, सऊदी में कार्यालय 9 अगस्त को ईद की छुट्टियों के बाद ही फिर से खुलेंगे।

 इधर डोमिनिक की मां ने अपने बेटे की रिहाई के लिए एडवोकेट जोस अब्राहम के माध्यम से केरल उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है।  उनके वकील अब्राहम ने कहा कि विदेश मंत्रालय के वकील ने गुरुवार को उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि अब तक उन्हें डोमिनिक पर दूतावास के अधिकारियों द्वारा दायर की गई किसी भी शिकायत के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। याचिका पर सुनवाई कर रहे उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एन नागरेश ने 12 अगस्त तक विवरण एकत्र करने के बाद वकील से जवाब दाखिल करने को कहा है। 

पूर्व केंद्रीय मंत्री अल्फोंस जे कन्ननथनम ने कहा कि उन्होंने हाल ही में विदेश मामलों पर संसदीय पैनल की बैठक के दौरान मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने मामले को सुलझाने का आश्वासन दिया है। गुरुवयूर विधायक के वी अब्दुल खदेर और केरल प्रवासी संघ के अध्यक्ष पी टी कुंजुमुहमद ने विदेश मंत्रालय से डोमिनिक की रिहाई के लिए हस्तक्षेप करने की अपील की है।

   केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, इडुक्की  केरला के सांसद डीन कुरिकोज़ ने भी केंद्रीय मंत्री एस. जयशंकर को  एक लेटर देकर साइमन के बारे में पूर्ण जानकारी दे कर सऊदी जेल में बंद उनकी रिहाई की मांग की तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री अल्फोंस जे कन्ननथनम, एवं जन प्रतिनिधिओं ने भी अरब में भारतीय दूतावास को साइमन के मामले हस्तक्षेप कर साइमन को सऊदी जेल से रिहाई की मांग की है परन्तु इस मामले में सऊदी भारतीय दूतावास ने न तो कोई संग्याल लिया है और न अब तक इस मामले पर किसी के चिट्ठी पर की अपनी प्रतिक्रिया ही व्यक्त की है। अब सवाल है, सऊदी भारतीय दूतावास की चुप्पी को क्या समझा जाए ? या तो मामले भारतीय दूतावास पूर्ण रूप से संलिप्त है जो जान बूझ कर मामले को टाल मटोल कर रहा है या दूतावास के पास कोई जानकारी ही नहीं ? इस मामले में भारत सरकार के गृहमंत्रालय को संज्ञान लेना चाहिये ताकि एक भारतीय प्रवासी को न्याय मिल सके,और भारत को बदनामी से बचाया जा सके।  
  
ज्ञात हो ही साइमन डोमिनिक, जो कि कोच्चि के पाल का निवासी है, वह पीछले 15 वर्षों से खाड़ी में आईटी क्षेत्र में काम कर रहा है। कट्टप्पना की रहने वाली सालिनी पिछले 13 सालों से वहां हैं और सऊदी विश्वविद्यालय में मधुमेह के शोध में लगी हुई हैं। दो दोनों दंपति के तीन बच्चे हैं जिनकी उम्र 12, पांच और दो वर्ष है। 


 

Sunday, August 2, 2020

मुग़लों की ये 10 बातें जो आपसे छिपाई गई | 10 Rare Facts About Mughal Empire

India China 1962 War: उस समय भारत का साथ देने America ना आता तब क्या होत...

मुगल राजा औरंगजेब ने अपने भाइयों को क्यों मारा? | Why did Mughal Emperor...

आरटीआई कार्यकर्ता डोमिनिक साइमन की गिरफ्तारी पर निंदनीय है,

कोच्ची : आरटीआई कार्यकर्ता डोमिनिक साइमन की गिरफ्तारी पर निंदनीय है, जिन्होंने विशेषकर कोविद -19 महामारी के दौरान प्रवासी केरल वासियों के लिये विमान की विशेष व्यावस्था कर उनके गंतव्य स्थानों तक सुरक्षित पहुंचाने का सराहनीय कार्य किया है।  RTI कार्यकर्ता डोमिनिक साइमन की गिरफ्तारी  केवल इसलिये किया गया कि वह सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों का प्रभावी उपयोग कर लोगों को अधिकारों के बारे में शिक्षित करके उनमें जागरूकता का कार्य कर रहे थे। 

एक एड्स संस्था के विशेषज्ञ और आरटीआई कार्यकर्ता महेश विजयन कहते हैं  "साइमन हमेशा प्रवासी भारतीयों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाता था। वह केरल के पाल निवासीयों के विवारविकाशिकल आरवीआई उत्साही लोगों के एक समूह का वह सक्रिय सदस्य था, जो प्रवासी कानूनी प्रकोष्ठ के वैध सलाहकार के रूप में उसे प्रकोष्ठ की ओर से एक पुरस्कार भी दिया था। विजयन ने कहा " इस साल मई में, साइमन ने धमकी देने वाले कॉल के बारे में भारतीय दूतावास को जानकारी दे कर एक आरटीआई क्वेरी दायर की थी। लेकिन उसे कोई वैधानिक मदद नही मिला ।  

यह भारत सरकार के सरकारी तंत्र की व्यावस्था की विडंबनाआ कहे कि साइमन को 8 जुलाई को उसकी गिरफ्तारी के बाद रियाद के अल हेयर जेल में रखा जा रहा है, लेकिन उसके परिवार को भारत सरकार ने सूचित करना उचित नहीं समझा, साइमन के घर वालों को आज भी नहीं पता कि उसे क्यों उठाया गया था।
इस बाबत में साइमन के परिवार वालों ने रियाद में भारतीय दूतावास एवं केंद्रीय विदेश मंत्रालय में याचिका दायर कर साइमन की जानकारी मांगी है।

ऐसा माना जाता है कि सोशल मीडिया की पोस्ट पर आलोचना करने के लिए किसी ने भारतीय दूतावास द्वारा एक झूठी शिकायत के आधार पर एक मिशन के तहत उन्हें गिरफ्तार किया गया था। इस मामले को ले कर उनकी मां बुधवार को हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। 

 विजयन ने कहा की जैसा कि सूत्रों से पता चला कि इस वर्ष के मई में लोकडाउन के दौरान रियाद में फंसे हुए भारतीओं को भारत सरकार द्वारा वंदे भारत मिशन के तहत वहां के भारतीय दूतावास के माध्यम से उनके अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचाने के लिये जिस फ्लाइट की व्यस्था की गई थी उसमे भारतीय दूतावास के कुछ ज़िम्मेवार अधिकारियों द्वारा अलग से पैसे लेकर उन्हें उनके गंतव्य स्थान तक भेजा जा रहा था। जब इस बात की जानकारी साइमन को मिली तो साइमन समाजिक हितैषी कार्यकर्ता वह सहन नहीं कर सका और उसने इस बात की सही जानकारी लेने के लिये भारत के विदेश मंत्रालय में आरटीआई लगा कर रियाद में भारत दूतावास में हो रहे व्याप्त भ्र्ष्टाचार को उजागर करने के लिए वन्दे भारत मिशन के यात्रा सम्बंधित जानकारी मांगी, मंत्रालय का जवाब को साइमन ने परवासिओं के सुविधा के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर वंदे भारत मिशन की सही जानकारी सऊदी अरब में रह रहे केरला परवासिओं को देने कोशीश की जिससे दूतावास के अधिकारियों को काफी बुरा लगा, रियाद के भारतीय दूतावास के अधिकारिओं ने साइमन द्वारा सोशल मीडिया पर प्रसारित सुचना को गलत तरीके से प्रस्तुत कर सऊदी सरकार को गुमराह कर साइमन को सऊदी क़ानून के तहत गिरफ्ता करवा दिया गया और इसके गिरफ्तारी की सुचना को साइमन के परिवार वालों से रियाद के भारतीय दूतावास द्वारा गुप्त रखा गया लेकिन केरला परवासिओं को जानकारी मिलते ही केरला परवासिओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से साइमन की गिरफ्तारी को स्वर्जनिक कर दिया। जिसका परिणाम आज साइमन को जेल में भुगतना पड़ रहा है।  

 साइमन की पत्नी ने अपने पति के गिरफ्तारी के बाबत पीजी पोर्टल के माध्यम से सऊदी सरकार से अपने पति की गिरफ्तारी का कारण जानना चाहा था। जिसमे उन्होंने रियाद में भारतीय दूतावास के अधिकारिओं द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था जिसके जवाब रियाद के भारतीय दूतावास एक पदाधिकारी श्यामसुंदर नामक ने 15 जुलाई 2020 को बताया की साइमन ने सोशल मीडिया पर सरकार के वंदे भारत मिशन में भ्रष्टाचार’ का आरोप लगाते हुये विट्रियल की टिप्पणी किया था तथा लोगों की भीड़ जुटाने के लिए सोशल मीडिया का दुरुपयोग करना सऊदी कानून के खिलाफ है ... सोशल मीडिया पर उनके इस असर को देखते हुए, ऐसा लगता है कि सऊदी अधिकारियों ने उनकी गतिविधियों का संज्ञान लिया है और उन्हें हिरासत में लिया है,।


 

Tuesday, July 14, 2020

15 साल के गड़े मुर्दे उखाड़ रही भाजपा

15 साल के गड़े मुर्दे उखाड़ रही भाजपा, भाजपा इंडिया फाउंडेशन और विवेकानंद फाउंडेशन की भी जांच कराये - शिव भाटिया वरिष्ठ कांग्रेस नेता। 



  चाइना का भारत पर बढ़ता दबाव और घुसपैठ - कांग्रेस द्वारा चाइना के सैनिक घुसपैठ पर केंद्र सरकार क्या कर रही है के सवाल पर सरकार बौखलाई ?
जवाब में कांग्रेस पर किया हमला, राजीव गाँधी फाउंडेशन को घेरने का प्रयास
भाजपा दिमागी रूप से एक विचलित पार्टी है दरअसल इस पार्टी का नाम बंगारू लक्षण जूदेव पार्टी होना चाहिए था।   


एस. ज़ेड.मलिक(स्वतन्त्र पत्रकार)

नई दिल्ली - चाइना का भारत पर बढ़ता दबाव, चाइना का भारत में सैनिक घुसपैठ, गलवान घाटी में चाइना सैनिक 18 की0 मि0 अंदर घुस चुके हैं जिसे लद्दाख की स्थानीय मीडिया तथा अंतर्राष्टीय मीडिया बीबीसी स्पष्ट रूप से दिखा रही है दुनियां देख रही है, बावजूद इसके भारत सरकार उन तमाम तत्थ्यों को छुपा कर चाइना पर अपना वर्चस्व दिखाने का प्रयास कर रही। इस बात  पर कांग्रेस के सवाल पर सरकार ने भारत सरकार एकदम से बौखला गयी ,अब आनन फ़ाना में विशेष कैबनेट बैठक बुलाकर सरकार ने राजीव गांधी फाउंडेशन की जाँच बैठा दिया। जबकि 1991 मई में राजीव गांधी की निर्मम ह्त्या बाद राजिव गांधी फाउंडेशन स्तित्व में आया इसके बाद1998 में भाजपा की पहली सरकार  16 मई 1996 से 1 जून 1996 की बानी फिर 19 मार्च , 1998 से  22 मई  2004, 6 साल , 64 दिन चली उस दरमियान कोई जांच नहीं उस पर कोई चर्चा नहीं उसके बाद लगातार 10 वर्षों तक कांग्रेस की सरकार चलती रही तब भाजपा विपक्ष की सब से बड़ी पार्टी होने के बावजूद इस पर कभी चर्चा नहीं किया गया ,2014 में फिर से भाजपा की सरकार बानी तब भी उन 5 वर्षों में इसकी चर्चा नहीं की गई न जांच किया गया।  लेकिन जब आज कांग्रेस, भारत के साथ चाइना के बिगड़ते संबंध और चाइना द्वारा भारत में अपने सैनिकों के घुसपैठ पर विपक्ष का सही उत्तर देने के बजाये सरकार ऐसे नाज़ुक घड़ी में भारत के सभी विपक्ष पार्टिओं को अपने विश्वास में ले कर विपक्ष के सवालों का सही से उत्तर दे कर चाइना को उसके अपने बॉडर के अंदर धकेलने का कोई ऐसा ठोस क़दम उठाती, न की इस समय राजीव गांधी फाउंडेशन पर जांच बैठा कर आपसी कलह खड़ा करवाकर जहां एक ओर जनता को फिर से गुमराह करने का काम कर रही है ।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं हुड्डा सरकार में  रहे राजनितिक सलाहकार शिव भाटिया ने कहा की भाजपा सरकार की ओछी मानसिकता की एक प्रतीक है की कोई भी सरकार के खिलाफ आवाज़ उठा रहा है या सवाल कर रहे हैं उसे भाजपा सरकार अपराधी करार दे देती है या उसे देश द्रोही करार दे देती है।
उन्होंने ने कहा की  इस सरकार का खुद दामन साफ़ नहीं है , भीमा कोरे गांव का मामला ले लीजिये, भीमा कोरे गांव के मामले से जुड़े वह तमाम बुद्धिजीवी लोगों को दबा दिया उसके बाद एनटीपीसी का मामला ले लीजिये एनटीपीसी के मामले में प्रदर्शन करने वालों को दबा दिया गया।
भाटिया ने वाजपयी सरकार के कार्यकाल की याद दिलाते हुए कहा की बंगारू लक्षण और जूदेव जो कैमरे के सामने आर्मस डील में रिश्वत लेते हुए दिखाए गए थे तो उसे भाजपा ने उस रिश्वत को पार्टी फंड का नाम दे कर लीपापोती कर दिया जिसे भारत की जनता ने देखा और जनता को याद भी है और दुनिया ने भी देखा उसी सरकार में जॉर्ज फर्नांडिस ने ताबूत घोटाला किया जिसे दुनियां ने देखा, यह 2015 का केस है उसका ऑडिट भी हो चूका है, यदि कोई जांच करनी है तो इनकम टेक्स डिपार्टमेंट से पूछिए, जिसका ऑडिट हो चुका है आज क्यों 15 साल बाद भाजपा को याद आ रहा जब भाजपा ने पीएम केयर फंड में कई सौ करोड़ ले लिया, अभी अभी 100 करोड़ तो केवल पेटीएम कम्पनी से लिया गया है, कहाँ 90 लाख और कहाँ कई सौ करोड़, इस पर जब भाजपा पर जब प्रेशर बनने लगे और हर जगह करकिरी होने लगी तो आपने मुद्दे से भटकाने के लिए  बहाना निकाल लिया, आपको 15 साल पुराना केस याद आ गया, भाजपाई सरकार इतना ही ईमानदारी साबित करना चाहती है तो इंडिया फाउंडेशन और विवेकानंद फाउंडेशन की जांच भी कराये। उसकी जांच इसलिए नहीं होगी की वह उनके हित का है।
 कांग्रेस नेता भाटिया ने कहा की भाजपा, कांग्रेस से मानसिकरूप से विचलित हो चुकी है। आज चाइना के मुद्दे पर सवाल उठाया जा रहा है तो सरकार को इस मुद्दे पर गम्भीरता दिखाना चाहिए और उसपर समाधान तलाशना चाहिए था न की राजिव गांधी के परिवार से व्यक्तिगत दुश्मनी साधने का अवसर तलाशना चाहिए था। पिछले सत्र में सदन में बहस के दौरान राहुल गांधी द्वारा बेरोज़गारी के मुद्दे पर उठाये गए सवाल पर स्पष्ट रूप से  मोदी जी ने राहुल गांधी के द्वारा बेरोज़गारी पर उठाये गए प्रश्न के जवाब में कहा था की भारत की बेरोज़गारी दूर करे या न करें लेकिन आपकी बेरोज़गारी दूर नहीं होने देंगे यानी कांग्रेस की बेरोज़गारी दूर नहीं होने देंगे, सरकार के पास न तो कोरोना के मुद्दे पर कोई जवाब है न तो कोई चाइना के मुद्दे पर कोई जवाब है , सरकार से जब भी कोई सवाल करता है सरकार उसे अपराधी या देशद्रोही करार दे कर उसे दबा देती है। कांग्रेस जब सवाल करती है तो उसे घर खाली कराने की नोटिस दे दिया जाता है तो कभी राजिव गांधी फाउंडेशन का मामला उठाया जाता है इस पर हंगामा कर लोगों का ध्यान भटकाने का काम रही है।

भाटिया ने पीएम केयर फण्ड पर सवाल उठाते हुए पूछा की जो इन्होने ट्रस्ट बनाया है क्या यह वैध है रजिस्टर्ड है ? जो भी पैसा देश से माँगा जा रहा है और वह सीएसआर के लिए खर्च किया जाएगा तो क्या सीएसआर के द्वारा किया गया खर्च सरकारी खर्च में नहीं आएगा ?  इस में जो फंड लिया जा रहा है वह फंड किसका है किस कंपनी का है और वह पैसा कहाँ खर्च किया जा रहा है ? जबकि न तो उसका ऑडिट है न कोई लेखा जोखा और न तो सरकार उसे आरटीआई के दायरे में रखना चाहती है आखिर क्यूँ ?  फिर किस क़ानून के तहत यह फौरन फंडिंग पीएम केयर फंड में लिया जा रहा है ? जबकि राजीव गाँधी फाउंडेशन का नियमित रूप से  ऑडिट हो रहा है और उसका एफसीआरए रजिस्टर्ड है। उन्होंने भाजपा से पूछा की  भाजपा क्या जनता को बता पाएगी की भाजपा को चन्दा के नाम पर 2015 में 500 करोड़ डोनेशन आता था तो 2018,19 में अचानक से 2400 करोड़ कैसे आने लगा ? 
भाटिया ने बड़े ही स्पष्ट रूप से भाजपा के प्रति आरोपपूर्ण लहजे में कहा की इंद्रा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट,या राजीव गाँधी ट्रस्ट कांग्रेस की कोई भी संस्था है वह पूर्ण रूप से पारदर्शित है।  सरकार कभी भी कांग्रेस के किसी भी संस्था के निष्पक्ष जांच कराये तो  मै समझता हूँ उसका ऑडिट व सारे लेखा जोखा एवं उसका मिनट बुक सभी अपडेट मिलेंगे बर्शर्ते की ईमानदारी से निष्पक्ष जांच होनी चाहीये न की द्वेष और दुराग्रह के तहत।
उन्होंने भाजपा सहिंत संघ को आड़े हांथों लेते हुए कहा की आज केंद्र सरकार द्वारा कांग्रेस के साथ जो भी किया जा रहा है वह एक द्वेषपूर्ण और दुराग्रह तहत किया जा रहा है। जो ना तो राजनीती है और न ही नैतिक आधार, भाजपा के नाम पर सरकार में बैठे संघ मनुवादी लोग आज कांग्रेस के नाम पर सोनिया गांधी के परिवार,1975 से 1977 के आपातकाल में अधिकतर संघ के लोग ही थे जो उस समय भी अपना चोला बदल कर इंद्रा कांग्रेस का विरोध कर रहे थे। जिन्हे  जेल में डाला गया था।
कांग्रेस नेता भाटिया ने कहा भाजपा इस समय केंद्र सरकार, संविधान और लोकतंत्र की हत्या करने में लगी हुई है। जिसका परिणाम भारत की जनता बेगुनाह होते हुए भी बेरोज़गारी के रूप में भुगत रही है। भारत की जनता बेशक कांग्रेस को न बचाये लेकिन भारत को बिखरने और टूटने तथा बिकने से बचाने के लिए कांग्रेस नेतृत्व में सड़कों पर उतर कर वर्तमान मनुवादी  भारत सरकार का विरोध करना होगा तभी भारत के संविधान और लोकतंत्र तथा आरक्षण की रक्षा कर  पाएंगे अन्यथा बंधुआ गुलाम बन कर अपना जीवन बिताएंगे       
         

AINA INDIA:  मुट्ठी भर पूँजीपतिओं के पास 70% आबादी के बराबर धन...

AINA INDIA:  मुट्ठी भर पूँजीपतिओं के पास 70% आबादी के बराबर धन...:  मुट्ठी भर पूँजीपतिओं के पास 70% आबादी के बराबर धन है। जो भारतीय समाज में समानता के मुद्दे पर घातक सिद्ध हो सकता है - प्रो0 डॉ0 आसमी रज़...

AINA INDIA:  मुट्ठी भर पूँजीपतिओं के पास 70% आबादी के बराबर धन...

AINA INDIA:  मुट्ठी भर पूँजीपतिओं के पास 70% आबादी के बराबर धन...:  मुट्ठी भर पूँजीपतिओं के पास 70% आबादी के बराबर धन है। जो भारतीय समाज में समानता के मुद्दे पर घातक सिद्ध हो सकता है - प्रो0 डॉ0 आसमी रज़...

मुट्ठी भर पूँजीपतिओं के पास 70% आबादी के बराबर धन है।

 मुट्ठी भर पूँजीपतिओं के पास 70% आबादी के बराबर धन है। जो भारतीय समाज में समानता के मुद्दे पर घातक सिद्ध हो सकता है - प्रो0 डॉ0 आसमी रज़ा 

     एस. ज़ेड. मलिक (स्वतंत्र पत्रकार )

विश्व में कोविड 19 के प्रकोप से होने वाली तबाही के कारण जहां एक और आबादी पर असर पड़ रहा है वही भारी मात्रा में रोज़गार पर असर देखने को मिल रहा है। छोटे और मंझोले व्यापार लगभग समाप्त से होते दिखाई दे रहे हैं, ऐसे में भारत में इस समय लगभग 37 प्रतिशत बेरोज़गारी अतिरिक्त बढ़ने की संभावना व्यक्त की जा रही इस मुद्दे पर दिल्ली विश्व विद्यालय के अर्थशास्त्रिये विश्लेषक एवं समीक्षक प्रो0 डॉ0 आसमी  रज़ा ने ऑक्सफैम इंटरनैशनल की ताज़ा रिपोर्ट के हवाले से चिंता व्यक्त करते हुए कहा की भारत के 1.5 % उद्योगपतिओं और ज़मींदारों का देश की 62% संपत्ति पर क़ब्ज़ा है और लगभग 64 से 65 पूँजीपतिओं के पास 70% आबादी के बराबर धन अर्जित किया हुआ है। जो आने वाले समय में भारतीय समाज में समानता के मुद्दे पर घातक सिद्ध हो सकता हैं। इसका समाधान भारत के लिए एक मात्र आर्थिक न्याय ही समुचित निति है जो भारत को आर्थोक मंदी से उभार सकता है। 

प्रो0 रज़ा ने कहा कि ऑक्सफैम इंटरनैशनल की ताज़ा रिपोर्ट कह रही है कि सरकार के 2018-19 के बजट के हिसाब से देश की आधी से अधिक सम्पत्ति देश के 64 अरबपतियों के पास है।  इस रिपोर्ट के अनुसार इस देश में लगातार तीन साल से धनपत्तीओं का और अधिक सम्पत्ति अर्जित करने का सिलसिला जारी है, इससे स्पष्ट है कि गरीब और गरीब होता जा रहा है। देश में गरीबी दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। 

 2019 के एक सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार देश के एक प्रतिशत धनवान हर दिन 2200 करोड़ कमाते हैं। तथा 2018 के इसी सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार भारत के एक प्रतिशत अमीरों के पास देश की 73 प्रतिशत संपत्ति अर्जित है। ऑक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार कुल आठ लोगों को पास दुनिया की आधी आबादी के बराबर दौलत है।  ऐसे में इसका दुष्ट प्रभाव उनलोगों पर पद सकता है जो शिक्षित होने के वाबजूद धनपत्तीओं या सरकार के यहां नौकरी करके अपना अपने परिवार लालन पालन कर रहे हैं लेकिन इससे  भी बुरा प्रभाव उन लोगों पर पड़ेगा जो कम पूंजी में अपना व्यापार तथा वैसे लोग जो दिहाड़ी मज़दूरी कर गुज़र बसर करते हैं।  
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ऑक्सफैम के एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की 62 प्रतिशत संपत्ति देश के 1.5 प्रतिशत अमीरों के पास है यानी भारत में अमीरों और गरीबों के बीच असंतुलन दुनिया के औसत से ज्यादा है। दुनिया में शीर्ष एक प्रतिशत अमीरों के पास औसतन 62 प्रतिशत संपत्ति है। रिपोर्ट के अनुसार भारत के 64 अरबपतियों के पास 220 अरब डॉलर (लगभग 16.610 लाख करोड़ रुपये) की संपत्ति है जो देश के आर्थिक पायदान पर नीचे की 75  प्रतिशत आबादी की कुल संपत्ति के बराबर है।
  वर्ल्ड इकोनॉमी फ़ोरम (डब्ल्यूईएफ) की सालाना बैठक से पहले जारी की गयी इस रिपोर्ट के अनुसार कुल आठ लोगों को पास दुनिया की आधी आबादी के बराबर दौलत है। रिपोर्ट के अनुसार भारत के 84 शीर्ष अमीरों के पास 248 अरब डॉलर (16.90 लाख करोड़ रुपये) की संपत्ति है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी 19.3 अरब डॉलर के साथ भारत के सबसे अमीर आदमी हैं। दिलीप संघवी (16.7 अरब डॉलर) और अजीम प्रेमजी (15 अरब डॉलर) दौलत के मामले में दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे। रिपोर्ट के अनुसार भारत की कुल दौलत 31 खरब डॉलर है।
  रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की कुल दौलत 2557 खरब डॉलर है। इसमें से 65 खरब डॉलर संपत्ति केवल तीन अमीरों बिल गेट्स (75 अरब डॉलर), अमेंसियो ओट्रेगा (67 अरब डॉलर) और वारेन बफेट (60.8 अरब डॉलर) के पास है। “एन इकोनॉमी फॉर द 99 पर्सेंट” नामक रिपोर्ट में ऑक्सफेम ने कहा है कि अब वक्त आ गया है कि कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने वाली अर्थव्यवस्था की बजाय एक मानवीय अर्थव्यवस्था बनायी जाए।
   रिपोर्ट के अनुसार साल 2015 से ही दुनिया के शीर्ष एक प्रतिशत अमीरों लोगों को पास बाकी दुनिया से ज्यादा दौलत है। रिपोर्ट में कहा गया है, “अगले 20 सालों में 500 अमीर लोग अपने वारिसों को 21 खरब रुपये देंगे। ये राशि 135 करोड़ आबादी वाले देश भारत की कुल जीडीपी से अधिक है।” रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो दशकों में चीन, इंडोनेशिया, लाओस, भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश के शीर्ष 10 प्रतिशत अमीर लोगों की आय में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वहीं इस दौरान इन देशों की सबसे गरीब 10 प्रतिशत आबादी की संपत्ति में 15 प्रतिशत की कमी आयी है।  
भारत की कृषक भूमि 1970 से 1,400 लाख हेक्टेयर के आसपास है। लेकिन गैर कृषि कार्यों के लिए भूमि का उपयोग 1970 में 196 लाख हेक्टेयर से 2011-12 में 260 लाख  हेक्टेयर पहुंच गया है। अकेले 2000-2010 के दशक में करीब 30 लाख हेक्टेयर कृषि जमीन गैर कृषि कार्यों के लिए उपयोग में लाई गई है।दूसरी तरफ जो बंजर और असिंचित भूमि 1971 में 280 लाख हेक्टेयर थी, वह 2012 में घटकर 170 लाख हेक्टेयर रह गई। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस नई कृषि भूमि पर भारत का खाद्य उत्पादन टिका है। लेकिन इस भूमि का अधिकांश हिस्सा बारिश के जल पर निर्भर है। यही वजह है कि किसानों की आय को दोगुना करना एक बड़ी चुनौती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि के दायरे में आई जमीन की उर्वरता और सेहत ठीक नहीं है। इस जमीन को उपजाऊ और आर्थिक रूप से सार्थक बनाने के लिए बहुत ध्यान देने की जरूरत है। 
प्रो0 डॉ0 रज़ा  ने वर्ल्ड इकोनॉमी फ़ोरम (डब्ल्यूईएफ) और  अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ऑक्सफैम के उपरोक्त रिपोर्ट तथा आर्थिक मामले के वरिष्ठ विश्लेषक रोशन लाल अग्रवाल की लिखित पुस्तक line of wealth  पर अपनी प्रति किर्या देते हुए कहते हैं की इस समय भारत को आर्थिक मंदी से उभारने तथा बेरोज़गारी के समस्या का एक मात्र  समाधान भी मुझे यही प्रतीत होता हैं की सरकार भारत में चल अचल सम्पत्ति की एक औसत सीमा तय करके उस पर वर्तमान मूल्यों के हिसाब से टेक्स लागू करने पर विचार करे इससे भारत का ग्रोथ रेट तीन गुना से चार गुना बढ़ने की संभावना है। तथा बेरोज़गारी की समस्या का पूर्ण समाधान है।  हम सभी को एक बार अमीरी रेखा के औसत सीमा को तय करने पर विचार करना चाहिए।       

Thursday, July 2, 2020

केंद्र सरकार छः वर्षों में हर मोर्चे पर विफल रही है - शिवे भाटिया

केंद्र सरकार छः वर्षों में हर मोर्चे पर विफल रही है - शिवे भाटिया 

एस. ज़ेड. मलिक(स्वतंत्र पत्रकार)  

नयी दिल्ली - 22 दिनों से पेट्रोल और डीज़ल दोनों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी और केंद्र सरकार के केंद्रीय न्याय विधि मंत्री रावे शंकर प्रसाद और पेट्रोलियम मंत्री यह कह कह कर अपना पल्ला झाड़ ले की यह हमारे बीएस से बाहर है, यह सरकार की नाकामी देश का विडम्बना कहा जाय या जनता की दुर्भाग्य, की जनता ने दुबारा से भाजपा को चुन कर केंद्र में सरकार बनाने का अवसर दिया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता पूर्व हरयाणा के हुड्डा सरकार के राजनितिक सलाहकार शिवा भटिया ने कहा कि यह न केवल बढ़ती कीमतों की जांच करने में सरकार की विफलता है, बल्कि वास्तव में इसका लालच यह है कि ईंधन को बेचने के लिए मजबूर कर रहा है, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय बाजार से सस्ता है।  ज्ञात हो की 7 जून से लगातार तेल की कीमतों में उछाल के कारण भाटिया, केंद्र सरकार पर प्रति दिन चेतावनीपूर्ण हमला करते आ रहे हैं। 
उन्होंने याद दिलाया की यूपीए की सरकार में इन्ही कीमतों की उछाल पर 2012 , 13 में यही पाक्ष में बैठी भाजपा एनडीए के लोग सड़कों पर तांडव क्र रहे थे।  जब की उस समय यूपीए की सरकार में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे इराक़ पर अमेरिका द्वारा हमले के कारण सैंकड़ो तेल के कुएं नष्ट कर दिये गए थे यह जग ज़ाहिर है उस समय केवल भारत में ही नहीं बल्कि एशिया महादेश के उन देशों में टेकचचे तेल की कीमतों में उछाल आया था बावजूद इसके मनमोहन सरकार ने न की केवल तेल की कीमतों पे नियंत्रण किया था बल्कि आर्थिक मंदी पर भी नियंत्रण किया था उसमे जीडीपी का ग्रोथ रेट हमारे भारत में  9.5 पर था लेकिन आज मोदी सरकार में हमारे देश की जीडीपी का ग्रोथ रेट - 3 .पर जा टिका है।  
 इतना घाटे में होने के बावजूद हमारे केंद्र की सरकार मीडिया द्वारा और अन्य प्रचार के माध्यम से जीडीपी बढ़ता हुआ दिखा कर भोली भाली जनता को गुमराह करने से बाज़ नहीं आ रही है। उन्होंने कहा कि यूपीए के  शासन के दौरान कांग्रेस पार्टी की आलोचना करने वाली  भाजपा सरकार, मूल दरों में करों को जोड़कर पेट्रोल और डीजल की दर में दिन प्रति दिन वृद्धि कर रही है।  उन्होंने कहा कि आज की तुलना में अप्रैल 2014 में क्रूड 105 डॉलर प्रति बैरल पर था और बाजार में ईंधन की दरें भी कम थीं। जबकि आज बाजार में क्रूड का समान्य मूल्य 43 डॉलर प्रति दिन का है।  जबकि पेट्रोल की दर इन 25 दिनों में प्रति लीटर कूड़े से 9.12 रुपये बढ़ गई, जबकि खुदरा बाजार में डीजल की कीमत में 11 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है। एक और करयुक्त  ईंधन बेचकर अपने कार्य तो आसान जो पूरी तरह से सरल हैं और नागरिकों पर पूरी तरह से अमानवीय और अत्याचार हैं।
उन्होंने  ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा की आम आदमी को लूटकर अपना खजाना भरने का काम किया है आम आदमी पहले ही लॉकडाउन के कारण बेरोज़गारी से बुरी तरह प्रभावित था ही उसे सड़कों पर पैदल चलने के लिए मजबूर कर दिया जिसके कारण लगभग 350 कमज़ोर लोगों की भूक और थकान के कारण मृत्यु हो गई। और उत्तर प्रदेश सरकार पूँजीपत्तीओं के छात्रों के लिए गाडी और अन्य व्यवस्था कर के उन्हें उनके घर तक पहुंचाती और गरीबों मज़दूरों के लिए जब कांग्रेस व्यवस्था करती है तो उसे तरह तरह के आरोप लगा कर उन मज़दूरों को यूपी बॉर्डर  पर रोक लेती है जो जग ज़ाहिर है। 
उन्होंने कहा की भाजपा छः वर्षों में नोटबंदी, एफडीआई , जीएसटी लागू करके जहां व्यापारिओं को धरातल पर लाकर पटक दिया वहीँ सारी सरकारी कम्पनिओं का निजीकरण करके आम आदमी को बेरोज़गार बना दिया तो दुसरी और लद्दाक को केंद्रशासित प्रदेश बनाकर उसे चीन के हवाले करने का मन बना लिया जिसका परिणाम चीन आज 47 कि0 मी0 लद्दाक में अंदर की और घुस गया है कुल मिला कर केंद्र की भाजपा सरकार एक विफल सरकार की हैसियत से काम करती रही है जिसका हिसाब भारत की जनता लेगी। 




Monday, June 29, 2020

व्यावस्था परिवर्तन की राह - क्या यह चुनावी एजेंडा नहीं होना चाहिए ?

व्यावस्था परिवर्तन की राह - क्या यह चुनावी एजेंडा नहीं होना चाहिए ?

एस. ज़ेड.मलिक(स्वतन्त्र पत्रकार)


आप इस बात को समझ सकते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था को न्याय पूर्ण बनाने का एकमात्र उपाय अमीरी रेखा बनाकर केवल औसत सीमा से अधिक संपत्ति पर ब्याज की दर से संपत्ति कर लगाना और बाकी सभी करों को पूरी तरह खत्म करना है।

जब दूसरे सभी करों को समाप्त कर दिया जाएगा तो सारी चीजें बहुत सस्ती हो जाएंगी और उद्योग व्यापार कृषि सेवा आदि का हर काम सबके लिए बहुत आसान हो जाएगा क्योंकि तब शासन और प्रशासन का उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।

शासन प्रशासन का सारा हस्तक्षेप खत्म हो जाने से समाज को भ्रष्टाचार से भी मुक्ति मिलेगी और इसका लाभ भी देश की आम जनता को ही मिलेगा।

ज्ञात हो कि देश की 80% संपत्ति केवल 1% से भी कम लोगों के हाथों में इकट्ठी कर दी गई है जिसके कारण पूरे देश की जनता गरीबी का सामना कर रही है और मुट्ठी भर बहुत संपन्न अमीर लोग जनता के साथ मनमानी कर रहे हैं।

वही मुट्ठी भर लोग देश की राजनीति भी मनमाने ढंग से चला रहे हैं और अपनी इच्छा के अनुसार शोषणकारी और अन्याय पूर्ण कानून बनवा लेते हैं।

शासन प्रशासन में बैठे हुए सभी शक्तिशाली लोग इन्हीं अमीरों के कहे अनुसार व्यवस्था भी चलाते हैं और उनके कामों को बहुत ही पक्षपातपूर्ण ढंग से और बेईमानी के साथ भी पूरा करते रहते हैं।

कोई भी विचारवान व्यक्ति इस कड़वी सच्चाई को हर जगह अपनी आंखों से देख सकता है इसी कारण समाज में किसी शक्तिशाली व्यक्ति के विरुद्ध मुंह खोलने का साहस भी समाज में नहीं रह गया है।

संविधान का संरक्षक और सभी कानून विशेषज्ञ पूरी तरह इन्हीं पूंजीपतियों के आगे बिके हुए हैं और पूरी व्यवस्था में गरीबों की कोई सुनवाई नहीं है। इसीलिए इस व्यवस्था को आम आदमी द्वारा जंगलराज ही कहा जा रहा है।

इस अन्याय पूर्ण व्यवस्था को बदलने का सबसे अच्छा और आसान उपाय केवल चुनावों के समय जनता के हाथ में आता है और उसे इसी का फायदा उठाना चाहिए। सरकार के खिलाफ आंदोलन करने से कभी भी उसके हाथ कुछ भी नहीं आ सकता।

जो लोग समाज में आर्थिक न्याय के समर्थक हैं और गरीबी बेरोजगारी अभाव अन्याय और असंतोष को खत्म करना चाहते हैं उनके लिए बिहार का विधानसभा चुनाव बहुत बड़ा स्वर्ण अवसर हो सकता है। चुनावों के समय अगर सारे गरीब न्याय में विश्वास करने वाले लोग मुट्ठी भर अमीरों पर संपत्ति कर लगाकर और देश के हर नागरिक को लाभांश दिलाने के लिए अमीरी रेखा बनाने के लिए ही अपना वोट दें तो उसी के मानने वाले लोगों की सरकार बनेगी और वह गरीबी को खत्म करने के लिए अवश्य अमीरी रेखा बनाएगी।

सारे नागरिकों को यह बात गहराई से समझनी चाहिए की अलग-अलग मांगे उठाकर जानबूझकर सरकार ही समाज को टुकड़े-टुकड़े करने का षड्यंत्र करती है और शक्तिहीन या कमजोर समाज को सरकार आसानी से कुचल देती है।

लेकिन केवल एक मुद्दा अमीरी रेखा बनाए जाने पर पूरा समाज एकजुट होकर अमीरों पर कर लगाने की बात करेगा तो वही लोग चुनाव में जीतेंगे जो लोग अमीरी रेखा बनाने के समर्थक होंगे। लेकिन यह सब तभी होगा जब सब लोग सारे भेदभाव भूलकर अमीरी रेखा बनाने की मांग के समर्थकों को ही अपना वोट देंगे और भेज डालने वाले किसी भी धोखे को अनदेखा कर देंगे।

मैं खासकर यह बात जरूर बताना चाहता हूं कि जाति संप्रदाय गरीब अमीर युवा शक्ति नारी शक्ति के झूठे नारों से समाज को कुछ नहीं मिलेगा और वही मुट्ठी भर शोषक जनता को मूर्ख बना कर सत्ता पर बैठ जाएंगे और समाज में गरीबी नंगा नाच करती रहेगी।

लेकिन यदि सारे लोग अमीरी रेखा बनाने के लिए वोट देंगे और उसके अनुसार सरकार अमीरी रेखा का कानून बनाकर केवल मुट्ठी भर अमीरों पर संपत्ति कर लगाने के लिए बाध्य हो जाएगी तो उससे इतना टैक्स आएगा कि सरकार के बजट का खर्च काटकर देश के हर नागरिक को ₹10000 प्रतिमाह जिंदगी भर अर्थात जन्म से मृत्यु तक मिलता रहेगा और समाज में कोई किसी का शत्रु भी नहीं रहेगा।

आप इस बात पर जरूर विचार कीजिए के जब सारा समाज सर्वसम्मति से हर निर्णय लेने लगेगा तो समाज में कोई ना तो अपराध बचेगा और ना ही कोई असंतोष।

इसलिए अमीरी रेखा बनाने के लिए सब न्याय प्रिय लोगों को खुलकर अपने घरों से निकलना चाहिए और हर आदमी तक इस विचार को पहुंचाना चाहिए ताकि सब लोग असली समस्या को समझ सके और खुद ही उसका इलाज कर सकें जो केवल उनके वोट के द्वारा आसानी से हो सकता है।