Wednesday, November 2, 2016

Under trial 8 murder in Bhopal-Report by S.Z.Mallick(Journalist)




Under trial 8 murder in Bhopal, Jamaat-e-Islami Hind anxious

New Delhi, Jamaat-e-Islami Hind (JIH) has voiced grave concern over the killing of eight SIMI under-trial activists in an encounter by the police in Bhopal. 
The Secretary General of Jamaat-e-Islami Hind, Muhammad Salim Engineer said, “We are highly disturbed at the news of 8 under-trial prisoners being killed near Bhopal by the police. Some media reports are suggesting that it was a fake encounter as the entire episode raises a lot of uncomfortable questions like: Was it possible for the accused to scale over 30 feet high wall of the most secure jail in MP? How could they lay hands on weapons? Why are there contradictory statements from officials over whether prisoners had weapons or not. How they got new clothes, watches and bands? If they had connections to get weapons, why couldn’t they get a vehicle to escape? Why no policeman was injured in the ‘encounter’? Why were the CCTVs not functioning? How all of them moved together rather than dispersing and couldn’t go further in eight hours”? 
The JIH Secretary General continued, “according to the lawyer of the accused the case against his clients was very weak and there was every likelihood that they would be acquitted soon. If this was the case then they had no reason to escape from prison. The whole incident bears a deep resemblance to the custodial deaths of Khalid Mujahid, Qateel Siddiqui and Mohammed Waqas”.
Salim Engineer said, ‘it is incorrect to state that we must not question the authenticity of the encounter as it would damage the morale of the police force. Rather, we must investigate how could terror accused escape from such a highly secure jail as the Bhopal Central Jail. We demand a high level enquiry under the supervision of the Supreme Court to bring out all the facts about the jail break and the encounter.”

Under trial 8 murder in Bhopal-Report by S.Z.Mallick(Journalist)




Under trial 8 murder in Bhopal, Jamaat-e-Islami Hind anxious

New Delhi, Jamaat-e-Islami Hind (JIH) has voiced grave concern over the killing of eight SIMI under-trial activists in an encounter by the police in Bhopal. 
The Secretary General of Jamaat-e-Islami Hind, Muhammad Salim Engineer said, “We are highly disturbed at the news of 8 under-trial prisoners being killed near Bhopal by the police. Some media reports are suggesting that it was a fake encounter as the entire episode raises a lot of uncomfortable questions like: Was it possible for the accused to scale over 30 feet high wall of the most secure jail in MP? How could they lay hands on weapons? Why are there contradictory statements from officials over whether prisoners had weapons or not. How they got new clothes, watches and bands? If they had connections to get weapons, why couldn’t they get a vehicle to escape? Why no policeman was injured in the ‘encounter’? Why were the CCTVs not functioning? How all of them moved together rather than dispersing and couldn’t go further in eight hours”? 
The JIH Secretary General continued, “according to the lawyer of the accused the case against his clients was very weak and there was every likelihood that they would be acquitted soon. If this was the case then they had no reason to escape from prison. The whole incident bears a deep resemblance to the custodial deaths of Khalid Mujahid, Qateel Siddiqui and Mohammed Waqas”.
Salim Engineer said, ‘it is incorrect to state that we must not question the authenticity of the encounter as it would damage the morale of the police force. Rather, we must investigate how could terror accused escape from such a highly secure jail as the Bhopal Central Jail. We demand a high level enquiry under the supervision of the Supreme Court to bring out all the facts about the jail break and the encounter.”

Monday, October 24, 2016

चाइना के प्रोडक्ट का बहिष्कार-Blogger S.Z.Mallick(Journalist)


जार्ज विचार मंच ने चाइना के प्रोडक्ट का बहिष्कार किया। 

एस.ज़ेड. मलिक(पत्रकार)
पिछले दिनों 23  अक्तुबर 2916  नई दिल्ली के जंतरमंतर पर दिल्ली के जॉर्ज विचार मंच ने उदय भान दिल्ली प्रभारी एवम युवा प्रभारी दिल्ली के नेतृत्व में सैंकड़ों कायकर्ताओं ने भारत में बिक रहे चाइना के वस्तुओं का भहिष्कार कर उन वस्तुयों में आग लगा कर विरोध जताया।  इस अवसर पर बलूच मुक्ति मंच के अध्यक्ष प्रो - बी. एन. चौधरी तथा दिल्ली मंच के प्रभारी उदयभान ने मंच के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।  
   



इस अवसर पर आर्थिक न्याय संस्थान के कोऑर्डिनेटर जी. एस. परिहार ने रोशन लाल अग्रवाल द्वारा लिखित पुस्तक "गरीबी नहीं "अमीरी रेखा "  बलूच मुक्ति मंच के अध्यक्ष प्रो - बी. एन. चौधरी को भेंट की। www.facebook/ainaindia.mallick
   

Tuesday, October 18, 2016

अब अमीरी रेखा बननी चाहिए - Blogger by S.Z.Mallick(Journalist)













यह एक अत्यंत आश्चर्य जनक बात है कि मनुष्य ने सब लोगों में सामंजस्य की स्थापना करने के लिए सामाजिक व्यवस्था का निर्माण तो किया लेकिन लोगों के बीच होने वाले टकराव के मूल कारण को न्याय के आधार पर हल करने का प्रयास नहीं किया अथवा उसे इसमें सफलता नहीं मिली और इसीलिए आज तक शांति की स्थापना का लक्ष्य मनुष्य को नहीं मिल पाया है। 
सभी लोगों के बीच होने वाली टकराव का मुख्य कारण मूल रूप से संपत्ति अधिकार है।  न्याय के आधार पर एक व्यक्ति को केवल औसत सीमा तक ही सम्पत्ति का मालिक माना जाना चाहिये और इससे अधिक संपत्ति के लिए व्यक्ति को समाज का कर्जदार माना जाना चाहिए इसलिए औसत सीमा से अधिक संपत्ति पर ब्याज की दर से संपत्ति कर लगाया जाना और अन्य सभी प्रकार के करों को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाना चाहिए। 
संपत्ति कर से होने वाली आय में से ही सरकार के बजट का खर्च काटा जाना चाहिए और शेष बचे धन को समाज का सामूहिक लाभ मानते हुए देश के सारे नागरिकों में लाभांश के रुप में बराबर बराबर बांट दिया जाना चाहिए। 
इससे सब लोग बहुत ही सुख संपन्नता स्वतंत्रता स्वावलंबन संतोष शान्ति और सुरक्षा के साथ अपना जीवन बिता सकेंगे और किसी को भी किसी दूसरे व्यक्ति से कोई शत्रुता टकराव प्रतिद्वंदिता या विवाद नहीं करना होगा। 
अब अमीरी रेखा बननी चाहिए 

गरीबी समाज की सबसे महत्वपूर्ण और सबसे जटिल समस्या हे जो लोग न्याय में विश्वास करते हैं और सबको सुख देने वाली व्यवस्था का निर्माण करना चाहते हैं , उन सब की प्राथमिकता समाज से गरीबी को खत्म करना होना चाहिए। 
समाज से गरीबी को पूरी तरह खत्म करने का सबसे सरल रास्ता अमीरी रेखा का निर्माण करना है। 
अमीरी रेखा बनने पर न केवल देश के सारे लोगोँ को सभी प्रकार के करो से मुक्ति मिल जाएगी बल्कि देश के हर नागरिक को देश की अर्थव्यवस्था से मिलने वाले लाभ मेँ भी उस का हिस्सा मिल सकेगी। 
जिससे हर व्यक्ति भूख ओर अभाव से मुक्ति पा सकेगा। 
इसलिए देश के सभी नागरिकोँ को अपनी अलग अलग माँगों के साथ साथ सबसे पहले देश मेँ अमीरी रेखा के निर्माण की आवाज को बुलंद करना चाहिए। 
जिस दिन देश के सभी मतदाता किसी दल या पार्टी को वोट देने की बजाय अमीरी रेखा के निर्माण हेतु अपना वोट देने के के लिए सहमत हो जायेंगे उसी दिन अमीरी रेखा बनेगी और देश के सारे लोगोँ को गरीबी अभाव बेरोजगारी भूख ओर अपमान से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाएगा। 
इसलिए देश के सभी नागरिकोँ को बिना किसी भेदभाव के संपन्नता और सम्मान का जीवन प्रदान करने के लिए चारोँ ओर से अमीरी रेखा के निर्माण की आवाज बुलंद करनी चाहिए। 

Sunday, October 16, 2016

अमीरी रेखा का निर्माण ज़रूरी-Blogger by S.Z.Mallick(Journalist)

शोषण और ब्याज का स्वामित्व। 


समाज में लोभ लालच की प्रवृत्ति पर अंकुश रखने और सबको शोषण से मुक्ति का सरलतम उपाय अमीरी रेखा का निर्माण करना है।
असल मैं सारा झगड़ा संपत्ति के अधिकार का है सीमित मात्रा में संपत्ति के संचय को तो भविष्य की अनिश्चितता के भय से मुक्ति का उचित कारण माना जा सकता है किंतु असीमित मात्रा में संपत्ति संचय को उचित ठहराया जाना गलत है क्योंकि इस से समाज में धन की कृत्रिम कमी या अभाव पैदा होता है जिससे शोषण की प्रवृति को बल मिलता है।
इस का एकमात्र कारण संपत्ति से व्यास के रूप में लेवल अतिरिक्त लाभ जिसका मेहनत से कोई संबंध नहीं होता बल्कि यह कमजोर व्यक्ति की मजबूरी से पैदा होता है।
शोषण की यह प्रवृत्ति मनुष्य मात्र का प्राकृतिक दुर्गुण है और यह हर व्यक्ति में डन्म से ही कम या अधिक मात्रा में मौजूद रहती है। सामाजिक व्यवस्था की दृष्टि से इस पर अंकुश रखा जाना बेहद जरूरी है।
इस पर अंकुश रखने का न्यायपूर्ण उपाय यही है कि एक सीमा से अधिक संपत्ति के संचय पर ब्याज की दर से संपत्ति कर लगाया जाए और उससे होने वाली आय को समाज में बराबर बराबर बांट कर उस संख्या से होने वाली क्षति की पूरी कर दी जाए।
इससे सीमित मात्रा में संपत्ति के संचय से व्यक्ति अभाव के भय से तो मुक्त हो सकेगा लेकिन दूसरों का शोषण नहीं कर पाएगा जो सबके लिए सुखदाई व्यवस्था में होना अत्यंत आवश्यक है।
इसलिए अमीरी रेखा बनानी चाहिए और अमीरी रेखा से अधिक संपत्ति पर ब्याज की दर से संपत्ति कर लगाया जाना चाहिए ताकि कोई भी व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का शोषण न सके और यह पूरी तरह उचित है।
जब तक ब्याज से होने वाली आय को व्यक्ति की आय माना जाएगा तब तक न्याय पूर्ण अर्थव्यवस्था की स्थापना नहीं हो सकती और न ही समाज में स्थाई शांति की स्थापना संभव हो सकती है।
वास्तव ब्याज की उत्पत्ति सामूहिक व्यवस्था से उत्पन्न होती है क्योंकि इससे उत्पादन और विनिमय में साधनों की भूमिका बढ़ने से मेहनत की भूमिका में कमी आ जाती है और ब्याज की आय का मालिक धन पति कौ मान सिऐ जाने परे धन और महनत के बीच प्रतिद्वंदिता उत्पन्न हो जाती है।
समाज से शोषण को समाप्त करने के लिए धन और मेहनत की इस प्रतियोगिता को समाप्त करना अनिवार्य है जिसका सरलतम उफाय ब्याज की आय को व्यक्ति की आय मानने की बजाए पूरे समाज की सानूहिक आय माना जाय।

Monday, August 22, 2016

बिहार प्रवासी मलिक बिरादरी की कोर कमेटी की दूसरी बैठक। Blogger by S.Z. Mallick(Journalist)

बिहार प्रवासी मलिक बिरादरी की मलिक बया वेलफेयर आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया के ओर से कोर कमेटी की दूसरी बैठक।


एस. ज़ेड. मलिक(पत्रकार) 
नई दिल्ली - ओखला के अबुल फज़ल ठोकर न० 4 के मुख्यालय "मलिक बया वेलफेयर आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया" के अध्यक्ष अब्दुल सत्तर मलिक की अध्यक्षता में उनके निवास पर 21 अगस्त 2016 को कोर कमेटी की दूसरी बैठक का आयोजन किया गया।  जिसमे बिहार प्रवासी मलिक क़ाबिले के लोग जो इस समय दिल्ली के एन सी आर में अपनी जीविका तथ अपने सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए संघर्षशील  अपने परिवार के साथ अपना जीवन व्यतित कर रहे हैं। जिनकी स्थिति दैनिये है उन्हें कमेटी से जोड़ कर संभवतः हर प्रकार से मदद करने का प्रयास किया जाये तथा किस प्रकार से मदद के लिए धन अर्जित किया जाये और भविष्य में आपसी सहयोग के साथ साथ कैसे संगठित रखा जाये। ऐसे बिंदुओं पर गहन विचार विमर्श किया गया।
 दिल्ली के एन सी आर में जहाँ जहाँ भी मलिक क़बीला के लोग आबादी में यानी जहाँ जहाँ भी पांच दस घर बसे  हुए हैं वहां वहां कोर कमेटी के सदस्य जा कर उनके साथ बैठक करेंगे और उन्हें अपने आर्गेनाइजेशन कि जानकारी देंगे और उन्हें अपने आर्गेनाइजेशन के साथ जोड़ कर उनकी समस्याओं का समाधान निकालने का हर संभव प्रयास करेंगे। 
ज्ञात हो की यह बिरादरी एक सिमित दायरे में आते हैं बिहार के मलिक बिरादरी बिहार शरीफ के नालंदा ज़िला से आरम्भ हो कर संसार के कुछ अलग अलग प्रान्तों में फैले हुए हैं यह बिरादरी अहलेबैत सूफ़ियत से सम्बन्ध रखते हैं। जिन का शिजरा (यानी गोत्र मूल) नस्ले हज़रात सैय्यद इब्राहिम मलिक ब्या(रह०) से है - सैय्यद इब्राहिम मलिक ब्या(रह०) ई सन 500 में बादशाह तुग़लक़ के सिपाह सालार थे। एक ऐसे सिपाह सालार तःउज़्ड़ गुज़ार के साथ साथ तौहीद(यानी)अल्लाह के बताये  रस्ते पर पूरी ईमानदारी के साथ अपना जीवन व्यतित करना। और वह इन्साफ पसंद थे। उनके अंदर इसी गुण को देख कर बादशाह तुग़लक़ ने बिहार फतह के लिए उन्हें ही चुना और बिहार पर क़ब्ज़ा के लिए फरमान जारी कर उन्हें मात्र 300 सिपाहियों के साथ बिहार पर चढ़ायी के लिए रवाना कर दिया। उस समय बिहार में ब्राह्मण राजा विष्णु गौड़ का राज था। लेकिन हज़रात सैय्यद इब्राहिम मलिक ब्या(रह०) की तरफ से कभी लड़ाई की पहल नहीं की गयी, जबकि हज़रात के साथ राजा ने कईएक बार अपने लोगों के द्वारा उलटी सीधी हरकतें करता रहा हज़रात उन्हें बारहाँ उन्हें समझाते रहे और अल्लाह और अल्लाह के रसूल की बातें तमाम फरमान सुनाते रहे। उनके इन बातो से राजा की छोटी बहन काफी प्रभावित हुयी और हज़रात की अनुयायी बन गयी। बाद में उनकी शादी हज़रात सैय्यद इब्राहिम मलिक ब्या(रह०) के साथ कर दी गयी।  उन्ही की नस्लें बिहार में मालिक के नाम से जानी जाती है।      
वर्तमान में इस बिरादरी की स्थिति पिछड़ी जातियों से भी बदतर है जबकि तुगलक से लेकर बहादुर शाह ज़फर के राजकाल तथा भारत के स्वतंत्रता तक इनकी ज़मींदारी बरक़रार थी स्वतंत्रता के बाद पकिस्तान बटवारे से इनकी स्थिति दिन प्रति दिन बिगड़ती चली गयी आज इस्थिति ऐसी होचुकी है की, की बहुत से खानदान ऐसे हैं जो अपनी जातियां छुपाने पर मजबूर हैं। बहरहाल इन परिस्थितियों के मद्देनज़र इस बिरादरी के कुछ लोग मालिकों के उत्थान के लिए एक सांगठनात्मक रूप में आगे आये हैं अब देखना है की यह संगठन अपनी बिरादरी का कितना ध्यान रखती है और कितना उत्थान करती हैं। बाहर हाल इस अवसर पर कोर कमेटी के मुख्य सदस्य राई के अज़ीज़ अहमद (इंजीनियर), मुहम्मद दाऊद , एरकी के महबूब फज़ल अर्शी, नबी नगर ककराड़ के इफ्तिखार ताबिश, अँडव्हस के जनाब सोहैल अनवर , काको के मुहम्मद वसीम, आडसर के मुहम्मद एजाज़ (इंजिनियर) और काको के एस.ज़ेड.मलिक (पत्रकार) आडसर के मुहम्मद शमशाद  उपस्थित थे। 
सभी की सहमति से अगली बैठक बहरी दिल्ली के नागलोई में तय किया गया।  
       

   

बिहार प्रवासी मलिक बिरादरी की कोर कमेटी की दूसरी बैठक। Blogger by S.Z. Mallick(Journalist)

बिहार प्रवासी मलिक बिरादरी की मलिक बया वेलफेयर आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया के ओर से कोर कमेटी की दूसरी बैठक।


एस. ज़ेड. मलिक(पत्रकार) 
नई दिल्ली - ओखला के अबुल फज़ल ठोकर न० 4 के मुख्यालय "मलिक बया वेलफेयर आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया" के अध्यक्ष अब्दुल सत्तर मलिक की अध्यक्षता में उनके निवास पर 21 अगस्त 2016 को कोर कमेटी की दूसरी बैठक का आयोजन किया गया।  जिसमे बिहार प्रवासी मलिक क़ाबिले के लोग जो इस समय दिल्ली के एन सी आर में अपनी जीविका तथ अपने सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए संघर्षशील  अपने परिवार के साथ अपना जीवन व्यतित कर रहे हैं। जिनकी स्थिति दैनिये है उन्हें कमेटी से जोड़ कर संभवतः हर प्रकार से मदद करने का प्रयास किया जाये तथा किस प्रकार से मदद के लिए धन अर्जित किया जाये और भविष्य में आपसी सहयोग के साथ साथ कैसे संगठित रखा जाये। ऐसे बिंदुओं पर गहन विचार विमर्श किया गया।
 दिल्ली के एन सी आर में जहाँ जहाँ भी मलिक क़बीला के लोग आबादी में यानी जहाँ जहाँ भी पांच दस घर बसे  हुए हैं वहां वहां कोर कमेटी के सदस्य जा कर उनके साथ बैठक करेंगे और उन्हें अपने आर्गेनाइजेशन कि जानकारी देंगे और उन्हें अपने आर्गेनाइजेशन के साथ जोड़ कर उनकी समस्याओं का समाधान निकालने का हर संभव प्रयास करेंगे। 
ज्ञात हो की यह बिरादरी एक सिमित दायरे में आते हैं बिहार के मलिक बिरादरी बिहार शरीफ के नालंदा ज़िला से आरम्भ हो कर संसार के कुछ अलग अलग प्रान्तों में फैले हुए हैं यह बिरादरी अहलेबैत सूफ़ियत से सम्बन्ध रखते हैं। जिन का शिजरा (यानी गोत्र मूल) नस्ले हज़रात सैय्यद इब्राहिम मलिक ब्या(रह०) से है - सैय्यद इब्राहिम मलिक ब्या(रह०) ई सन 500 में बादशाह तुग़लक़ के सिपाह सालार थे। एक ऐसे सिपाह सालार तःउज़्ड़ गुज़ार के साथ साथ तौहीद(यानी)अल्लाह के बताये  रस्ते पर पूरी ईमानदारी के साथ अपना जीवन व्यतित करना। और वह इन्साफ पसंद थे। उनके अंदर इसी गुण को देख कर बादशाह तुग़लक़ ने बिहार फतह के लिए उन्हें ही चुना और बिहार पर क़ब्ज़ा के लिए फरमान जारी कर उन्हें मात्र 300 सिपाहियों के साथ बिहार पर चढ़ायी के लिए रवाना कर दिया। उस समय बिहार में ब्राह्मण राजा विष्णु गौड़ का राज था। लेकिन हज़रात सैय्यद इब्राहिम मलिक ब्या(रह०) की तरफ से कभी लड़ाई की पहल नहीं की गयी, जबकि हज़रात के साथ राजा ने कईएक बार अपने लोगों के द्वारा उलटी सीधी हरकतें करता रहा हज़रात उन्हें बारहाँ उन्हें समझाते रहे और अल्लाह और अल्लाह के रसूल की बातें तमाम फरमान सुनाते रहे। उनके इन बातो से राजा की छोटी बहन काफी प्रभावित हुयी और हज़रात की अनुयायी बन गयी। बाद में उनकी शादी हज़रात सैय्यद इब्राहिम मलिक ब्या(रह०) के साथ कर दी गयी।  उन्ही की नस्लें बिहार में मालिक के नाम से जानी जाती है।      
वर्तमान में इस बिरादरी की स्थिति पिछड़ी जातियों से भी बदतर है जबकि तुगलक से लेकर बहादुर शाह ज़फर के राजकाल तथा भारत के स्वतंत्रता तक इनकी ज़मींदारी बरक़रार थी स्वतंत्रता के बाद पकिस्तान बटवारे से इनकी स्थिति दिन प्रति दिन बिगड़ती चली गयी आज इस्थिति ऐसी होचुकी है की, की बहुत से खानदान ऐसे हैं जो अपनी जातियां छुपाने पर मजबूर हैं। बहरहाल इन परिस्थितियों के मद्देनज़र इस बिरादरी के कुछ लोग मालिकों के उत्थान के लिए एक सांगठनात्मक रूप में आगे आये हैं अब देखना है की यह संगठन अपनी बिरादरी का कितना ध्यान रखती है और कितना उत्थान करती हैं। बाहर हाल इस अवसर पर कोर कमेटी के मुख्य सदस्य राई के अज़ीज़ अहमद (इंजीनियर), मुहम्मद दाऊद , एरकी के महबूब फज़ल अर्शी, नबी नगर ककराड़ के इफ्तिखार ताबिश, अँडव्हस के जनाब सोहैल अनवर , काको के मुहम्मद वसीम, आडसर के मुहम्मद एजाज़ (इंजिनियर) और काको के एस.ज़ेड.मलिक (पत्रकार) आडसर के मुहम्मद शमशाद  उपस्थित थे। 
सभी की सहमति से अगली बैठक बहरी दिल्ली के नागलोई में तय किया गया।  
       

   

Thursday, August 4, 2016

AINA INDIA: कांग्रेस को अब गड्ढे याद आरहे हैं ? Blogger by S.Z...

AINA INDIA: कांग्रेस को अब गड्ढे याद आरहे हैं ? Blogger by S.Z...: यदि वरुण गाँधी भी इस समय कांग्रेस के साथ आ जाते हैं तो फिर कांग्रेस और भारत दोनों को ही सही वारिस मिल जाएगा।       एस.ज़ेड.मलिक (प...

कांग्रेस को अब गड्ढे याद आरहे हैं ? Blogger by S.Z.Mallick(Journalist cum Social Activtst)


यदि वरुण गाँधी भी इस समय कांग्रेस के साथ आ जाते हैं तो फिर कांग्रेस और भारत दोनों को ही सही वारिस मिल जाएगा।   

 

एस.ज़ेड.मलिक (पत्रकार)
उत्तरी पश्चमी दिल्ली - के प्रीतमपूरा एमटीएनएल के दफ्तर के समीप मॉल के सामने वेस्ट इन्क्लेव रानी बाग रोड पर कुछ कांग्रेसी नेताओं को नारा लगते हुए देखा तो मै अपने दफ्तर जाने के बजाये उन्हें देखने और सुनने के लिए बस से उतर गया, पुरानी आदत और कांग्रेसियों की पुरानी परंपरा को दुहराते हुए देखते देखते अब आदत सी पद गयी है। चमन लाल इस क्षेत्र के पुराने कांग्रेसी एक संजय जो इस क्षेत्र का सक्रिय युवा कार्यकर्ता और इसके अलावा 15 - 20  कार्यकर्ता जो चमन लाल और संजय कुमार युवा कार्यकर्त्ता के हितैषी ही होंगे, ये सभी इकट्ठा हो कर  दिल्ली की मौजूदा सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे , और सामने गड्ढे में जहाँ सबवे पर थोड़ा बरसात का पानी जमा था और एमसीडी के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण सीवर का ढक्कन खुला था उस गड्ढे में घडियाल के दो खुले मुँह रख कर दिल्ली सरकार हाय हाय के नारे लगाए जा रहे थे , अब इन कार्यकर्ताओं की बेवकूफी या हटधर्मी कहें की जानभूझ कर दिल्ली सरकार के नाम से हाय हाय किये जारहा है - जब की दोषी एमसीडी है - और एमसीडी में भाजपा का वर्चस्व है , बाहर हाल आज इन्हें सड़कों पर गड्ढा और जमा हुआ पानी दिखाई दे रहा है। जब यह सत्ता में थे तो इन्हें उस समय न तो गड्ढा दिखाए दिया और न ही भ्रष्टाचार समझ में आया जिस के कारण आज इन्हें सत्ता से बेदखल होना पड़ा।  
काश की यह समझ पाते जनता को एक दिन के लिए इस भारत में लोकतंत्र के इस्तेमाल का अधिकार दिया गया है इसी एक दिन का जनता अपने अधिकार का उपयोग करती है और पांच वर्षों तक भ्रष्टाचारियों के दमन और अत्याचार सहन करते करते ऊब जाती है और उन्हें मजबूरन विकल्प तलाशना पड़ता है और फिर अपने मताधिकार का उपयोग करने का जो अवसर सरकार देती है उसका सही उपयोग उसीदिन कर के भरष्ट सत्ताधारियों को सत्ता से बहार का रास्ता दिखा देती है।  काश ! कि समझ पाते और कांग्रस की बागडोर आरएसएस के हितैषियों के हाँथ न सौंपते तो आज यह दिन देखने को मिलता - काश ! कि यह समझपाते की सरकार को बदनाम करने के लिए  विरोधी हर हरबा इस्तेमाल करते हैं और उन विरोधियों का खुल कर साथकुछ  कांग्रेसी ही देते हैं जिन के कारण उनका हौसला बुलंद हो जाता है और वह सरकार को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ते और नतीजा उनके सामने है। आज भाजपा की हरकतों से आम जनता ऊब चुकी है। जनता आने वाले चुनाव की प्रतीक्षा कर रही है , भारत की 70 % जनता दंगा फसाद साम्प्रदायिकता नहीं चाहती शांति  चाहती है , 30 % में 10 %  लोग रॉन्ग पॉलिसीय मेकर हैं और 20 % लोग ही उस पॉलिसीय को ज़बरदस्ती लागू भी करते हैं और उसका गलत तरीके से इस्तेमाल भी करवारते हैं। और कांग्रेस ने इन 30 % की गुरु बन कर इनको अपनी छत्रछाया में पलटी पोस्ती रही। 
1947 के बाद स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरू और फिर उनके बाद स्वर्गीय इंद्रागाँधी तक किसी जंगसंघ या कोई भी साम्प्रदायिक संगठन ने उनके सामने आने की हिम्मत नहीं की इंद्रागाँधी की हत्या के बाद जैसे कांग्रेसी के कुछ लोग भी प्रतीक्षा कर रहे थे की कब कांग्रेस के टुकड़े करने का मौका मिले और कांग्रेस को टुकड़े टुकड़े करदें। और वह धीरे धीरे कांग्रेस को दीमक की तरह कुछ तो चाट कर हजम कर गए और कुछ ने अलग अलग खेमे में बाँट दिया।  राजीव गाँधी ही हत्या के बाद जैसे कांग्रेस तो मानो समाप्त ही हो गयी।  अब राजीव के दोनों बच्चों रोहल और प्रियंका के कारण आज कांग्रेस में जान होने का संकेत मिलने लगा है जनता को कुछ इन दोनो से उम्मीदे बंधने लगी है यदि भारत को सही साशन दे सकता है तो सिर्फ कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जो भारत को एकता और अखंडता के एक सूत्र में पिरोये रख सकती है।  यह गुण यदि है तो सिर्फ और सिर्फ इंद्रा गाँधी और नेहरू परिवार के सदस्य में ही है।  जो आज कांग्रेस के राहुल और प्रियंका में देखनो मिल रहा है। यदि वरुण गाँधी भी इस समय कांग्रेस के साथ आ जाते हैं तो फिर कांग्रेस और भारत दोनों को ही सही वारिस मिल जाएगा।    
                    

Friday, July 29, 2016

इंसानियत बनाम इस्लाम।



यदि मस्जिदों में आतंकवादी गतिविधियां चलनी शुरू हो जाये तो पूरा विश्व धधक उठेगा। फ्रांस की मस्जिदों में ताला लगाने की धमकी द्वेषवद्ध,अशोभनीय और इंसानियत से हट कर है। समय रहते यूएनओ और सऊदी अरब को सोंचना होगा।   


एस.जेड.मलिक(पत्रकार)  

 सम्पूर्ण विश्व में आखिर मुस्लिम को ही टारगेट क्यों बनाया जा रहा है क्या कारण है ? विश्व में क्रिश्चयन की आबादी के बाद मुसलमानों की सबसे बड़ी आबादी है और देश की भी संख्या अधिक है, फिर भी सऊदी अरबिया छोड़ कर मिडिलईस्ट, यूरोप, ब्रिटिश, जापान, चाइना, एशिया,हर जगह पर मुसलमानों को दबाने की कोशिश की जारही है और ताजुब है की सऊदी अरब भी जो खुद मुस्लिम देश है और मुस्लिम देशों में सबसे धनि है बावजूद इसके वह इस समय खामोश है ?       
एक तरफ जहाँ आरएसएस समर्थित संघ परिवार संपूर्ण भारत को साम्प्रदायिकता के आग में झोंक देना चाहता है वहीं फ्रांस संपूर्ण विश्व में गृह युद्ध की स्थिति पैदा करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है।  क्या यूएनओ को अभी तक आभास नहीं हो रहा है की विश्व में दुबारा शांति व्यवस्था की विशेष ज़रुरत है। आखिर यूएनओ खामोश क्यों है ? इससे तो अस्पष्ट है की यूएनओ भी फ़्रांस के नीतियों में शामिल है।  नहीं तो विष में शांति बहाल करने वाली संस्थान आज विश्व में हो रहे आतंकवादी घटनाओं तथा फ्रांस और इज़राइल द्वारा की जारही द्वेषबद्ध करवायी जिसमे अधिकतर बेगुनाह और मासूमों की निर्मम हत्याएं की जा रही हैं और सिर्फ और सिर्फ मुसलामानों को टारगेट बया जारहा है , उनके प्रति यूएनओ की कोई संवेदना नहीं, कोई प्रतिकिर्या नहीं यूएनओ मुखदर्शक न होती - यूएनओ ने अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है या जान बुझ कर खामोश है। 
दरअसल मुसलमानों ने अपना जो इन्हें धर्म के नाम पर अध्याय सिखाया गया था आज मुसलमान उससे विपरीत दिशा में चल रहे हैं - इस्लाम एक ऐसा शब्द है जिसका मतलब है इंसानियत और इसकी उत्पत्ति अरब में हुयी और सबसे पहले जिस भाषा ने जन्म लिया वह है अरबी जिसे अरब से शुरू किया गया था इसे राज़ बना कर आज भी परदे में रखा गया है। या यूँ कहिये की संसार में जब पहला इंसान यानी आदम ने क़दम रखा था तभी इस्लाम आ गया था यानी इनसान के साथ इस्लाम का आना मतलब इंसानियत का आना। यदि इस्लाम का मतलब इंससानियत है तो जब मानव ने संसार में अपना पहला क़दम रखा उसी समय उसके साथ इंसानियत अर्थात मानवता भी आ गयी थी। यह शोध का विषय है। 
 इस समय सिर्फ और सिर्फ मुसलमानों पर ही शोध करना उचित होगा।  इसलिए की मुसलमान ही आज दुनियां के नुमाईंदों और सरपरस्तों के निशाने पर हैं। मुसलमानों की बढ़ती आबादी , संसार के नुमाईंदों और सरपरस्तों के ऊपर खौफ एक ऐसा खौफ जिन्हें लगरहा है की मुसलमानो की यदि आबादी बढ़ी तो हमारी हुकूमत छीन सकती है जिनके कारण अईयाशी और नग्नता फैशन समाप्त हो जायेंगे जो इंसानियत से हट कर जीवन बिताना चाहते हैं या व्यतित कर रहे हैं। और आज विकास शील देशों जैसे तुर्की,फलीस्तीन, फ्रांस चीन के मुसलमानो ने इंसानियत का रास्ता छोड़ कर ऐसे विकास के रस्ते को पकड़ लिया जहाँ सिर्फ और सिर्फ कीचड़ ही कीचड़ है उन जगहों पर मुसलमान सफ़ेद कपडे पहन कर अपना जीवन व्यतित करने पर आमद है की किसी भी सूरत में उसे बचना मुश्किल है दागदार तो वह खुद तो हुआ ही साथ साथ अपने सम्पूर्ण परिवार को भी उस विकसित गन्दगी में लपेट लिया जिसके कारण जो पहले से गंदगी में लिप्त अपनी हुकूमत क़ायम कर रखा था उनको मुसलमानों को अपने रस्ते पर देख कर उनका हौसला और बढ़ गया। जबकि यदि उनको सबसे अधिक डर था तो सिर्फ इंसानियत से जो मुसलमानो में ही सभ्यता और संस्कारों के रूप में आज भी देखा जाता है। मुसलमानो के सभ्यता और संस्कारों को बर्बाद करने और उनकी बढ़ती आबादी को रोकने के लिए जो जाल बिछाया गया आज वह बेहद क्रूर खतरनाक साबित हो रहा है। जो पाकिस्तान का आतंकवादी संगठन लश्करे तयबा, अफगानिस्तान का तालिबान, इज़राइल का आईएसआई और सीरिया का आईएसआईएस का रूप धारण कर विश्व के सारे मुस्लिम समुदायेव को बदनाम कर रहा है जिसके कारन विश्व के मुसलमानों को असमंजस में दाल दिया है।   
        
       

Sunday, July 24, 2016

बिहार प्रवासी मलिक बया वेलफेयर आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया के कोर कमेटी की बैठक।

बिहार प्रवासी मलिक बया वेलफेयर आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया के कोर कमेटी की बैठक।




एस. ज़ेड. मलिक(पत्रकार) 
नई दिल्ली - ओखला के अबुल फज़ल ठोकर न० 4 के मुख्यालय "मलिक बया वेलफेयर आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया" के अध्यक्ष अब्दुल सत्तर मलिक  के निवास पर 24 जुलाई 2016 कोर कमेटी की एक बैठक का आयोजन किया गया।  जिसमे बिहार प्रवासी मलिक क़ाबिले के लोग जो इस समय दिल्ली के एन सी आर में अपनी जीविका के लिए व्यस्त अपने परिवार के साथ अपना जीवन व्यतित कर रहे हैं। जिनकी इस्थिति दैनिये है उन्हें कमेटी से जोड़ कर संभवतः हर प्रकार से मदद 

कैसे कीजिये तथा किस प्रकार से मदद के लिए धन अर्जित किया जाये और भविष्य में आपसी सहयोग के साथ साथ कैसे संगठित रखा जाये। ऐसे बिंदुओं पर गहन विचार विमर्श किया गया।  निष्कर्ष यह निकला कि दिल्ली के एन सी आर में जहाँ जहाँ भी मलिक क़बीला के लोग आबादी में यानी जहाँ जहाँ भी पांच दस घर बेस हुए हैं वहां वहां  कोर कमेटी के सदस्य जा कर उनके साथ बैठक करेंगे और उन्हें अपने आर्गेनाइजेशन कि जानकारी देंगे और उन्हें अपने आर्गेनाइजेशन के साथ जोड़ कर उनकी समस्याओं का समाधान निकालने का हर संभव प्रयास करेंगे। 
ज्ञात हो की बिहार के मलिक बिरादरी बिहार शरीफ के नालंदा ज़िला से आरम्भ हो कर संसार के कुछ देशों फैले हुए हैं यह बिरादरी अहलेबैत सूफ़ियत के एक सिमित दायरे में आते हैं जिनकी नस्ले हज़रात सैय्यद इब्राहिम मलिक ब्या(रह०) से निकलती है - वर्तमान में इस बिरादरी की इस्थिति पिछड़ी जातियों से भी बदतर है जबकि तुगलक से लेकर बहादुर शाह ज़फर के राजकाल तथा भारत के स्वतंत्रता तक इनकी ज़मींदारी बरक़रार थी स्वतंत्रता के बाद पकिस्तान बटवारे से इनकी इस्थिति दिन पार्टी दिन बिगड़ती चली गयी आज इस्थिति ऐसी होचुकी है की की बहुत से खानदान ऐसे हैं जो अपनी जातियां छुपाने पर मजबूर हैं। बहरहाल इन परिस्थितियों के मद्देनज़र इस बिरादरी के कुछ लोग मालिकों के उत्थान के लिए एक सांगठनात्मक रूप में आगे आये हैं अब देखना है की यह संगठन अपनी बिरादरी का कितना ध्यान रखती है और कितना उत्थान करती हैं। बाहर हाल इस अवसर पर कोर कमेटी के मुख्य सदस्य राई के अज़ीज़ अहमद (इंजीनियर), एरकी के  महबूब फज़ल अर्शी, नबी नगर ककराड़ के इफ्तिखार ताबिश, पिंजरांवा के सालेहीन मुहम्मद अकबर, काको के मुहम्मद वसीम, आडसर के मुहम्मद एजाज़ (इंजिनियर) और काको के एस.ज़ेड.मलिक (पत्रकार) उपस्थित थे। 
       

   

बिहार प्रवासी मलिक बया वेलफेयर आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया के कोर कमेटी की बैठक।

बिहार प्रवासी मलिक बया वेलफेयर आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया के कोर कमेटी की बैठक।




एस. ज़ेड. मलिक(पत्रकार) 
नई दिल्ली - ओखला के अबुल फज़ल ठोकर न० 4 के मुख्यालय "मलिक बया वेलफेयर आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया" के अध्यक्ष अब्दुल सत्तर मलिक  के निवास पर 24 जुलाई 2016 कोर कमेटी की एक बैठक का आयोजन किया गया।  जिसमे बिहार प्रवासी मलिक क़ाबिले के लोग जो इस समय दिल्ली के एन सी आर में अपनी जीविका के लिए व्यस्त अपने परिवार के साथ अपना जीवन व्यतित कर रहे हैं। जिनकी इस्थिति दैनिये है उन्हें कमेटी से जोड़ कर संभवतः हर प्रकार से मदद 

कैसे कीजिये तथा किस प्रकार से मदद के लिए धन अर्जित किया जाये और भविष्य में आपसी सहयोग के साथ साथ कैसे संगठित रखा जाये। ऐसे बिंदुओं पर गहन विचार विमर्श किया गया।  निष्कर्ष यह निकला कि दिल्ली के एन सी आर में जहाँ जहाँ भी मलिक क़बीला के लोग आबादी में यानी जहाँ जहाँ भी पांच दस घर बेस हुए हैं वहां वहां  कोर कमेटी के सदस्य जा कर उनके साथ बैठक करेंगे और उन्हें अपने आर्गेनाइजेशन कि जानकारी देंगे और उन्हें अपने आर्गेनाइजेशन के साथ जोड़ कर उनकी समस्याओं का समाधान निकालने का हर संभव प्रयास करेंगे। 
ज्ञात हो की बिहार के मलिक बिरादरी बिहार शरीफ के नालंदा ज़िला से आरम्भ हो कर संसार के कुछ देशों फैले हुए हैं यह बिरादरी अहलेबैत सूफ़ियत के एक सिमित दायरे में आते हैं जिनकी नस्ले हज़रात सैय्यद इब्राहिम मलिक ब्या(रह०) से निकलती है - वर्तमान में इस बिरादरी की इस्थिति पिछड़ी जातियों से भी बदतर है जबकि तुगलक से लेकर बहादुर शाह ज़फर के राजकाल तथा भारत के स्वतंत्रता तक इनकी ज़मींदारी बरक़रार थी स्वतंत्रता के बाद पकिस्तान बटवारे से इनकी इस्थिति दिन पार्टी दिन बिगड़ती चली गयी आज इस्थिति ऐसी होचुकी है की की बहुत से खानदान ऐसे हैं जो अपनी जातियां छुपाने पर मजबूर हैं। बहरहाल इन परिस्थितियों के मद्देनज़र इस बिरादरी के कुछ लोग मालिकों के उत्थान के लिए एक सांगठनात्मक रूप में आगे आये हैं अब देखना है की यह संगठन अपनी बिरादरी का कितना ध्यान रखती है और कितना उत्थान करती हैं। बाहर हाल इस अवसर पर कोर कमेटी के मुख्य सदस्य राई के अज़ीज़ अहमद (इंजीनियर), एरकी के  महबूब फज़ल अर्शी, नबी नगर ककराड़ के इफ्तिखार ताबिश, पिंजरांवा के सालेहीन मुहम्मद अकबर, काको के मुहम्मद वसीम, आडसर के मुहम्मद एजाज़ (इंजिनियर) और काको के एस.ज़ेड.मलिक (पत्रकार) उपस्थित थे। 
       

   

Thursday, July 21, 2016


मूल रूप से अमीरी रेखा का निर्माण किए बिना समाज में कभी भी शांतिपूर्ण सामंजस्य की स्थापना नहीं की जा सकती क्योंकि यदि हम सब लोगों में शांति पूर्ण सामंजस्य स्थापित करना चाहते हैं तो एक व्यक्ति के मूलभूत संपत्ति अधिकार को परिभाषित करना सबसे पहली आवश्यकता होगी ताकि हर व्यक्ति को अपनी स्वतंत्रता मर्यादा या अधिकार की स्पष्ट जानकारी हो और वह दूसरे व्यक्ति के अधिकारों का हनन या अतिक्रमण ना करें.
वास्तव में लोगों के बीच होने वाली सारी लड़ाईयों का मूल कारण संपत्ति की अधिक से अधिक मात्रा पर अपना अधिकार कायम करना है सब लोग इसी प्रयास में लगे हैं जिसमें जितनी क्षमता योग्यता शक्ति या बुद्धि होती है वह उसका पूरा उपयोग अपनी संपत्ति को बढ़ाने के लिए करता है ताकि उसे वर्तमान और भविष्य में भी पूरी सुरक्षा मिलती रहे और कभी भी उसे अभाव का कष्ट पूर्ण जीवन ना जीना पड़े.
सभी इस सत्य को समझते हैं कि पर्याप्त संसाधनों पर अपना अधिकार स्थापित किए बिना केवल मेहनत के बल पर जीवन को सुरक्षित नहीं किया जा सकता. लेकिन इसके लिए सीमित मात्रा में संसाधन होना ही पर्याप्त है असीमित संसाधन व्यक्ति की आवश्यकता नहीं बल्कि उसकी लोभ लालच स्वार्थ और दूसरों का शोषण करने की प्रवृत्ति का परिणाम है और इस पर अंकुश लगाए बिना समाज में सब लोगों के बीच होने वाले टकराव पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता.
भौतिक विज्ञान की भारी उन्नति के कारण तो अब समाज में सामंजस्य की स्थापना करने के लिए केवल अमीरी रेखा का निर्माण ही एकमात्र रास्ता बच गया है इसका कारण यह है कि इसके के कारण अनेक प्रकार की मशीने और उपकरण उपलब्ध हैं जिन्होंने सारी आर्थिक क्रियाओं पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया है इससे उत्पादन विनिमय या किसी भी अन्य कार्य में आदमी की मेहनत की भूमिका लगातार कम होते होते समाप्त सी हो गई है. आने वाले समय में श्रम की भूमिका का और भी कम होना निश्चित है.
इसलिए आज मेहनत से होने वाली आय व्यक्ति के जीवन का आधार नहीं हो सकती और आय न होने पर किसी भी व्यक्ति का जीवन नहीं चल सकता और लोगों में शांति की स्थापना भी नहीं की जा सकती.
भोतिक विज्ञान की उन्नति ने साधनों और संपत्ति के महत्व को अनंत गुना बढ़ा दिया है साधन और संपत्तियां ही अब व्यक्ति को होने वाली आय का मुख्य आधार बन चुकी है इसलिए हर व्यक्ति अपने साधनों और संपत्ति के अनुपात में ही आय प्राप्त कर रहा है जो लोग साधन और संपत्ति के मालिक नहीं है उनके सामने संपन्न लोगों की गुलामी करने के अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं रह गया है श्रमजीवी या गरीब लोग साधन संपन्न लोगों की हर शर्त को मानने के लिए मजबूर है और इसके कारण उनका भयानक शोषण उपेक्षा अपमान और उत्पीड़न होता है. जिसे केवल अमीरी रेखा बनाकर ही रोका जा सकता है.
इसलिए यदि हम शांतिपूर्ण और शोषण मुक्त समाज बनाना चाहते हैं तो अमीरी रेखा का निर्माण करना ही होगा.
यदि हम इन परिस्थितियों से अलग हटकर अपने विवेक का उपयोग करते हुए भी विचार करें तो यह साफ तौर पर समझा जा सकता है कि समाज में न्याय की स्थापना के लिए हर व्यक्ति के संपत्ति अधिकार की एक अधिकतम सीमा तो होनी ही चाहिए कोई व्यक्ति चाहे कितना ही योग्य क्यों न हो जब तक एक व्यक्ति के संपत्ति अधिकार की कोई सीमा ही नहीं होगी तो दूसरे व्यक्ति के जीवन जीने के अधिकार की रक्षा नहीं की जा सकती मूल रूप से संपत्ति सुखी और स्वतंत्र जीवन का आधार है मेहनत नहीं .
मुझे तो यह बात स्पष्ट रुप से समझ में आ रही है कि वास्तव में सामाजिक व्यवस्था की रचना करने के लिए सबसे पहले प्राकृतिक संसाधनों पर न्याय पूर्ण स्वामित्व के सवाल को हल किया जाना चाहिए था. यदि इस मूल सवाल को पहले ही हल कर लिया गया होता तो एक शांतिपूर्ण समृद्ध और हर प्रकार से सुरक्षित समाज की स्थापना का उद्देश्य पूरा हो चुका होता और मानवता को अनेक युद्ध और विनाश से नहीं गुजरना पड़ता.
यह बात पूरी गंभीरता से समझ लेने की है कि जब सारे प्राकृतिक संसाधनों पर ही सबका जीवन निर्भर है और ये हमेशा सीमित मात्रा में ही उपलब्ध होते हैं तो एक व्यक्ति को सीमाहीन संपत्ति का मालिक कैसे माना जा सकता है? सामंजस्य की दृष्टि से यह मूल अधिकार बराबर अर्थात ओसत सीमा तक ही प्रदान किया जा सकता है और यही होना भी चाहिए.
संपत्ति का यह मूल अधिकार ही हर व्यक्ति के जीवन का आधार है इसलिए इसे न तो कम या ज्यादा किया जा सकता है और ना ही किसी भी आधार पर समाप्त किया जा सकता है.
इससे यह बात भी स्पष्ट हो जाती है कि आज इस अधिकार को खरीदने और बेचने की परिपाटी पूरी तरह गलत है.
अब सवाल उठता है कि ओसत सीमा तक प्रत्येक व्यक्ति के मूल संपत्ति अधिकार को सुरक्षित रखते हुए अर्थव्यवस्था का निर्माण किस प्रकार किया जा सकता है यह काम बहुत ही आसान है
अर्थव्यवस्था केवल प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंध मात्र है. इसका उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों से व्यक्ति के उपभोग की उत्तम स्तर की सभी वस्तुएं पर्याप्त मात्रा में कम-से-कम श्रम और समय में निरंतरता के साथ सबको उपलब्ध कराते रहना है इसमें व्यक्ति की रुचि योग्यता क्षमता स्वभाव शिक्षण प्रशिक्षण आवश्यकता और अनुभव आदि का महत्वपूर्ण स्थान है.
इस समस्या का समाधान करने के लिए ही मनुष्य ने विनिमय की खोज की है हर व्यक्ति हर काम को सही ढंग से बिल्कुल नहीं कर सकता और विभिन्न कामों में रुचि और योग्यता आदि के आधार पर सब लोगों को अपना अपना कार्य चुनने की स्वतंत्रता देकर इसे आसानी से हल किया जा सकता है.
इसलिए ओसत सीमा तक स्वामित्व के अधिकार को मान लेने से अपनी समझ में केवल यह बदलाव लाना होगा की साधनों का स्वामित्व नहीं बदला जा सकता केवल प्रथम प्रबंध करने का अधिकार बदला जा सकता है और किसी भी व्यक्ति को उत्पादन के लिए ओसत सीमा से अधिक साधनों की आवश्यकता होगी तो वह उसे अवश्य ही प्राप्त कर सकेगा लेकिन वह समाज का कर्जदार माना जाएगा. और अब उसकी अधिक संपत्ति पर ब्याज की दर से संपत्ति कर लगाकर समाज का हिस्सा अलग से निकाल दिया जाएगा और उसे सारे नागरिकों के बीच लाभांश के रुप में समान रुप से बांट दिया जाएगा.
इसलिए ऐसी व्यवस्था बहुत ही सरल सहज मितव्ययी और पारदर्शी होगी जिसमें बेईमानी करना असंभव नहीं तो बहुत कठिन अवश्य होगा.
इससे व्यक्ति की लोभ लालच दूसरों का शोषण करने की स्वार्थी प्रवृत्ति पर भी न्याय का अंकुश लगेगा जिससे प्रकृति में हो रहा भारी विनाश असंतुलन और खतरनाक बदलावों को भी रोका जा सकेगा.
इस प्रकार व्यावहारिक दृष्टि से भी यह पूरी तरह सर्वश्रेष्ठ और आदर्श वैकल्पिक व्यवस्था होगी.

Monday, July 18, 2016

AINA INDIA: परिवर्तन होना ज़रूरी है। अब अमीरी रेखा नहीं गरीबी ...

AINA INDIA: परिवर्तन होना ज़रूरी है। अब अमीरी रेखा नहीं गरीबी ...: अब जन सूझबूझ प्रकिर्या द्वारा परिवर्तन अनिवार्य है। अब अमीरी रेखा नहीं गरीबी रेखा बननी चाहिए।   भारत में नहीं अपितु संपूर्ण विश्व म...

AINA INDIA: परिवर्तन होना ज़रूरी है। अब अमीरी रेखा नहीं गरीबी ...

AINA INDIA: परिवर्तन होना ज़रूरी है। अब अमीरी रेखा नहीं गरीबी ...: अब जन सूझबूझ प्रकिर्या द्वारा परिवर्तन अनिवार्य है। अब अमीरी रेखा नहीं गरीबी रेखा बननी चाहिए।   भारत में नहीं अपितु संपूर्ण विश्व म...

परिवर्तन होना ज़रूरी है। अब अमीरी रेखा नहीं गरीबी रेखा बननी चाहिए। - Blogger by S.Z.Mallick(Journalist)

अब जन सूझबूझ प्रकिर्या द्वारा परिवर्तन अनिवार्य है। अब अमीरी रेखा नहीं गरीबी रेखा बननी चाहिए।  

भारत में नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में बल्कि यूँ कहें जबसे संसार बन है तभी से हर दौर कि नयी नस्लों में बदलो यानि परिवर्तन हुआ है और होता रहा है और होता रहेगा। लेकिन हमेशा जो भी बदलाव हुए हैं और हो रहे हैं सभी बदलाव उन लोगो द्वारा किये जाते हैं जिनको व्यवस्था से दुःख तथा नुक्सान होने लगता है।  जबकि  90 % जनता में अधिकतर यानि लगभग 35 % लोग कम पढ़े लिखे और अधिक बुद्धि विवेक और बल वाले वैसे लोगों की तादाद अधिक है जो निर्धन हैं।  इनमे से कुछ इनमे से कुछ भूमिहीन हैं लेकिन सरकारी नौकरी तथा अपना रोज़गार कर अपने परिवार का बलिभाती पालन पोषण कर रहे हैं।  जबकि सत्ता की व्यवस्था 10 % लोगों के ही हांथों में होती है लेकिन यह 10 % लोग 90 % पर हावी रहते हैं।  यह 10 % लोग ही देश और दुन्या की तक़दीर लिखते हैं। इन 10 % में उस समय बदलाव आता है जब 90 % लोग व्यवस्था से आहात होते हैं और अपने जन आक्रोश के तहत एक आंदोलन एक क्रांति का रूप जब तक न ले लें।  फिर इन्हे शांत करने के लिए यह 10 % व्यस्थापक लोग धोका फरेब और झूठ का एक वायदा का पुलिंदा तैयार कर जन आक्रोश को दिखाते हैं - तो क्या सच मच व्यवस्था बदलदते हैं , नहीं तो क्या बदलते हैं की जनाक्रोश शांत होजाता है। झूठा प्रॉजेक्ट जिसे लागू करने में शायद बरसों लगजएं - झूठी इस्किमें जिसमे गरीबों को लाखों रुपया देने की बात कही गयी हो और बेरोजगारों को घर बैठे रोज़गार देने का वायदा , तसल्ली इसी में जनता खुशफहमी की शिकार होकर अपने दिनचर्या में लगजाति है कुछ तो भूल कर अपनी व्यवस्था में मग्न हो जाते हैं कुछ हाय हल्ला करते रहते हैं।  लोग इस तरह से आदि हो चुके है इसलिए की गुलामी इनके खून में है।  
व्यवस्था सरकार में बैठे लोग न किया है न करेंगे,  नहीं कर सकते। कर सकती है तो  जनता , अवाम , वहभी सहज और सरल तरीके से।  दलालों और अपने छुटभइया नेताओं का साथ छोड़ कर थोड़ा सा अपने अंदर पहले बदलाव लाना होगा।जनता , अवाम यदि अपने अंदर थोड़ा सा बदलाव लाती है तो सिर्फ व्यवस्था नहीं बल्कि गॉव से लेकर देश भी बदल कर ख़ूबसूरत के साथ साथ मज़बूत भी हो जायेगा। 
पहला क़दम - फार्मूला नंबर वन , चाहे छोटा गॉव हो या बड़ा गॉव हो हर गॉव में एक ग्राम विकास कमेटी  बनायें तथा ग्रामवासी वैसे लोग को चुने चाहे अमिर हो या गरीब, हिन्दू या मुसलमान , छोटी जाती का  बड़ी जाती का हो , जो ग्रामवासियों के साथ अपना अच्छा सुभाओं रखता हो , और सर्वो समाज का हितैषी हो गांव के विकास के लिए ग्रामवासियों से हमेशा चर्चा करता रहता हो , उसे अपना प्रतिनिधि चुन लें उसे ही आगे आने के लिए प्रोत्साहित करें, ज़रूरी नहीं है की इस विचारधारा के मात्र एक गांव में एक ही होंगे दो भी निकल सकते हैं चार भी निकल सकते है। ऐसी इस्थिति में ग्रामवासी मिल कर सारे गांव के सामने एक घड़ा लेकर उसमें चुने हुए नामों की पर्ची बन कर एक एक घड़े में दाल कर किसी छोटे बच्चे से एक पर्ची निकलवाएं, इस प्रकार का फॉर्मूला हर गॉव को अपनाना होगा , फिर पंचायत अस्तर पर मुख्या के लिए सर्व सहमति से एक आदमी को चुने यदि एक से ज़्यादा होता है तो उन सब के नामों को पर्ची बन कर एक एक घड़े में दाल कर किसी छोटे बच्चे से एक पर्ची निकलवाएं, जिसका नाम निकले तो सभी को उस पर ईमानदारी से सहमति देते हुए उसी को पहले उसे मुख्या बनायें , इसी तरह प्रखंड (ब्लॉक) अस्तर पर सभी मुखिया के नाम को मिला कर एक घड़े में दाल कर किसी छोटे बच्चे से एक पर्ची निकलवाएं और जिसका नाम निकले सर्व सहमति से उसी को प्रमुख का उम्मीदवार बना कर उसी को अपना मत देकर अपना प्रमुख बनायें। तथा इसी फार्मूले के तहत एक विधायक तैयार करें लेकिन ध्यान रहे आप का कोई भी प्रतिनिधि अनपढ़ न हो , कम् से काम 12 वीं को ही अपना प्रतिनिधि चुने।  इसी प्रकार विधायक और मुख्या मिला कर जिला अस्तर पर एक सांसद का चुनाव करें।  जो आपके लिए तथा गॉव के हित में विकास के लिए अच्छी नीतियां बांनाये और सरकार से उसे पास करा सके। 
  फार्मूला न० दो - यदि आप के द्वारा चुना हुआ प्रतिनिधि दो से अढ़ाई वर्षों तक काम नहीं करता है तो उसे जिस प्रकिर्या से आप अपना प्रतिनिधि चुना हैं उसी प्रकिर्या के तहत उन्हें आप को निकालने का भी अधिकार होगा। और फिर उन्ही कमेटी में से उसी प्रकिर्या के तहत दूसरे प्रतिनिधि को मौक़ा दें। इसमें न कोई सरकार का खर्च आएगा और न सरकार को चुनाव कराने का कोई बहाना। 
इसी प्रकार देश हर नागरिक को सरकारी ख़ज़ाने से 10000 रुपया प्रति माह दिया जाएगा चाहे वह अमीर हो या गरीब उसका फार्मूला रोशन लाल अग्रवाल द्वारा दिए गए कुछ प्रावधानों को अपनाए जैसे - यह प्रावधान आपके द्वारा चुने गए प्रतिनिधियो के द्वारा विधान सभ एवं सांसद में पूरी ताक़त से लागु करना होगा - यह दस हज़ार रुपया देश के सभी नागरिकों को कैसे मिलसकता है आएं इस पर एक गहन चिंतन करें - फिर फैसला कर्रें संभव है या नहीं - फार्मूला न० तीन - सारे प्राकृतिक संसाधन ही मूल धन है और हमारे जीवन का आधार है इनके उपभोग के बिना हमारा जीवन नहीँ चल सकता प्रकृति मेँ पाए जाने वाले उपभोग के सभी पदार्थ इंन्हीं प्राकृतिक संसाधन से बनाए जाते है ये प्राकृतिक संसाधन मूल रुप से प्रकृति का वरदान है और किसी व्यक्ति ने इन का निर्माण अपनी शक्ति बुद्धि या क्षमता से नहीँ किया है  इसलिए न्याय के आधार पर एक व्यक्ति का मूलभूत जन्मसिद्ध अधिकार केवल औसत सीमा तक संपत्ति पर ही हो सकता है। इससे अधिक पर नहीँ क्योंकि इससे अधिक पर मूल अधिकार मान लेने से किसी अन्य व्यक्ति के मूल अधिकार का हनन होगा जो उसके साथ अंन्याय है। क्योंकि यदि हम व्यक्ति के अधिकारोँ का संबंध उसकी उपरोक्त विशेषताओं से जोड़ते है तो उसके आधार पर बनने वाली व्यवस्था न्यायपूर्ण न होकर जंगलराज या जिसकी लाठी उसकी भेंस वाली होगी और उससे समाज मेँ शांति की स्थापना नहीँ की जा सकती। 
किंतु इस अधिकार को प्राप्त करने के लिए हर व्यक्ति को अपनी योग्यता क्षमता या पुरुषार्थ पर ही निर्भर रहना होता है।  जो सबकी एक समान न होकर बहुत अलग अलग है। ये विशेषताएँ कुछ लोगो की औसत से कम व अन्य कुछ लोगोँ की बहुत ज्यादा भी हो सकती है और होती ही है। इसी कारण कुछ लोगोँ के पास अपनी उपभोग की आवश्यकताओं को पूरा कर लेने के बाद भी मूलभूत औसत अधिकार से बहुत अधिक संपत्ति एकत्रित हो सकती है।  जबकि अन्य लोगोँ को अपने मूलभूत अधिकार से बहुत कम आय ही प्राप्त होती हैं, जिससे वे अपने उपभोग की जरुरतोँ को भी ठीक प्रकार से पूरा नहीँ कर पाते। 
इस प्रकार औसत सीमा तक संपत्ति एक व्यक्ति का मालिकाना अधिकार की अधिकतम सीमा अर्थात् अमीरी रेखा है जो किसी भी समय निजी संपत्ति की कुल मात्रा को उस समय की जनसंख्या से भाग देकर आसानी से निकाली जा सकती है।  जैसे - 
इसलिए न्याय के आधार पर एक नागरिक को औसत सीमा से अधिक संपत्ति का स्वामी न मांन कर उसका प्रबंधक (समाज का कर्जदार) माना जाना चाहिए और मूल सीमा से अधिक संपत्ति पर ब्याज की दर से संपत्ति कर लगाया जाना चाहिए। 
अंय सभी प्रकार के करों (आयकर सहित) समाप्त कर दिया जाना चाहिए जो किसी भी दृष्टि से समाज के लिए हितकारी नहीँ हे ओर सभी प्रकार को षड़यंत्रों को जन्म देते है। 
क्योंकि सारे प्राकृतिक संसाधन ही मूल संपत्ति होते है और इन पर समाज का अर्थ सभी लोगोँ का समान रुप से स्वामित्व होता है।  इसलिए संपत्तिकर से इस प्रकार होने वाली आय पूरे समाज की प्राकृतिक संसाधनो से प्राप्त होने वाली अतिरिक्त आय होती है जिस पर सब का समान अधिकार है।  
इसलिए इस में से सरकार के बजट का खर्च (व्यवस्था के संचालन का खर्च) काटकर शेष राशि को सारे नगरिकों में बिना किसी भेदभाव के लाभांश के रुप मेँ बाँट दिया जाना चाहिए। 
इस प्रकार न्याय के आधार पर हर नागरिक के दो अधिकार होते हैं, पहला मूलभूत स्वामित्व का अधिकार जिसका व्यक्ति की मेहनत से कोई संबंध नहीँ होता है और जो सबका सम्मान होता है। 
दूसरा मेहनत या पुरुषार्थ से प्राप्त अधिकार जो मेहनत के आधार पर सबका कम या अधिक हो सकता है। 
लाभांश स्वामित्व के अधिकार से मिलने वाला समान लाभ है जिसका व्यक्ति की मेहनत से कोई संबंध नहीँ होता। 
भौतिक विज्ञान की उन्नति के कारण प्राकृतिक संसाधनो को उपभोग योग्य बनाने के लिए उन मेँ लगने वाली मेहनत की मात्रा लगातार घटती जा रही है और स्वामित्व के अधिकार का महत्व बरता जा रहा है। और उसके साथ ही लाभांश की मात्रा भी बढ़ती जा रही है। 
आज भी एक व्यक्ति की आय का संबंध उसकी शारीरिक या बौद्धिक मेहनत से न होकर उसके साधनो से स्थापित हो गया है जिसके पास अधिक साधन है उसकी आय ज्यादा है जिसके पास कम साधन है उसकी आय भी उसी अनुपात मेँ बहुत कम है। जिस दिन भौतिक विज्ञान इतनी उन्नति कर लेंगे कि उसके सारे कार्य अनेक प्रकार के यंत्र और उपकरणो की सहायता से ही पूरे होने लगेंगे और मेहनत की कोई भूमिका ही नहीँ बचेगी तब समाज के शांतिपूर्ण संचालन का एकमात्र मार्ग लाभांश ही रह जाएगा मेहनत नहीँ। 
हर व्यक्ति चाहता है उसे उसके उपभोग के पदार्थ कम से कम परिश्रम मेँ निरंतर प्राप्त होते रहे और उसे कभी भी अभाव का सामना न करना पड़े।  भौतिक विज्ञान की उन्नति ने मनुष्य की इस चीर संचित अभिलाषा को अच्छी तरह से पूरा किया है। 
अतः अब सब लोगोँ को अपना पेट भरने के लिए किसी प्रकार की मेहनत करने की बाध्यता से मुक्ति मिलनी चाहिए इसे हरामखोरी कहना या गलत मानना पूरी तरह अज्ञान्ता है। 
      

                         

Sunday, July 17, 2016

EHSAS- Blogger by S.Z.Mallick(Journalist)

एहसास


 












16 सालों में आज पहली बार मुझे अपने बच्चों के बिछड़ने एहसास हुआ , आज 16 जुलाई 2016 को मेरे बच्चों को मुज़फ्फरपुर जाना हो रहा है जबकि मेरे कुछ बच्चों के लिए बिहार के सफर का पहला तजुर्बा होगा।  मेरा बड़ा बेटा और दो बेटिओं का यह दूसरा सफर है जबकि एक बेटी और एक छोटे बेटे अल ज़ैद और उससे बड़ी बेटी आलिया का यह पहला सफर है।  अल्लाह सभों का सफर कामयाब करे और जिस मक़सद से हमारे बड़े ममेरे साला नौशाद भाई इन सभी बच्चों को अपने खर्चे से अपने गाँव ले जा रहे अल्लाह इनके मक़सद में इन्हे कामयाबी दे आमीन - सुम्मा आमीन। मैं आज अपने बच्चों को स्टेशन छोड़ने नहीं गया। जबकि ट्रैन जलपाईगुड़ी एक्सप्रेस 3:20 में है।  उनके रुखसत होने पहले मैं घर से मीटिंग के बहाने निकल गया - बच्चों को अपने से दूर जते हुए नहीं देखा जता मेरी अाँखे  छलक रही थी बड़ी  आपने आंसू रोक पाया था मेरा छोटा बेटा मेरी शकल पढ़ रहा था , वह किनारे जा कर छुप कर रोने लगा मैं जब ऑफिस के लिए ब्र्हमशक्ति बस पकड़ लिया तो  फोन आया - ज़ैद रो रहा है - लीजिए उसे समझाएं - मैंने उससे फिर झूट बोला बेटा मैं चार दिनों के बाद आऊंगा अभी माँ के साथ जाओ - तब वह चुप हुआ - खुद बेहतर जनता है की उसे मेरे लिए कितनी मुहब्बत है -अभी तो बचपना है , कहा जाता है बच्चा और कुत्ता एक सा होता है, बहार हाल अल्लाह इनकी हिफाज़त फरमाए खैरो आफ़ियत के साथ इन्हे इनके मंज़िल तक पहुंचाए  - आमीन -सुम्मा आमीन।  - एस. जेड. मलिक(पत्रकार)            

Thursday, July 14, 2016

अरविन्द केजरीवाल के नाम खुल पत्र - arvind ji , attention plz, leave the BJP and duel politics, pls care the public beneficial policy, so people started thinking of you and is doing something for us.



अरविन्द जी , 
आप अन्ना हजारे का साथ छोड़ कर अपनी राजनीती पार्टी बना कर अभी तक के राजनीती में आप ने क्या खोया और क्या पाया।  इस पर एक बार मंथन ज़रूर करें। जनता से जितने भी वादे कर के  आप ने दिल्ली की गद्दी हासिल कि उन में से कितने वादे  आप की सरकार ने पूरा किया जनता के विशवास पर कितने खरे उतरे। क्या आप बड़े बड़े बैनर पर अपने झूठे कार्यों का प्रचार कर क्या दिल्ली की  मानसिकता को बदल देंगे।  जनता ने आप को बड़े विश्वास के साथ अपना मत दे कर दिल्ली की गद्दी पर बिठाया था , बिजली का बिल काम होगा , लेकिन काम होने के बजाये लोगों को दुगुना बिल भरना पड़ रहा है।  गलत तरीके से बिजली विभाग उपभोगताओं से बिल वसूल कर रही है।  दूसरे पानी 20000 हज़ार लीटर तो छोडिए , आज भी बाहरी दिल्ली के बहुत से गाओं में सपलई का पानी देखने के लिए लोग किसी कसी गाओं में कम से कम तीन दिन से लेकर सात दिनों तक इंतज़ार करना पड़ता है। बहुत से कालोनियों में अभी तक सप्लाई का पानी पहुंचा ही नहीं है , आबादी घनी होने के बावजूद जल बोर्ड को पैसजमा करने के बावजूद वहां अबतक पाईप लाईन बिछाया ही नहीं गया। पुठ कलां में आधे गाओं में पानी आता है  आधे गाओं में आता हि नहीं, पूठ कलां के मांगे राम पार्क में , सुल्तानपुरी के पशिम अमन विहार तथा किरारी , और मीर विहार, प्रेम नगर, उतसव बिहार, रमा बिहार, का इलाक़ा छोटी पूठ के आस पास के कालोनियों, बेगम पर के आस पास कालोनियों में अबतक पाईप लाइन नहीं बिछी है , आखिर क्यों ? यह काम तो आप के सरकार के हाथ का है। ज़मीनों का मसला तो आप के बस की है नहीं इसलिए की रेवन्यू आप के पास है नहीं , आप इसमें अपना समय नष्ट न करें बीजेपी और कांग्रेस इस काम को होने नहीं देगी, पुलिस आप को मिल  सकती , यह केंद्र शासित प्रदेश है , यहां लोक सभा , राज्य सभा , तथा सभी केंद्रीय मंत्रालय एवं केंद्रीय सचिवालय उसके अलावा  एडवोकेसी , ब्यूरोक्रेसी , और सारी पॉलिसी यही बनती है - सारे मंतरी सनतरी , उनके बंगले तथा उनके किराए इस समय केंद्र के झोली में जा रहा है और सांसद , ब्यूरोक्रेट संत्रियों के बड़े बड़े पदाधिकारीगण , राष्ट्रपति , और उसके भवन यह तमाम लोग राज्य सरकार को मनमानी क्यों करने देंगे? अपनी मल्कान अधिकार क्यों लोग छीनने देंगे। इस लिए आप को एक बार फिर से दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा के लिए आंदोलन खड़ा करना पड़ेगा।  
यदि आप को इन सब पर हावी होना है तो आपको आर्थिक न्याय की पालिसी अपनानी पड़ेगी-इस पालिसी को लागु करने से आप केवल दिल्ली में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व की जनता के हीरो हो जायेंगे। आप चाहें तो हम आपको वह कांसेप्ट दे सकते हैं।  
किरपा कर आप जनता को धोका न दे। सच का सामना करें , और सच यह है की इस समय आप यानि दिल्ली का मुख्य मंत्री मात्र केंद्र का दरबान जैसा है।  और कुछ नहीं। आप से निवेदन है की आप एक बार पुनः विचार करें। 

भवदीय 
रोशन लाल अग्रवाल 
लेखक एवं समीक्षक आर्थिक न्याय 
09302224440 ,  

              

Tuesday, July 12, 2016

Blogger S.Z.Mallick(Jornalist)

गोडसे के नाम से पूल का नामांकरण -


राजस्थान के अलवर में राष्ट्रपति महात्मा गांधी की हत्या करने वाले व्यक्ति को जब यह सरकार राष्ट्रवादी की उपाधि दे कर हत्यारे गोडसे के नाम से पूल का नामांकरण करसकती है तो कुछ भी सम्भव है।   हमारे देश की जनता को फैसला करना होगा की अपने देश को नर्क बना चाते हैं या स्वर्ग , यह आप जनता पर मुनहसर करता है। भाजपा और आर एस एस दोनों ही सिर्फ पांच साल का टारगेट लेकर सत्ता हासिल किया है , अब तक इन दो सालों में इन्हें ने इतना गबन और घोटाला कर रहे हैं। इसको कैसे छुपाएँ तो हम भारतियों का ध्यान हटाने के लिए आतंकवाद, अशहिष्णुता, साम्प्रदायिकता का हंगामा कर के कुछ दलाल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को रुपया दे कर इतना शोर मचाते हैं की हम इनके दुर्द्यंत कारनामें को भूल कर हाय आतंकवाद हाय पकिस्तान कहकर हाहाकार मचाने वालों के पीछे पीछे हो लेते हैं।  फिर हम सिर्फ तमाशाई बने उन्हें और उनके द्वारा रचे गए ड्रामे को ही देखते रहते हैं। इन बातों को हम तमाम भारतियों को गम्भीरता से सोंचना होगा। एस.जेड. मलिक (पत्रकार)

गोडसे के नाम से पूल का नामांकरण -





Blogger - S.Z.MALLICK(Journalist)

राजस्थान के अलवर में राष्ट्रपति महात्मा गांधी की हत्या करने वाले व्यक्ति को जब यह सरकार राष्ट्रवादी की उपाधि दे कर हत्यारे गोडसे के नाम से पूल का नामांकरण करसकती है तो कुछ भी सम्भव है।   हमारे देश की जनता को फैसला करना होगा की अपने देश को नर्क बना चाते हैं या स्वर्ग , यह आप जनता पर मुनहसर करता है। भाजपा और आर एस एस दोनों ही सिर्फ पांच साल का टारगेट लेकर सत्ता हासिल किया है , अब तक इन दो सालों में इन्हें ने इतना गबन और घोटाला कर रहे हैं। इसको कैसे छुपाएँ तो हम भारतियों का ध्यान हटाने के लिए आतंकवाद, अशहिष्णुता, साम्प्रदायिकता का हंगामा कर के कुछ दलाल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को रुपया दे कर इतना शोर मचाते हैं की हम इनके दुर्द्यंत कारनामें को भूल कर हाय आतंकवाद हाय पकिस्तान कहकर हाहाकार मचाने वालों के पीछे पीछे हो लेते हैं।  फिर हम सिर्फ तमाशाई बने उन्हें और उनके द्वारा रचे गए ड्रामे को ही देखते रहते हैं। इन बातों को हम तमाम भारतियों को गम्भीरता से सोंचना होगा। एस.जेड. मलिक (पत्रकार)

गोडसे के नाम से पूल का नामांकरण -





Blogger - S.Z.MALLICK(Journalist)

राजस्थान के अलवर में राष्ट्रपति महात्मा गांधी की हत्या करने वाले व्यक्ति को जब यह सरकार राष्ट्रवादी की उपाधि दे कर हत्यारे गोडसे के नाम से पूल का नामांकरण करसकती है तो कुछ भी सम्भव है।   हमारे देश की जनता को फैसला करना होगा की अपने देश को नर्क बना चाते हैं या स्वर्ग , यह आप जनता पर मुनहसर करता है। भाजपा और आर एस एस दोनों ही सिर्फ पांच साल का टारगेट लेकर सत्ता हासिल किया है , अब तक इन दो सालों में इन्हें ने इतना गबन और घोटाला कर रहे हैं। इसको कैसे छुपाएँ तो हम भारतियों का ध्यान हटाने के लिए आतंकवाद, अशहिष्णुता, साम्प्रदायिकता का हंगामा कर के कुछ दलाल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को रुपया दे कर इतना शोर मचाते हैं की हम इनके दुर्द्यंत कारनामें को भूल कर हाय आतंकवाद हाय पकिस्तान कहकर हाहाकार मचाने वालों के पीछे पीछे हो लेते हैं।  फिर हम सिर्फ तमाशाई बने उन्हें और उनके द्वारा रचे गए ड्रामे को ही देखते रहते हैं। इन बातों को हम तमाम भारतियों को गम्भीरता से सोंचना होगा। एस.जेड. मलिक (पत्रकार)

AINA INDIA: (ॐ जीएसबीएसडीटी ) की स्थापना दिवस के अवसर पर कलश य...

AINA INDIA: (ॐ जीएसबीएसडीटी ) की स्थापना दिवस के अवसर पर कलश य...: Blogger by S.Z.Mallick(Journalist) बहरी दिल्ली - दिल्ली जिला उत्तरी पश्मि के पूठ कलां गांव में आज ॐ गणपति शिव बाला जी सामाजिक उत्थान ...

Blogger by S.Z.Mallick(Journalist)

(ॐ जीएसबीएसडीटी ) की स्थापना दिवस के अवसर पर कलश यात्रा।  


बहरी दिल्ली - दिल्ली जिला उत्तरी पश्मि के पूठ कलां गांव में आज ॐ गणपति शिव बाला जी सामाजिक उत्थान ट्रस्ट द्वारा स्थापित मंदिर का आज 5वां स्थापना दिवस कलश यात्रा निकाल कर मनाया गया।  इस कलश यात्रा में लगभग दो सौ स्थानियें महिलाओं ने भाग ले कर गाओं का भर्मण कर यात्रा की शोभा बढ़ाई। तथा गाओं के गणमान्य लोगों भागीदारी निभाई।  
मुख्य ट्रस्टी एवं चेयरमैन ए. के. सोलंकी ने एक प्रेस  कर बताया की हर साल की तरह इस साल भी भण्डारा तथा रात्रि जागरण का आयोजन किया गया है जिस में हरयाणा के विख्यात रंगनी गाईक एवम भजन गायक जागरण का शोभा बढ़ाएंगे।      

Blogger by S.Z.Mallick(Journalist)

(ॐ जीएसबीएसडीटी ) की स्थापना दिवस के अवसर पर कलश यात्रा।  


बहरी दिल्ली - दिल्ली जिला उत्तरी पश्मि के पूठ कलां गांव में आज ॐ गणपति शिव बाला जी सामाजिक उत्थान ट्रस्ट द्वारा स्थापित मंदिर का आज 5वां स्थापना दिवस कलश यात्रा निकाल कर मनाया गया।  इस कलश यात्रा में लगभग दो सौ स्थानियें महिलाओं ने भाग ले कर गाओं का भर्मण कर यात्रा की शोभा बढ़ाई। तथा गाओं के गणमान्य लोगों भागीदारी निभाई।  
मुख्य ट्रस्टी एवं चेयरमैन ए. के. सोलंकी ने एक प्रेस  कर बताया की हर साल की तरह इस साल भी भण्डारा तथा रात्रि जागरण का आयोजन किया गया है जिस में हरयाणा के विख्यात रंगनी गाईक एवम भजन गायक जागरण का शोभा बढ़ाएंगे।