व्यावस्था परिवर्तन की राह - क्या यह चुनावी एजेंडा नहीं होना चाहिए ?
एस. ज़ेड.मलिक(स्वतन्त्र पत्रकार)
आप इस बात को समझ सकते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था को न्याय पूर्ण बनाने का एकमात्र उपाय अमीरी रेखा बनाकर केवल औसत सीमा से अधिक संपत्ति पर ब्याज की दर से संपत्ति कर लगाना और बाकी सभी करों को पूरी तरह खत्म करना है।
जब दूसरे सभी करों को समाप्त कर दिया जाएगा तो सारी चीजें बहुत सस्ती हो जाएंगी और उद्योग व्यापार कृषि सेवा आदि का हर काम सबके लिए बहुत आसान हो जाएगा क्योंकि तब शासन और प्रशासन का उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।
शासन प्रशासन का सारा हस्तक्षेप खत्म हो जाने से समाज को भ्रष्टाचार से भी मुक्ति मिलेगी और इसका लाभ भी देश की आम जनता को ही मिलेगा।
ज्ञात हो कि देश की 80% संपत्ति केवल 1% से भी कम लोगों के हाथों में इकट्ठी कर दी गई है जिसके कारण पूरे देश की जनता गरीबी का सामना कर रही है और मुट्ठी भर बहुत संपन्न अमीर लोग जनता के साथ मनमानी कर रहे हैं।
वही मुट्ठी भर लोग देश की राजनीति भी मनमाने ढंग से चला रहे हैं और अपनी इच्छा के अनुसार शोषणकारी और अन्याय पूर्ण कानून बनवा लेते हैं।
शासन प्रशासन में बैठे हुए सभी शक्तिशाली लोग इन्हीं अमीरों के कहे अनुसार व्यवस्था भी चलाते हैं और उनके कामों को बहुत ही पक्षपातपूर्ण ढंग से और बेईमानी के साथ भी पूरा करते रहते हैं।
कोई भी विचारवान व्यक्ति इस कड़वी सच्चाई को हर जगह अपनी आंखों से देख सकता है इसी कारण समाज में किसी शक्तिशाली व्यक्ति के विरुद्ध मुंह खोलने का साहस भी समाज में नहीं रह गया है।
संविधान का संरक्षक और सभी कानून विशेषज्ञ पूरी तरह इन्हीं पूंजीपतियों के आगे बिके हुए हैं और पूरी व्यवस्था में गरीबों की कोई सुनवाई नहीं है। इसीलिए इस व्यवस्था को आम आदमी द्वारा जंगलराज ही कहा जा रहा है।
इस अन्याय पूर्ण व्यवस्था को बदलने का सबसे अच्छा और आसान उपाय केवल चुनावों के समय जनता के हाथ में आता है और उसे इसी का फायदा उठाना चाहिए। सरकार के खिलाफ आंदोलन करने से कभी भी उसके हाथ कुछ भी नहीं आ सकता।
जो लोग समाज में आर्थिक न्याय के समर्थक हैं और गरीबी बेरोजगारी अभाव अन्याय और असंतोष को खत्म करना चाहते हैं उनके लिए बिहार का विधानसभा चुनाव बहुत बड़ा स्वर्ण अवसर हो सकता है। चुनावों के समय अगर सारे गरीब न्याय में विश्वास करने वाले लोग मुट्ठी भर अमीरों पर संपत्ति कर लगाकर और देश के हर नागरिक को लाभांश दिलाने के लिए अमीरी रेखा बनाने के लिए ही अपना वोट दें तो उसी के मानने वाले लोगों की सरकार बनेगी और वह गरीबी को खत्म करने के लिए अवश्य अमीरी रेखा बनाएगी।
सारे नागरिकों को यह बात गहराई से समझनी चाहिए की अलग-अलग मांगे उठाकर जानबूझकर सरकार ही समाज को टुकड़े-टुकड़े करने का षड्यंत्र करती है और शक्तिहीन या कमजोर समाज को सरकार आसानी से कुचल देती है।
लेकिन केवल एक मुद्दा अमीरी रेखा बनाए जाने पर पूरा समाज एकजुट होकर अमीरों पर कर लगाने की बात करेगा तो वही लोग चुनाव में जीतेंगे जो लोग अमीरी रेखा बनाने के समर्थक होंगे। लेकिन यह सब तभी होगा जब सब लोग सारे भेदभाव भूलकर अमीरी रेखा बनाने की मांग के समर्थकों को ही अपना वोट देंगे और भेज डालने वाले किसी भी धोखे को अनदेखा कर देंगे।
मैं खासकर यह बात जरूर बताना चाहता हूं कि जाति संप्रदाय गरीब अमीर युवा शक्ति नारी शक्ति के झूठे नारों से समाज को कुछ नहीं मिलेगा और वही मुट्ठी भर शोषक जनता को मूर्ख बना कर सत्ता पर बैठ जाएंगे और समाज में गरीबी नंगा नाच करती रहेगी।
लेकिन यदि सारे लोग अमीरी रेखा बनाने के लिए वोट देंगे और उसके अनुसार सरकार अमीरी रेखा का कानून बनाकर केवल मुट्ठी भर अमीरों पर संपत्ति कर लगाने के लिए बाध्य हो जाएगी तो उससे इतना टैक्स आएगा कि सरकार के बजट का खर्च काटकर देश के हर नागरिक को ₹10000 प्रतिमाह जिंदगी भर अर्थात जन्म से मृत्यु तक मिलता रहेगा और समाज में कोई किसी का शत्रु भी नहीं रहेगा।
आप इस बात पर जरूर विचार कीजिए के जब सारा समाज सर्वसम्मति से हर निर्णय लेने लगेगा तो समाज में कोई ना तो अपराध बचेगा और ना ही कोई असंतोष।
इसलिए अमीरी रेखा बनाने के लिए सब न्याय प्रिय लोगों को खुलकर अपने घरों से निकलना चाहिए और हर आदमी तक इस विचार को पहुंचाना चाहिए ताकि सब लोग असली समस्या को समझ सके और खुद ही उसका इलाज कर सकें जो केवल उनके वोट के द्वारा आसानी से हो सकता है।
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