'बेसिक इनकम गारंटी' स्विस की जनता ने नाकारा।
एस.ज़ेड. मलिक (पत्रकार) ज़ी मीडिया ब्यूरो के सौजन्य से
जिनेवा : अगर किसी को घर बैठे हर महीने सरकार की तरफ से बंधी-बंधाई सेलरी मिले तो कौन काम करना चाहेगा? लेकिन एक ऐसा देश है जिसके नागरिकों ने सरकार की इस शानदार पेशकश को ठुकरा दिया है। दुनिया के अमीर देशों में से एक स्विट्जरलैंड के नागरिकों ने सरकार की मुफ्त सेलरी की पेशकश ठुकरा दी है। स्विट्जरलैंड की सरकार ने मुफ्त सेलरी देने को लेकर एक जनमतसंग्रह कराया है जिसके पक्ष में 23 प्रतिशत जबकि प्रस्ताव के विरोध में 77 फीसदी लोगों ने मतदान किया।
'बेसिक इनकम गारंटी' के समर्थकों की मांग है कि सरकार करीब उन्हें डेढ़ लाख रुपए से अधिक हर महीने वेतन दे पिछले करीब डेढ़ साल से यहां कुछ लोगों की तरफ से मांग की जा रही थी कि सरकार सभी को न्यूनतम सैलरी दे वो भी बिना कोई काम किए। इस मांग के बाद सरकार ने एक जनमत संग्रह कराया, जिसमें देश के 78% लोगों ने इसे ठुकरा दिया। इसी के साथ यह प्रस्ताव खारिज हो गया। दरअसल, यहां ज्यादातर लोगों के पास काम नहीं है। फैक्ट्रियां में लोगों की जगह रोबोट ने ले ली है, जिससे देश में बेरोजगारी बढ़ रही है।
अगर ये पास हो जाता तो सरकार को हर महीने देश के सभी नागरिकों और 5 साल से वहां रह रहे उन विदेशियों को, जिन्होंने वहां की नागरिकता ले ली है, उन्हें बेसिक सैलरी देनी होती। दुनिया में पहली बार है जब ऐसे किसी प्रस्ताव को किसी देश में नागरिकों के बीच रखा गया था। इस प्रस्ताव में लोगों से पूछा गया था कि क्या वे देश के नागरिकों के लिए एक तय इनकम के प्रावधान का समर्थन करते हैं या नहीं?
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