Tuesday, October 6, 2020

नवादा में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये बिहार मलिक ग्रुप की ओर से  “मलिक समन्वय एवं मौजूदा दौर में शिक्षा का महत्व और इसकी जरुरत”* पर सेमीनार।

नवादा में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये बिहार मलिक ग्रुप की ओर से  “मलिक समन्वय एवं मौजूदा दौर में शिक्षा का महत्व और इसकी जरुरत”* पर सेमीनार।: नवादा में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये बिहार मलिक ग्रुप की ओर से  “मलिक समन्वय एवं मौजूदा दौर में शिक्षा का महत्व और इसकी जरुरत”* पर सेमीनार। एस. ज़ेड.मलिक(पत्रकार) पटना – इस अधुनिक दौर में शिक्षा का क्या महत्व है, यह बात हम सभी भली भांति जानते हैं इसी संदर्भ में तीन अक्टूबर को ” शिक्षा और […]

नवादा में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये बिहार मलिक ग्रुप की ओर से  “मलिक समन्वय एवं मौजूदा दौर में शिक्षा का महत्व और इसकी जरुरत”* पर सेमीनार।

नवादा में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये बिहार मलिक ग्रुप की ओर से  “मलिक समन्वय एवं मौजूदा दौर में शिक्षा का महत्व और इसकी जरुरत”* पर सेमीनार।: नवादा में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये बिहार मलिक ग्रुप की ओर से  “मलिक समन्वय एवं मौजूदा दौर में शिक्षा का महत्व और इसकी जरुरत”* पर सेमीनार। एस. ज़ेड.मलिक(पत्रकार) पटना – इस अधुनिक दौर में शिक्षा का क्या महत्व है, यह बात हम सभी भली भांति जानते हैं इसी संदर्भ में तीन अक्टूबर को ” शिक्षा और […]

नवादा में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये बिहार मलिक ग्रुप की ओर से  “मलिक समन्वय एवं मौजूदा दौर में शिक्षा का महत्व और इसकी जरुरत”* पर सेमीनार।

नवादा में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये बिहार मलिक ग्रुप की ओर से  “मलिक समन्वय एवं मौजूदा दौर में शिक्षा का महत्व और इसकी जरुरत”* पर सेमीनार।: नवादा में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये बिहार मलिक ग्रुप की ओर से  “मलिक समन्वय एवं मौजूदा दौर में शिक्षा का महत्व और इसकी जरुरत”* पर सेमीनार। एस. ज़ेड.मलिक(पत्रकार) पटना – इस अधुनिक दौर में शिक्षा का क्या महत्व है, यह बात हम सभी भली भांति जानते हैं इसी संदर्भ में तीन अक्टूबर को ” शिक्षा और […]

Sunday, October 4, 2020

 

नवादा में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये बिहार मलिक ग्रुप की ओर से  "मलिक समन्वय एवं मौजूदा दौर में शिक्षा का महत्व और इसकी जरुरत"* पर सेमीनार।  


एस. ज़ेड.मलिक(पत्रकार)

पटना - इस अधुनिक दौर में शिक्षा का क्या महत्व है, यह बात हम सभी भली भांति जानते हैं इसी संदर्भ में तीन अक्टूबर को " शिक्षा और उसका महत्व" के नाम पर नवादा शहर के रांची पटना हाइवे पर स्थित होटल रोज़ गार्डन में बिहार मलिक ग्रुप द्वारा एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमे क्षेत्र के वरिष्ठ शिक्षाविदों एवं स्थानीय शिक्षकों ने भाग ले कर अपने अनुभव एवं आधुनिकता के क्षेत्र में उन्नति के मार्ग दर्शन दिए। कार्यक्रम का आरम्भ मौलाना ज़ुबैर मलिक साहब के द्वारा क़ुरान ए पाक की तिलावत से किया गया ।

 जिसके बाद  "हिंदी संभावित पत्रकारिता" पर सामाजिक कार्यकर्त्ता खुर्रम मलिक ने अपनी बात रखते हुए यह कहा की वर्तमान में शिक्षा एक ढर्रे पर चल रही है जिसे हमें बदलना होगा। आज देखने में यह आ रहा है के हमारे बच्चे "बी टेक" करने को ही तरजीह देते हैं और फिर बाहर जा कर कमाते हैं। लेकिन किया इस के अलावा हमारे पास  क्या और कोई अन्य विकल्प नहीं है? क्या हम सिविल सेवा की तैयारी नहीं कर सकते? इस के आलावा वकालत भी बहुत अच्छा विकल्प है। इसके साथ ही विशेष कर आज के युवाओं के लिए पत्रकारिता भी एक बहुत अच्छा विकल्प हो सकता है।  तो क्या हम अपने नई नसलों को ऐसी सीख नही दे सकते जिससे हमारी नई नस्ले नई शिक्षा पद्धति के तहत नए विकल्प तलाशे और हम उनका सहयोग करें । हमे अपने बच्चों को भारत के मुख्य धारा से जुड़ कर चलने के लिये मार्ग प्रशस्त करना होगा।

वहीं उपस्थित *इंजीनियर राशिद लतीफ़* ने अपने वक्तव्य में कहा कि मैट्रिक और इंटर के बाद बच्चों को किस फ़ील्ड में जाना चाहिए इस की तरफ़ गार्जियन को ध्यान देने की ज़रूरत है। 

वहां उपस्थित इंजीनियर आमिर शहजाद ने कहा की मौजूदा दौर में हमें अपनी आंखें खुली रखनी होंगी। साथ ही यह भी कहा के बीटेक कर के भी कैरिर्यर बनाया जा सकता है। और हमें एक धारे में बंध कर नहीं रहना है। प्रोफ़ेसर मेराज अहमद ने सरकारी नौकरी पर ज़ोर देते हुए कहा के आज के दौर में हमें सरकारी नौकरी में अवसर तलाशने की आवश्यकता है। सरकारी विभागों में कई सारे पद हैं जिस में मुसलमान आते ही नहीं हैं। जिस के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होगी। 

अधिवक्ता फ़ैसल अज़ीज़ ने अपनी बात रखते हुए कहा के वकालत अभी के समय में बहुत ही बेहतर विकल्प है और इस में अपार संभानाएं हैं। उन्हों ने ज़ोर दे कर कहा के अगर किसी बच्चे को लॉ की तैयारी करनी है तो मुझ से संपर्क कर सकता है । मैं ख़ुद उस के लिए गाइड करूंगा। और उसे दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ की परीक्षा में उत्तीर्ण होने की हर संभव प्रयास करूंगा। 

इस के अलावा रांची मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे साइम आफ़तब ने कहा के अपने मन से डर को निकालना होगा और बच्चे और गार्जियन की साझा परयासों से हम हर वह कुछ हासिल कर सकते हैं जो हम करना चाहते हैं। 
साथ ही पटना से आए खुर्शीद अनवर साहब ने भी अपनी बात रखी। आख़िर में शाही मिलन के डायरेक्टर कलीम मलिक ने लोगों का आभार व्यक्त किया। समारोह में नवादा शहर के कई जाने माने लोग उपस्थित थे।
इस के साथ ही नवादा, गया,पटना, जहानाबाद, जमुई, ज़िले के अलग अलग गांव से भी लोग शामिल हुए। सभी ने इस कार्यक्रम काफी सराहना की और कहा के इस प्रकार का कार्यक्रम हर ज़िले में होना चाहिए। प्रोग्राम को कामयाब बनाने में अहम योगदान इंजीनियर राशिद लतीफ़, अधिवक्ता फ़ैसल अज़ीज़, हाफ़िज़ और पत्रकार खुर्रम मलिक। शाही मिलन के डायरेक्टर कलीम मलिक, इशू मलिक,  इंजीनियर रागिब मलिक, नौशाद ज़ुबैर मलिक। फ़ज़ल इमाम मलिक, समारोह की समाप्ति पर सभी वक्ताओं को प्रशंसा का प्रमाण पत्र (Certificate of Appreciate) दिया गया।

कांग्रेस नेता राहुल गाँधी के साथ भाजपा का रवैया इस समय दुर्भावनापूर्ण है-शिव भाटिया (वरिष्ठ कांग्रेस नेता)

 यूपी में भढ़ता आरक्जकता और जंगल राज का कारण क्या है - 48 घंटे के अंदर दुसरा काण्ड-ज़िम्मेदार कौन ? 

धारा 144 लागू होने की बात कहते हुए राहुल को यूपी पुलिस द्वारा कॉलर पकड़ कर आगे जाने से रोका गया-कांग्रेसियों पर दर्ज हुई इस एफआईआर, यूपी पुलिस-प्रशासन द्वारा अंतिम संस्कार किए जाने की पर राजनीतिक गरमाई।  यूपी में भढ़ता आरक्जकता और जंगल राज का कारण क्या है ज़िम्मेदार कौन ?  सरकार द्वारा जान बुझ कर बढ़ावा दिया जा रहा या योगी सरकार यूपी को संभालने में पूरी तरह से फेल्योर हो चुकी है ?

एस.  ज़ेड मलिक (पत्रकार)

नयी दिल्ली - पिछले दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस ने जिस प्रकार से एक मुजरिम जैसा सलूक किया वह अशोभनीय, निंदनीय एवं चिंतनीय योग है। उत्तर प्रदेश पुलिस का कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं सांसद राहुल गांधी कांग्रेस महा सचिव प्रियंका गांधी के साथ इस प्रकार का दुर्व्यवहार मैं समझता हूँ की यह दुर्भावनापूर्ण जैसे व्यक्तिगत बदले भावना से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जान-बूझ कर कराया गया था।ज्ञात हो की गौतमबुद्ध नगर के ग्रेटर नोएडा में ईकोटेक वन पुलिस स्टेशन में 153 काँग्रेसियों के नामजद किये गए, जबकि 50 के खिलाफ अज्ञात के नाम पर मामला दर्ज हुआ। 

उन्होंने ने कहा की 19 वर्षीय युवती के साथ दुष्कर्म के बाद बर्बरतापूर्ण हत्या ने दिल्ली का निर्भया काण्ड की याद ताज़ा करवादी, वही मृतक पीड़िता के परिवार के बिना मर्ज़ी पुलिस-प्रशासन द्वारा आनन्-फानन में अंतिम संस्कार किया जाना, उत्तर प्रदेश पुलिस ऐसी हरकत कई गंभीर प्रश्नों को जन्म देता है। यह पूरी तरह साजिश दिखाई दे रही है उत्तरप्रदेश सरकार मुजरिम को बचान चाहती है। 

राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस के कई नेता गुरुवार को हाथरस गैंगरेप पीड़िता के परिजनों से मिलने  लिए


हाथरस जा रहे थे। पुलिस ने सबको ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे पर ही जबरन यानी विशेष कर जिस प्रकार से राहुल गांधी को कॉलर पकड़ कर रोका गया वह किसी भी पार्टी के नेताओं के लिए भी अशोभनीय होगा।  विशेष कर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के साथ यह रवैया दुर्भावनापूर्ण है। स्पष्ट यह भाजपा द्वारा जान बुझ कर इस प्रकार का द्वेषित व दुर्भावनापूर्ण रवैया यूपी
 पुलिस को निर्देश जारी किये गए हों ? यह देश के लिए दुर्भाग्य है।   यदि भाजपा 1975 के आपातकाल का बदला आज स्वर्गीय इंद्रागांधी के परिवार राहुल गांधी, प्रियंका गांधी से लेना चाहती है तो यह देश के लिए इससे बड़ा और दुर्भाग्य नहीं हो सकता। 

हालांकि कांग्रेसियों पर दर्ज हुई इस एफआईआर की कॉपी को लेकर नोएडा पुलिस के साक्षरता पर सवाल उठ रहे हैं दरअसल, एफआईआर में कॉपी में राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष लिखा गया है, जबकि उन्हें पद छोड़े एक साल

से अधिक हो गया है। तो वहीं, प्रियंका गांधी की पत्नी का नाम रॉबर्ट वाड्रा लिखा गया है। गलती पता चलने के बाद पुलिस अब इसमें सुधार की बात कह रही है।
 राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस के कई नेता गुरुवार को हाथरस गैंगरेप पीड़िता के परिजनों से मिलने के लिए हाथरस जा रहे थे। पुलिस ने सबको ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे पर ही जबरन यानी विशेष कर जिस प्रकार से राहुल गांधी को कॉलर पकड़ कर रोका गया वह किसी भी  पार्टी के नेताओं के लिए भी अशोभनीय होगा विशेष कांग्रेस यह रवैया दुर्भावनापूर्ण है। स्पष्ट यह भाजपा द्वारा जान बुझ कर इस प्रकार का द्वेषित दुर्भावनापूर्ण रवैया यूपी सरकार का एक हिस्सा हो सकता है। यूपी सरकार  निंन्दा एवं भर्तसना की जाए वह कम ही है।

 दुसरी और अभी हाथरस में युवती के साथ हुई दरिंदगी का मामला से आग लगा ही हुआ है की 48 घंटे के अंदर अंदर अभी लगे  बलरामपुर में छात्रा के साथ गैंगरेप के बाद हत्या के विरोध में बेटी के लिए न्याय मांगने आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह की पत्नी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। महिला पुलिसकर्मी सड़क पर आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह की पत्नी अनीता सिंह के हाथ पकड़कर रोड पर खींचती नजर आईं वह हजरतगंज चौराहे पर सड़क पर लेट गईं तो पुलिसकर्मियों ने उन्हें घसीट कर बस में ले जाकर चढ़या । संजय सिंह की पत्नी अनीता सिंह हाथरस, बलरामपुर कांड को लेकर बेटियों को न्याय के लिए प्रदर्शन करने पहुंची थी। पुलिस ने उन्हें भी अपनी कस्टडी में एक मुजरिम की तरह घसीटे हुए  ।

समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने हजरतगंज में सरकार के खिलाफ जमकर आक्रोश व्यक्त किया। महात्मा गांधी की 151वीं जयंती पर शुक्रवार सुबह समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने महात्मा गांधी प्रतिमा स्थल पर मौन व्रत

रख सरकार व प्रशासन की लापरवाही को लेकर आक्रोश जताया। देखते ही देखते सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता एकजुट होकर प्रदर्शन व नारेबाजी करने लगे। प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर जोरदार प्रदर्शन कर सरकार विरोधी नारेबाजी की। हंगामे की सूचना मिलते ही मौके पर भारी मात्रा में पुलिस फ़ोर्स पहुंची और प्रदर्शनकारियों को हटाने लगी, लेकिन वह हटने को तैयार नहीं थे। इस पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया। असलहा लेकर पहुंचा सपा नेता का सुरक्षाकर्मी गिरफ्तार लाठीचार्ज से वहां भगदड़ मच गई और इसमें कई लोग चोटिल हो गए। पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर प्रदर्शनकार्यों को रोका था। पुलिस ने हथियार लेकर पहुंचे सपा नेता राम सिंह राणा के निजी सुरक्षाकर्मी को गिरफ्तार किया है। वह प्रदर्शन में असलहा लेकर पहुंचे थे। पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है। काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने सैकड़ों कार्यकताओं को हिरासत में लेकर बसों में भरकर इको गार्डन भेजा। प्रदर्शनकारियों ने सरकार विरोधी नारेबाजी करते हुए कहा कि बेटियों के सम्मान में बीजेपी मैदान में, सिर्फ चुनावी नारा साबित हुआ। प्रदेश में बेटियों को अपनी इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है। प्रदर्शन में सपा नेता रविदास मेहरोत्रा सहित तमाम अन्य नेता और पदाधिकारी पहुंचे थे इस दौरान शहर के मुख्य चौराहे की यातायात व्यवस्था चौपट हो गई। 

Friday, October 2, 2020

यूपी में भढ़ता आरक्जकता और जंगल राज का कारण क्या है ज़िम्मेदार कौन ?

 

 यूपी में भढ़ता आरक्जकता और जंगल राज का कारण क्या है - 48 घंटे के अंदर दुसरा काण्ड-ज़िम्मेदार कौन ? 


धारा 144 लागू होने की बात कहते हुए राहुल को यूपी पुलिस द्वारा कॉलर पकड़ कर आगे जाने से रोका गया-कांग्रेसियों पर दर्ज हुई इस एफआईआर, यूपी पुलिस-प्रशासन द्वारा अंतिम संस्कार किए जाने की पर राजनीतिक गरमाई।  यूपी में भढ़ता आरक्जकता और जंगल राज का कारण क्या है ज़िम्मेदार कौन ?  सरकार द्वारा जान बुझ कर बढ़ावा दिया जा रहा या योगी सरकार यूपी को संभालने में पूरी तरह से फेल्योर हो चुकी है ?


एस.  ज़ेड मलिक (पत्रकार)

नोएडा - गौतमबुद्ध नगर के ग्रेटर नोएडा में ईकोटेक वन पुलिस स्टेशन में 153 काँग्रेसियों के नामजद किये गए, जबकि 50 के खिलाफ अज्ञात के नाम पर मामला दर्ज हुआ।  हालांकि, कांग्रेसियों पर दर्ज हुई इस एफआईआर की कॉपी को लेकर नोएडा पुलिस के किर्याक्लापों तथा यूपी पुलिस के साक्षारता पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल एफआईआर में 'प्रियंका गांधी को रॉबर्ट वाड्रा का पति' लिख दिया गया था, राहुल समेत 203 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था।    

ज्ञात हो की 19 वर्षीय युवती के साथ दुष्कर्म के बाद बर्बरतापूर्ण हत्या ने दिल्ली का निर्भया काण्ड की याद ताज़ा करवादी, वही मृतक पीड़िता के परिवार के बिना मर्ज़ी पुलिस-प्रशासन द्वारा आनन्-फानन में अंतिम संस्कार किया जाना, उत्तर प्रदेश पुलिस ऐसी हरकत कई गंभीर प्रश्नों को जन्म देता है फिर ऐसे में सियासत गरमाना लाज़मी है। 
दरअसल कांग्रेस सांसद एवं नेता राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी लगभग 500 अपने कार्यकर्ताओं के साथ मृतक पीड़िता के परिवार से मुलने  हथरस जाने के लिए नोएडा के रास्ते निकले थे। परन्तु दुर्भाग्यवष उत्तरप्रदेश पुलिस को इसकी भनक लग गई और बीच में ही नोएडा थाना के पुलिस कर्मियों ने राहुल और प्रिंका को जबरन रोक लिया और लगभग 203 लोगों के हाथरस जाने को लेकर भीड़ इकट्ठी करने के मामले में ये एफआईआर दर्ज की गई । इस एफआईआर में गलतियों की भरमार है, कॉमा-बिंदी और मात्रा की बात छोड़िये, हद तो यह है कि एफआईआर में प्रियंका गांधी की पत्नी का नाम रॉबर्ट वाड्रा लिखा गया है। इससे बड़ा उत्तर प्रदेश पुलिस के साक्ष्तकार होने प्रमाण क्या मिल सकता है। 

ज्ञात हो की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में 29 सितंबर, मंगलवार को हाथरस की पीड़िता लड़की की मृत्यु के पश्चात रात में ही यूपी पुलिस ने दिल्ली के अस्पताल से ले जा कर आनन्-फानन में जबरन रात में ही लड़की का दाह संस्कार कर दिया। इस पूरे मामले में पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगे हैं। आरोप है कि पहले आठ दिन तक पुलिस ने मामले में रिपोर्ट दर्ज करने और रेप की धाराओं को उसमें जोड़ने में आनाकानी की। इसके बाद जब पीड़िता की मौत को गई तो इसी परिवार से मिलने कांग्रेस नेता जा रहे थे।गौतमबुद्ध नगर के ग्रेटर नोएडा में ईकोटेक वन पुलिस स्टेशन में 153 नामजद, जबकि 50 के खिलाफ अज्ञात में मामला दर्ज हुआ है। गौतमबुद्ध नगर पुलिस की ओर से ही ये मामला दर्ज किया गया है। 

हालांकि, कांग्रेसियों पर दर्ज हुई इस एफआईआर की कॉपी को लेकर नोएडा पुलिस के सामान्य ज्ञान पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, एफआईआर में कॉपी में राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष लिखा गया है, जबकि उन्हें पद छोड़े एक साल से अधिक हो गया है। तो वहीं, प्रियंका गांधी की पत्नी का नाम रॉबर्ट वाड्रा लिखा गया है। गलती पता चलने के बाद पुलिस अब इसमें सुधार की बात कह रही है। एसीपी रणविजय सिंह ने कहा कि वो टाइपिंग एरर था, उसे अब सुधार लिया गया है। बता दें, पुलिस की ओर से दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि राहुल गांधी, अधीर रंजन चौधरी और प्रियंका गांधी करीब 200 कार्यकर्ताओं के साथ हाथरस जाने के लिए डीएनडी के रास्ते नोएडा में प्रवेश किए। काफिले में शामिल सभी लोगों को धारा 144 लागू होने की बात कहते हुए आगे जाने से रोका गया, लेकिन इन्होंने नियमों को तोड़ते हुए आगे जाने की कोशिश की।इन लोगों ने धारा 144 और महामारी एक्ट का उल्लंघन किया। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस के कई नेता गुरुवार को हाथरस गैंगरेप पीड़िता के परिजनों से मिलने के लिए हाथरस जा रहे थे। पुलिस ने सबको ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे पर ही जबरन यानी विशेष कर जिस प्रकार से राहुल गांधी को  कॉलर पकड़ कर रोका गया वह किसी भी  पार्टी के नेताओं के लिए भी अशोभनीय होगा विशेष कांग्रेस यह रवैया दुर्भावनापूर्ण है। स्पष्ट यह भाजपा द्वारा  जान बुझ कर इस प्रकार का द्वेषित दुर्भावनापूर्ण रवैया यूपी सरकार का एक हिस्सा हो सकता है। यूपी सरकार   निंन्दा एवं भर्तसना की जाए वह कम ही है।
हाथरस केस राहुल गाँधी  समेत 203 कांग्रेस नेताओं पर एफआईआर वनइंडिया हिंदी पुलिस की ओर से दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि राहुल गांधी,अधीर रंजन चौधरी और प्रियंका गांधी करीब 200 कार्यकर्ताओं के साथ हाथरस जाने के लिए डीएनडी के रास्ते नोएडा में प्रवेश किए। काफिले में शामिल सभी लोगों को धारा 144 लागू होने की बात कहते हुए आगे जाने से रोका गया लेकिन इन्होंने नियमों को तोड़ते हुए आगे जाने की कोशिश की। इन लोगों ने धारा 144 और महामारी एक्ट का उल्लंघन किया। जबकि यूपी में आये दिन कहीं कही  स्थानों पर भाजपा की बैठक जारी  रहता है उसके बावजूद राम मंदिर के हवन के दौरान तथा लॉकडाउन के दरमियान   राम लल्ला के अनेको कार्यकर्म होते रहे तन न तो कोरोना का डर लगा और न धारा 144 ही लगा लेकिन पीड़िता से कोई अन्य विपक्षी पार्टी मिलने  नहीं जा सकती है यह भाजपा की हठधर्मी कहें या योगी सरकार का वर्चस्व ?  
 हाथरस का पूरा मामला हाथरस के चंदपा क्षेत्र में दलित लड़की 14 सितंबर को अपनी मां के साथ पशुओं का चारा लेने खेतों पर गई थी।  खेत में कुछ युवकों ने उसके साथ कथित तौर पर लड़की के साथ दुष्कर्म किया और विरोध करने पर लड़की के साथ बुरी तरह से मारपीट कर उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गयी और दरिंदगी की हद पार करते हुए उसकी जीभ तक काट दी गई। वहीं प्रदर्शन करने पहुंची आप सांसद संजय सिंह की पत्नी को यूपी पुलिस गिरफ्तार कर सड़क से घसीटते हुए थाने ले गई। 

दुसरी और अभी हाथरस में युवती के साथ हुई दरिंदगी का मामला से आग लगा ही हुआ है की 48 घंटे के अंदर अंदर अभी लगे  बलरामपुर में छात्रा के साथ गैंगरेप के बाद हत्या के विरोध में बेटी के लिए न्याय मांगने आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह की पत्नी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। महिला पुलिसकर्मी सड़क पर आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह की पत्नी अनीता सिंह के हाथ पकड़कर रोड पर खींचती नजर आईं। वह हजरतगंज चौराहे पर सड़क पर लेट गईं तो पुलिसकर्मियों ने उड़े खींचकर बस में ले जाकर हिरासत में लिया। उनसे पूछताछ की जा रही है। संजय सिंह की पत्नी अनीता सिंह हाथरस, बलरामपुर कांड को लेकर बेटियों को न्याय के लिए प्रदर्शन करने पहुंची थी। पुलिस ने उन्हें अपनी कस्टडी में रखा है।


समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने हजरतगंज में सरकार के खिलाफ जमकर आक्रोश व्यक्त किया। महात्मा गांधी की 151वीं जयंती पर शुक्रवार सुबह समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने महात्मा गांधी प्रतिमा स्थल पर मौन व्रत रख सरकार व प्रशासन की लापरवाही को लेकर आक्रोश जताया। देखते ही देखते सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता एकजुट होकर प्रदर्शन व नारेबाजी करने लगे। प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर जोरदार प्रदर्शन कर सरकार विरोधी नारेबाजी की। हंगामे की सूचना मिलते ही मौके पर भारी मात्रा में पुलिस फ़ोर्स पहुंची और प्रदर्शनकारियों को हटाने लगी, लेकिन वह हटने को तैयार नहीं थे। इस पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया। असलहा लेकर पहुंचा सपा नेता का सुरक्षाकर्मी गिरफ्तार
लाठीचार्ज से वहां भगदड़ मच गई और इसमें कई लोग चोटिल हो गए। पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर प्रदर्शनकार्यों को रोका था। पुलिस ने हथियार लेकर पहुंचे सपा नेता राम सिंह राणा के निजी सुरक्षाकर्मी को गिरफ्तार किया है। वह प्रदर्शन में असलहा लेकर पहुंचे थे। पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है। काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने सैकड़ों कार्यकताओं को हिरासत में लेकर बसों में भरकर इको गार्डन भेजा। प्रदर्शनकारियों ने सरकार विरोधी नारेबाजी करते हुए कहा कि बेटियों के सम्मान में बीजेपी मैदान में, सिर्फ चुनावी नारा साबित हुआ। प्रदेश में बेटियों को अपनी इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है। प्रदर्शन में सपा नेता रविदास मेहरोत्रा सहित तमाम अन्य नेता और पदाधिकारी पहुंचे थे इस दौरान शहर के मुख्य चौराहे की यातायात व्यवस्था चौपट हो गई। 

भारत का संविधान राजनितिक खिलौना या भारतीय नागरिकों का मौलिक अधिकारिक प्रावधान ?

 

भारत का संविधान राजनितिक खिलौना या भारतीय नागरिकों का मौलिक अधिकारिक प्रावधान ?

मोदी सरकार-वर्ष 1975 में देश में घोषित आपाताकाल वाले 10 मौलिक कर्तव्यों को दोबारा वापस लाने की कवायद में जुट गई 

एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार ) 


नई दिल्ली - जनवरी 1949 भारतीय संविधान देश ने लागू होने बाद 1962 में पंडित जवाहर लाल नेहरू जी के निधन के बाद जो भी सरकारें आईं जनता के हित के नाम पर तो कभी देश के हित में तो कभी सरकार के हित में संविधान में कोइ न कोई किसी न किसी प्रकार से बदलाव करते रहे हैं।   
अब 2014 से सत्तारूढ़ केंद्र की मोदी सरकार ने तो न जाने 2014 से 2020 तक न जाने कितनी बार संविधान में संशोधन कर नित्य नये नये क़ानून बना कर नये नये प्रावधान लागू करती जा रही है और न जाने 2024 तक और कितने नये प्रावधान लाएगी, यह तो समय गुज़रते हुए दिखाई दे रहा है और देखेंगे। अब संविधान दिवस पर एक नई स्क्रिप्ट लिखी गयी जो जल्द ही संविधान में वर्णित उन 10 मौलिक कर्तव्यों को दोबारा वापस लाने की कवायद में जुट गई है, जिन्हें वर्ष 1975 में देश में घोषित आपाताकाल के दौरान भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान में संसोधन करके शामिल किया था।
दरअसल, केंद्र सरकार संविधान में वर्णित अनुच्छेद 51-A यानी मौलिक कर्तव्यों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है, जिसके लिए मोदी सरकार ने प्रत्येक मंत्रालय के सभी मंत्रियों को इस बारे में निर्देश दिए हैं, और सभी मंत्रालयों को 10 मौलिक कर्तव्यों का पालन कराने की जि्म्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें यह भी निर्देश है की जनता में उनके मौलिक अधिकारों के साथ-साथ उन्हें उनके मौलिक कर्तव्यों के बारे में भी जागरूक करें।ज्ञात हो की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी को दौरान वर्ष 1976 में भारतीय संविधान में 42वां संशोधन करके 11 मौलिक कर्तव्यों को शामिल किया गया था। संविधान में वर्णित 11 मौलिक कर्तव्यों को स्वर्ण सिंह समिति की सिफ़ारिशों पर 1975 में देश में थोपे गए आपातकालीन के दौरान संविंधान में शामिल किया था, जिसका उद्देश्य नागिरकों को उनके मौलिक अधिकारों बताना था।हालांकि मोदी सरकार के इस कदम का विरोध भी हो सकता है, क्योंकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में शासित बीजेपी कांग्रेस द्वारा देश में थोपे गए आपातकाल को काला अध्याय बताती आई है और अब जब मोदी सरकार आपातकाल के दौरान लागू मौलिक कर्तव्यों को दोबारा वापस लाने की कवायद में जुटी है तो प्रतिक्रिया तो होगी ही।
भारत के नागरिकों के लिए मौलिक कर्तव्यों को वर्णन भारतीय संविधान में अनुच्छेद 51A के भाग 4(A) में मिलता हैं, जिसे रूस के संविधान भारत संविधान में लिया गया है। मोदी सरकार ने मौलिक कर्तव्यों को अमलीजामा पहनाने के लिए नवंबर माह के शुरूआत में ही मंत्रिपरिषद् की एक बैठक के दौरान नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों की वापसी पर चर्चा शुरू कर दी थी।
अगर संविधान वर्णित मौलिक कर्तव्यों की वापसी होती है, तो संविधान के भाग IV (A)में शामिल मौलिक कर्तव्यों में संविधान का पालने करने और उसके आर्दशों व संस्थानों का सम्मान करना जरूरी हो जाएगा। इनमें राष्ट्रीय ध्वज तिंरगे का सम्मान, राष्ट्रीय गान जन-गण-मन का सम्मान और स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित विचारों को सम्मान का प्रावधान शामिल है। इसी अनुच्छेद 51-A में भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखने, सद्भाव व भाईचारा और वैज्ञानिक मानसिकता को बढ़ावा देना शामिल है। वहीं, 6-14 साल के बच्चों को शिक्षा मुहैया कराना शामिल है। चूंकि बच्चों के लिए शिक्षा मुहैया कराने वाले मौलिक कर्तव्य वाजपेयी सरकार में शामिल कर लिया है, इसलिए अभी केवल 10 मौलिक कर्तव्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाएगी।
उल्लेखनीय है अनुच्छेद 51 A में कुल 11 मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख मिलता है। इनमें से सिर्फ एक बच्चों के लिए शिक्षा के अवसरों को मुहैया कराने का प्रावधान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी की सरकार के दौरान वर्ष 2002 में 86वें संशोधन के जरिए शामिल किया गया था। रूस के संविधान से प्रेरित और भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक कर्तव्यों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए सरकार 26 नवंबर को आयोजित संविधान दिवस की 70वीं वर्षगांठ पर प्रचार-प्रसार करेगी। इसके लिए सचिव और न्याय विभाग द्वारा एक सर्कुलर भी जारी कर दिया गया है।
चूंकि वाजपेयी सरकार ने वर्ष 2002 में संविधान के 86वें संशोधन के जरिए मौलिक कर्तव्यों में शामिल बच्चों को शिक्षा का अवसर मुहैया कराने का प्रावधान शामिल कर लिया था इसलिए संविधान के 42वें संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा भाग IV-A में शिक्षा को छोड़कर सभी 10 मौलिक कर्तव्यों को शामिल किया गया था। ध्यान रहे कि इसी संशोधन के तहत संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों में शामिल किया गया था।
वैसे, अनुच्छेद 21 यानी नागरिकों के मौलिक अधिकारों की तुलना में 51-A यानी मौलिक कर्तव्य वैधानिक नहीं है। यानी इसको मामने के लिए कानून बाध्य नहीं कर सकता है है और न हीं कानून द्वारा जबरन इसे लागू ही कराया जा सकता है। बताया जा रहा है कि 10 मौलिक कर्तव्यों को मोदी सरकार अलग-अलग मंत्रालयों के जिम्मे सौंपने की योजना बना रही है, जिससे नागरिकों को उनके कर्तव्यों को बारे में सरलता से जागरूक किया जा सके। सूचना के मुताबिक मोदी सरकार ने स्वतंत्रता आंदोलन से प्रेरित करने वाले महान आदर्शों, जिनमें स्वतंत्रता, समानता, अहिंसा, भाईचारा और वैश्विक शांति शामिल है, की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय को सौंपा है। गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी होगी कि उपरोक्त कर्तव्यों के प्रति लोगों को जागरूक करे और नागरिकों को उनके कर्तव्यों के पालन कराएं। सूचना और प्रसारण मंत्रालय को देश में जाति, धर्म, लिंग और भाषाई भिन्नता के बीच एकता बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
वहीं, गृह और रक्षा मंत्रालय को देश की रक्षा और राष्ट्रीय सेवा प्रदान कराने की जिम्मेदारी दी गई है। महिला व बाल विकास मंत्रालय के जिम्मे धार्मिक, भाषाई और क्षेत्रीय से इतर आपसी सद्भाव और भावना को बरकरार रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
जबकि साइंस और टेक्नोलॉजी मंत्रायल को लोगों में वैज्ञानिक सद्भाव बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है। सरकार का मकसद है कि मौलिक कर्तव्यों के प्रति जागरूक नागरिकों को उनके मौलिक कर्तव्यों से भी जागरूक किया जाए। मोदी सरकार की यह कवायद देश निर्माण की दिशा में एक नया सोपान होगी, लेकिन विपक्षी दल इसका जरूर विरोध करेंगे।
1-राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा और राष्ट्रीय गान जन-गण-मन का आदर भारत के सभी नागरिक संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज तिंरंगा और राष्ट्रगान जन-गण-मन का आदर करें। गौरतलब है पिछले कुछ वर्षो में राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय तिरंगे के अपमान की कई घटनाएं सतह पर आई हैं।
भारतीय राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए और उनका पालन करें।
3-भारत की एकता-अखंडता की रक्षा और अक्षुण्णता भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे। पिछले कुछ दिनों में देश में तेजी से बढ़ी अलगाववाद की आवाज ने खासकर नौजवान गुमराह हुए हैं। इनमें जेएनयू प्रकरण अधिक हाइलाइट्स हैं। वैसे पंजाब में खालिस्तान और जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद आंदोलन प्रमुख है।
4. देश की रक्षा करें अक्सर यह देखने को मिलता है कि देश के नागिरक देश विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए जाते हैं। संविंधान में वर्णित मौलिक कर्तव्यों में शामिल देश रक्षा सभी का मूल कर्तव्य है।
5. देश में समरसता और समान भ्रातृत्व भावना का निर्माण भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेद भाव से परे हों, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हों
6-सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे भारत के सभी नागरिक सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका निर्माण करे।
7. प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और उसका संवर्धन करे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51-A यानी मौलिक कर्तव्य में सातवें नंबर है प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और उसका संवर्धन। सभी नागरिकों से उम्मीद की जाती है कि वो प्राकृतिक पर्यावरण की रक्ष करें और उसके अनुचित दोहन से बचें
8-वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ज्ञानार्जन की भावना का विकास भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51-A यानी मौलिक कर्तव्य में आठवां स्थान वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ज्ञानार्जन की भावना का विकास करने पर जोर दिया गया है।
9. सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे! अक्सर देखा जाता है कि नागिरक सरकार संपत्ति को अपनी संपत्ति समझकर अपने घर लेकर चले जाते हैं अथवा सार्वजनिक संपत्ति को अपनी संपत्ति न मानते हुए उसके साथ छेड़छाड़ करते पाए जाते हैं।
10. व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों में उत्कर्ष का प्रयास अक्सर यह देखा जाता है कि लोगों द्वारा व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों में अलग-अलग व्यवहार किया जाता है जबकि जरूरी है कि वो व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों गतिविधियों में सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करे।

Sunday, September 27, 2020

सऊदी अरब के जद्दा में एक बार फिर से भारतीय वाणिज्य दूतावास के प्रांगण से भ्रष्टाचार की महक?

 सऊदी अरब के जद्दा के भारतीय स्कूलों में भारतीय वाणिज्य दूतावास के निगरानी में अत्यंत महँगे 'तालीमि प्रॉजेक्ट ' सॉफ्टवेयर' जबरन थोपा गया    

अत्यंत महँगे 'तालीमि प्रॉजेक्ट ' ( एक प्रकार का सॉफ्टवेयर  ) स्कूलों पर थोपने का विरोध करने पर , इंटरनेशनल इंडियन स्कूल- जेद्दा के चेयरमैन  एवं सदस्यों प्रबंधकीय समिति से निकाला गया ! 


एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार) 

नयी दिल्ली - सऊदी अरब जैसे निष्पक्ष और पवित्र देश में भ्र्ष्टाचार का मामला उजागर होता है तो बड़ा ताज्जुब सा लगता है , सऊदी अरब के जद्दा में  एक बार फिर से भारतीय वाणिज्य दूतावास के प्रांगण में स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार  की गंध आ रही है , मामला है अत्यंत महंगे "तालीम सॉफ्वेयर '' का है, जो बिना टेंडर पास हुए भारतीय दूतावास के द्वारा सऊदी में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय स्कूलों में जबरन थोपने पर वर्तमान चेयरमैन और समीती के सदस्यों द्वारा विरोध करने पर उन्हें समय से पहले पदमुक्त करने का मामला प्रकाश में आया।  तमाम स्थितिओं की समीक्षा करने पर स्पष्ट हो जाता है की सऊदी अरब में भरतीय दूतावास की आंतरिक व्यवस्था में अधिकारिओं का अपना वर्चस्व हैं।  एक समाचार पोर्टल एवं अन्य स्त्रोतों से जो मामले सामने आये वह इस प्रकार है।  
  
ज्ञात हो की सऊदी अरब में भारत सरकार ने वहाँ बसे भारतीय प्रवासियों के शिक्षा सुविधा लिए 10 भारतीय अंतर्राष्ट्रीय स्कूल चला रही है ताकि भारतीय परवासिओं के बच्चे भारतीय संस्कार संस्कृति शिक्षा से वंचित न रह जाएँ इसके लिए भारतीय दूतावास के अधीन प्रवासियों के लिए अन्य शिक्षा संस्थान खुलवा कर भारतीय राजदूत को उसका संरक्षक बना कर राजदूत को उसकी ज़िम्मेवारी सौंप रखी है। परन्तु स्वार्थी मानसिकता वाले लोगों को जब ऐसे संस्थानों की ज़िम्मेवारी दे दी जाएगी तो स्पष्ट है भ्र्ष्टाचार तो होगा ही।
 
ऐसे ही मामला सऊदी के इंटरनेशनल इंडियन स्कूल में एक भ्र्ष्टाचार से जुड़ा मामला प्रकाश में आ रहा है - जानकार सूत्रों द्वारा इंटरनेशनल इंडियन स्कूल जेद्दा के प्रबंधन समिति के चेयरमैन श्री गाज़नफर आलम ने सऊदी अरब में भारतीय दूतावास के अधीन, राजदूत, संरक्षक श्री ओसाफ सईद से प्रार्थना किया है की स्कूल के चेयरमैन एवं इसके प्रबंधन समिति के सदस्यों को ना निकाला जाए और ऐसी स्थिति में जब कि पूरा समुदाय कारोना से पीड़ित एवं इसके आर्थिक मार से त्रस्त है इतने महँगे "तालीमि प्रॉजेक्ट ” को लागू नहीं किया जाए I 

चेयरमैन ने अपने पत्र में लिखा है की उन्हें अज्ञात / विश्‍वस्त सूत्रों से पता चला है कि एमओइ वर्तमान स्कूल प्रबंधन समिति के चेयरमैन एवं तीन सदस्यों को इनकी सदस्यता की मुद्दत समाप्त होने से पहले ही निकाला जा रहा है एवं इसके लिए जल्द ही विज्ञप्ति जारी कर दी जाएगी I उन्होने ने गवर्निंग रूल्स  के आर्टिकल 16 एवं 17 का संदर्भ देते हुए कहा है कि एमओआई इस तरह के कदम तभी उठा सकती है जब औपचारिक रूप से गठित जांच समिति की रिपोर्ट कारणों और औचित्य के साथ प्राप्त होती है जैसा की इस मामले में कहीं नही हुआ, अर्थात ना ही कोई समिति बनाई गई और ना ही कोई कोई रिपोर्ट प्रस्तुत की गई I

उन्हों ने माननीय भारतीय राजदूत को ये भी लिखा कि किसी भी वयक्ति या व्यक्तियों को प्रस्तुत नियम के विरुध जाकर कैसे हटाया या रखा जा सकता है I वह भी एक ऐसे कार्यालय की ओर से जो के किसी दूसरे देश में हमारे देश का प्रतिनिधित्व करता है I साथ ही उन्हों ने ये भी लिखा कि स्कूल प्रबंधन समिति से हमलोगों को हटाने की कोशिश तब और तेज़ कर दी गई जब हमलोगों ने अत्यंत महँगे "तालीमि प्रॉजेक्ट ”  ( एक प्रकार का सॉफ्टवेयर  ) स्कूलों पर थोपने का  का विरोध करने के साथ साथ नए बहाल किए गए एडमिन ऑफिसर की संदिग्ध भूमिका की निष्पक्ष  जांच की सिफारिश किया I जिसके कारण केवल अदालती  करवाई में ही 12  मिलियन सऊदी रियाल  खर्च हो गए I उन्होने ये भी लिखा की कोरोना महामारी के समय अभिभावक पर और बोझ डालना सही नही होगा इसलिए की बहुतों की या तो जॉब चली गई है या तनख़ाहें कम कर दी गई हैं।  ऐसी हालत मैं जब वो टियूशण आदि फीस भी देने के लाएक़ नही रह गये हैं तो प्रत्यक स्कूल पर सात लाख रियाल का बोझ डालना सही होगा I 
ऐसा माना जा रहा है की ईओआई रियाद के तहत चलने वेल 10 स्कूलों में बेहद महंगा, अव्यवहारिक "तालीमि प्रॉजेक्ट ”( एक प्रकार का सॉफ्टवेयर  ) को शुरू किया जा रहा है जिस पर हर साल लग भाग 12 मिलियन रियाल (लग भाग 23 करोड़ भारतीय रुपया )  खर्च होंगे I
भारतिया दूतावास रियाद के अधीन चलने वाले इंडियन इंटरनॅशनल स्कूल जेद्‍दाह की प्रबंधन समिति के चेयरमैन एवं तीन सदस्य को उनके कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही हटाए जाने की सिफारिश करदी है I माना जा रहा है की मुख्य संरक्षक डॉ0 औसाफ़ सईद ने अपने अब्ज़र्वर माननीय हामना मरयम ख़ान के द्वारा शिक्षा मंत्रालय को बताया गया की इन चार सदस्यों पर अब भरोसा नही रहा इस लिए इन को निकाल दिया जाएI

जबकि पूर्व अध्यक्ष श्री ग़ज़नफ़र आलम ने भारतीय दूतावास के द्वारा भारतीय मंत्रालय को अपने सहिंत चार सदस्यों को समीती से भारत सरकार द्वारा विदेशी शिक्षा नीति व प्रावधान का हवाला देते हुये जबरन हटाए जाने का कारण  बताते हुये उन्होने ये दावा किया की दूतावास के व्यवस्था द्वारा अत्यंत महंगा, सॉफ्टवेयर स्कूलों पर जबरन थोपना जो कि इस समय अभिभावकों के लिए अव्यवहारिक और अतिरिक्त खर्चों का जबरन बोझ देना है। इसलिए इस महंगे "तालीमि प्रॉजेक्ट ” सॉफ्टवेयर, का विरोध  स्कूल और अभिभावकों के हक़ में है। उन्होने कहा की  मैंने लग भाग 23 करोड़ की लागत वाले तालीमि प्रॉजेक्ट के खिलाफ और गैर-क़ानूनी तौर पर चयनित अधिकारिओं के खिलाफ आवाज़ उठाया। पूर्व अध्यक्ष श्री गजनफर ने एक चौकाने वाली जानकारी देते हुये प्रेस को बताया की "तालीम ऑनलाइन प्रॉजेक्ट" की कंपनी भारतीय राजदूत जनाब औसाफ़ सईद साहब हैदराबाद के उनके निजी लोगों की कंपनी है जिसे पूर्णतः लाभ पहुंचाने चाहते हैं।  उन्होने कहा की हम चारों सदस्यों को इसलिए हटाया जा रहा है ताकि आसानी से इस प्रॉजेक्ट को लागू किया जासके तथा एडमिन अफ़सर के मामला पर भी परदा डाला जा सके।  श्री गज़नफ़र ने सऊदी शिक्षा मंत्रालय को इस मामले में हस्तक्षेप करने का निवेदन किया था जिसका हिंदी अनुवाद प्रस्तुत है 

 : 28/09/2020

शिक्षा / समानांतर शिक्षा महानिदेशक को
जेद्दा में शिक्षा मंत्रालय

विषय - जेद्दा में ग्लोबल इंडियन स्कूल: अध्यक्ष और स्कूल प्रबंधन समिति के तीन सदस्यों की सदस्यता समाप्त करने के कारणों को जानने के लिए अनुरोध पत्र। 

 श्रीमान,

14 सितंबर 2020 को, स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा स्कूल प्रबंधन समिति के कुछ सदस्यों पर निराधार आरोप कि वे स्कूल के लिए सराहनीय काम नहीं कर रहे हैं इसलिए स्कूल के प्रबंधन समिति में रहने का कोई औचित्य नहीं है और इस बे बुनियाद निराधार आरोप के आधार पर समिति को बिना सूचित किये समिति के चार सदस्यों को सदस्य्ता मुद्दत पूरा होने से पहले बल पूर्वक निकालना यह कहाँ का न्याय है।  इसका  अरब के भारतीय दूतावास को देना चाहिये।  
 
स्कूल के अनुसार परिपत्र सं।
IISJ / PR / 2020-21 / 34

 इसके अतिरिक्त, उपरोक्त बे बुनियाद और निराधार आरोपों के आधार पर, स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा  पुराने सदस्यों के स्थान पर नये चार  सदस्यों की नई समिति का चयन प्रक्रियाओं की भी घोषणा कर दी गई। 
इसलिए, मैं विनम्रतापूर्वक आपको इस मामले में निष्पक्ष जांच के माध्यम से हस्तक्षेप करने के लिए कहता हूं क्योंकि जब माता-पिता भारतीय दूतावास या वाणिज्य दूतावास और जेद्दा में स्कूल से नियमों के बारे में जानने का अनुरोध करते हैं, तो वे हमेशा जवाब देते हैं कि स्कूल अधिनियाँ 1418 / को जारी किए गए विदेशी स्कूलों के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा नियंत्रित है। 2/24 एएच और मंत्रालय द्वारा शिक्षा निदेशालय को नियंत्रित करने वाले नियमों के आधार पर विदेशों में प्रवासियों के हित में दूतावास को स्वतंत्र पूर्वक सभी निर्णय लेने का पूर्ण अधिकार है।

इसलिए, मैंने पाया कि स्कूल ने शिक्षा मंत्रालय के निम्नलिखित नियमों का पालन नहीं किया, जब समिति के चार सदस्यों की सदस्यता को उनके कार्यकाल के बीच में बिना कोई कारण बताए समाप्त कर दिया, और अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में शिक्षा के नियमों का पालन नहीं किया गया ताकि सदस्यता समाप्त की जा सके।
अनुच्छेद 16 के बिंदु संख्या 1 में कहा गया है कि शिक्षा मंत्रालय स्कूल प्रिंसिपल से समाप्ति की सूचना प्राप्त करने से पहले आवश्यक जांच करेगा।
• अनुच्छेद 16 के बिंदु संख्या 3 में कहा गया है कि एक समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें दूतावास द्वारा नियुक्त एक सदस्य शिक्षा मंत्रालय के दो अन्य सदस्यों के अतिरिक्त होगा। समिति की रिपोर्ट को शैक्षिक मामलों के लिए अंडरटेकरी द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से शिक्षा मंत्रालय को नियंत्रित करने वाले नियमों में उल्लिखित प्रक्रियाओं में से किसी का भी पालन नहीं किया गया है।

मुझे तुम्हारे उत्तर की प्रतीक्षा है 
धन्यवाद और आभार

मुहम्मद ग़ज़नफ़र आलम.


आपको बतादें की भारतीय राजदूत सऊदी अरब में भारतीय अंतरराष्ट्रीय स्कूलों का संरक्षक और कांसुलर पर्यवेक्षक होता है।   

ज्ञात हो की इस मामले से पहले भी रियाद में आईटी कंपनी में कार्यरत डोमिन साइमन जो आरटीआई एक्टिविस्ट भी है , उन्होंने लोकडाउन के दरमियान भारतीय प्रवासियों के लिए सऊदी में बसे कार्यरत इम्प्लाइज को सुरक्षित  उनके घर भारत वापसी के लिए भारत सरकार से मांग किया और भारत सरकार ने उन प्रवासियों को सुरक्षित  उनके भारत वापसी के लिए " वंदे भारत मिशन "  तहत व्यवस्था की, बाद में पता चाला की दूतावास द्वारा प्रवासियों से अतिरिक्त पैसा वसूला जा रहा है। इस बाबत में साइमन ने भारत सरकार के विदेश मंत्रालय से आरटीआई द्वारा पूछ लिया की दूतावास डरा प्रवासियों से अतिरिक्त पैसा क्यों वसूला जा रहा है ? इस पर साइमन द्वारा विदेश मंत्रालय द्वारा आरटीआई का जो जवाब मिला वह चौकाने वाला था। साइमन की गलती इतनी थी की उसने सऊदी क़ानून का पालन नहीं किया, और वह भावुकता की राव में बह कर सोशल मीडिया के द्वारा भारतीय प्रवासियों को हवाईअड्डे पर इकट्ठा होने की जानकारी दे दी जिसके कारण सोशल डिस्टेंसिंग के प्रावधान में व्यवधान पड़ गया और सऊदी पुलिस ने साइमन को गिरफ्तार कर जेल में दाल दिया।  लेकिन यह हमारे दूतावास की लापरवाही कहें या जानबूझ कर दूतावास ने साइमन की गिरफ्तारी की असलियत को छुपाये रखा , उनके परिवार को सूचित करना मुनासिब नहीं समझा - हालांकि साइमन को अब रिहा किया जा चुका है। अब  सवाल यह है की इस प्रकार के ब्रश्ताचार उजागर हो रहे हैं और भारत सरकार मौन धारण किये हुए है।  आखिर इस भर्ष्टाचार जैसे संगीन अपराध पर संज्ञान कौन लेगा? क्या भ्र्ष्टाचार उजागर करने वाला अपराधी है जो सजा उसी को मिलती है ? 

In the Indian Embassy in Saudi Arabia, only those who expose corruption get punished?

In the Indian Embassy in Saudi Arabia, only those who expose corruption get punished?

The chairman and members were fired for opposing the very expensive 'training project' - the case of the training software. Scam or fanatic?

S. Z. Mallick(freelancer Journalist) 

New Delhi - The courtyard of the Indian consulate in Jaddah, Saudi Arabia is once again experiencing corruption, a case of a highly expensive "training software", which was forcibly imposed by the Indian embassy in the Indian international schools in Saudi Arabia without passing a tender. But the current

chairman and members of Samiti's opposition came to light when he was released prematurely. After reviewing all the situations, it becomes clear that in the Saudi system of the Indian Embassy, ​​the officials are bent on doing what they want - a news According to the portal and the current suspended chairman Mr. Ghaznafar Alam - Attempts are being made to damage control on Taleem Project Scam and serious violations by consul (Commerce & PIC) Mrs. Hamna Khan.

Jeddah: After the voices raised by the parents, the involvement of Indian media and cognizance taken by MEA India on the most talked Taleem Project scam involving around approx IRS 23 crores per year, and the appointment of Mr. Haneefa the tented translator responsible for the loss of approx IRS 23 crores, Mrs Hamna Khan is now trying to do the damage control.

Mrs. Hamna Mariam Khan goes to the extent of breaching all the rules setting the worst examples for the staff. She directly instructed the principal on 19th May 2020, who doesn’t report to her, to remove the administrative officer, Mr, Mohammad Akram from Utter Pradesh, without consulting the Management Committee and its chairman, and the Admin Officer was removed from his post unlawfully without following any due procedure. On 10th June the principal issued an office order without the approval of the chairman whom he reports. The office order was utterly unlawful in which the principal wrote that in compliance to the instructions received from the consul (com & PIC) and the school observer vide her email dated May 19, 2020, Mr. Mohammad Akram is moved to the teaching position 6-9 block and V V K Haneefa is deputed as  Admin Officer. 

In no way she is legally empowered to take any disciplinary action against any school staff but her malafied intention promotes her to do all such unlawful activities getting background support from the Ambassador. Mr. Haneefa who hails from Mrs. Khan’s own state is the one who played an important role to mislead the judicial court in Jeddah by verifying a misguiding translation of the agreements of the new building which resulted in losing the case in the court imposing the financial burden of 12 million Saudi riyals on the school which is almost 23 crores Indian rupees. The unlawful appointment of Mr. Haneefa on a sensitive post by Mrs. Khan at the time when the schools had filed an appeal in the court to re-open the same litigation as well as the Boy section litigation for 32 million Saudi Riyals, increases the doubts of corruption and corrupt practices.

The former chairperson Mr. Alam has registered the detailed complaints to competent authorities in India. In his complaint, he has listed some of the serious violations from Mrs. Khan which indicates her mala fide intentions and desperation to overrule the laws by dictating the principal to implement all her malicious agenda under the guidance of the patron of the school Dr. Ausaf Sayeed. Mr. Alam writes that the administrative duty of a Consul at CGI should be towards monitoring the rights of Indian Nationals and permanent residents of India residing in the kingdom, providing advice and guidance for distressed Indian citizens and permanent residents traveling abroad to that area, and assisting them in their contacts with local authorities. 

In place of promoting social and cultural relations between India and KSA and strengthening India's image in Saudi Arabia, but Mrs. Khan has been investing all her energy to implicate and conspire against the Indian EXPATS in the Jeddah region and to misuse her authority. Recently she tried to trap an ex-chairman of IIS Jeddah who had raised some pressing issues of the school affairs in the public interest. Mrs. Khan instructed the principal through her official email id cul.jeddah@mea.gov.in  on Sun, May 17, 2020, at 12:33 PM to issue a Show Cause Notice to the above-stated ex-chairman. This was another violation and  Mrs. Khan’s mala fide intention to damage an Indian citizen on a foreign land socially, personally, and professionally. He emphasized further that Mrs Khan often forces the School principal and Management Chairman to sign the letter, which she herself drafts with so many biased and unlawful remarks. Recently in June 2020 she forced the School Management Committee Chairman to sign a letter drafted by her for the school Bus Transporter and when some factual changes made in the letter by the chairman, she was prompted to serve an explanation to the Chairman, Management committee which is a mere violation of the charter of the Ministry of Education KSA.

The Embassy of India in Riyadh along with the Consul, Mrs Hamna and the members of the so-called Higher Board introduced a very costly and much over-priced online academic platform called Project Taaleem. Every school and Management that rejected this project as it was neither financially viable nor required during this pandemic was targeted, defamed, and terminated. The online Project Taaleem for ten community schools under the patronage of Shri Ausaf Sayeed is between 10 to 12 million riyals per year, which are around 23 crores Indian rupees.

Mrs. Khan after the parent's unrest, media coverage, and MEA’s interference has taken some steps to control the damage for the face-saving. For example, the Patron has announced that it is now less likely to implement the Taleem project in IIS Jeddah which is a big relief for the poor parents. The post of the administrative Officer has bee now advertised on September 20, 2020, and an office order issued yesterday on September 22, 2020, to move Mr. Akram who was the victim of Mrs. Khan’s vested agenda, to the senior block in Boys Section. This time the official order has been issued upon the Management Committees approval as per the rules.

The Prime Minister's office and the MEA etc have been approached formally and have been requested to look into this corrupt affair of Mrs. Hamna Mariam Khan under the supervision of Dr. Ausaf Sayeed and the Embassy of India who promotes deep-rooted corruption and has asked he PMO to help the Indian community to save parents money by putting a stay on Taaleem project in all ten schools and setting an inquiry by CVC or CBI on Multi-Million Project Taleem which was obtained secretly without publishing any Tender Notice on Official site or in any newspaper. The announcement of the Ambassador states that the project is implemented with his approval but without adopting any procedure. An inquiry has also been requested to investigate the corrupt practices and misuse of authority by Mrs. Hamna Khan.

It is to be known that earlier, during the Vandown, under the Vande India Mission, there was an aerial operation to transport the Indian migrants trapped in Saudi Arabia, which is still going on, but at that time the Indian diaspora Dominion Simon resident in Riyadh, Saudi Was employed in an IT company. When he asked for information about the Vande India Mission by applying RTI to the Indian Foreign Ministry and after receiving a reply from the ministry, Simon corrected the Indian migrants living in Saudi through his social media. Informed. The Indian embassy probably felt bad and another was arrested by the Saudi police saying that it is a crime under Saudi law to mobilize airports via social media, so he is in Saudi jail till now.
Now the question is that on the day of the arrival of the Indian Embassy in Saudi Arabia, the case of corruption is exposed and the punishment is given which exposes the corruption. After all, who will do justice?

Tuesday, September 22, 2020

दिल्ली सरकार अपनी शिक्षा नीति सुनिश्चित करे ।

 दिल्ली सरकार अपनी शिक्षा नीति सुनिश्चित करे ।

क्या अब गरीब पीछड़ी जाती और अल्पसंख्यको के लिये दिल्ली में शिक्षा लेना दूभर हो जाएगा ?

एस. ज़ेड.मलिक(पत्रकार)

नई दिल्ली - सीबीएसई की सरकारी स्कूलों पर अचानक तीनगुना फीस का हथौड़ा, दिल्ली सरकार की यह शिक्षा नीति है? सरकारी स्कूलों में विशेष कर इस महामारी और बेरोज़गारी में ₹-1800 फीस क्यूँ ? गरीब कहां से देगा ? एक तो 6 महीने से लोकडॉन, उसपर से लोकडॉन में काम समाप्त, रोजगार समाप्त, लोग आत्महत्या करने पर माजबूर । उसपर से शिक्षा पर लगी उम्मीदों पर पानी फेरने वाली बात, एक कहावत याद आ गयी " की न बच्चा आग कहे न सोना होय" यदि नौ महीने की भी फीस सरकार लेती तो ₹-360 होता है,और यदि सीबीएसई एक्ज़ाम का जोड़ दें तो बहुत अधिक वसूल करें तो ₹ 600, उसमे और जोड़ दे, तो भी ₹ 900 होता है । 

जबकि पिछले साल दिल्ली सरकार ने एक्ज़ाम फीस माफ़ कर दिया था तो क्या पिछले वर्ष का जोड़ कर इस वर्ष वसूल कर रही। जबकि कोरोना महामारी से सम्पूर्ण विश्व अस्त-व्यस्त हो गया , भारत जैसे देश मे बेरोज़गारी इस महामारी में 67 % बढ़ कर अपनी चरम सीमा लांघ चुकी है। लोग आत्महत्या करने पर माजबूर हो रहें, जिस व्यक्ति व्यक्ति के पास खाने के लिए रोटी के पैसे कमाना इस समय कठिन हो रहा है उसके बच्चों को ऑनलाइन क्लास लेने के लिए सरकार ने फरमान जारी कर एक अलग खर्चे का बोझ लाद दिया जो की पूरा करने असमर्थ है।  वह अपने बच्चों को क्लास करवाने के लिए अब एक अलग से मोबाईल खरीद कर  दे तो वह बच्चा क्लास कर पायेगा अन्यथा अपने क्लास ज्वाइन करने से वंचित रह जाएगा। 

ऐसे में किसी भी सरकार को अपनी जनता को राहत देनी चाहिये न कि इन गरीबों से अवसर का लाभ उठाना चाहिये। क्या अब गरीबो, पीछड़ी , अल्पसंख्यकों का सरकार शिक्षा का अधिकार समाप्त कर देगी ? दिल्ली सरकार ने क्या इस साल से गरीब पीछड़ी, अल्पसंख्यकों के शिक्षा को समाप्त करने का पहल कर दिया है ? क्या दिल्ली सरकार ने केंद्र की नई शिक्षा नीति दिल्ली के सरकारी स्कूलों में लागू कर दिया है ? दिल्ली सरकार को स्पष्ट करना होगा। चूंकि स्कूलों से बच्चों को उनके अभिभावकों के वाट्सएप्प पर यह सूचना भेजा गया है जो नीचे दर्शाया जा रहा है। दिल्ली की जनता फैसला कर करे और सरकार से पूछे तथा दिल्ली सरकार अपनी शिक्षा नीति सुनिश्चित करे।

*आवश्यक सूचना*

*सभी बच्चे बुधवार को अपने पेरेंट्स को स्कूल भेज दें...*

*मेंटल मैथ्स की किताब अाई हैं...* *वो लेने के लिए...*
*और**सभी बच्चों को अगले सोमवार तक*
*10 *वीं क्लास* *की cbse की फीस जमा करवानी है**
*SC बच्चों को 1500 रुपए**

*और बाकी सभी बच्चों को 1800 रुपए देने है..*

Wednesday, September 16, 2020

यूएस, की मल्टीनेशनल कंपनी पेप्सिको को भारत मे हैदराबाद न्यायालय द्वारा झटका ;

 यूएस, की मल्टीनेशनल कंपनी पेप्सिको को भारत मे हैदराबाद न्यायालय द्वारा झटका - पेप्सिको का दावा खारिज किया ।

एस. ज़ेड. मलिक(पत्रकार)


नई दिल्ली - यूएस की मल्टीनेशनल कंपनी पेप्सिको ने  "माउंटेनड्यू" पैकेज पेजल, बनाने वाली एक भारतीय कम्पनी पर 2005 में दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर यह दावा किया था की "माउण्टेन ड्यु" साइट्रिक सोडा ट्रेड मार्क पेप्सी का है, जो की भारत की एक कंपनी उस टेर्ड मार्क का गलत इस्तेमाल अपने प्रोडक्ट को मार्केट में पेय जल के नाम पर बेच रही है जो की गलत है अतः उस भारतीय कंपनी बंद किया जाए। दिल्ली उच्च न्यायलय ने इस पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली में निरक्षण कराया तो पता चला की इस ट्रेड मार्क के नाम पर यहां कोई प्रोडक्ट नहीं है , चूँकि "माउण्टेन ड्यू" पॅकेज पेयजल दिल्ली से रजिस्ट्रशन नहीं था वह प्रोडक्ट हैदराबाद से रजिस्ट्रेशन था इस लिए दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस केस को हैदराबाद उच्च न्यायलय को स्थानांतरित कर दिया। 
बुधवार को नयी दिल्ली के प्रेस क्लब में भारतीय कंपनी "माउंटेनड्यू" पैकेज पेजल प्रोडक्ट के मालिक श्री सैयद ग़ाज़ीउद्दीन ने एक पत्रकार सम्मेलन कर उक्त जानकारी देते हुए पत्रकारों को बताया की -  "माउंटेनड्यू" पैकेज पेजल, कंपनी 2000 में हैदराबाद में लांच किया था जबकि उस समय पेप्सी कंपनी का "माउंटेनड्यू" साइट्रिक सोडा नाम का कोई प्रोडक्ट जन्म ही नहीं हुआ था। आगे उन्होंने विस्तृत जानकारी देते हुए कहा की पेप्सी कंपनी ने  "माउंटेनड्यू" साइट्रिक सोडा प्रोडक्ट 2003 में यूएसए में लांच किया गया। वह भी साइट्रिक सोडा प्रोडक्ट के रूप में था। जबकि हमारी कम्पनी ने  "माउंटेनड्यू" पैकेज पेजल , नाम से, यानी पैक किया हुआ पीने का पानी , का कार्य दक्षिण भारत के हैदराबाद से पंजीकृत करा कर 2000 में आरम्भ किया था। और दोनों प्रोडक्ट एक दूसरे से भिन्न हैं , उसके अतिरिक्त  "माउंटेनड्यू" पैकेज पेजल का पहला रजिस्ट्रशन 2000 भारत सरकार द्वारा भारतीय मानक से मान्यता प्राप्त पीने का स्वक्ष जल यह भारतीय प्रोडक्ट है - और पेप्सी वालों का एक सोडा पेयपदार्थ है जो पाचन पदार्थ है। भारत में सबसे पहला रजिस्ट्रशन होने के नाते  "माउंटेनड्यू" इस नाम पर किसी और का अधिकार नहीं होना चाहिए। बल्कि "माउंटेनड्यू" इस नाम के प्रोडक्ट को पेप्सी कम्पनी वालों को स्वयं ही बंद कर देना चाहिए। बहरहाल हैदराबाद उच्च न्यायलय ने 15 वर्षों तक इस केस पर गहराई से मंथन करने के बाद अंततः हैदराबाद उच्च न्यायालय ने विशेष रूप से ट्रांसबॉर्डर प्रतिष्ठा के उलंघन के आधार पर पेप्सिको के दावे को खरिज करते हए, "माउंटेनड्यू" पैकेज पेजल को निमित रूप से भारतीय बाज़ार में बेचने की इजाज़त दे दिया।               

Tuesday, September 15, 2020

 *इंजीनियर डे की हार्दिक शुभकामनाएं l*

लेखक मोहम्मद रशीद लतीफ़ 


 ईश्वर ने हम सबको इंसान को बनाया है और हम वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों में वैज्ञानिकों द्वारा विकसित सिद्धांतों का उपयोग कर प्रकृति शासीत कानूनों का फायदा उठाते हुए मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए हम मनुष्यों की सुविधा के अनुसार इस सन्सार को बनाना है। इसी लिए हम सब का कर्तव्य है कि एक राष्ट्र निर्माता के रूप में अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते हुए अपनी सृजनात्मक सोच और कडी मेहनत से राष्ट्र के निर्माण में देश व समाज को तकनीक के क्षेत्र में एक नई दिशा देकर इनोवेटिव तरीकों से आम जनता के जीवन को बेहतर बनाने एवं नया भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए l 

 हम सभी के प्रेरणा के स्रोत देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित, प्रसिद्ध इंजीनियर एम. विश्वेश्वरैया ने देश के भावी इंजीनियरों को संदेश देते हुए कहा था कि मानवता की भलाई तथा देश के वातावरण को ध्यान में रखते हुए देशनिर्माण में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें। 
इसलिय मेरा मानना है की असल में इंजीनियर वह नहीं है जो इंजीनियरस सिर्फ मशीनों के साथ काम करे, बल्कि वह है जो किसी भी क्षेत्र में अपने मौलिक विचारों और तकनीक से मानवता की भलाई के लिए काम करे।
 करीब 100 साल पहले जब साधन और तकनीक इतने विकसित नहीं थे, विश्वेश्वरैया ने आम आदमी की समस्याएं सुलझाने के लिए इंजीनियरिंग में कई तरह के *इनोवेशन* किए।  

लेखक मोहम्मद रशीद लतीफ़ के अपने स्वतंत्र विचार हैं 
  📞 7033076138

राजद के रीढ़ समाजवादी नेता को काको में भावभीनी श्रद्धानजली।

राजद के रीढ़ समाजवादी नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व, श्री रघुवंश बाबू को काको में भावभीनी श्रद्धानजली। 


एस.ज़ेड. मलिक (स्वतंत्र पत्रकार)   

जहानाबाद - राजद के रीढ़ दिवंगत समाजवादी नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री रघुवंश प्रसाद सिंह जिनका पिछले एम्स में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई , आज उन्हें काको में जहानाबाद जिला के जद (यु ) के समाजवादी नेता श्री अरशद इमाम ने दो मिंट का मौन धारण कर भावभीनी श्रद्धानजली अर्पित की। 

इस अवसर पर श्री इमाम दिवंगत समाजवादी नेता श्री रघुवंश प्रसाद को याद करते हुए कहा की वह उदारवादी सर्वधर्म सम्मत पर विश्वास कर वह सर्वो  समाज को जोड़ कर चलने वाले नेता थे। 
समाजवादीयों में उनका व्यक्तित्व निश्चल एवं स्वक्ष क्षवी का था। उन्होंने कभी अपने बारे में या अपने परिवार के उन्नति के बारे नहीं सोंचा अपने जीते जी वह अपने पुश्तैनी खपरैल मकान में ही अपना जीवन व्यतीत किया। उन्होंने कभी किसी गलत की कभी पैरवी नहीं की और ना उन्होंने कभी अपनो तरजीह दी।
वह हमेशा सर्वगंगिक विकास के पक्षधर रहे। उनके जाने से बिहार को एक समाजवादी उदारवादी नेता की हमेशा कमी महसूस होती रहेगी। वैसे सामाजिक समरसतापूर्ण नेता की कभी हम भरपाई नहीं कर सकते।  
इस अवसर पर समाजवादी जद (यु ) के सक्रिय कार्यकर्ता सतेंद्र यादव , विनय यादव , कौशलेन्द्र सिंह, वीरेंद्र कुशवाहा , दानिश इमाम , फहद इमाम , शकील खान , सरफ़राज़ आलम ने भी शोक सम्पत वक्तव्य दिए।   

 

बीते 5 साल में माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी समेत 38 लोग देश छोड़कर भागे, वित्तमंत्री सीतारमण ने संसद में दी जानकारी। 


नईदिल्ली - मानसून सत्र के पहले दिन के पहले सम्बोधन में वित्त मंत्रालय ने विजय माल्या,

नीरव मोदी और मेहुल चौकसी सहित 38 लोग जो 1 जनवरी 2015 से 31 जनवरी 2019 के बीच देश छोड़कर भागे हैं संसद को उनकी जानकारी देते हुए कहा कि इन सभी के खिलाफ वित्तीय अनियमितता के मामले में सीबीआई जांच कर रही है। जिसका परिणाम जल्द ही देश के सामने आएगा। 

ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने शुक्रवार को भारत से लाइव वीडियो लिंक के जरिए भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के मामले में हीरा कारोबारी की ओर से गवाही दी थी, जिसको भारत सरकार की ओर से अभियोजन पक्ष ने चुनौती दी है। काटजू ने कहा था कि नीरव मोदी को भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिलेगा।

5 दिन की सुनवाई के अंतिम दिन जस्टिस सैमुअल गूजी ने काटजू की विस्तृत गवाही सुनने के बाद मामले की सुनवाई 3 नवंबर तक स्थगित कर दी, तीन नवंबर को वह भारतीय अधिकारियों द्वारा पेश सबूतों की स्वीकार्यता से संबंधित तथ्यों पर सुनवाई किया जाएगा। 


Monday, September 14, 2020

चीन के मुद्दे पर संसद की रक्षा मामलों की समिति की बैठक।

 चीन के मुद्दे पर संसद की रक्षा मामलों की समिति की बैठक।  

राहुल गांधी ने रक्षा मामलों की समिति की बैठक में उठाये सवाल -जवानों और अधिकारियों के खाने में अंतर क्यों?


एस. ज़ेड. मलिक (स्वतंत्र पत्रकार)  

नई दिल्ली - पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारत-चीन के बीच लंबे समय से चल रहे गतिरोध के बीच शुक्रवार को प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) बिपिन रावत संसद की रक्षा मामलों की समिति के समक्ष पेश हुए। इस बैठक में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में सांसद राहुल गांधी भी शामिल हुए।  इस बैठक का आधिकारिक एजेंडा 'सैन्य बलों, विशेषकर सीमा क्षेत्रों में, राशन के सामान और वर्दी का प्रावधान और इसकी गुणवत्ता की निगरानी' के तौर पर सूचीबद्ध किया गया था। 
समिति की बैठक में राहुल गांधी ने सवाल किया कि सीमाओं पर तैनात जवानों और अधिकारियों के बीच आहार में अंतर क्यों है? दिलचस्प बात यह है कि यह एक ऐसा मुद्दा ऐसा है, जिसे पहले भी कई जवानों द्वारा उठाया जा चुका है। भारतीय सेना के जवान तेज बहादुर यादव ने भी यह मुद्दा पहले उठाया था, हालांकि बाद में उन्हें  अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना भी करना पड़ा। 

राहुल ने यह सवाल क्यों उठाया, इसका कारण यह भी था कि वह सीमा पर जवानों के लिए पिचिंग कर रहे थे, जिन्हें लगता है कि वे सरकार की अपारदर्शी चीन नीति के लिए कीमत चुका रहे हैं. हालांकि, सरकार ने यह कहकर इस आलोचना को खारिज कर दिया है कि जवानों और अधिकारियों के भोजन की आदतों में अंतर है क्योंकि ग्रामीण पृष्ठभूमि से पूर्व आम तौर पर जय-जयकार करते हैं। 

इस बैठक के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट किया, चीन के साथ होने वाली एकमात्र बात मार्च 2020 तक स्टेटस क्वो एंट की बहाली के बारे में है. पीएम और भारत सरकार ने चीन को हमारी जमीन से बाहर निकालने की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है. इससे पहले राहुल गांधी ने शुक्रवार सुबह अपने ट्वीट में लिखा, "चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया।  भारत सरकार इसे वापस हासिल करने की योजना बना रही है? या फिर इसे भी एक "दैवीय घटना बताकर छोड़ा जा रहा है।" 

वही उपस्थित पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ऑन डिफेन्स अर्थात संसदीय सुरक्षा स्टैंडिंग समिति की बैठक में राहुल गांधी ने सवाल किया कि सीमाओं पर तैनात जवानों और अधिकारियों के बीच आहार में अंतर क्यों है? दिलचस्प बात यह है कि यह एक ऐसा मुद्दा ऐसा है, जिसे पहले भी कई जवानों द्वारा उठाया जा चुका है। लेकिन इस मुद्दे हमेशा नज़रअंदाज़ कर दिया गया कभी इस मुद्दे पर इन वर्षों में किसी ने कोई संज्ञान नहीं लिया पहमे भी भी जहां आर्मी में खान पान में भेद भाव का मुद्दा आम है वहीं सेना जाती भेद भाव का विडिओ अक्सरहां सोशल मीडिया पर देखने को मिलता रहा है। लेकिन उन सेनाओं का दुर्भाग्य कहें या हमारे देश  विडम्बना जो सेना के बीच  भाव किया जाता है। जबकि सेना में ऐसा जाती द्वेष , दुराग्रह कतई नहीं होना चाहिये परन्तु हमारे देश का दुर्भाग्य है की अब सेना भी जाती द्वेष भेद भाव से अछूता नहीं है। 

लॉकडाउन के कारण से औद्योगिक उत्पादन में 10.4 फीसदी का घटा।

 

 लॉकडाउन के कारण से औद्योगिक उत्पादन में 10.4 फीसदी का घटा।

एस. ज़ेड. मलिक (स्वतंत्र पत्रकार)  
 
 नयी दिल्ली - इंडेक्स ऑफ़ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के हवाले से लॉकडाउन की वजह से जुलाई में औद्योगिक उत्पादन में  10.4 फीसदी की गिरावट आंकी गयी ।
आईआईपी के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में 11.1 फीसदी की गिरावट देखने को ।  इसी तरह खनन क्षेत्र का उत्पादन 13 प्रतिशत तथा बिजली क्षेत्र का उत्पादन 2.5 फीसदी घटा हुआ। 
शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई की विनिर्माण, खनन और बिजली क्षेत्र के खराब प्रदर्शन की वजह से जुलाई माह में औद्योगिक उत्पादन आईआईपी में 10.4 फीसदी की गिरावट आई है।  आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में 11.1 फीसदी की गिरावट रही।  इसी तरह खनन क्षेत्र का उत्पादन 13 फीसदी तथा बिजली क्षेत्र का उत्पादन 2.5 फीसदी घटा हुआ। 
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों तथा देशभर में लॉकडाउन की कारण से कई औद्योगिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान मार्च अंत से परिचालन नहीं कर पाये हैं।’’ बयान में कहा गया है कि इससे लॉकडाउन के दौरान इन प्रतिष्ठानों का उत्पादन प्रभावित हुआ।  बाद में अंकुशों को हटाए जाने के बाद औद्योगिक गतिविधियां शुरू हो रही हैं।  जुलाई 2020 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) 118.1 अंक रहा।  जबकि इससे पहले अप्रैल, मई और जून 2020 में यह क्रमश: 54, 89.5 और 108.9 अंक रहा था। 
इन्वेस्टमेंट एक्टिविटी के इंडिकेटर कैपिटल गुड्स आउटपुट में जुलाई महीने के दौरान 28.8 फीसदी की गिरावट आई है।  इसके पहले जून महीने में यह 36.8 फीसदी पर था. कंज्यूमर ड्यूरेबल्स आउटपुट के आंकड़ों में भी गिरावट देखने को मिली।  जुलाई महीने में यह 23.6 फीसदी पर लुढ़का है।

Sunday, September 13, 2020

कोविड-19 एक गलोबल घोटाला है।

 कोविड-19 एक गलोबल घोटाला है। 

लोग असल में "ऐमप्लीफाईड गलोबल 5G इलैक्ट्रोमैगनेटिक रेडिएशन ज़हर" के कारण मर रहे हैं ?

September 8, 2020 • लेखक - विजय भाटी (स्वतंत्र पत्रकार )

दिल्ली : इटली के स्वस्थ्य मंत्रालय के वेब साईट के हवाले से - इटली विश्व का पहिला देश बन गया है जिसनें एक कोविड-19 से मृत शरीर पर अटोप्सी  (postmortem) का आयोजन किया है, और एक व्यापक जाँच करने के बाद उन्हें पता चला है कि एक वाईरस के रूप में कोविड-19 मौजूद नहीं है, बल्कि यह सब एक गलोबल घोटाला है। लोग असल में "ऐमप्लीफाईड गलोबल 5G इलैक्ट्रोमैगनेटिक रेडिएशन ज़हर" के कारण मर रहे हैं।

 इटली के डॉक्टरस ने विश्व सेहत संगठन (WHO) के कानून की अवज्ञा की है, जो कि करोना वाईरस से मरने वाले लोगों के मृत शरीर पर आटोप्सी (postmortem) करने की आज्ञा नहीं देता ताकि किसी तरह की विज्ञानिक खोज व पड़ताल के बाद ये पता ना लगाया जा सके कि यह एक वाईरस नहीं है, बल्कि एक बैक्टीरिया है जो मौत का कारण बनता है, जिस की वजह से नसों में ख़ून की गाँठें बन जाती हैं यानि इस बैक्टीरिया के कारण ख़ून नसों व नाड़ियों में जम जाता है और मरीज़ की मौत का कारण बन जाता है। 

***** इटली ने दिखावे के लिए covid-19 को हराया है, जो कि "फैलीआ-इंट्रावासकूलर कोगूलेशन (थ्रोम्बोसिस) के इलावा और कुछ नहीं है, और इस का मुक़ाबला करने का तरीका आर्थात इलाज़........

***ऐंटीबायोटिकस (Antibiotics tablets}

***ऐंटी-इंनफ्लेमटरी ( Anti-inflamentry) और

***ऐंटीकोआगूलैटस ( Aspirin) के साथ हो जाता है।

यह संकेत करते हुए कि इस बिमारी का इलाज़ ही नहीं किया गया था, विश्व के लिए यह संनसनीख़ेज़  ख़बर इटालियन डाक्टरों द्वारा so-called covid-19 की वजह से तैयार की गई लाशों पर आटोप्सीज़ (postmortem) करवा कर तैयार की गई है। कुछ और इतालवी रोग विज्ञानियों के अनुसार वेंटीलेटरस और इंसैसिव केयर यूनिट (ICU) की कभी ज़रूरत ही नहीं थी। इस के लिए इटली में प्रोटोकॉल की तबदीली शुरू हुई, इटली में एक बुलाया गलोबल कोविड-19 महामारी एक वाईरस के तौर पर दुबारा प्राकाशित की गई है।

WHO & CHINA पहले से ही जानते थे मगर इसकी रीपोर्ट नहीं करते थे। विश्व अब जानता है और जान गया है कि हमें अपने आप स्थापित बढ़े लोगों द्वारा तसीहे दिये गए हैं, तशद्दुद किए गए हैं और मार कुटाई की गई है।

कृपया इस जानकारी को अपने सारे परिवार, पड़ोसियों, जानकारों, मित्रों, सहकर्मीओं को दो ताकि वो कोविड-19 के डर से बाहर निकल सकें जो के एक वाईरस नहीं है जैसा कि उन्होंने हमें विश्वास दिलाया है, बल्कि एक बैक्टीरिया है जिसको असल में   5G इलैक्ट्रोमैगनेटिक रेडीयेशन 

(5G Electromagnetic Radiation) द्वारा बढ़ाया गया, फ़ैलाया गया, जो इंफलामेशन और हाईपौकसीया भी पैदा करता है। जो लोग भी इस की जद में आ जायें उन्हें ये करना चाहिए कि वे Asprin-100mg और ऐप्रोनिकस यां पैरासिटामोल ले सकते हैं। कयों......??? .... कयोंकि यह सामने आया है कि कोविड-19 कया कुछ करता है:  वह ख़ून को जमा देता है जिससे व्यक्ति को थ्रोमोबसिस पैदा होता है और जिसके कारण ख़ून नसों में जम जाता है और इस कारण दिमाग, दिल व फेफड़ों को आकसीजन नहीं मिल पाती इस कारण से ही व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है और सांस ना आने के कारण व्यक्ति की तेज़ी से मौत हो जाती है।

इटली के डॉक्टरस ने WHO के प्रोटोकॉल को नहीं माना और कुछ लाशों पर आटोप्सीज़ (postmortem) किया जिनकी मौत कोविड-19 की वजह से हुई थी। डॉक्टरस ने उन लाशों को काट कर देखा, उन की बाजुओं को, टांगों को, शरीर के दूसरे हिस्सों को भी खोल कर तस्सल्ली से देखने व परखने के बाद महसूस किया कि ख़ून की नसें व नाड़ियां फैली हुई हैं और नसें थ्रोम्बी से भरी हुई थी, जो ख़ून को आमतौर पर ग़र्दिश से रोकती है और आकसीजन के शरीर में प्रवाह को भी--मुख्य तौर पर दिमाग, दिल व फेफड़ों में'जिस कारण रोगी की मौत हो जाती है।इस नुकते को जान लेने के बाद इटली के सेहत-मंत्रालय ने तुरंत कोविड-19 के इलाज़ प्रोटोकॉल को बदल दिया और अपने पोज़िटिव मरीज़ो को एस्पिरिन100mg और एंप्रोमैकस देना शुरू कर दिया। *** नतीज़े.....??? मरीज़ ठीक होने लगे और उनकी सेहत में सुधार नज़र आने लगा। इटली सेहत मंत्रालय ने एक ही दिन में14000 से भी ज्यादा मरीज़ों की छुट्टी कर दी और उन्हें अपने आप घरों को भेज दिया।        

 सावधान :- यह हमारा फ़र्ज़ बनता है कि पूरी लोकाई की इस महामारी से जान बचाने के लिए इस जानकारी को दुनिया के हर इंसान तक पहुचाया जाये और बताया जाये कि उन्होंने (कुछ ख़ास लोगों ने) सिर्फ इटली ही नहीं बल्कि पूरे संसार के साथ झूठ बोला है और इस so-called covid-19 नाम की महामारी के रूप में हम सब पर थोपा है। दुनिया के लगभग सारे देशों के रास्ट्रीय अध्यक्ष व सर्बराह सिर्फ ये कहने के लिए कभी कभी टी वी कैमरों के सामने आते रहे हैं और आ रहे हैं केवल यह बताने के लिए कि यह कोविड-19 बहुत बड़ी महामारी है, बिना किसी ठोस सबूत या विज्ञानिक आधार के। ये सब अपने अपने तरीक़े से या WHO के आंकड़े बता रहे थे और हैं, मगर अपने अपने नागरिकों को बचाने के लिए कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं बल्कि महामारी का ख़ौफ़ दिखा कर ज़बरदस्ती लाकडाउन व कई और तरीक़े इसतेमाल कर रहे हैं। हो सकता है कि इनको ये सब करने के लिए कुछ ख़ास व कुलीन लोगों द्वारा धमकी दी जा रही हो.......??? हम नहीं जानते......???

 मगर इटली ने WHO का यह नियम, यह भ्रमजाल तोड़ दिया है, कयोंकि वो पहले से ही बहुत हावी हो चुके हैं मगर अब नहीं सहन करेंगे। पूरी दुनिया में रोज़ाना होनेवाली मौतों व गिरती अर्थव्यवस्था और गंभीर आपाधापी के चलते, निश्चित तौर पर WHO के ख़िलाफ़ दुनिया भर में "क्राइम अंगेस्ट हयूमैनिटिज़" के लिए मुक़दमें किये जाने चाहीये,और दुनिया के बहुत सारे देशों की Economy Collapse के लिये भी। अब समझ में आया है कि यहां आटोमेटिक तौर पर इस बीमारी का अचानक आना व उसके उसूल तुरंत से तुरंत बनाना व हम पर थोपना और उन्हें ज़बरदस्ती मनवाने के आदेश कयों हैं। सच को बताना व फ़ैलाना हमारे अपने हाथ में है और बहुत सी जाने बचाने की उम्मीद भी है।

दिखाने के लिए महामारी इस लिये हो रही है या फ़ैलाई जा रही है कि (कुछ ख़ास कुलीन लोग) विश्व की आबादी को 60% घटाने के सपने देखते आ रहे हैं और देख रहे हैं। दरअसल इन लोगों की सोच जंगली  कानून जैसी है कि अगर ख़ुद जीना है  तो दूसरे को मारना या खाना पड़ेगा।

विश्व की आबादी को घटाने के बिलगेटस नैनो-टैक टीके से विश्व-व्यापक हर व्यक्ति को ज़बरदस्ती टीके लगवाना चाहते है, जिससे फंड प्राप्त होता है। बिलगेटस डैपूलेशन फांउडेशन द्वारा..... विश्व व्याप्त सैकंड़े देशों में WHO,  CDC, NCDC, PTF को बिल एंड मेलिंडा गेट्स डैपूलेशन द्वारा फंड दिये जाते हैं।

इटली के स्वास्थ्य मंत्रालय के हेल्थ अपडेट्स और उन के विज्ञानीओं की ख़ोज के बाद इस बारे में सच्ची जानकारी दी गई है किकहने के लिए करोना वाईरस AKA cod-19 सिर्फ न्यूज़ पेपरस , टी.वी. चैनल्स, सोशल मीडिया, सोशल साइट्स और पेजेज पर ही मौजूद है। उन उन देशों के रास्ट्रीय अध्यक्ष व सर्बराहों और ख़ुद सथापित नेताओं को जिन्होंने कोविड-19 कहलाने वाले इस शराबी झूठ पर हस्ताक्षर किए हैं उन्हें इंसानियत के विरुद्ध अपराध करने का जो घोर पाप किया है..... उन्हें दुनिया के सामने नंगा करें, अभी भी कुछ विश्व अमन के हितैषी, इंसानियत के, मानवता के मित्र लोग व नेता अपने ओहदे पद की ग़रिमा को बनाये रखने में क़ामयाब होगें व इन अपराधियों को सज़ा दिलवा कर दुनिया के सामने एक मिसाल, एक नज़ीर पेश करेंगे। साभार