बिजली विभाग का ज़बरदस्ती छापा। लोक अदालत के आदेश पर को 22180 रुपया जुरमाना भरा फिर 25 जुलाई 2016 और 22180 रुपया देना है। - मज़दूरी करनेवाले ज़ीशान के २५ गज़ के मकान में एसी तथा फ्रिज चालान का इलज़ाम। घर में कोई मर्द की सूरत नहीं। बिजली विभाग के लगभा 10-12 लोग जबरन मकान में घुस कर बंद मीटर का फोटो खिंच कर इलज़ाम लगा दिया की अमानुल्लाह बिजली चोरी कर रहा था। जबरन 74000 हज़ार रूपये का जुर्माना थोक दिया।
उत्तर पशिम जिला के सुलतान पूरी के एक नंबर ऍफ़ ब्लॉक नूरी मस्जिद के सटे २५ गज़ के मकान में १३ मई को लग भाग १२ बजे अस्थानीय बिजली विभाग के लगभग १२-१५ लोग घर में घुस गए और बंद मीटर की फोटो कहना शुरू कर दिया - मकान मालिक समाजसेवी जीशअनुल्लाह के कथनानुसार उस समय वह दिल्ली में उपस्थित नहीं थे और घर में मर्द की सूरत में कोई नहीं था , घर में सिर्फ औरते ही थी। मकान मालिक जीशनुल्लाह के माकन में दो मीटर लगा हुआ है एक दूकान का और दूसरा मकान का, माकन के मीटर का सीए नो० ६०००४५२९२३० , है , इसका बिल हर महीने लग भाग १२-१३ सौ का आता है, जिस में एक सेलिंग फैन और एक कूलर तथा दो बल्ब और एक टिवलाईट का इस्तेमाल है - दूकान के मीटर का कोई खास इस्तेमाल नहीं है, कभी कभी दूकान जब खुलती है तो सिर्फ एक एलईडी बल्ब २-४-१० मिंट के लिए जलाया जाता है। बिजली की इतनी कम खपत, समय पर बिल भरा जा रहा है तो फिर सवाल उठता है आखिर इलज़ाम क्यों लगाया गया? बिजली विभाग ने क्या गुंडे पाल कर अपना बिल वसूल करने का ठेका ले रक्खा है, क्या ऐसा तो नहीं कि बिजली विभाग अपने आक़ा से बिजली बिल न लेकर गरीब और कमज़ोर उपभोगताओं से अपने आकाओं का बिल वसूलती है , इससे पहले भी बिजली विभाग के कर्मचारिओं की ऐसे ओछे हरकतों की कई शिकायतें मिलती रही है , जिसका निपटारा अदालत में किया जाता है और लोक अदालत किसका तो पता चला की वह भी बिजली विभाग का ही है, लोकअदालत का काम है बिजली विभाग द्वारा थोपा गया जुर्माना का सेटलमेंट करा कर उपभोगताओं से आधा जुरमाना बिजली विभाग को अदा करवाना, लोगों को सिर्फ इस बात से संतुष्टि मिलजाती है की लोक अदालत ने हमारा उद्धार कर दिया।
जनता इतनी भावुक बेवक़ूफ़ अशिक्षित है की स्वतंत्रता से अब तक उसे न तो लोकतंत्र का मतलब ही समझ में आया और न तो सरकार का मतलब ही आज तक समझ पायी। 75 प्रतिशत जनत आज भी अपने सांसद , विधायेक तथा निगमपार्षद और मुखिया को ही सरकार कह कर उसके आगे नमस्तक रहती है यही कारन है की यह जनप्रतिनिधि अपने आपको जनता देवता तथा कहीं कहीं भगवान् भी बनजाते हैं। और सरकारी कर्मचारी जो जनता की नौकरी करने के लिए, जनता के समस्याओं के समाधान के लिए बहाल किये गए हैं , ऐसे 75 प्रतिशत अशिक्षित भावुक बेवक़ूफ़ जनता के कारण वह भी अपने आप को कर्मचारी या पदाधिकारी से हट कर अपने आप को देवता या भगवान् से काम नहीं समझते हैं। नतीजा सबके सामने है जो मैं लिख रहा हूँ , ऐसे कौन पढ़ेगा एक शिक्षित और समझदार आदमी , न कि कोई अनपढ़ या बेवक़ूफ़ आदमी , अनपढ़ और बेवक़ूफ़ लोग तो पढ़े लिखे लोगों पर ही यकीन , विश्वाश ,भरोसा, करते हैं , और दूसरे नेताओं पर चाहे वह अनपढ़ क्यों न हों साफ सुथरा कपडा पहनते हैं , खादी पहनते हैं , एसी दफ्तरों में बैठे हैं ऐसे ही लोग इन 75 प्रतिशत जनता को बेवक़ूफ़ बन कर अपना उल्लू सीधा करते हैं , और जनता इनपर तन मन धन निछावर करती है , और यह उनके सीधे पण का पुरा पूरा फायदा उठाते हैं।
क्या इस देश का कभी भला हो सकता है ? कौन आयेगा इन 75 प्रतिशत अनपढ़ लोगों को शिक्षित करने ? इन 75 प्रतिशत जनता ने तो मोदी को 5 वर्षों तक अपने आप को साक्षर बने के नाम पर लूटवाने का ठेका दे दिया है , अभी दो वर्ष गुज़र चुकें हैं - इन दो वर्षों तो सिर्फ अभी हा हा कार मचा है , कही महंगाई को ले कर तो कहीं साम्प्रदायिक दंगों को लेकर , तो कही सरकारी खजाने से एनएसडीसी, डिजिटल इंडिया के नाम की एस्कीमो के नाम पर बड़े उद्योगों तथा बड़ी बेनामी कंपनियों द्वारा लूटने के नाम पर। हर शाख पर उल्लू बैठा है अंजाम गुलिस्तां क्या होगा। चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार हो सभी इस समय लूटने का ही काम कर रहे हैं , जनता अपने आप को लूटवाने पर आमादा है। फिर एक क्रांति आएगी ज़रूर आएगी . . . . . . . .
जनता इतनी भावुक बेवक़ूफ़ अशिक्षित है की स्वतंत्रता से अब तक उसे न तो लोकतंत्र का मतलब ही समझ में आया और न तो सरकार का मतलब ही आज तक समझ पायी। 75 प्रतिशत जनत आज भी अपने सांसद , विधायेक तथा निगमपार्षद और मुखिया को ही सरकार कह कर उसके आगे नमस्तक रहती है यही कारन है की यह जनप्रतिनिधि अपने आपको जनता देवता तथा कहीं कहीं भगवान् भी बनजाते हैं। और सरकारी कर्मचारी जो जनता की नौकरी करने के लिए, जनता के समस्याओं के समाधान के लिए बहाल किये गए हैं , ऐसे 75 प्रतिशत अशिक्षित भावुक बेवक़ूफ़ जनता के कारण वह भी अपने आप को कर्मचारी या पदाधिकारी से हट कर अपने आप को देवता या भगवान् से काम नहीं समझते हैं। नतीजा सबके सामने है जो मैं लिख रहा हूँ , ऐसे कौन पढ़ेगा एक शिक्षित और समझदार आदमी , न कि कोई अनपढ़ या बेवक़ूफ़ आदमी , अनपढ़ और बेवक़ूफ़ लोग तो पढ़े लिखे लोगों पर ही यकीन , विश्वाश ,भरोसा, करते हैं , और दूसरे नेताओं पर चाहे वह अनपढ़ क्यों न हों साफ सुथरा कपडा पहनते हैं , खादी पहनते हैं , एसी दफ्तरों में बैठे हैं ऐसे ही लोग इन 75 प्रतिशत जनता को बेवक़ूफ़ बन कर अपना उल्लू सीधा करते हैं , और जनता इनपर तन मन धन निछावर करती है , और यह उनके सीधे पण का पुरा पूरा फायदा उठाते हैं।
क्या इस देश का कभी भला हो सकता है ? कौन आयेगा इन 75 प्रतिशत अनपढ़ लोगों को शिक्षित करने ? इन 75 प्रतिशत जनता ने तो मोदी को 5 वर्षों तक अपने आप को साक्षर बने के नाम पर लूटवाने का ठेका दे दिया है , अभी दो वर्ष गुज़र चुकें हैं - इन दो वर्षों तो सिर्फ अभी हा हा कार मचा है , कही महंगाई को ले कर तो कहीं साम्प्रदायिक दंगों को लेकर , तो कही सरकारी खजाने से एनएसडीसी, डिजिटल इंडिया के नाम की एस्कीमो के नाम पर बड़े उद्योगों तथा बड़ी बेनामी कंपनियों द्वारा लूटने के नाम पर। हर शाख पर उल्लू बैठा है अंजाम गुलिस्तां क्या होगा। चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार हो सभी इस समय लूटने का ही काम कर रहे हैं , जनता अपने आप को लूटवाने पर आमादा है। फिर एक क्रांति आएगी ज़रूर आएगी . . . . . . . .
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