Tuesday, July 14, 2020

15 साल के गड़े मुर्दे उखाड़ रही भाजपा

15 साल के गड़े मुर्दे उखाड़ रही भाजपा, भाजपा इंडिया फाउंडेशन और विवेकानंद फाउंडेशन की भी जांच कराये - शिव भाटिया वरिष्ठ कांग्रेस नेता। 



  चाइना का भारत पर बढ़ता दबाव और घुसपैठ - कांग्रेस द्वारा चाइना के सैनिक घुसपैठ पर केंद्र सरकार क्या कर रही है के सवाल पर सरकार बौखलाई ?
जवाब में कांग्रेस पर किया हमला, राजीव गाँधी फाउंडेशन को घेरने का प्रयास
भाजपा दिमागी रूप से एक विचलित पार्टी है दरअसल इस पार्टी का नाम बंगारू लक्षण जूदेव पार्टी होना चाहिए था।   


एस. ज़ेड.मलिक(स्वतन्त्र पत्रकार)

नई दिल्ली - चाइना का भारत पर बढ़ता दबाव, चाइना का भारत में सैनिक घुसपैठ, गलवान घाटी में चाइना सैनिक 18 की0 मि0 अंदर घुस चुके हैं जिसे लद्दाख की स्थानीय मीडिया तथा अंतर्राष्टीय मीडिया बीबीसी स्पष्ट रूप से दिखा रही है दुनियां देख रही है, बावजूद इसके भारत सरकार उन तमाम तत्थ्यों को छुपा कर चाइना पर अपना वर्चस्व दिखाने का प्रयास कर रही। इस बात  पर कांग्रेस के सवाल पर सरकार ने भारत सरकार एकदम से बौखला गयी ,अब आनन फ़ाना में विशेष कैबनेट बैठक बुलाकर सरकार ने राजीव गांधी फाउंडेशन की जाँच बैठा दिया। जबकि 1991 मई में राजीव गांधी की निर्मम ह्त्या बाद राजिव गांधी फाउंडेशन स्तित्व में आया इसके बाद1998 में भाजपा की पहली सरकार  16 मई 1996 से 1 जून 1996 की बानी फिर 19 मार्च , 1998 से  22 मई  2004, 6 साल , 64 दिन चली उस दरमियान कोई जांच नहीं उस पर कोई चर्चा नहीं उसके बाद लगातार 10 वर्षों तक कांग्रेस की सरकार चलती रही तब भाजपा विपक्ष की सब से बड़ी पार्टी होने के बावजूद इस पर कभी चर्चा नहीं किया गया ,2014 में फिर से भाजपा की सरकार बानी तब भी उन 5 वर्षों में इसकी चर्चा नहीं की गई न जांच किया गया।  लेकिन जब आज कांग्रेस, भारत के साथ चाइना के बिगड़ते संबंध और चाइना द्वारा भारत में अपने सैनिकों के घुसपैठ पर विपक्ष का सही उत्तर देने के बजाये सरकार ऐसे नाज़ुक घड़ी में भारत के सभी विपक्ष पार्टिओं को अपने विश्वास में ले कर विपक्ष के सवालों का सही से उत्तर दे कर चाइना को उसके अपने बॉडर के अंदर धकेलने का कोई ऐसा ठोस क़दम उठाती, न की इस समय राजीव गांधी फाउंडेशन पर जांच बैठा कर आपसी कलह खड़ा करवाकर जहां एक ओर जनता को फिर से गुमराह करने का काम कर रही है ।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं हुड्डा सरकार में  रहे राजनितिक सलाहकार शिव भाटिया ने कहा की भाजपा सरकार की ओछी मानसिकता की एक प्रतीक है की कोई भी सरकार के खिलाफ आवाज़ उठा रहा है या सवाल कर रहे हैं उसे भाजपा सरकार अपराधी करार दे देती है या उसे देश द्रोही करार दे देती है।
उन्होंने ने कहा की  इस सरकार का खुद दामन साफ़ नहीं है , भीमा कोरे गांव का मामला ले लीजिये, भीमा कोरे गांव के मामले से जुड़े वह तमाम बुद्धिजीवी लोगों को दबा दिया उसके बाद एनटीपीसी का मामला ले लीजिये एनटीपीसी के मामले में प्रदर्शन करने वालों को दबा दिया गया।
भाटिया ने वाजपयी सरकार के कार्यकाल की याद दिलाते हुए कहा की बंगारू लक्षण और जूदेव जो कैमरे के सामने आर्मस डील में रिश्वत लेते हुए दिखाए गए थे तो उसे भाजपा ने उस रिश्वत को पार्टी फंड का नाम दे कर लीपापोती कर दिया जिसे भारत की जनता ने देखा और जनता को याद भी है और दुनिया ने भी देखा उसी सरकार में जॉर्ज फर्नांडिस ने ताबूत घोटाला किया जिसे दुनियां ने देखा, यह 2015 का केस है उसका ऑडिट भी हो चूका है, यदि कोई जांच करनी है तो इनकम टेक्स डिपार्टमेंट से पूछिए, जिसका ऑडिट हो चुका है आज क्यों 15 साल बाद भाजपा को याद आ रहा जब भाजपा ने पीएम केयर फंड में कई सौ करोड़ ले लिया, अभी अभी 100 करोड़ तो केवल पेटीएम कम्पनी से लिया गया है, कहाँ 90 लाख और कहाँ कई सौ करोड़, इस पर जब भाजपा पर जब प्रेशर बनने लगे और हर जगह करकिरी होने लगी तो आपने मुद्दे से भटकाने के लिए  बहाना निकाल लिया, आपको 15 साल पुराना केस याद आ गया, भाजपाई सरकार इतना ही ईमानदारी साबित करना चाहती है तो इंडिया फाउंडेशन और विवेकानंद फाउंडेशन की जांच भी कराये। उसकी जांच इसलिए नहीं होगी की वह उनके हित का है।
 कांग्रेस नेता भाटिया ने कहा की भाजपा, कांग्रेस से मानसिकरूप से विचलित हो चुकी है। आज चाइना के मुद्दे पर सवाल उठाया जा रहा है तो सरकार को इस मुद्दे पर गम्भीरता दिखाना चाहिए और उसपर समाधान तलाशना चाहिए था न की राजिव गांधी के परिवार से व्यक्तिगत दुश्मनी साधने का अवसर तलाशना चाहिए था। पिछले सत्र में सदन में बहस के दौरान राहुल गांधी द्वारा बेरोज़गारी के मुद्दे पर उठाये गए सवाल पर स्पष्ट रूप से  मोदी जी ने राहुल गांधी के द्वारा बेरोज़गारी पर उठाये गए प्रश्न के जवाब में कहा था की भारत की बेरोज़गारी दूर करे या न करें लेकिन आपकी बेरोज़गारी दूर नहीं होने देंगे यानी कांग्रेस की बेरोज़गारी दूर नहीं होने देंगे, सरकार के पास न तो कोरोना के मुद्दे पर कोई जवाब है न तो कोई चाइना के मुद्दे पर कोई जवाब है , सरकार से जब भी कोई सवाल करता है सरकार उसे अपराधी या देशद्रोही करार दे कर उसे दबा देती है। कांग्रेस जब सवाल करती है तो उसे घर खाली कराने की नोटिस दे दिया जाता है तो कभी राजिव गांधी फाउंडेशन का मामला उठाया जाता है इस पर हंगामा कर लोगों का ध्यान भटकाने का काम रही है।

भाटिया ने पीएम केयर फण्ड पर सवाल उठाते हुए पूछा की जो इन्होने ट्रस्ट बनाया है क्या यह वैध है रजिस्टर्ड है ? जो भी पैसा देश से माँगा जा रहा है और वह सीएसआर के लिए खर्च किया जाएगा तो क्या सीएसआर के द्वारा किया गया खर्च सरकारी खर्च में नहीं आएगा ?  इस में जो फंड लिया जा रहा है वह फंड किसका है किस कंपनी का है और वह पैसा कहाँ खर्च किया जा रहा है ? जबकि न तो उसका ऑडिट है न कोई लेखा जोखा और न तो सरकार उसे आरटीआई के दायरे में रखना चाहती है आखिर क्यूँ ?  फिर किस क़ानून के तहत यह फौरन फंडिंग पीएम केयर फंड में लिया जा रहा है ? जबकि राजीव गाँधी फाउंडेशन का नियमित रूप से  ऑडिट हो रहा है और उसका एफसीआरए रजिस्टर्ड है। उन्होंने भाजपा से पूछा की  भाजपा क्या जनता को बता पाएगी की भाजपा को चन्दा के नाम पर 2015 में 500 करोड़ डोनेशन आता था तो 2018,19 में अचानक से 2400 करोड़ कैसे आने लगा ? 
भाटिया ने बड़े ही स्पष्ट रूप से भाजपा के प्रति आरोपपूर्ण लहजे में कहा की इंद्रा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट,या राजीव गाँधी ट्रस्ट कांग्रेस की कोई भी संस्था है वह पूर्ण रूप से पारदर्शित है।  सरकार कभी भी कांग्रेस के किसी भी संस्था के निष्पक्ष जांच कराये तो  मै समझता हूँ उसका ऑडिट व सारे लेखा जोखा एवं उसका मिनट बुक सभी अपडेट मिलेंगे बर्शर्ते की ईमानदारी से निष्पक्ष जांच होनी चाहीये न की द्वेष और दुराग्रह के तहत।
उन्होंने भाजपा सहिंत संघ को आड़े हांथों लेते हुए कहा की आज केंद्र सरकार द्वारा कांग्रेस के साथ जो भी किया जा रहा है वह एक द्वेषपूर्ण और दुराग्रह तहत किया जा रहा है। जो ना तो राजनीती है और न ही नैतिक आधार, भाजपा के नाम पर सरकार में बैठे संघ मनुवादी लोग आज कांग्रेस के नाम पर सोनिया गांधी के परिवार,1975 से 1977 के आपातकाल में अधिकतर संघ के लोग ही थे जो उस समय भी अपना चोला बदल कर इंद्रा कांग्रेस का विरोध कर रहे थे। जिन्हे  जेल में डाला गया था।
कांग्रेस नेता भाटिया ने कहा भाजपा इस समय केंद्र सरकार, संविधान और लोकतंत्र की हत्या करने में लगी हुई है। जिसका परिणाम भारत की जनता बेगुनाह होते हुए भी बेरोज़गारी के रूप में भुगत रही है। भारत की जनता बेशक कांग्रेस को न बचाये लेकिन भारत को बिखरने और टूटने तथा बिकने से बचाने के लिए कांग्रेस नेतृत्व में सड़कों पर उतर कर वर्तमान मनुवादी  भारत सरकार का विरोध करना होगा तभी भारत के संविधान और लोकतंत्र तथा आरक्षण की रक्षा कर  पाएंगे अन्यथा बंधुआ गुलाम बन कर अपना जीवन बिताएंगे       
         

AINA INDIA:  मुट्ठी भर पूँजीपतिओं के पास 70% आबादी के बराबर धन...

AINA INDIA:  मुट्ठी भर पूँजीपतिओं के पास 70% आबादी के बराबर धन...:  मुट्ठी भर पूँजीपतिओं के पास 70% आबादी के बराबर धन है। जो भारतीय समाज में समानता के मुद्दे पर घातक सिद्ध हो सकता है - प्रो0 डॉ0 आसमी रज़...

AINA INDIA:  मुट्ठी भर पूँजीपतिओं के पास 70% आबादी के बराबर धन...

AINA INDIA:  मुट्ठी भर पूँजीपतिओं के पास 70% आबादी के बराबर धन...:  मुट्ठी भर पूँजीपतिओं के पास 70% आबादी के बराबर धन है। जो भारतीय समाज में समानता के मुद्दे पर घातक सिद्ध हो सकता है - प्रो0 डॉ0 आसमी रज़...

मुट्ठी भर पूँजीपतिओं के पास 70% आबादी के बराबर धन है।

 मुट्ठी भर पूँजीपतिओं के पास 70% आबादी के बराबर धन है। जो भारतीय समाज में समानता के मुद्दे पर घातक सिद्ध हो सकता है - प्रो0 डॉ0 आसमी रज़ा 

     एस. ज़ेड. मलिक (स्वतंत्र पत्रकार )

विश्व में कोविड 19 के प्रकोप से होने वाली तबाही के कारण जहां एक और आबादी पर असर पड़ रहा है वही भारी मात्रा में रोज़गार पर असर देखने को मिल रहा है। छोटे और मंझोले व्यापार लगभग समाप्त से होते दिखाई दे रहे हैं, ऐसे में भारत में इस समय लगभग 37 प्रतिशत बेरोज़गारी अतिरिक्त बढ़ने की संभावना व्यक्त की जा रही इस मुद्दे पर दिल्ली विश्व विद्यालय के अर्थशास्त्रिये विश्लेषक एवं समीक्षक प्रो0 डॉ0 आसमी  रज़ा ने ऑक्सफैम इंटरनैशनल की ताज़ा रिपोर्ट के हवाले से चिंता व्यक्त करते हुए कहा की भारत के 1.5 % उद्योगपतिओं और ज़मींदारों का देश की 62% संपत्ति पर क़ब्ज़ा है और लगभग 64 से 65 पूँजीपतिओं के पास 70% आबादी के बराबर धन अर्जित किया हुआ है। जो आने वाले समय में भारतीय समाज में समानता के मुद्दे पर घातक सिद्ध हो सकता हैं। इसका समाधान भारत के लिए एक मात्र आर्थिक न्याय ही समुचित निति है जो भारत को आर्थोक मंदी से उभार सकता है। 

प्रो0 रज़ा ने कहा कि ऑक्सफैम इंटरनैशनल की ताज़ा रिपोर्ट कह रही है कि सरकार के 2018-19 के बजट के हिसाब से देश की आधी से अधिक सम्पत्ति देश के 64 अरबपतियों के पास है।  इस रिपोर्ट के अनुसार इस देश में लगातार तीन साल से धनपत्तीओं का और अधिक सम्पत्ति अर्जित करने का सिलसिला जारी है, इससे स्पष्ट है कि गरीब और गरीब होता जा रहा है। देश में गरीबी दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। 

 2019 के एक सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार देश के एक प्रतिशत धनवान हर दिन 2200 करोड़ कमाते हैं। तथा 2018 के इसी सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार भारत के एक प्रतिशत अमीरों के पास देश की 73 प्रतिशत संपत्ति अर्जित है। ऑक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार कुल आठ लोगों को पास दुनिया की आधी आबादी के बराबर दौलत है।  ऐसे में इसका दुष्ट प्रभाव उनलोगों पर पद सकता है जो शिक्षित होने के वाबजूद धनपत्तीओं या सरकार के यहां नौकरी करके अपना अपने परिवार लालन पालन कर रहे हैं लेकिन इससे  भी बुरा प्रभाव उन लोगों पर पड़ेगा जो कम पूंजी में अपना व्यापार तथा वैसे लोग जो दिहाड़ी मज़दूरी कर गुज़र बसर करते हैं।  
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ऑक्सफैम के एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की 62 प्रतिशत संपत्ति देश के 1.5 प्रतिशत अमीरों के पास है यानी भारत में अमीरों और गरीबों के बीच असंतुलन दुनिया के औसत से ज्यादा है। दुनिया में शीर्ष एक प्रतिशत अमीरों के पास औसतन 62 प्रतिशत संपत्ति है। रिपोर्ट के अनुसार भारत के 64 अरबपतियों के पास 220 अरब डॉलर (लगभग 16.610 लाख करोड़ रुपये) की संपत्ति है जो देश के आर्थिक पायदान पर नीचे की 75  प्रतिशत आबादी की कुल संपत्ति के बराबर है।
  वर्ल्ड इकोनॉमी फ़ोरम (डब्ल्यूईएफ) की सालाना बैठक से पहले जारी की गयी इस रिपोर्ट के अनुसार कुल आठ लोगों को पास दुनिया की आधी आबादी के बराबर दौलत है। रिपोर्ट के अनुसार भारत के 84 शीर्ष अमीरों के पास 248 अरब डॉलर (16.90 लाख करोड़ रुपये) की संपत्ति है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी 19.3 अरब डॉलर के साथ भारत के सबसे अमीर आदमी हैं। दिलीप संघवी (16.7 अरब डॉलर) और अजीम प्रेमजी (15 अरब डॉलर) दौलत के मामले में दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे। रिपोर्ट के अनुसार भारत की कुल दौलत 31 खरब डॉलर है।
  रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की कुल दौलत 2557 खरब डॉलर है। इसमें से 65 खरब डॉलर संपत्ति केवल तीन अमीरों बिल गेट्स (75 अरब डॉलर), अमेंसियो ओट्रेगा (67 अरब डॉलर) और वारेन बफेट (60.8 अरब डॉलर) के पास है। “एन इकोनॉमी फॉर द 99 पर्सेंट” नामक रिपोर्ट में ऑक्सफेम ने कहा है कि अब वक्त आ गया है कि कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने वाली अर्थव्यवस्था की बजाय एक मानवीय अर्थव्यवस्था बनायी जाए।
   रिपोर्ट के अनुसार साल 2015 से ही दुनिया के शीर्ष एक प्रतिशत अमीरों लोगों को पास बाकी दुनिया से ज्यादा दौलत है। रिपोर्ट में कहा गया है, “अगले 20 सालों में 500 अमीर लोग अपने वारिसों को 21 खरब रुपये देंगे। ये राशि 135 करोड़ आबादी वाले देश भारत की कुल जीडीपी से अधिक है।” रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो दशकों में चीन, इंडोनेशिया, लाओस, भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश के शीर्ष 10 प्रतिशत अमीर लोगों की आय में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वहीं इस दौरान इन देशों की सबसे गरीब 10 प्रतिशत आबादी की संपत्ति में 15 प्रतिशत की कमी आयी है।  
भारत की कृषक भूमि 1970 से 1,400 लाख हेक्टेयर के आसपास है। लेकिन गैर कृषि कार्यों के लिए भूमि का उपयोग 1970 में 196 लाख हेक्टेयर से 2011-12 में 260 लाख  हेक्टेयर पहुंच गया है। अकेले 2000-2010 के दशक में करीब 30 लाख हेक्टेयर कृषि जमीन गैर कृषि कार्यों के लिए उपयोग में लाई गई है।दूसरी तरफ जो बंजर और असिंचित भूमि 1971 में 280 लाख हेक्टेयर थी, वह 2012 में घटकर 170 लाख हेक्टेयर रह गई। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस नई कृषि भूमि पर भारत का खाद्य उत्पादन टिका है। लेकिन इस भूमि का अधिकांश हिस्सा बारिश के जल पर निर्भर है। यही वजह है कि किसानों की आय को दोगुना करना एक बड़ी चुनौती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि के दायरे में आई जमीन की उर्वरता और सेहत ठीक नहीं है। इस जमीन को उपजाऊ और आर्थिक रूप से सार्थक बनाने के लिए बहुत ध्यान देने की जरूरत है। 
प्रो0 डॉ0 रज़ा  ने वर्ल्ड इकोनॉमी फ़ोरम (डब्ल्यूईएफ) और  अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ऑक्सफैम के उपरोक्त रिपोर्ट तथा आर्थिक मामले के वरिष्ठ विश्लेषक रोशन लाल अग्रवाल की लिखित पुस्तक line of wealth  पर अपनी प्रति किर्या देते हुए कहते हैं की इस समय भारत को आर्थिक मंदी से उभारने तथा बेरोज़गारी के समस्या का एक मात्र  समाधान भी मुझे यही प्रतीत होता हैं की सरकार भारत में चल अचल सम्पत्ति की एक औसत सीमा तय करके उस पर वर्तमान मूल्यों के हिसाब से टेक्स लागू करने पर विचार करे इससे भारत का ग्रोथ रेट तीन गुना से चार गुना बढ़ने की संभावना है। तथा बेरोज़गारी की समस्या का पूर्ण समाधान है।  हम सभी को एक बार अमीरी रेखा के औसत सीमा को तय करने पर विचार करना चाहिए।       

Thursday, July 2, 2020

केंद्र सरकार छः वर्षों में हर मोर्चे पर विफल रही है - शिवे भाटिया

केंद्र सरकार छः वर्षों में हर मोर्चे पर विफल रही है - शिवे भाटिया 

एस. ज़ेड. मलिक(स्वतंत्र पत्रकार)  

नयी दिल्ली - 22 दिनों से पेट्रोल और डीज़ल दोनों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी और केंद्र सरकार के केंद्रीय न्याय विधि मंत्री रावे शंकर प्रसाद और पेट्रोलियम मंत्री यह कह कह कर अपना पल्ला झाड़ ले की यह हमारे बीएस से बाहर है, यह सरकार की नाकामी देश का विडम्बना कहा जाय या जनता की दुर्भाग्य, की जनता ने दुबारा से भाजपा को चुन कर केंद्र में सरकार बनाने का अवसर दिया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता पूर्व हरयाणा के हुड्डा सरकार के राजनितिक सलाहकार शिवा भटिया ने कहा कि यह न केवल बढ़ती कीमतों की जांच करने में सरकार की विफलता है, बल्कि वास्तव में इसका लालच यह है कि ईंधन को बेचने के लिए मजबूर कर रहा है, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय बाजार से सस्ता है।  ज्ञात हो की 7 जून से लगातार तेल की कीमतों में उछाल के कारण भाटिया, केंद्र सरकार पर प्रति दिन चेतावनीपूर्ण हमला करते आ रहे हैं। 
उन्होंने याद दिलाया की यूपीए की सरकार में इन्ही कीमतों की उछाल पर 2012 , 13 में यही पाक्ष में बैठी भाजपा एनडीए के लोग सड़कों पर तांडव क्र रहे थे।  जब की उस समय यूपीए की सरकार में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे इराक़ पर अमेरिका द्वारा हमले के कारण सैंकड़ो तेल के कुएं नष्ट कर दिये गए थे यह जग ज़ाहिर है उस समय केवल भारत में ही नहीं बल्कि एशिया महादेश के उन देशों में टेकचचे तेल की कीमतों में उछाल आया था बावजूद इसके मनमोहन सरकार ने न की केवल तेल की कीमतों पे नियंत्रण किया था बल्कि आर्थिक मंदी पर भी नियंत्रण किया था उसमे जीडीपी का ग्रोथ रेट हमारे भारत में  9.5 पर था लेकिन आज मोदी सरकार में हमारे देश की जीडीपी का ग्रोथ रेट - 3 .पर जा टिका है।  
 इतना घाटे में होने के बावजूद हमारे केंद्र की सरकार मीडिया द्वारा और अन्य प्रचार के माध्यम से जीडीपी बढ़ता हुआ दिखा कर भोली भाली जनता को गुमराह करने से बाज़ नहीं आ रही है। उन्होंने कहा कि यूपीए के  शासन के दौरान कांग्रेस पार्टी की आलोचना करने वाली  भाजपा सरकार, मूल दरों में करों को जोड़कर पेट्रोल और डीजल की दर में दिन प्रति दिन वृद्धि कर रही है।  उन्होंने कहा कि आज की तुलना में अप्रैल 2014 में क्रूड 105 डॉलर प्रति बैरल पर था और बाजार में ईंधन की दरें भी कम थीं। जबकि आज बाजार में क्रूड का समान्य मूल्य 43 डॉलर प्रति दिन का है।  जबकि पेट्रोल की दर इन 25 दिनों में प्रति लीटर कूड़े से 9.12 रुपये बढ़ गई, जबकि खुदरा बाजार में डीजल की कीमत में 11 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है। एक और करयुक्त  ईंधन बेचकर अपने कार्य तो आसान जो पूरी तरह से सरल हैं और नागरिकों पर पूरी तरह से अमानवीय और अत्याचार हैं।
उन्होंने  ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा की आम आदमी को लूटकर अपना खजाना भरने का काम किया है आम आदमी पहले ही लॉकडाउन के कारण बेरोज़गारी से बुरी तरह प्रभावित था ही उसे सड़कों पर पैदल चलने के लिए मजबूर कर दिया जिसके कारण लगभग 350 कमज़ोर लोगों की भूक और थकान के कारण मृत्यु हो गई। और उत्तर प्रदेश सरकार पूँजीपत्तीओं के छात्रों के लिए गाडी और अन्य व्यवस्था कर के उन्हें उनके घर तक पहुंचाती और गरीबों मज़दूरों के लिए जब कांग्रेस व्यवस्था करती है तो उसे तरह तरह के आरोप लगा कर उन मज़दूरों को यूपी बॉर्डर  पर रोक लेती है जो जग ज़ाहिर है। 
उन्होंने कहा की भाजपा छः वर्षों में नोटबंदी, एफडीआई , जीएसटी लागू करके जहां व्यापारिओं को धरातल पर लाकर पटक दिया वहीँ सारी सरकारी कम्पनिओं का निजीकरण करके आम आदमी को बेरोज़गार बना दिया तो दुसरी और लद्दाक को केंद्रशासित प्रदेश बनाकर उसे चीन के हवाले करने का मन बना लिया जिसका परिणाम चीन आज 47 कि0 मी0 लद्दाक में अंदर की और घुस गया है कुल मिला कर केंद्र की भाजपा सरकार एक विफल सरकार की हैसियत से काम करती रही है जिसका हिसाब भारत की जनता लेगी।