बिहार प्रवासी मालिक मित्रमंडल संगोष्ठी।
एस.ज़ेड. मलिक (पत्रकार)
नई दिल्ली :- बिहार के मुस्लिम अल्पसंख्यकों में एक जाती मलिक की है दरअसल यह सैयद जाती में आते हैं लेकिन अपने आप को सैयद कहलवाने वाली जाती इन्हें सैयद नहीं मानते जिसके कारन बिहार के मुस्लिम समुदाय में सैयद और मलिक ज़ाती में हमेशा आपसी टकराव तथा द्वेष चलता रहता है। जबकि मलिक ज़ाती पहले बैत यानि बुज़ुर्गों को मानने वाले सुफिओं के भक्त चाहने वाले अनआयु को कहते हैं। लेकिन इस गुण के विपरीत इनकी कार्यशैली देखने को मिलती है यह जाटों की तरह ठाट बाट ज़मींदारी के तहत हुकूमत करने वाले विशेष लोगों में गिने जाते हैं। परन्तु आज इस्थिति विपरित है।
1947 में भारत के बंटवारे में सबसे अधिक मुसलामानों के जो उच्च जाती का शिक्षित तब्क़ा लगभग 75 % लोग पाकिस्तान और कुछ इंग्लॅण्ड और अमेरिका अस्थान्तरित हो गए। जो कुछ रह गए उनमें अधिकतर अशिक्षित परन्तु भूस्वामी बने ज़मींदार का रुतबा निभाते रहे। लेकिन जैसे जैसे समय बीतता रहा उनकी नस्लें ऐश और दबंगई में अपना धन बल दोनों ही बर्बाद करते रहे तथा गिरती इस्थिति के मद्देनजर रोज़गार के नाम पर ट्रक निकाल कर अपनी जीविका अर्जित करने लगे तो कुछ कोलकाता डक पर काम कर के अपने बच्चों का लालन पालन लगे जो बुद्धिजीवी थे वह अपना पेट काट काट अपनी नस्लों को शिक्षित कर भारत के विभिन्न महानगरों में कही सरकारी नौकरी में तो कहीं प्राइवेट नौकरी तथा कुछ अपने स्वंरोज़गार में व्यस्त हो कर अपनी अपनी नस्लों को शिक्षित बनाने के लिए प्रयासरत हैं। जो इस प्रयास में कामयाब हुए वह अब शिक्षित हो कर अपने अपने व्यवसाय खड़ा कर दूसरों को सहारा देने योग बन गए उन्ही से कुछ मलिक बिरादरी के लोगों ने अपने सामाज के उत्थान के लिए बीड़ा उठाया है। इसी सन्दर्भ में ओखला के पुरानी जसोला में मलिक बेया वेलफेयर ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया के तत्वाधान में " बिहार प्रवासी मालिक समाज संगोष्ठी " का आयोजन गया। इस अवसर पर दिल्ली तथा एनसीआर में रह रहे मलिक समाज के सभी लोगों को आमंत्रित किया गया। तथा दिल्ली बिहार प्रवासी मलिक समिति के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के संयोजक अब्दुल सत्तार ने सभा की अध्यक्षता करते हुए सभा को मलिकों का संक्षिप्त विवरण देते हुए कहा की बिहार के मलिकों की स्थिति इस समय इतनी दैनिये है की लोग अपनी बेटियों की शादी अब दूसरे बिरादरी में करने पर मजबूर हैं। हमें इस पर गहन विचार करना चाहिये इस सभा को बुलाने का हमारा इरादा यही है की लोग अपनी बिरादरी को पहचाने और एक दूसरे के सहयोगी बने। वहां उपस्थित समिति के सचिव मुहम्मद दाउद मालिक ने सभा को सम्बोधित करते हुए समिति के संचालन का ब्योरा देते हुए कहा की समय आगया है की हमें एक जुट हो कर एक दूसरे के सहयोग के लिए संकल्पबद्ध होना चाहिए। कार्यक्रम के संयोजक एवं मंच का संचालन कर रहे अज़िज़ अहमद ने कहा की हमारे कमिटी में सारे बिरादरी से अधिक बिखरवापन है इसे एक जुट की आवश्यकता है। कार्यक्रम के व्यवस्थापक एवं सभा संयोजक अधिवक्ता एजाज़ अहमद ने अपने सम्बोधन में बिरादरी की कमियों को दूर करने आपसी सहयोग से दूर करने पर बल दिया। सभा में उपस्थित डॉ. इक़बाल अहमद ने समिति को विकसित करने के लिए इक्यावन हज़ार की अनुदान राशि भेंट करते हुए कहा की हमारे समाज को और भी शिक्षित होने की आवश्यकता है जो हम सब को मिल कर करना होगा। वहां उपस्थित समाज सेवक एवं पत्रकार एस. जेड. मालिक ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा की दिल्ली में रह रहे लगभग 6000 मलिकों का आंकड़ा देते हुए कहा की दिल्ली में कमिटी एवं मालिक समाज को मज़बूत तथा जुट करने के लिए हमें अपने अंदर से घमण्ड को दूर कर अपनी नयी नस्लों को मलिक जाती के प्रति जागरूक करना होगा ताकि भविष्य में हमारी नई नस्लें आपस में एकता कायम रखते हुए एकजुट हो कर समाज को और भी सुदृढ़ तथा मज़बूत बनाने का काम करते रहें। इसके लिए हमें नियमित रूप से संपर्क बनाये रखना होगा तभी हम समाज को नई राह दिखाने तथा मज़बूत बनाने बनाने में कामयाब हो सकेंगे अनाथा हम इतना बिखर जायेंगे की हमारी पहचान भी लुप्त हो जाएगी। इस सभा में लगभग दिल्ली एनसीआर से लगभग 500 मलिक बिरादरी के लोग सभा में उपस्थित थे।
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