मलिक बिरादरी के बीहड़ ब्यानबान में एक बार फिर से शिक्षा के उगते सूरज की नई किरण दिखाई देने लगी ?
एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार)
नयी दिल्ली - बिहार के इत्तिहासिक नालंदा से राजनितिक धुरेन्दर कहे जाने वाले चाणक्या ने अपनी कूटनीतिक का आरम्भ किया और मगध के राजा के माध्यम से अवध को झुकने पर मजबूर कर दिया। उसी धरती पर चाणक्या ने विश्व का पहला विश्वविधालय स्थापित कर बिहार वासिओं को राजनितिक का नया अध्याय दे कर बिहार को राजनितिक उपजाऊ धरती बना दिया। उसी धरती पर सैयद इब्राहिम मलिक बया (रह0) से पैदा "मलिक क़बीला" और उसकी बढ़ती आबादी धीरे धीरे जंगली बलकुरमी की लकड़ी वाली लत और अमरलत्ता जैसी फैलती हरे दरख्तों को घेरने वाला अमरलत्ता का लत - एक सिमित आबादी वाला कबीला कहे जाने वाला धीरे धीरे मलिक बिरादरी में बदल गया एक जाती विशेष का दर्जा ले लिया जो नालंदा ,बिहार शरीफ , नवादा, जमुई, मुंगेर, पटना, जहानाबाद , गया , तक सीमित होते हुए भी उस नस्ल के लोग विश्व के लगभग हर देश में अच्छे मुक़ाम यानी पद पर विराजमान अपनी जाती छुपाते हुए मिलेंगे। लेकिन भारत में बिहारशरीफ नालंदा और जहानाबाद इन दो ज़िलों में मलिक क़बीलायी होते हुए मलिक को एक बिरादरी के रूप में एक जाती विशेष में अपनी पहचान बनाई और अपने आपको मलिक जाती का बोध कराया। विशेष कर इन दो ज़िलों की मलिक बिरादरी के लोगों ने कभी अपनी जाती नहीं छुपायी बल्कि अपनी जाती को उपनाम में इस्तेमाल करना गर्व समझते हैं, यही कारण है की बिहार में मुस्लिम समुदाये में मलिकों की एक अलग पहचान बनी हुयी है।
इस बिरदारी में 70 के दशक तक शिक्षा की कोई अधिक पहचान थी और न तो कोई शिक्षा को इतना महत्व ही देता था। मलिक बिरादरी में शिक्षा को गुलामी की एक ज़ंज़ीर समझ कर उससे अपनी नस्लों को दूर रखना उचित समझते थे, बहुत हुआ तो मदरसे की पढ़ाई , हाफ़िज़ ए क़ुरआन, तक सिमित रखते थे या बहुत हुआ तो मैट्रिक, या इंटर तक अंग्रेजी हिंदी उर्दू में नाम पता पढ़ लेना यह बहुत था, सिपाही की नौकरी आसानी से मिल जाती थी और उससे ज़्यादा हुआ तो दरोगा जी बन गए तो समाज में इज़्ज़त बढ़ गई।
लेकिन 80 के दशक के बाद मलिक बिरादरी में एक अचानक सा बदलाव आने लगा जब डॉ0 आशिक़ इब्राहीमी बिहार में ही रह कर शिक्षा को तरजीह देते हुए अपनी लगन और मेहनत से एकलौते होनहार 1978 बैच के
आईएएस जैसे परीक्षा में उत्तीर्ण हो कर जहां अपने खानदान को सम्मान दिलाया वहीं बिरादरी को सर्वो समाज में गौरवान्वित कर बिरादरी में शिक्षा की एक नई ऊर्जा पैदा कर दिया और जब वह सरकारी महकमा में उच्च पद पर आसीन हुए तो बिरादरी ने उनकी शैक्षणिक क्षमता को समझा और बिरादरी के लोगों में शिक्षा की शक्ति को स्वीकार किया तब बरादरी में जागरूकता आयी और नालंदा जिला में मलिक क़बीला में शिक्षा की लौ जली और बिरादरी के कुछ लोग शिक्षा के लिए अग्रसर हुए। उसके बाद 1984 बैच में भी मलिक बिरादरी के (सेवानिवृत्त) शफीकुर रहमान आईआरएस 1984 बैच के, (सेवानिवृत्त)
जनाब सलीम हक़ साहब इंडियन पोस्टल सर्विस, ऐसे एक के बाद एक आते गये यानी मलिक बिरादरी में सब से पहले यदि किसी उच्य शिक्षा और उच्च पद के लिए हौंसला और जज़्बा पैदा करने की बात निकलेगी तो पहला आईएएस में डॉ आशिक़ इब्राहीमी का ही नाम सम्मानपूर्वक लिया जाएगा।
आज के माहौल में मलिक बिरादरी में अन्य सम्मानित पदों पर अनेको मलिक विराजमान हैं। इसी संदर्भ में दिल्ली में सम्मानित स्कॉलर प्रो0 डॉ0 आसमी रज़ा जो इस समय दिल्ली विष्वविधालय में अर्थशास्त्र विभाग में असीन हैं। वह भी बिहार के उसी बिरनावां के रहने वाले हैं जहां के डॉ आशिक़ इब्राहीमी साहब का ननिहाल है, उनसे एक अनौपचारिक वार्ता के दौरान उन्होंने बताया की बिहार के मलिक बिरादरी में यह कामयाबी लगभग 40 वर्षों के बाद जहानाबाद ज़िला से यह दुसरा लड़का मोहम्मद शब्बीर आलम जिसने युपीएससी की परीक्षा में 403 रैंक पर कामयाबी हासिल किया है। यह भी इत्तफ़ाक़ ही कहा जाएगा की यह भी लड़का पूर्व आईएएस डॉ आशिक़ इब्राहीमी साहब के ननिहाली खानदान का ही है। डॉ0 रज़ा बताते है की मोहम्मद शब्बीर आलम साधारण एवं मध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखता है उसके पिता ज़फर आलम जहानाबाद के एक गांव पिपला सीलमपुर के रहने वाले हैं। इस समय पिता ज़फर आलम झारखंड के जमशेदपुर में आईटीआई एक संस्था का संचालन कर रहे हैं। उनका लड़का शब्बीर आलम का बचपन मेरी नज़रों से गुज़रा है वह पढ़ाई के मामले में काफी मेहनती है, मैं उस युवा पर गर्व महसूस कर रहा हूँ जिसने अपनी मेहनत और लगन से इस आला मुक़ाम को हासिल किया। मैं तहे दिल से उसे मुबारकबाद देता हूँ और मैं समझता हूँ की समस्त मलिक बिरादरी को उसकी मेहनत और कामयाबी पर गर्व होना चाहिये।
अर्थशास्त्रीय डॉ0 रज़ा इस वर्ष के उत्तीर्ण छात्रों का आंकड़ा देते हुए कहते हैं की मुझे समाज के सभी उन छात्रों पर गर्व हैं जिन्हें इस वर्ष की (यूपीएससी) में सिविल सेवा परीक्षा 2019 के फाइनल में 829 उम्मीदवारों का चयन किया गया है। इसमें 304 उम्मीदवार जनरल कैटेगरी से, 78 ईडब्ल्यूएस, 251 ओबीसी, 129 एससी और 67 एसटी कैटेगरी से हैं। इस परीक्षा में मुस्लिम प्रतियोगियों ने सफलता का कीर्तिमान स्थापित किया है, यह हमारे लिए सब से गर्व की बात है की भारतीय मुस्लिम समुदायों में अब जागरूकता आ गई और मुस्लिम समुदाय की नई नस्लें अब देश की मुख्यधारा से जुड़ने लगा है। UPSC में चयनित होने वाले इन सभी भाइयों को बहोत बहोत बधाई।
No comments:
Post a Comment
please don't forget to yo your comment on my write-up