पूठ कलां दिल्ली के स्कूल में दो महीने की छुट्टीओं में दिल्ली सरकार के स्कूल प्रसाशन को स्कूल रिपेयर का ख्याल नहीं आया। अब जब छुट्टीया बीत गयी तो रिपेयर का ख्याल आया। बच्चे तथा अभिभावको के परशानियों से सरकार को कुछ लेना देना नहीं - स्कूल प्रसाशन ने 6-7-8, क्लास के बच्चों को अपने स्कूल से 3 की० मी० दूर हस्थानांत्रित किया।
एस.ज़ेड.मलिक (पत्रकार)
बाहरी दिल्ली उत्तर पश्मि जिला के पूठ कलां गांव सर्वोदय विद्यालय जहाँ 12 वीं तक छात्र छात्राएं दो पालियों शिक्षा ग्रहण करते हैं पहली पाली में छात्राओं की होती है जो प्रातः 7 :30 से 12 :45, बजे तक और दूसरी पाली छात्रों की जो 1:00 बजे दोपहर से 6 :30, बजे संध्या तक चलता है। आज स्कूल की जब छुट्टियां समाप्त हो गयी तो स्कूल प्रसाशन को स्कूल रिपेयर करने का अचानक से विचार कैसे आया ? स्कूल प्रसाशन आखिर दो महीनें तक क्यों सोया रहा ? अब यह 6,7,8 वीं के बच्चों को विशेष का लड़कियों को सेक्टर 21 जो बेगमपुर से लगे हुए है यह जगह पूठ कलां से लग भग 3 कि० मी० दूर है और एक स्कूल से दूसरे स्कूल ताक पैदल चलना दूभर है , जिसके पास अपनी विकल है उनके लिए तो कोई परिशानी नहीं है लेकिन जिनके पास अपनी विकल नहीं है उसके लिए 3 कि० मी० पैदल आधा घंटा चलना दूभर सा है तथा अधिकतर मज़दूरी करने वाले लोग ५० रुपया रोज़ रिक्शा वाले को कैसे अदा कर पाएंगे। फिर तो गरीब के बच्चों के लिए एक ही रास्ता बचता है वह स्कूल छोड़ कर घर बैठ जाएँ। सरकार द्वारा बच्चों को दियेजाने वाला एक बच्चे पर लगभग सालाना 2000 रुपया भी बच जायेगा।
इनकी परिशानियों को देखते हुए स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के भगवन सोलंकी जो उत्तरी पश्मि ज़िला आम आदमी पार्टी के उपाध्यक्ष भी हैं उनसे बात करना चाहा परन्तु उन्हों ने हमसे बात नहीं की मेरा फोन काट दिया , फिर मैंने इसी कमेटी के सक्रिय कार्यकर्ता दिल्ली युवा आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष हैं, उनसे जब इस मामले में बात की तो उन्हों ने कहा की सिर्फ 20 , 25 , दिन लगेंगे, फिर हम उन्हें वापस बुललेंगे। पत्रकार ने जब इनके इस जवाब पर जब जानना चाहां की कमेटी चाहती तो बच्चों तथा अभिभावकों को परेशानी से बचा सकती थी - उसी स्कूल में इतने बड़े बड़े रूम हैं की उसी में एडजेस्ट कर सकती थी। जिससे अभिभावक और बच्चे परेशानीओं से बचाया जा सकता था और इन कक्षाओं के कमरे मरम्मति का काम करा सकते थे , दूसरी बात दो महीने तक छुट्ट्यां रही तब आप लोगों को उस दरमियान मरम्मति का ध्यान क्यों नहीं आया - फिर सवाल उठता है की बच्चों की बढ़ती तादाद देखते हुए दो कमरा या तीन कमरा उस स्कूल में बनना है - तो उस स्कूल में अभी हाल फिलहाल लगभग तीन साल हुए होंगे नई इमारत बने हुए आज उसके भी खिड़की दरवाज़े क्यों उजाड़ दिये ? क्या इसमें गबन होने का संकेत नहीं है - क्या यह गबन करने की साजिश नहीं है ?. आखिर आम आदमी पार्टी ईमानदारी का चोला पहन कर कब तक दिल्ली की जनता को बेकुफ बनाती रहेगी ?
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