एक ग्रामीण की नई सोंच - जिसने ग्रामवासियों को दी नई ऊर्जा ।
एस. ज़ेड.मलिक(पत्रकार)
नई सोंच - ग्राम विकास की ओर - जिसमे सामाजिकता होती है - ज़रूरी नही की वह शिक्षित हो । समाज के लिये बेहतर सोंच रखने वाले लोग बिना भेद भाव के अपने गाँव को उन्नति की ओर लेजाने के लिये अग्रसर रहते है, उन्ही में से एक मोहम्मद इरफान है जो ज़िला मुजफ्फरपुर, प्रखंड औराई ग्राम सिसौली के निवासी ने अपनी सोंच को अमली जावां पहनाया और अपनी कोशिश से एक नई पहल की है -
वह कहते हैं - उनके गांव व आसपास लगभग 50,60 किलोमीटर के क्षेत्र में कोई बड़ा अस्पताल नहीं है जिसका यहसास उन्हें बचपन से होता रहा और यह कमी उन्हें खलती रही , उन्होंने अपने गाँव मे एक ट्रस्ट के माध्यम से अच्छे एमबीबीएस डॉक्टर को अपनी जगह दे कर निशुल्क जांच और दवाइयां वितरण कराने का ज़िम्मा उठाया जो सराहनीय है। आजकल इरफ़ान साहब अपने घर को ही ओपीडी में तब्दील कर ग्रामीणों की सेवा कर रहे हैं।
कहा जाता है जहां चाह वहीं राह होती है - इंसान कुछ करने की ठान ले तो क्या नहीं कर सकता है । यही नहीं - इन्हों ने अपनी निजी ज़मीन दे कर ग्रामवासियों के बच्चों के उच्च शिक्षा के लिये एक मोडरेन मदरसा की भी शुरुआत की है। जिसमे अरबी, उर्दू, फारसी ही नहीं बल्कि अंग्रेज़ी हिंदी और संस्कृत की भी पढ़ाई कराई जाएगी । ताकि आने वाली नसलों को धर्म और जाती से हट कर इंसानियत का बोध हो सके।
उनका मानना है हमारे ग्रामीण बच्चों में एक नई सोंच पैदा होगी और उनके अंदर उन्नति की एक नई ऊर्जा पैदा होगी। स्पष्ट है कि बच्चे के अंदर जब नई सोंच आएगी तो जहां वह अपने आपको विकसित करेंगे वहीं अपने आप उनका समाज विकसित होगा और समाज वोकसित होगा तो देश विकसित होगा। बशर्ते दुराहग्रहिओ और द्वेषित कि बुरी दृष्टि से बचना चाहिए।
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