पचास दिनों तक यहि हाल रहा तो भारत में गृह युध्द संभव। भ्रष्टाचार न बंद हुआ है न बंद होगा।
आज एक ओर जहाँ गरीब हंस रहा है - अमीर रो रहा है। वहीं हर आम आदमी एक एक रूपये के लिए परीशान भी हो रहा है - बैंको में रूपये आ रहे हैं लेकिन रूपये बैक डोर अस्थानीय सेठ साहूकार नेताओं और बैंक कर्मि अपने रिश्तेदारों के घर पहुंचा रहे हैं।
गृहणियों की भी अपने पति के सामने खुल गई पोल।
एक झटके में गरीब से अमीर तक की सब की पोल खुल गयी।
वाह मोदी जी वाह ! आज आप ने इस नई नीति लागू कर आपने साबित कर दिया की आप को राजनीत नहीं बल्कि जनता को सुधारना भी आता है । लेकिन यहां की जनता है सब कुछ जानती है , तू चले डाले डाल हम चलें पाते पात , की कहावत पर जनता आधारित है - फिर भी सब्र नहीं है - जिस प्रकार आज जनता रूपये रूपये के लिए मोहताज हो रही है - और मोदी कह रहें की 50 दिन जनता और सब्र करे - क्या यह संभव है ? ऐसे करने से क्या काला धन बहार आजायेगा ? जमाखोरों को काला धन संग्रह करने का यह सबसे बड़ा अवसर मिला है। सबसे पहले 2000 हज़ार का नोट सितंबर महीने में ही मार्किट में कैसे आ गया ?
500 , 1000 का नोट को अचानक बन्द करने का फैसला से सारे बड़े वयापारी तथा अढ़ती की साँसे फूल गयी उन्हें न उगलते बन रहा था न निगलते बन रहा था। सच तो यह है की कला धन विदेशों में हो या न हो, लेकिन भारत के हर घर में किसी न किसी रूप में छुपा हुआ था। 500 रूपये का नोट चाहे वह किसी भिखारी या मज़दूर के थैली में या ग्रहणियों के किचन के किसी डब्बे में क्यों न पड़ा हो एक ही झटके में सब के सब बाहार तो आ गये। लेकिन इनकी परेशानियां दुगुनी बढ़ गयी फिरभी इनकी परेशानी बहुत छोटी है , जिनके पास 500, 1000, 2000, 4000,10000, हैं वह अपने नोटों को किसी न किसी प्रकार बैंकों में धक्के खा कर भंजा लेंगे पर वह जो अरबों करोड़ों रुप्या बोरियों में बन्द कर के जहाँ तहाँ छिपा रखा है जो 30 दिसम्बर के बाद रद्दी बन जायेगा वैसे लोगों का क्या होगा उनकी तो नींद हैराम हो गयी है। आज गरीबों को काफी सुकून मिल रहा है ,लेकिन सच तो यह है की मोदीजी के इस प्रकार की नीतियों से आज सबसे ज़्यादा गरीबों का नुकसान हो रहा। इसलिए की सेठ साहूकारों जमाखोरों ने अपने बचने का और जमाखोरी का दुसरा रास्ता भी इन्ही गरीबों के सहारे चुन लिया। शातिर दिमाग लोग तो न जाने क्या क्या सोंच रहे है, लोग तो अब एक साल आगे की सोंचने लगे हैं अगले साल उत्तर प्रदेश विधान सभा और दिल्ली में निगम का चुनाव है, भाजपा ने उन चुनाव के मद्देनज़र यह खेल खेला है। दूसरी बात जो लोग कर रहे हैं की 2000 के नोटों में सरकार ने नई टेक्नालॉजी लगाई है ताकि यह नोट का आसानी पता चल साके की नोट किसके पास और कहाँ कहाँ है इस नोटों को रखने की एक सीमा एक अहद बनाई होगी जो सिर्फ सरकार को ही पता होगा उस सीमा या हद से पार करते ही सरकार को नोटों के अधिक होने का पता चल जाएगा और सरकार उस पर तुरंत छापे मार कर अपने क़ब्ज़े में ले लेगी। हर व्यक्ति अपनी तरह से सोंचने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है। यह उसके अभिव्यक्ति की आज़ादी है। लेकिन क्या ग़लत करने के लिए भी उसके अभिव्यक्ति की आज़ादी है - यदि है तो ठीक है लोगों को करनेवाले व्यक्ति से न कोई कष्ट होना चाहिए और न उसपर कोई प्रशासनिक कारवाई होना चाहिए।
यदि भारत के लोग स्वार्थी न होते तो शायद आज भारत में राम राज होता शेर और बकरी एक ही घाट पर पानी पी रहे होते। प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी जी के अचानक फैसला लिये जाने से सम्पूर्ण भारत के आम नागरिकों को जो समस्यायों का सामना करना पड़ रहा है शायद भारत की जनता ऐसे समस्याओं का सामना करने के लिए न तो कभी तयार रही होगी और न तो कभी सोंचा ही नहीं होगा, सम्पूर्ण भारत में अफरातफरी मच गयी है। बेशक आज गरीग ठेली चलानेवाला, रिक्शा चलानेवाला, फुटपाथ पर काम करनेवाला, मज़दूरी करनेवाला हर व्यक्ति इसलिए खुश होरहा है की मोदी जी एक झटके में हर अमीरों को भी लाइन में लगा दिया। क्या ऐसा करने से भ्रष्टाचार रुक जाएगा ? न भ्रष्टाचार रुका न रुकेगा। सभी बैंक कर्मियों के कान खड़े होगये सुबह होते ही बैंककर्मियों ने सबसे पहले अपने 500 , 1000 के नोटों को 100 ,100 तथा 2000 के नोटों में परिवर्तित किया फिर अपने रिश्तेदारों का और सगे सम्बन्धियों तथा दोस्तों का भला किया और अब कमीशन पर अपना घर भर रहे है। 20 से 30 % पर अपने क्षेत्र के बड़े सेठ साहूकारो का कल्याण कर रहे हैं। यह मामला दिल्ली के पूठ गांव , मंगोलपुरी , नागलोई , सुल्तानपुरी , शकूरपुर आज़ादपुर जैसे इलाके में धड़ल्ले से किया जारहा है। दूसरे ऐसे सेठ साहूकार लोग अपने लेबरों को अपना अथॉराइजेशन लेटर दे कर 4000/4000 रुपया जमा कराने के लिय लाइन में लगा दिया तो कुछ लोगों ने अपने रुपयों को एक नम्बर बनाने के लिए 10 नवम्बर की रात तक 65 हज़ार रूपये भरी तक लोगो ने सोना खरीदा। जिन पत्नियों अपने पति छुपा कर नोट जमा कर रही थीं उन्हें भी अपने जमा किये रुपयों को पति को समर्पित करना पड़ा।
आज सब से बड़ी परेशानी की एटीएम में अब तक 100 , 100 रूपये के नॉट आये ही नहीं हैं यह कब तक आएंगे पता नहीं। दुकानदार 500 के सामान में गरीब का सारा रुपया काट रहा है नहीं तो 500 के 400 रुपया दे रहा है गरीब करे तो क्या करे। पैसे वालों के लिए कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। वह तो 500 रूपये का कर में तेल डलवालेंगे या कोई सामान खरीद लेंगे। लेकिन जिनका 500 रुपयों से घर चलता हो वह क्या करेंगे।