Monday, October 24, 2016

चाइना के प्रोडक्ट का बहिष्कार-Blogger S.Z.Mallick(Journalist)


जार्ज विचार मंच ने चाइना के प्रोडक्ट का बहिष्कार किया। 

एस.ज़ेड. मलिक(पत्रकार)
पिछले दिनों 23  अक्तुबर 2916  नई दिल्ली के जंतरमंतर पर दिल्ली के जॉर्ज विचार मंच ने उदय भान दिल्ली प्रभारी एवम युवा प्रभारी दिल्ली के नेतृत्व में सैंकड़ों कायकर्ताओं ने भारत में बिक रहे चाइना के वस्तुओं का भहिष्कार कर उन वस्तुयों में आग लगा कर विरोध जताया।  इस अवसर पर बलूच मुक्ति मंच के अध्यक्ष प्रो - बी. एन. चौधरी तथा दिल्ली मंच के प्रभारी उदयभान ने मंच के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।  
   



इस अवसर पर आर्थिक न्याय संस्थान के कोऑर्डिनेटर जी. एस. परिहार ने रोशन लाल अग्रवाल द्वारा लिखित पुस्तक "गरीबी नहीं "अमीरी रेखा "  बलूच मुक्ति मंच के अध्यक्ष प्रो - बी. एन. चौधरी को भेंट की। www.facebook/ainaindia.mallick
   

Tuesday, October 18, 2016

अब अमीरी रेखा बननी चाहिए - Blogger by S.Z.Mallick(Journalist)













यह एक अत्यंत आश्चर्य जनक बात है कि मनुष्य ने सब लोगों में सामंजस्य की स्थापना करने के लिए सामाजिक व्यवस्था का निर्माण तो किया लेकिन लोगों के बीच होने वाले टकराव के मूल कारण को न्याय के आधार पर हल करने का प्रयास नहीं किया अथवा उसे इसमें सफलता नहीं मिली और इसीलिए आज तक शांति की स्थापना का लक्ष्य मनुष्य को नहीं मिल पाया है। 
सभी लोगों के बीच होने वाली टकराव का मुख्य कारण मूल रूप से संपत्ति अधिकार है।  न्याय के आधार पर एक व्यक्ति को केवल औसत सीमा तक ही सम्पत्ति का मालिक माना जाना चाहिये और इससे अधिक संपत्ति के लिए व्यक्ति को समाज का कर्जदार माना जाना चाहिए इसलिए औसत सीमा से अधिक संपत्ति पर ब्याज की दर से संपत्ति कर लगाया जाना और अन्य सभी प्रकार के करों को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाना चाहिए। 
संपत्ति कर से होने वाली आय में से ही सरकार के बजट का खर्च काटा जाना चाहिए और शेष बचे धन को समाज का सामूहिक लाभ मानते हुए देश के सारे नागरिकों में लाभांश के रुप में बराबर बराबर बांट दिया जाना चाहिए। 
इससे सब लोग बहुत ही सुख संपन्नता स्वतंत्रता स्वावलंबन संतोष शान्ति और सुरक्षा के साथ अपना जीवन बिता सकेंगे और किसी को भी किसी दूसरे व्यक्ति से कोई शत्रुता टकराव प्रतिद्वंदिता या विवाद नहीं करना होगा। 
अब अमीरी रेखा बननी चाहिए 

गरीबी समाज की सबसे महत्वपूर्ण और सबसे जटिल समस्या हे जो लोग न्याय में विश्वास करते हैं और सबको सुख देने वाली व्यवस्था का निर्माण करना चाहते हैं , उन सब की प्राथमिकता समाज से गरीबी को खत्म करना होना चाहिए। 
समाज से गरीबी को पूरी तरह खत्म करने का सबसे सरल रास्ता अमीरी रेखा का निर्माण करना है। 
अमीरी रेखा बनने पर न केवल देश के सारे लोगोँ को सभी प्रकार के करो से मुक्ति मिल जाएगी बल्कि देश के हर नागरिक को देश की अर्थव्यवस्था से मिलने वाले लाभ मेँ भी उस का हिस्सा मिल सकेगी। 
जिससे हर व्यक्ति भूख ओर अभाव से मुक्ति पा सकेगा। 
इसलिए देश के सभी नागरिकोँ को अपनी अलग अलग माँगों के साथ साथ सबसे पहले देश मेँ अमीरी रेखा के निर्माण की आवाज को बुलंद करना चाहिए। 
जिस दिन देश के सभी मतदाता किसी दल या पार्टी को वोट देने की बजाय अमीरी रेखा के निर्माण हेतु अपना वोट देने के के लिए सहमत हो जायेंगे उसी दिन अमीरी रेखा बनेगी और देश के सारे लोगोँ को गरीबी अभाव बेरोजगारी भूख ओर अपमान से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाएगा। 
इसलिए देश के सभी नागरिकोँ को बिना किसी भेदभाव के संपन्नता और सम्मान का जीवन प्रदान करने के लिए चारोँ ओर से अमीरी रेखा के निर्माण की आवाज बुलंद करनी चाहिए। 

Sunday, October 16, 2016

अमीरी रेखा का निर्माण ज़रूरी-Blogger by S.Z.Mallick(Journalist)

शोषण और ब्याज का स्वामित्व। 


समाज में लोभ लालच की प्रवृत्ति पर अंकुश रखने और सबको शोषण से मुक्ति का सरलतम उपाय अमीरी रेखा का निर्माण करना है।
असल मैं सारा झगड़ा संपत्ति के अधिकार का है सीमित मात्रा में संपत्ति के संचय को तो भविष्य की अनिश्चितता के भय से मुक्ति का उचित कारण माना जा सकता है किंतु असीमित मात्रा में संपत्ति संचय को उचित ठहराया जाना गलत है क्योंकि इस से समाज में धन की कृत्रिम कमी या अभाव पैदा होता है जिससे शोषण की प्रवृति को बल मिलता है।
इस का एकमात्र कारण संपत्ति से व्यास के रूप में लेवल अतिरिक्त लाभ जिसका मेहनत से कोई संबंध नहीं होता बल्कि यह कमजोर व्यक्ति की मजबूरी से पैदा होता है।
शोषण की यह प्रवृत्ति मनुष्य मात्र का प्राकृतिक दुर्गुण है और यह हर व्यक्ति में डन्म से ही कम या अधिक मात्रा में मौजूद रहती है। सामाजिक व्यवस्था की दृष्टि से इस पर अंकुश रखा जाना बेहद जरूरी है।
इस पर अंकुश रखने का न्यायपूर्ण उपाय यही है कि एक सीमा से अधिक संपत्ति के संचय पर ब्याज की दर से संपत्ति कर लगाया जाए और उससे होने वाली आय को समाज में बराबर बराबर बांट कर उस संख्या से होने वाली क्षति की पूरी कर दी जाए।
इससे सीमित मात्रा में संपत्ति के संचय से व्यक्ति अभाव के भय से तो मुक्त हो सकेगा लेकिन दूसरों का शोषण नहीं कर पाएगा जो सबके लिए सुखदाई व्यवस्था में होना अत्यंत आवश्यक है।
इसलिए अमीरी रेखा बनानी चाहिए और अमीरी रेखा से अधिक संपत्ति पर ब्याज की दर से संपत्ति कर लगाया जाना चाहिए ताकि कोई भी व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का शोषण न सके और यह पूरी तरह उचित है।
जब तक ब्याज से होने वाली आय को व्यक्ति की आय माना जाएगा तब तक न्याय पूर्ण अर्थव्यवस्था की स्थापना नहीं हो सकती और न ही समाज में स्थाई शांति की स्थापना संभव हो सकती है।
वास्तव ब्याज की उत्पत्ति सामूहिक व्यवस्था से उत्पन्न होती है क्योंकि इससे उत्पादन और विनिमय में साधनों की भूमिका बढ़ने से मेहनत की भूमिका में कमी आ जाती है और ब्याज की आय का मालिक धन पति कौ मान सिऐ जाने परे धन और महनत के बीच प्रतिद्वंदिता उत्पन्न हो जाती है।
समाज से शोषण को समाप्त करने के लिए धन और मेहनत की इस प्रतियोगिता को समाप्त करना अनिवार्य है जिसका सरलतम उफाय ब्याज की आय को व्यक्ति की आय मानने की बजाए पूरे समाज की सानूहिक आय माना जाय।