95 पर 5 प्रतिशत हावी ! भारत सरकार पर पूंजीवाद क़ब्ज़ा ?
भारत सरकार अबतक सम्पत्ति टेक्स भारतीय भू-स्वामिओ, और भू-माफियाओं से क्यूँ नही वसूल रही है ?.
इससे सरकार को कम से कम सम्पूर्ण भारत से 75प्रतिशत राजस्व प्राप्त होगा और सरकार के खज़ाना में इतना पैसा आ जायेगा कि सरकार अपना सारे बजट की पूर्ति करके भारत के प्रत्येक नागरिकों को बिना भेद भाव के10 हज़ार रुपया प्रति माह नागरिकता भत्ता के दे सकती है।
एस.ज़ेड.मलिक(पत्रकार)
भारत के स्वतंत्रता के बाद से अब तक सरकार और सरकार में बैठे बड़े अधिकारी तथा प्रतिनिधियों का भू-स्वामिओ और भू-माफियाओं के साथ बड़ा ही कटु और घनिष्ट सम्बन्ध रहा है। जिसके कारण आज भारत मे गरीबी, और दिन प्रतिदिन बेरोज़गारी बढ़ती रही है। गोपनीयता के मज़बूत क़ानून के कारण आज हर करदाता रिटर्न गलत भरकर 90 प्रतिशत भारत का राजस्व बचा कर वह ऐश मौज करता है।
214 से अब तक भारत की आर्थिक दशा और दिशा दोनो का ही सर्वर डाउन चल रहा है नतीजा देश का ग्रोथ रेट यानी बढ़ता मूल्य घटे में यानी -3% निचले पायदान पर आ गया है। और वर्तमान सरकार इस कोरोना काल में अपने देश की जनता से ताली बाजवा रही तो कभी थाली बाजवा रही तो कभी टॉर्च जलवा रही है। सरकार अपने 5 प्रतिशत लोगों से अपनी बड़ाई के लिए प्रचार प्रसार करवग रही है। और यह 5%जनता बड़ी ही मुस्तैदी से भाजपा सरकार की वाहवाही कर रही है। इसलिये की सरकार इन्हें इनके अनुकूल सुख साधन मुहैया करा रही है।
देश की जनता लग-भग 33 प्रतिशत बुद्धिमान, बुद्धिजीवी है, 65 प्रतिशत में 35 प्रतिशत अंधभक्त हैं और 15 प्रतिशत स्वार्थी, धर्म जाती के सौदागर जो सरकारी धन को अपने टीए/डीए पर खर्च करते हैं जैसे पासवान, अठावले, और अन्य दलित पिछड़ी जाती के ठेकेदार,नेतागण , तथा 15 प्रतिशत में 10 प्रतिशत भारत का ग्रोथ और भारत की अर्थ व्यावस्था पर कंट्रोल रखते हैं और मात्र 5 प्रतिशत लोग ही सरकार चलाते हैं और जो 95 प्रतिशत पर हावी हैं। अब रहा सवाल इसका समाधान क्या है ? तो मेरे पास कुछ वैचारिक और व्यावहारिक समाधान है - 1)- 1977 के जैसा एक आंदोलन "जिसका स्लोगन " मानुवादी सरकार भगाओ - देश बचाओ " 2)- जनता को गोपनीयता का क़ानून समाप्त करो, और पारदर्शिता का क़ानून बनाने के लिये आवाज़ उठाने होंगे, 3)- अब अमीरी रेखा बनाने की मांग करना होगा। अमीरी रेखा बनने के बाद ही देश का आर्थीक वजन बढ़ेगा, और दशा मज़बूत होगा और विकास की दिशा बदलेगी, अमीरी रेखा बनाने के बाद वर्तमान मूल्यों के तहत ढाई प्रतिशत के हिसाब से सरकार सम्पत्ति टैक्स वसूल करे देश का जीडीपी इतना बढ़ जाएगा कि विश्व भारत को विश्व गुरु मानने पर माजबूर हो जाएगा। पारदर्शिता का क़ानून बनने से भू-माफियाओं पे लगाम लगेगा, तथा अन्य निम्नवर्गीय एवं मध्यवर्गीय आयस्त्रोत के लोगों को अपने आवश्यकता अनुसार पर्याप्त धन अर्जित करने का अवसर मिलेगा। आवश्यकता से अधिक धन अर्जित करने का डर लोगों में आ जायेगा।
ज्ञात हो कि भारत मे इस समय मात्र 2 प्रतिशत लोगों का भारत की भूमि का एक तिहाई भाग पर क़ब्ज़ा है जिसका राजस्व सरकार जानबूझ कर माफियाओं से नहीं लेते है या सरकार के पास उसका कोई लेखा जोखा ही नहीं है। इस समय भू-माफियों के पास बेनामी सम्पत्ति काफी है। जिसपर सरका का कोई पकड़ नहीं है। पारदर्शिता का कानीं बनने के बाद यह सारी गोपनीय सम्पत्ति सामने आ जायेगी जिससे जनता भी देख सकेगी और समय समय पर जनता का सहयोग सरकार को मिलता रहेगा। दूसरे टेक्स जो भारत का हर व्यापारी हो या अधिकारी, राष्ट्रपति हो या सर्वोच्च्य न्ययालय का सरवोच्च्य न्यायाधीश, या एक गांव का मुखिया सभी टेक्स चोरी करते है अपनी सम्पत्ति को छपाते है अपने आये को छुपाते है और कम से कम टेक्स भरते है। पारदर्शिता का क़ानून आने के बाद उनका टेक्स भी जनता के समक्ष होगा और जब भी कोई अपनी सम्पत्ति या आये छुपाने की कोशिश करेगा जनता ही सरकार को सहयोग कर छुपाने वालों का बेयोरा देगी। उसे ना चाहते हुए भी अपना सही रिटर्न भरना पड़ेगा । इससे सरकार को कम से कम सम्पूर्ण भारत से 75प्रतिशत राजस्व प्राप्त होगा और सरकार के खज़ाना में इतना पैसा आ जायेगा कि सरकार अपना सारे बजट की पूर्ति करके भारत के प्रत्येक नागरिकों को बिना भेद भाव के10 हज़ार रुपया प्रति माह नागरिकता भत्ता के दे सकती है। यदि सरकार चाहे तो भारत तमाम छोटे व्यापारिओं का राजस्व समाप्त कर सकती है सरकार को इससे किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचेगा। दूसरे भारत जो पैसा के अभाव के कारण अपराध होते रहते हैं उसमे कमी आएगी।
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