Friday, March 24, 2017

            
   दिल्ली में भी बने एंटी रोमियो  दल  - वंदना वत्स

नई दिल्ली- दिल्लीमें मनचलों की बढ़ती उत्पात के मद्देनज़र आद्य फॉउंटेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती वंदना नेदिल्ली पुलिस आयुक्त से मांग की है की दिल्ली के तमाम स्कूल कॉलेज के बाहर मजनुओ की धार पकड़ के लिए उत्तर प्रदेश की तर्ज पर एंटी रोमियो दल शुरू  होना चाहिए स्कूलों के बाहर सुबह के समय आवारालड़के स्कूली छात्राओ के साथ छेड़खानी नजर करते आते है जैसे की गौतमपुरी ब्रमपुरी  नाले के ऊपर स्कूल में पढ़ने वाली छात्रएं ओ उनके अभिभावक ने इन मनचलो मजनुओ की शिकायत कई बार उस्मानपुर के थाना अध्यक्ष को लिखित में शिकायत की परन्तु कोई कार्यवाही पिछले छा महीने से नहीं हुई है।  
श्रीमती वंदना ने दिल्ली  पुलिस आयुक्त से जोर देकर कहा की दिल्ली  में स्कूली छात्राये सुरछित नहीं है इसलिए  उत्तर प्रदेश जैसा एंटी रोमियो दल अभियान दिल्ली  में चलाये जाने की आवश्यकता है।  

Saturday, March 4, 2017

भारत में बढ़ते पक्षपात को ले कर जमात इस्लामी हिन्द चिंतित। S.Z.Mallick(Journalist)

                                   
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बिन नीति। जमात इस्लामी हिन्द की बढ़ती चिंता।   

नई दिल्ली] 04 मार्च 2017  जमाअत इस्लामी हिन्द यह महसूस करती है कि विविध संस्कृति वाले देश भारत को नफरत और पक्षपात के रास्ते पर ले जाने की कोशि की जा रही है। देश में मानवता और सौहार्द्र जैसी सामाजिक मूल्यें तेजी से गिरती जा रही हैं। ये सूरतहाल सबके लिए समान रूप से अत्यंत हानिकारक है और देष के गंभीर नागरिकों के लिए चिंता का विषय है। लेकिन इसका सकारात्मक पहलू यह है कि देश की बहुसंख्यक अवाम इसके खिलाफ हैं और अराजक तत्व मुट्ठी भर। ये बातें जमाअत इस्लामी हिन्द के अमीर (अध्यक्ष) मौलाना सैयद जलालुद्दीन उमरी ने आज जमाअत के कान्फ्रेंस हॉल में आयोजित मासिक प्रेस कान्फ्रेंस में कही।
जमाअत के अमीर ने चिंता प्रकट करते हुए कहा कि देश के पांच राज्यों के चुनावों के दौरान कुछ राजनीतिक लीडरों और स्वंय प्रधानमंत्री और उनके सहयोगियों ने जिस तरह नफरत और भेदभावपूर्ण बयान दिये हैं] उससे केवल लोकतंत्र का दमन हुआ है] बल्कि शासनिक पद और उसकी गरिमा भी धूमिल हुई है और पूरी दुनिया में देश की छवि बिगड़ी है। उन्होंने याद दिलाया कि चुनाव से पहले सर्वोच्च न्यायालय ने धर्म और जात-पात के इस्तेमाल को दंडनीय करार दिया था। लेकिन राजनीतिक लीडरों ने अपने भड़काऊ भाषणों के द्वारा केवल देश की सामाजिक संरचना को बिखेरने में लगे रहे] बल्कि कब्रिस्तान- श्मशान और रमज़ान-दिवाली के नाम पर उन्होंने चुनावों को साम्प्रदायिकता के आधार पर प्रेरित करने का प्रयास किया जो एक लोकतांत्रिक देश के लिए हानिकारक है। मौलाना उमरी ने कहा कि जमाअत इस्लामी हिन्द चुनाव आयोग से मांग करती है कि देश के विभिन्न वर्गों के बीच नफरत फैलाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करे ताकि लोकतंत्र की सुरक्षा और अस्तित्व को विश्वसनीय बनाया जा सके। जमाअत इस्लामी हिन्द अपशब्द और एक दूसरे पर कीचड़ उछालने की राजनीति पर भी लगाम लगाने की मांग करती है।
इस अवसर पर जमाअत अध्यक्ष ने शिक्षण संस्थानों (कॉलेजों और विष्वविद्यालय कैंपसों) में फॉसिवादी ताकतों के बढ़ते प्रभावों पर अत्यंत चिंता प्रकट किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कालेज में बीजेपी छात्र संगठन एबीवीपी के सदस्यों ने जिस तरह छात्रों] अध्यापकों और पत्रकारों के खिलाफ हिंसात्मक व्यवहार किया और उनका अपमान किया अत्यंत निन्दनीय और चिंताजनक है। उन्होंने बताया कि दिल्ली पुलिस और पत्रकारों के अतिरिक्त सैकड़ो छात्रों के सामने उन लोगों ने जिस तरह अपने नापाक इरादों को पूरा करने की कोशिश की] जमाअत का विचार है कि इन नापाक हरकतों के लिए उन्हें अपने सियासी आकाओं का संरक्षण प्राप्त है। जिस कारण उन्हें प्रशासन और कानून का कोई भय नहीं है और वे बेखौफ और योजनाबद्ध तरीके से इन घिनौने हरकतों को अंजाम दे रहे हैं।मौलाना ने पत्रकारों को याद दिलाते हुए कहा कि ये वही तत्व हैं जिन्होंने होनहार छात्र नजीब को गायब किया और शोधार्थी छात्र रोहित वेमूला को आत्महत्या पर मजबूर किया। इसके अतिरिक्त भी कई शिक्षण संस्थानों में उत्पीड़न और हिंसा का रास्ता अपनाकर अभिव्यक्ति की आजादी जैसे मौलिक अधिकारों पर रोक लगाने के प्रयास किये गये हैं। मौलाना उमरी ने छात्रों] नौजवानों और सिविल सोसायटी से अपील की कि वे देश और उसके सांस्कृतिक धरोहरों] शैक्षिक केंद्रों की स्वायत्तता] धर्मनिर्पेक्षता के अस्तित्व और अभिव्यक्ति की आजादी की सुरक्षा के लिए संयुक्त मोर्चा बना कर फॉसिवादी शक्तियों के खिलाफ लामबंद हों ताकि देश शान्ति और न्याय के साथ विकासोन्मुख हो सके।

जल्द आरम्भ होगा उर्दू में भी तकनिकी ऐवम उच्चतर शिक्षा। 
जमाअत इस्लामी हिन्द के महासचिव मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि नीट (मेडीकल प्रवेश परीक्षा) में उर्दू भाषा को अनिवार्य रूप से शामिल किये जाने का जमाअत इस्लामी हिन्द मांग करती है।विगत दिनों जमाअत का छात्र विंग स्टूडेंट इस्लामिक ऑर्गेनाइजेषन ने इस को लेकर देश के सर्वोच्च न्यायालय में अपील की थी। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने कल केंदीय सरकार और मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। सलीम इंजीनियर ने विश्वास के साथ कहा कि हमें जरूर कामयाबी मिलेगी और नीट में उर्दू भाषा को जरूर शामिल कर लिया जाएगा। उन्होंने हैरत जताई कि उर्दू जो कि देश में छठी सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है (जैसा कि हाल में किये गए सर्वे में इसका खुलासा किया गया है] साथ ही भारतीय संविधान के आठवें अध्याय में इसमें शामिल भी किया गया है) को इससे बाहर कर दिया गया उन्होंने कहा कि जमाअत इस्लामी हिन्द सरकार से मांग करती है कि वह अपने फैसले की समीक्षा करे और टेस्ट में उर्दू को भी शामिल करे नहीं तो यह आरोप साबित हो जाएगा कि केंद्रीय सरकार अल्पसंख्यक विरोधी है। 

अमेरिका में बढ़ते नस्ली भेद भाव को लेकर जमात इस्लामी हिन्द चिंतित।  
जमाअत इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष नुसरत अली ने प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि जमाअत अमरीका में बढ़ते हुए नस्ली भेदभाव को लेकर अपनी चिंता प्रकट की है। उन्होंने कहा कि जिस देश की पहचान ही सहिष्णुता और पारस्परिक प्रेम हो वहां इस तरह की घटना का होना अत्यंत चिंता का कारण है। अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिस नफरत भरी सियासत से अपनी मुहिम का आगाज किया था आज उसके विनाशकारी परिणाम सामने आ रहे हैं। भारतीय मूल के इंजीनियर श्रीनिवास को एक अमरिकी नागरिक ने 22 फरवरी को कंसास में बेरहमी से यह कहते हूए गोली मार दी थी कि वह उसे अपने देश में देखना पसंद नहीं करता है। जमाअत इस्लामी हिन्द मृतक श्रीनिवास के परिजनों के साथ सहानुभूति प्रकट करती है और भारत सरकार से अपील करती है कि उनके परिवार वालों को यथासंभव सहयोग दें।
नुसरत अली ने संवाददाता को बताया कि अमरीका से एक चिंताजनक खबर मिली है कि साम्प्रदायिक प्रवृत्ति के कुछ लोगों ने यहूदियों के एक कब्रिस्तान में घुस कर तोड़-फोड़ की है। हम अमरिकी प्रशासन से अपील करते हैं कि वह इस घटना के खिलाफ कठोर कार्रवाई करे और तमाम वर्गों की सुरक्षा को विश्वसनीय बनाये।  उन्होंने कहा कि जमाअत इस्लामी हिन्द का विचार है कि राष्ट्रपति ट्रंप के नफरत भरे बयानों] उनकी सरकार की आप्रवासन नीति और सात मुस्लिम देशों के आप्रवासियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाले उनके हालिया शासकीय आदेश ने नस्ली भेदभाव को हवा दी है और यह स्वंय अमरीका के लिए बेहतर नहीं है। इससे पूरी दुनिया में नस्ली भेदभाव में इजाफा हुआ होगा] जो विश्व  शांति के लिए हानिकारक है। इसलिए अमरीकी सरकार को अपनी आप्रवासन नीति और उस आदेश पर नये सिरे से विचार करना चाहिए।


मौलाना उमरी ने प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान अग्रणी नेता, पूर्व सांसद और ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरत के पूर्व अध्यक्ष सैयद शहाबुद्दीन के मृत्यु पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि हम ने एक दीर्घानुभवी और बेबाक कौम और देश के सेवक को खो दिए हैं ।