Wednesday, April 26, 2017

मलिंगार मौत के कागार पर। एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार)

मलिंगार मौत के कागार पर।  एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार)   

हरी भरी पहाड़ीओं के बीच दक्षिण हिमालय की कोख में बसा मसूरी से 6 किलोमीटर दूर मलिंगार पहाड़ी पर खूबसूरत शहर मलिंगार, लैण्डौर कैंट जहाँ बसे लग भाग 1000 लोगो का जीवन मौत के कागार पर है। उत्तराखंड सरकार का मसूरी प्रसाशन अचेत है। जब तक दो चार सौ लोग मौत के मुंह में नहीं चले जाते शायद तब तक सरकार और प्रसाशन की नींद नहीं खुलेगी।
जानकार सूत्रों द्वारा भारत में ब्रिटिश हुकूमत अपना क़ब्ज़ा जमा लेने के पश्चात मसूरी के पहाड़ियों में मुलिंगार हिल के ऊपर पहली स्थायी इमारत 1825 में लण्डौर इस्थित लैंडौर छावनी बनाई गई। यह इमारत मसूरी के "शोधकर्ता" कप्तान फ्रेडरिक यंग ने बनाया था, जो पहले गोरखा बटालियन के कमांडेंट थे।  प्रचलित गोरखा युद्ध के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने भारत में बढ़ती गर्मिओं के मद्देनज़र अपने परिवार व विशेष कर अपनी सेना के लिए के लिए "ब्रिटिश यंग्स" के नाम से "मल्लिंगार" में "एल" आकार का एक विशाल भवन तैयार किया। जिसके अंदर  "एल"  मोड़ के साथ एक बाहरी आंगन जिसे अहाता  भी कहते हैं। 
बहरहाल आज उस मुलिंगार में न तो सेना का शिविर है और ना कोई ब्रिटिश सरकार का कोई मेहमान - न मेहमानखाना न उसमे कोई ब्रिटिश सरकार का सेवादार, न भारत सरकार का कोई प्रतिनिधि ही रहता है। आज यदि वहाँ कोई रहता है तो वह है कुछ गढ़वाली समुदाय के लोग तथा गैरगढ़वाली, उक्त भवन पर पूर्णतः अवैध क़ब्ज़ा है। जो न तो  उक्त भवन का कोई मरम्मत कराने को सोंचता है न कोई किराया देता है न तो उत्तराखंड सरकार इन लोगों से किराया लेती है।  जिस में लगभग 100 कमरे हैं सभी पर अवैध क़ब्ज़े हैं  जिस अंदर ही अंदर लोगों ने अपने सुविधा अनुसार रूम बना कर अपने परिवार के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं। 
जानकार सूत्रों द्वारा 1947 में अंग्रेज़ों द्वारा उक्त भवन को भारत सरकार को सुपुर्द करने के बाद से अबतक उक्त भवन में किसी भी प्रकार की मरम्मति का काम नहीं हुआ है - आज उन भवनों में जगह जगह दरारें पड़  चुकी हैं जो आने वाले दुर्घटना का संकेत दे रही है।  मरम्मति के नाम पर कई ठीकेदारों और बिल्डरों ने सरकार से टेंडर ले ले कर कागज़ों में भवनों की मरम्मत तथा नवीकरण व विकास को आज तक दर्शाते रहे हैं लेकिन सच्चाई प्रत्यक्ष रूप से चिल्ला चिल्ला कर कह रही है की इन के साथ नइंसाफ़ी हो रही है और इसमें रहनेवाला कोई भी परिवार सुरक्षित नहीं है। 
ज्ञात हो की मलिंगार की वर्तमान आबादी लगभग 3700 सौ की है। जिसमें लगभग 1000 लोग उक्त भवन में अवैधरूप से रहते हैं। यदि उत्तराखंड साकार व देहरादून प्रसाशन अब भी नहीं चेती तो आने वाले  समय में यदि कोई दुर्घटना होती है तो उस की ज़िम्मेवार उत्तराखंड साकार व देहरादून प्रसाशन ही होगा। इसलिए की वहां आये दिन भूकंप, आंधी तूफ़ान आते ही रहते हैं जिस के कारण कही न कही जानी माली नुकसान होता रहता है। आज मलिंगार भी मौत के कागार पर खड़ा थरथरा रहा है।  
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यह वही भवन है जो मलिंगार के लण्डौर कैंट कहा जाता है जो सब से ऊंचाई पर है जो जार जार इस्थिति में है।  

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