Thursday, May 26, 2016

AINA INDIA: The real meaning of democracy- Blogger S.Z.Mallick...

AINA INDIA: The real meaning of democracy- Blogger S.Z.Mallick...:
असली लोकतंत्र का अर्थ।
 रोशन लाल अग्रवाल  economicjusticesrl.blogspot.in
 आज हमारे देश में जो तथाकथित लोक...

AINA INDIA: The real meaning of democracy- Blogger S.Z.Mallick...

AINA INDIA: The real meaning of democracy- Blogger S.Z.Mallick...: असली लोकतंत्र का अर्थ। असली लोकतंत्र का अर्थ रोशन लाल अग्रवाल  economicjusticesrl.blogspot.in आज हमारे देश में जो तथाकथित लोक...

AINA INDIA: "Art 4 Peace Award" soon. Report by S.Z.Mallick(Jo...

AINA INDIA: "Art 4 Peace Award" soon. Report by S.Z.Mallick(Jo...: विश्व की शशक्त महिलाओं के लिए आस्कर के तर्ज़ पर "आर्ट 4 पीस अवार्ड" जल्द। एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार) नई दिल्ली -   आर्ट 4 पी...

The real meaning of democracy- Blogger S.Z.Mallick(Journalist)

असली लोकतंत्र का अर्थ।

असली लोकतंत्र का अर्थ



रोशन लाल अग्रवाल economicjusticesrl.blogspot.in

आज हमारे देश में जो तथाकथित लोकतंत्र है वह नकली है हम राज्य के गुलाम बने हुए हैं हमारे जनप्रतिनिधि समाज का नहीं बल्कि बड़े-बड़े धन पतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं. वे उनके ही आदेशानुसार चलते हैं और सामान्य व्यक्ति की आवश्यकताओं एवं भावनाओं से उनका कोई लेना-देना नहीं है. तो फिर इस लोकतंत्र को असली कैसे माना जाए ?
देश के सारे कानून धन पतियों की इच्छा के अनुसार ही बन रहे हैं जिन से वास्तविक न्याय का कुछ भी लेना-देना नहीं है.
जब तक सत्ता पर समाज का नियंत्रण नहीं होगा तब तक वास्तविक आजादी नहीं मिल सकती और इसके लिए आर्थिक न्याय अनिवार्य है.
आर्थिक न्याय पाने के लिए अमीरी रेखा बनाई जानी चाहिए अर्थात एक व्यक्ति के मूलभूत या न्यूनतम संपत्ति अधिकार उसी प्रकार सुरक्षित होने चाहिए जिस प्रकार हर नागरिक वोट देने का अधिकार जो उसका न्यूनतम राजनीतिक अधिकार है उसी प्रकार हर नागरिक को न्यूनतम संपत्ति का स्वामित्व भी बिना किसी मेहनत के जन्म से लेकर मृत्यु तक मिलना चाहिए जिसे किसी भी प्रकार से घटाया या बढ़ाया या खरीदा बेचा नहीं जाना चाहिए.
अर्थ व्यवस्था की दृष्टि से किसी भी प्रकार की संपत्ति की खरीदी बिक्री का अर्थ उसका मालिकाना हक का विक्रय या क्रय नहीं बल्कि केवल प्रबंधन का अधिकार खरीदा और बेचा जाना चाहिए.
एक नागरिक का जन्मसिद्ध आर्थिक अधिकार ओसत सीमा तक स्वीकार किया जाना चाहिए और किसी भी प्रकार का परिश्रम न करने की स्थिति में भी हर नागरिक को इस पर मालिकाना हक के रूप में शुद्ध लाभ में उसका हिस्सा निरंतर मिलना चाहिए.

एक नागरिक को ओसत सीमा से अधिक संपत्ति संचय का सीमाहीन अधिकार देना अलोकतांत्रिक ही नहीं बल्कि नितांत उदंडता और अन्याय पूर्ण है जिससे समाज में कभी भी सामंजस्य और शांति स्थापित नहीं हो सकती यह तो जिसकी लाठी उसकी भैंस है. 
जब हर नागरिक को ओसत सीमा तक धन के स्वामी के रूप में न्यूनतम हिस्सेदारी मिलने लगेगी तो ही लोकतंत्र को असली माना जा सकेगा न्यूनतम आर्थिक अधिकार के बिना लोकतंत्र का कोई अर्थ नहीं यह किसी के लिए भी कल्याणकारी नहीं हो सकता.
लेकिन ओसत सीमा तक स्वामित्व के आधार पर प्रत्येक व्यक्ति को न्यूनतम आर्थिक लाभ में हिस्सेदारी देकर सबके लिए सुखदाई व्यवस्था का निर्माण किया जा सकता है जो सब लोगों को सर्वमान्य हो सकता है

AINA INDIA: "Art 4 Peace Award" soon. Report by S.Z.Mallick(Jo...

AINA INDIA: "Art 4 Peace Award" soon. Report by S.Z.Mallick(Jo...: विश्व की शशक्त महिलाओं के लिए आस्कर के तर्ज़ पर "आर्ट 4 पीस अवार्ड" जल्द। एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार) नई दिल्ली -   आर्ट 4 पी...

"Art 4 Peace Award" soon. Report by S.Z.Mallick(Journalist)

विश्व की शशक्त महिलाओं के लिए आस्कर के तर्ज़ पर "आर्ट 4 पीस अवार्ड" जल्द।


एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार)
नई दिल्ली -   आर्ट 4 पीस अवार्ड 16 अक्टूबर 2016 को आठ श्रेणियों में दिए जायेंगे इसे वेवर्ली हिल्स परेड के नाम से भी जाना जाता है। उल्लेखनिये है की यह एवार्ड विश्व महिला षशक्तिकरण तथा कला को बढ़ावा देने के लिए शांति पुरस्कार के रूप में मुख्यालय ताइवान में दिया जायेगा। यह जानकारी ताइवान की प्रसिद्ध ब्यूटीशियन मुन्नी एयरोन ने बुधवार दिल्ली के प्रेस कलब में प्रेस को जानकारी दे रहीं थीं उन्हों ने अपने उद्देश्यों को उजागर करते हुए कहा की विश्व की महिलाओं की प्रतिभा को उबारने के लिए उनके अंदर छुपे कला को महत्त्व देने के लिए हम विश्व की तमाम संस्कृतियों, परम्पराओं, ज्ञान और कला को एक साथ मिलाकर कर सकारात्मक तरीके से प्रभावशाली बनने के लिए पुरूस्कार देंगे । हालाँकि परियोजना बड़ा है इसीलिए इसे ध्यान में रखते हुए हम सम्पूर्ण विश्व का भर्मण कर देश में हर वह सामाजिक संस्थान जो समाज था विशेष कर महिलाओं के शशक्तिकरण के लिए काम कर रही है वैसी संस्थाओं का हम चुनाव करेंगे और उन्हें  ही आर्ट 4 पीस अवार्ड दिया जाएगा। उन्हों कहा की इस एवार्ड को भी आस्कर के तर्ज़ पर आठ श्रेणियों में दिया जायेगा जिस प्रकार आस्कर में सिनेमा , संगीत , बाल डिज़ाइन मार्शल आर्ट इत्यादि को दिया जाता है। उसी प्रकार से हम केवल महिलाओं को ही इस प्रकार का एवार्ड देंगे।    
ज्ञात हो की मुन्नी आयरोन मनोविज्ञान से ओनर्स हैं और अपना ब्यूटी स्कूल चलातीं हैं तथा इस  आर्ट 4 पीस अवार्ड  की संस्थापक हैं।   
 

Wednesday, May 25, 2016

AINA INDIA: Friendly seminar of Bihar migrant Mallick cast. Re...

AINA INDIA: Friendly seminar of Bihar migrant Mallick cast. Re...: बिहार प्रवासी मालिक मित्रमंडल संगोष्ठी।   एस.ज़ेड. मलिक (पत्रकार)    नई दिल्ली :- बिहार के मुस्लिम अल्पसंख्यकों में ए...

Friendly seminar of Bihar migrant Mallick cast. Report by S.Z.Mallick(Journalist)



बिहार प्रवासी मालिक मित्रमंडल संगोष्ठी।  

एस.ज़ेड. मलिक (पत्रकार)   

नई दिल्ली :- बिहार के मुस्लिम अल्पसंख्यकों में एक जाती मलिक की है दरअसल यह सैयद जाती में आते हैं लेकिन अपने आप को सैयद कहलवाने वाली जाती इन्हें सैयद नहीं मानते जिसके कारन बिहार के मुस्लिम समुदाय में सैयद और मलिक ज़ाती में हमेशा आपसी टकराव तथा द्वेष चलता रहता है।  जबकि मलिक ज़ाती पहले बैत यानि बुज़ुर्गों को मानने वाले सुफिओं के भक्त चाहने वाले अनआयु को कहते हैं। लेकिन इस गुण के विपरीत इनकी कार्यशैली देखने को मिलती है यह जाटों की तरह ठाट बाट ज़मींदारी के तहत हुकूमत करने वाले विशेष लोगों में गिने जाते हैं।  परन्तु आज इस्थिति विपरित है।
 1947 में भारत के बंटवारे में सबसे अधिक मुसलामानों के जो उच्च जाती का शिक्षित तब्क़ा लगभग 75 % लोग पाकिस्तान और कुछ इंग्लॅण्ड और अमेरिका अस्थान्तरित हो गए।  जो कुछ रह गए उनमें  अधिकतर अशिक्षित परन्तु भूस्वामी बने ज़मींदार का रुतबा निभाते रहे। लेकिन जैसे जैसे समय बीतता रहा उनकी नस्लें ऐश और दबंगई में अपना धन बल दोनों ही बर्बाद करते रहे तथा गिरती इस्थिति के मद्देनजर रोज़गार के नाम पर ट्रक  निकाल कर अपनी जीविका अर्जित करने लगे तो कुछ कोलकाता  डक पर  काम कर के अपने बच्चों का लालन पालन  लगे जो बुद्धिजीवी थे वह अपना पेट काट काट अपनी नस्लों को शिक्षित कर भारत के विभिन्न महानगरों में कही सरकारी नौकरी में तो कहीं प्राइवेट नौकरी तथा कुछ अपने स्वंरोज़गार में व्यस्त हो कर अपनी अपनी नस्लों को शिक्षित बनाने के लिए प्रयासरत हैं। जो इस प्रयास में कामयाब हुए वह अब शिक्षित हो कर अपने अपने व्यवसाय खड़ा कर दूसरों को सहारा देने योग बन गए उन्ही से कुछ मलिक बिरादरी के लोगों ने अपने सामाज के उत्थान के लिए बीड़ा उठाया है।  इसी सन्दर्भ में ओखला के पुरानी जसोला में मलिक बेया वेलफेयर ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया के तत्वाधान में  " बिहार प्रवासी मालिक समाज संगोष्ठी " का आयोजन गया।  इस अवसर पर दिल्ली तथा एनसीआर में रह रहे मलिक समाज के सभी लोगों को आमंत्रित किया गया। तथा दिल्ली बिहार प्रवासी मलिक समिति के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के संयोजक अब्दुल सत्तार ने सभा की अध्यक्षता करते हुए सभा को मलिकों का संक्षिप्त विवरण देते हुए कहा की बिहार के मलिकों की स्थिति इस समय इतनी दैनिये है की लोग अपनी बेटियों की शादी अब दूसरे बिरादरी में करने पर मजबूर हैं।  हमें इस पर गहन विचार करना चाहिये इस सभा को बुलाने का हमारा इरादा यही है की लोग अपनी बिरादरी को पहचाने और एक दूसरे के सहयोगी बने। वहां उपस्थित समिति के सचिव मुहम्मद दाउद मालिक ने सभा को सम्बोधित करते हुए समिति के संचालन का ब्योरा देते हुए कहा की समय आगया है की हमें एक जुट हो कर एक दूसरे के सहयोग के लिए संकल्पबद्ध होना चाहिए। कार्यक्रम के संयोजक एवं मंच का संचालन कर रहे अज़िज़ अहमद ने कहा की हमारे कमिटी में सारे बिरादरी से अधिक बिखरवापन है इसे एक जुट की आवश्यकता है। कार्यक्रम के व्यवस्थापक एवं सभा संयोजक अधिवक्ता एजाज़ अहमद ने अपने सम्बोधन में बिरादरी की कमियों को दूर करने आपसी सहयोग से दूर करने पर बल दिया। सभा में उपस्थित डॉ. इक़बाल अहमद ने समिति को विकसित करने के लिए इक्यावन हज़ार की अनुदान राशि भेंट करते हुए कहा की हमारे समाज को और भी शिक्षित होने की आवश्यकता है जो हम सब को मिल कर करना होगा।  वहां उपस्थित समाज सेवक एवं पत्रकार एस. जेड. मालिक ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा की दिल्ली में रह रहे लगभग 6000 मलिकों का आंकड़ा देते हुए कहा की दिल्ली में कमिटी एवं मालिक समाज को मज़बूत तथा  जुट करने के लिए हमें अपने अंदर से घमण्ड को दूर कर अपनी नयी नस्लों को मलिक जाती के प्रति जागरूक करना होगा ताकि भविष्य में हमारी नई नस्लें आपस में एकता कायम रखते हुए एकजुट हो कर समाज को और भी सुदृढ़ तथा मज़बूत बनाने का काम करते रहें।  इसके लिए हमें नियमित रूप से संपर्क बनाये रखना होगा तभी हम समाज को नई राह दिखाने तथा मज़बूत बनाने बनाने में कामयाब हो सकेंगे अनाथा हम इतना बिखर जायेंगे की हमारी पहचान भी लुप्त हो जाएगी।  इस सभा में लगभग दिल्ली एनसीआर से लगभग 500 मलिक बिरादरी के लोग सभा में उपस्थित थे।                           

Monday, April 25, 2016

गरीबी नहीं अमीरी रेखा चाहिए।

देश और दुनिया की पूरी अर्थव्यवस्था संक्रमण (बदलाव)

रोशन लाल अग्रवाल  

देश और दुनिया की पूरी अर्थव्यवस्था बहुत अधिक तेजी के साथ संक्रमण (बदलाव) के दौर से गुजर रही है और उसी के साथ लोगों में बेचैनी असंतोष और टकराव भी बढ़ रहा है। इसका कारण यह है कि पुरानी अर्थ व्यवस्था का आधार मानवीय श्रम था जबकि वर्तमान बदलती हुई अर्थव्यवस्था का आधार केवल पूंजी अर्थात साधन और संपत्ति ही है। 
मानवीय श्रम की भूमिका इतनी अधिकखत्म हो गई है अब कोई भी व्यक्ति श्रम से होने वाली आय के बल पर अपना जीवन नहीं चला सकता लेकिन साधन और संपत्ति के बल पर होने वाली आय लगातार बढ़ती जा रही है। मुठी भर लोगों के पास संपत्ति के अतः सागर बन गए हैं और वर्तमान अर्थव्यवस्था में उनमें निरंतर वृद्धि ही होनी है और किसी भी कारन से और कभी भी उसमें कमी नहीं सकती। इसलिए अब हम यदि समाज को शांतिपूर्वक चलाना चाहते हैं तो एक व्यक्ति के संपत्ति संग्रह की मूलभूत अधिकतम सीमा का निर्धारण करना आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य है दूसरा कोई भी उपाय समाज को भारी विनाश से नहीं बचा पाएगा.

कोई भी ऐसी व्यवस्था जिस से उत्पन्न होने वाले हानि और लाभ होगा समाज में न्याय पूर्ण वितरण नहीं होता हो वह समाज में शांति सद्भाव सहयोग विश्वास प्रेम आत्मीयता और संतुष्टि एवं समृद्धि का निर्माण बिल्कुल नहीं कर सकती और ऐसी अर्थव्यवस्था समाज के लिए वरदान नहीं बल्कि अभिशाप ही सिद्ध होगी इसमें किसी भी प्रकार का संदेह नहीं है।  
सरकार द्वारा उठाए जा रहे अर्थव्यवस्था संबंधी बदलाव के सारे कदम समाज से बिल्कुल छिपाकर झूठ का मायाजाल फैलाकर अर्थात संपूर्ण समाज को धोखा देकर किए जा रहे है और सत्ता और संपत्ति का यह भयानक बदसूरत और खतरनाक खेल समाज में व्यवस्था के प्रति भीषण असंतोष पैदा करने के अतिरिक्त कुछ भी नहीं कर रहा है। 


इस खेल को केवल निजी संपत्ति की गोपनीयता को खत्म करके बाजार मूल्यों के आधार पर संपत्ति का वास्तविक मूल्य निर्धारण करके साधनों से होने वाली षुद्ध आय को देश के सारे नागरिकों में समानता के आधार पर वितरित आसानी से किया जा सकता है। 
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