Monday, August 3, 2020

केरला के आरटीआई कार्यकर्ता डोमिनिक साइमन की सऊदी सरकार द्वारा गिरफ्तारी क्यूँ ?

  केरला के आरटीआई कार्यकर्ता डोमिनिक साइमन की सऊदी सरकार द्वारा गिरफ्तारी क्यूँ ? 
 

एस. ज़ेड. मलिक (स्वतंत्र पत्रकार )
  
नई दिल्ली :सऊदी अरब में एक केरला निवासी  भारतीय आरटीआई कार्यकर्ता डोमिनिक साइमन की गिरफ्तारी विचारणीय है। सवाल है क्या  केरला निवासी  भारतीय आरटीआई कार्यकर्ता डोमिनिक साइमन अवैध रूप से रह रहा था ? क्या सऊदी में उसकी संदिग्ध भूमिका थी ?  या सऊदी अब प्रसाशन को गुमराह कर उसे जान बुझ कर एक षड्यंत्र के तहत  गया ? यह सवाल इस लिए अनिवार्य की जो व्यक्ति विशेषकर कोविद -19 महामारी के दौरान अपनी जान की परवाह किय बगैर लोगो को सुरक्षा के प्रति जागरूक करता हो और विशेष कर सऊदी में रह रहे प्रवासी केरल वासियों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने के लिये विमान की विशेष व्यावस्था कराने और परवासिओं को  उनके गंतव्य स्थानों तक सुरक्षित पहुंचाने का सक्रिय भूमिका अदा कर सराहनीय कार्य किया है। आरटीआई कार्यकर्ता डोमिनिक साइमन की गिरफ्तारी केवल इसलिये किया गया कि वह सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों का प्रभावी उपयोग कर लोगों को अधिकारों के बारे में शिक्षित और जागरूक कर रहा था। 
आखिर इसकी सच्चाई क्या है ? आइना इंडिया इस सच्चाई को जानने के किय कुछ तथ्य तलाशने की कोशिश में सर्वपर्थम 
एक एड्स संस्था के विशेषज्ञ और आरटीआई कार्यकर्ता महेश विजयन से फोन पर बात की उन्होंने बताया की  डोमिनिक साइमन  रियाद के आईटी कम्पनी में कार्यरत था और वह हमेशा प्रवासी भारतीयों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाता था। वह केरल के पाल निवासीयों के विवारविकाशिकल आरवीआई उत्साही लोगों के एक समूह का वह सक्रिय सदस्य था, जो प्रवासी कानूनी प्रकोष्ठ के वैध सलाहकार के रूप में उसे प्रकोष्ठ की ओर से एक पुरस्कार भी दिया था। विजयन ने कहा साइमन ने इस साल मई में धमकी वाले कॉल के बारे में भारतीय दूतावास को जानकारी दे कर मदद की गुहार लगाईं थी लेकिन उसे कोई वैधानिक मदद तो छोड़िये आश्वासन तक नही मिला ।  

यह भारत सरकार के सरकारी तंत्र की व्यावस्था की विडंबनाआ कहे कि साइमन को 8 जुलाई को उसकी गिरफ्तारी के बाद रियाद के अल हेयर जेल में रखा जा रहा है, लेकिन उसके परिवार को भारत सरकार ने सूचित करना उचित नहीं समझा, साइमन के घर वालों को आज भी नहीं पता कि उसे क्यों उठाया गया था।
इस बाबत में साइमन के परिवार वालों ने रियाद में भारतीय दूतावास एवं केंद्रीय विदेश मंत्रालय में याचिका दायर कर साइमन की जानकारी मांगी है।

ऐसा माना जाता है कि सोशल मीडिया की पोस्ट पर आलोचना करने के लिए किसी ने भारतीय दूतावास द्वारा एक झूठी शिकायत के आधार पर एक मिशन के तहत उन्हें गिरफ्तार किया गया था। इस मामले को ले कर उनकी मां बुधवार को हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। 

 विजयन ने कहा की जैसा कि सूत्रों से पता चला कि इस वर्ष के मई में लोकडाउन के दौरान रियाद में फंसे हुए भारतीओं को भारत सरकार द्वारा वंदे भारत मिशन के तहत वहां के भारतीय दूतावास के माध्यम से उनके अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचाने के लिये जिस फ्लाइट की व्यस्था की गई थी उसमे भारतीय दूतावास के कुछ ज़िम्मेवार अधिकारियों द्वारा अलग से पैसे लेकर उन्हें उनके गंतव्य स्थान तक भेजा जा रहा था। जब इस बात की जानकारी साइमन को मिली तो साइमन समाजिक कार्यकर्ता वह सहन नहीं कर सका और उसने इस बात की सही जानकारी लेने के लिये भारत के विदेश मंत्रालय में आरटीआई लगा कर रियाद में भारत दूतावास में हो रहे व्याप्त भ्र्ष्टाचार को उजागर करने के लिए वन्दे भारत मिशन के यात्रा सम्बंधित जानकारी मांगी, मंत्रालय का जवाब को साइमन ने प्रवासिओं के सुविधा के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर वंदे भारत मिशन की सही जानकारी सऊदी अरब में रह रहे केरला परवासिओं को देने कोशीश की जिससे दूतावास के अधिकारियों को काफी बुरा लगा, रियाद के भारतीय दूतावास के अधिकारिओं ने साइमन द्वारा सोशल मीडिया पर प्रसारित सुचना को गलत तरीके से प्रस्तुत कर सऊदी सरकार को गुमराह कर साइमन को सऊदी क़ानून के तहत गिरफ्ता करवा दिया गया और इसके गिरफ्तारी की सुचना को साइमन के परिवार वालों से रियाद के भारतीय दूतावास द्वारा गुप्त रखा गया लेकिन केरला परवासिओं को जानकारी मिलते ही केरला परवासिओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से साइमन की गिरफ्तारी को स्वर्जनिक कर दिया। जिसका परिणाम आज साइमन को जेल में भुगतना पड़ रहा है। 
साइमन की पत्नी ने अपने पति के गिरफ्तारी के बाबत पीजी पोर्टल के माध्यम से सऊदी सरकार से अपने पति की गिरफ्तारी का कारण जानना चाहा था। जिसमे उन्होंने रियाद में भारतीय दूतावास के अधिकारिओं द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था जिसके जवाब रियाद के भारतीय दूतावास एक पदाधिकारी श्यामसुंदर नामक ने 15 जुलाई 2020 को बताया की साइमन ने सोशल मीडिया पर सरकार के वंदे भारत मिशन में भ्रष्टाचार’ का आरोप लगाते हुये विट्रियल की टिप्पणी किया था तथा लोगों की भीड़ जुटाने के लिए सोशल मीडिया का दुरुपयोग किया जी की सऊदी कानून के खिलाफ है ... सोशल मीडिया पर उनके इस असर को देखते हुए, ऐसा लगता है कि सऊदी अधिकारियों ने उनकी गतिविधियों का संज्ञान लिया है और उन्हें हिरासत में लिया है।

जानकार सूत्रों द्वारा सऊदी अरब की पुलिस ने एक भारतीय आरटीआई कार्यकर्ता डोमिनिक साइमन को पिछले एक महीने से अपने हिरासत में रखा हुआ है। तथा साइमन  पत्नी  सेलिनी स्कारिया जॉय अपने पति डोमिनिक साइमन की रिहाई के लिए लगातार कोशिश जारी रखे हुए हैं।  उनका आरोप है कि 8 जुलाई को भारतीय दूतावास में या तो अधिकारियों द्वारा की गई शिकायत के आधार पर या डोमिनिक द्वारा प्रस्तुत आरटीआई प्रश्नों के प्रतिशोध में उनके द्वारा की गई शिकायत के आधार पर सऊदी अधिकारियों ने भर्मित हो कर डोमिनिक को हिरासत में ले लिया है।

इस बाबत में  सेलिनी ने  केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को अपनी शिकायत में, कहा कि डोमिनिक ने राहत कार्यों के लिए और वंदे भारत मिशन प्रत्यावर्तन उड़ानों पर कल्याणकारी धन का विवरण की जानकारी के लिए आरटीआई प्रश्न प्रस्तुत किए थे। इसके लिए उन्हें तत्काल दिनों में दूतावास के एक अधिकारी से धमकी मिली थी कि उनके पति को अपने आरटीआई के सवालों को वापस लेना चाहिए नहीं तो अंजाम अच्छा नहीं होगा हालांकि, सऊदी अरब में भारतीय दूतावास ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

सलोनी फोन पर सऊदी के टीओआई को बताया की डोमिनिक को शुरू में कोविद कोरंटीन सेंटर में रखा गया था और बाद में उसे गुरुवार को जेल भेज दिया गया। “उसके बाद उससे बात नहीं कर पायी। जबकि कोरंटीन सेंटर से बात चीत की संभावना भी सीमित ही थी।  “मुझे अपने पति के खिलाफ शिकायत की कॉपी नहीं मिली है। केस का औपचारिक पंजीकरण संगरोध केंद्र से जेल में डोमिनिक को स्थानांतरित करने के बाद शुरू होना था। हालांकि, सऊदी में कार्यालय 9 अगस्त को ईद की छुट्टियों के बाद ही फिर से खुलेंगे।

 इधर डोमिनिक की मां ने अपने बेटे की रिहाई के लिए एडवोकेट जोस अब्राहम के माध्यम से केरल उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है।  उनके वकील अब्राहम ने कहा कि विदेश मंत्रालय के वकील ने गुरुवार को उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि अब तक उन्हें डोमिनिक पर दूतावास के अधिकारियों द्वारा दायर की गई किसी भी शिकायत के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। याचिका पर सुनवाई कर रहे उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एन नागरेश ने 12 अगस्त तक विवरण एकत्र करने के बाद वकील से जवाब दाखिल करने को कहा है। 

पूर्व केंद्रीय मंत्री अल्फोंस जे कन्ननथनम ने कहा कि उन्होंने हाल ही में विदेश मामलों पर संसदीय पैनल की बैठक के दौरान मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने मामले को सुलझाने का आश्वासन दिया है। गुरुवयूर विधायक के वी अब्दुल खदेर और केरल प्रवासी संघ के अध्यक्ष पी टी कुंजुमुहमद ने विदेश मंत्रालय से डोमिनिक की रिहाई के लिए हस्तक्षेप करने की अपील की है।

   केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, इडुक्की  केरला के सांसद डीन कुरिकोज़ ने भी केंद्रीय मंत्री एस. जयशंकर को  एक लेटर देकर साइमन के बारे में पूर्ण जानकारी दे कर सऊदी जेल में बंद उनकी रिहाई की मांग की तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री अल्फोंस जे कन्ननथनम, एवं जन प्रतिनिधिओं ने भी अरब में भारतीय दूतावास को साइमन के मामले हस्तक्षेप कर साइमन को सऊदी जेल से रिहाई की मांग की है परन्तु इस मामले में सऊदी भारतीय दूतावास ने न तो कोई संग्याल लिया है और न अब तक इस मामले पर किसी के चिट्ठी पर की अपनी प्रतिक्रिया ही व्यक्त की है। अब सवाल है, सऊदी भारतीय दूतावास की चुप्पी को क्या समझा जाए ? या तो मामले भारतीय दूतावास पूर्ण रूप से संलिप्त है जो जान बूझ कर मामले को टाल मटोल कर रहा है या दूतावास के पास कोई जानकारी ही नहीं ? इस मामले में भारत सरकार के गृहमंत्रालय को संज्ञान लेना चाहिये ताकि एक भारतीय प्रवासी को न्याय मिल सके,और भारत को बदनामी से बचाया जा सके।  
  
ज्ञात हो ही साइमन डोमिनिक, जो कि कोच्चि के पाल का निवासी है, वह पीछले 15 वर्षों से खाड़ी में आईटी क्षेत्र में काम कर रहा है। कट्टप्पना की रहने वाली सालिनी पिछले 13 सालों से वहां हैं और सऊदी विश्वविद्यालय में मधुमेह के शोध में लगी हुई हैं। दो दोनों दंपति के तीन बच्चे हैं जिनकी उम्र 12, पांच और दो वर्ष है। 


 

No comments:

Post a Comment

please don't forget to yo your comment on my write-up