Sunday, July 17, 2016

EHSAS- Blogger by S.Z.Mallick(Journalist)

एहसास


 












16 सालों में आज पहली बार मुझे अपने बच्चों के बिछड़ने एहसास हुआ , आज 16 जुलाई 2016 को मेरे बच्चों को मुज़फ्फरपुर जाना हो रहा है जबकि मेरे कुछ बच्चों के लिए बिहार के सफर का पहला तजुर्बा होगा।  मेरा बड़ा बेटा और दो बेटिओं का यह दूसरा सफर है जबकि एक बेटी और एक छोटे बेटे अल ज़ैद और उससे बड़ी बेटी आलिया का यह पहला सफर है।  अल्लाह सभों का सफर कामयाब करे और जिस मक़सद से हमारे बड़े ममेरे साला नौशाद भाई इन सभी बच्चों को अपने खर्चे से अपने गाँव ले जा रहे अल्लाह इनके मक़सद में इन्हे कामयाबी दे आमीन - सुम्मा आमीन। मैं आज अपने बच्चों को स्टेशन छोड़ने नहीं गया। जबकि ट्रैन जलपाईगुड़ी एक्सप्रेस 3:20 में है।  उनके रुखसत होने पहले मैं घर से मीटिंग के बहाने निकल गया - बच्चों को अपने से दूर जते हुए नहीं देखा जता मेरी अाँखे  छलक रही थी बड़ी  आपने आंसू रोक पाया था मेरा छोटा बेटा मेरी शकल पढ़ रहा था , वह किनारे जा कर छुप कर रोने लगा मैं जब ऑफिस के लिए ब्र्हमशक्ति बस पकड़ लिया तो  फोन आया - ज़ैद रो रहा है - लीजिए उसे समझाएं - मैंने उससे फिर झूट बोला बेटा मैं चार दिनों के बाद आऊंगा अभी माँ के साथ जाओ - तब वह चुप हुआ - खुद बेहतर जनता है की उसे मेरे लिए कितनी मुहब्बत है -अभी तो बचपना है , कहा जाता है बच्चा और कुत्ता एक सा होता है, बहार हाल अल्लाह इनकी हिफाज़त फरमाए खैरो आफ़ियत के साथ इन्हे इनके मंज़िल तक पहुंचाए  - आमीन -सुम्मा आमीन।  - एस. जेड. मलिक(पत्रकार)            

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