Monday, August 22, 2016

बिहार प्रवासी मलिक बिरादरी की कोर कमेटी की दूसरी बैठक। Blogger by S.Z. Mallick(Journalist)

बिहार प्रवासी मलिक बिरादरी की मलिक बया वेलफेयर आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया के ओर से कोर कमेटी की दूसरी बैठक।


एस. ज़ेड. मलिक(पत्रकार) 
नई दिल्ली - ओखला के अबुल फज़ल ठोकर न० 4 के मुख्यालय "मलिक बया वेलफेयर आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया" के अध्यक्ष अब्दुल सत्तर मलिक की अध्यक्षता में उनके निवास पर 21 अगस्त 2016 को कोर कमेटी की दूसरी बैठक का आयोजन किया गया।  जिसमे बिहार प्रवासी मलिक क़ाबिले के लोग जो इस समय दिल्ली के एन सी आर में अपनी जीविका तथ अपने सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए संघर्षशील  अपने परिवार के साथ अपना जीवन व्यतित कर रहे हैं। जिनकी स्थिति दैनिये है उन्हें कमेटी से जोड़ कर संभवतः हर प्रकार से मदद करने का प्रयास किया जाये तथा किस प्रकार से मदद के लिए धन अर्जित किया जाये और भविष्य में आपसी सहयोग के साथ साथ कैसे संगठित रखा जाये। ऐसे बिंदुओं पर गहन विचार विमर्श किया गया।
 दिल्ली के एन सी आर में जहाँ जहाँ भी मलिक क़बीला के लोग आबादी में यानी जहाँ जहाँ भी पांच दस घर बसे  हुए हैं वहां वहां कोर कमेटी के सदस्य जा कर उनके साथ बैठक करेंगे और उन्हें अपने आर्गेनाइजेशन कि जानकारी देंगे और उन्हें अपने आर्गेनाइजेशन के साथ जोड़ कर उनकी समस्याओं का समाधान निकालने का हर संभव प्रयास करेंगे। 
ज्ञात हो की यह बिरादरी एक सिमित दायरे में आते हैं बिहार के मलिक बिरादरी बिहार शरीफ के नालंदा ज़िला से आरम्भ हो कर संसार के कुछ अलग अलग प्रान्तों में फैले हुए हैं यह बिरादरी अहलेबैत सूफ़ियत से सम्बन्ध रखते हैं। जिन का शिजरा (यानी गोत्र मूल) नस्ले हज़रात सैय्यद इब्राहिम मलिक ब्या(रह०) से है - सैय्यद इब्राहिम मलिक ब्या(रह०) ई सन 500 में बादशाह तुग़लक़ के सिपाह सालार थे। एक ऐसे सिपाह सालार तःउज़्ड़ गुज़ार के साथ साथ तौहीद(यानी)अल्लाह के बताये  रस्ते पर पूरी ईमानदारी के साथ अपना जीवन व्यतित करना। और वह इन्साफ पसंद थे। उनके अंदर इसी गुण को देख कर बादशाह तुग़लक़ ने बिहार फतह के लिए उन्हें ही चुना और बिहार पर क़ब्ज़ा के लिए फरमान जारी कर उन्हें मात्र 300 सिपाहियों के साथ बिहार पर चढ़ायी के लिए रवाना कर दिया। उस समय बिहार में ब्राह्मण राजा विष्णु गौड़ का राज था। लेकिन हज़रात सैय्यद इब्राहिम मलिक ब्या(रह०) की तरफ से कभी लड़ाई की पहल नहीं की गयी, जबकि हज़रात के साथ राजा ने कईएक बार अपने लोगों के द्वारा उलटी सीधी हरकतें करता रहा हज़रात उन्हें बारहाँ उन्हें समझाते रहे और अल्लाह और अल्लाह के रसूल की बातें तमाम फरमान सुनाते रहे। उनके इन बातो से राजा की छोटी बहन काफी प्रभावित हुयी और हज़रात की अनुयायी बन गयी। बाद में उनकी शादी हज़रात सैय्यद इब्राहिम मलिक ब्या(रह०) के साथ कर दी गयी।  उन्ही की नस्लें बिहार में मालिक के नाम से जानी जाती है।      
वर्तमान में इस बिरादरी की स्थिति पिछड़ी जातियों से भी बदतर है जबकि तुगलक से लेकर बहादुर शाह ज़फर के राजकाल तथा भारत के स्वतंत्रता तक इनकी ज़मींदारी बरक़रार थी स्वतंत्रता के बाद पकिस्तान बटवारे से इनकी स्थिति दिन प्रति दिन बिगड़ती चली गयी आज इस्थिति ऐसी होचुकी है की, की बहुत से खानदान ऐसे हैं जो अपनी जातियां छुपाने पर मजबूर हैं। बहरहाल इन परिस्थितियों के मद्देनज़र इस बिरादरी के कुछ लोग मालिकों के उत्थान के लिए एक सांगठनात्मक रूप में आगे आये हैं अब देखना है की यह संगठन अपनी बिरादरी का कितना ध्यान रखती है और कितना उत्थान करती हैं। बाहर हाल इस अवसर पर कोर कमेटी के मुख्य सदस्य राई के अज़ीज़ अहमद (इंजीनियर), मुहम्मद दाऊद , एरकी के महबूब फज़ल अर्शी, नबी नगर ककराड़ के इफ्तिखार ताबिश, अँडव्हस के जनाब सोहैल अनवर , काको के मुहम्मद वसीम, आडसर के मुहम्मद एजाज़ (इंजिनियर) और काको के एस.ज़ेड.मलिक (पत्रकार) आडसर के मुहम्मद शमशाद  उपस्थित थे। 
सभी की सहमति से अगली बैठक बहरी दिल्ली के नागलोई में तय किया गया।  
       

   

बिहार प्रवासी मलिक बिरादरी की कोर कमेटी की दूसरी बैठक। Blogger by S.Z. Mallick(Journalist)

बिहार प्रवासी मलिक बिरादरी की मलिक बया वेलफेयर आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया के ओर से कोर कमेटी की दूसरी बैठक।


एस. ज़ेड. मलिक(पत्रकार) 
नई दिल्ली - ओखला के अबुल फज़ल ठोकर न० 4 के मुख्यालय "मलिक बया वेलफेयर आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया" के अध्यक्ष अब्दुल सत्तर मलिक की अध्यक्षता में उनके निवास पर 21 अगस्त 2016 को कोर कमेटी की दूसरी बैठक का आयोजन किया गया।  जिसमे बिहार प्रवासी मलिक क़ाबिले के लोग जो इस समय दिल्ली के एन सी आर में अपनी जीविका तथ अपने सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए संघर्षशील  अपने परिवार के साथ अपना जीवन व्यतित कर रहे हैं। जिनकी स्थिति दैनिये है उन्हें कमेटी से जोड़ कर संभवतः हर प्रकार से मदद करने का प्रयास किया जाये तथा किस प्रकार से मदद के लिए धन अर्जित किया जाये और भविष्य में आपसी सहयोग के साथ साथ कैसे संगठित रखा जाये। ऐसे बिंदुओं पर गहन विचार विमर्श किया गया।
 दिल्ली के एन सी आर में जहाँ जहाँ भी मलिक क़बीला के लोग आबादी में यानी जहाँ जहाँ भी पांच दस घर बसे  हुए हैं वहां वहां कोर कमेटी के सदस्य जा कर उनके साथ बैठक करेंगे और उन्हें अपने आर्गेनाइजेशन कि जानकारी देंगे और उन्हें अपने आर्गेनाइजेशन के साथ जोड़ कर उनकी समस्याओं का समाधान निकालने का हर संभव प्रयास करेंगे। 
ज्ञात हो की यह बिरादरी एक सिमित दायरे में आते हैं बिहार के मलिक बिरादरी बिहार शरीफ के नालंदा ज़िला से आरम्भ हो कर संसार के कुछ अलग अलग प्रान्तों में फैले हुए हैं यह बिरादरी अहलेबैत सूफ़ियत से सम्बन्ध रखते हैं। जिन का शिजरा (यानी गोत्र मूल) नस्ले हज़रात सैय्यद इब्राहिम मलिक ब्या(रह०) से है - सैय्यद इब्राहिम मलिक ब्या(रह०) ई सन 500 में बादशाह तुग़लक़ के सिपाह सालार थे। एक ऐसे सिपाह सालार तःउज़्ड़ गुज़ार के साथ साथ तौहीद(यानी)अल्लाह के बताये  रस्ते पर पूरी ईमानदारी के साथ अपना जीवन व्यतित करना। और वह इन्साफ पसंद थे। उनके अंदर इसी गुण को देख कर बादशाह तुग़लक़ ने बिहार फतह के लिए उन्हें ही चुना और बिहार पर क़ब्ज़ा के लिए फरमान जारी कर उन्हें मात्र 300 सिपाहियों के साथ बिहार पर चढ़ायी के लिए रवाना कर दिया। उस समय बिहार में ब्राह्मण राजा विष्णु गौड़ का राज था। लेकिन हज़रात सैय्यद इब्राहिम मलिक ब्या(रह०) की तरफ से कभी लड़ाई की पहल नहीं की गयी, जबकि हज़रात के साथ राजा ने कईएक बार अपने लोगों के द्वारा उलटी सीधी हरकतें करता रहा हज़रात उन्हें बारहाँ उन्हें समझाते रहे और अल्लाह और अल्लाह के रसूल की बातें तमाम फरमान सुनाते रहे। उनके इन बातो से राजा की छोटी बहन काफी प्रभावित हुयी और हज़रात की अनुयायी बन गयी। बाद में उनकी शादी हज़रात सैय्यद इब्राहिम मलिक ब्या(रह०) के साथ कर दी गयी।  उन्ही की नस्लें बिहार में मालिक के नाम से जानी जाती है।      
वर्तमान में इस बिरादरी की स्थिति पिछड़ी जातियों से भी बदतर है जबकि तुगलक से लेकर बहादुर शाह ज़फर के राजकाल तथा भारत के स्वतंत्रता तक इनकी ज़मींदारी बरक़रार थी स्वतंत्रता के बाद पकिस्तान बटवारे से इनकी स्थिति दिन प्रति दिन बिगड़ती चली गयी आज इस्थिति ऐसी होचुकी है की, की बहुत से खानदान ऐसे हैं जो अपनी जातियां छुपाने पर मजबूर हैं। बहरहाल इन परिस्थितियों के मद्देनज़र इस बिरादरी के कुछ लोग मालिकों के उत्थान के लिए एक सांगठनात्मक रूप में आगे आये हैं अब देखना है की यह संगठन अपनी बिरादरी का कितना ध्यान रखती है और कितना उत्थान करती हैं। बाहर हाल इस अवसर पर कोर कमेटी के मुख्य सदस्य राई के अज़ीज़ अहमद (इंजीनियर), मुहम्मद दाऊद , एरकी के महबूब फज़ल अर्शी, नबी नगर ककराड़ के इफ्तिखार ताबिश, अँडव्हस के जनाब सोहैल अनवर , काको के मुहम्मद वसीम, आडसर के मुहम्मद एजाज़ (इंजिनियर) और काको के एस.ज़ेड.मलिक (पत्रकार) आडसर के मुहम्मद शमशाद  उपस्थित थे। 
सभी की सहमति से अगली बैठक बहरी दिल्ली के नागलोई में तय किया गया।  
       

   

Thursday, August 4, 2016

AINA INDIA: कांग्रेस को अब गड्ढे याद आरहे हैं ? Blogger by S.Z...

AINA INDIA: कांग्रेस को अब गड्ढे याद आरहे हैं ? Blogger by S.Z...: यदि वरुण गाँधी भी इस समय कांग्रेस के साथ आ जाते हैं तो फिर कांग्रेस और भारत दोनों को ही सही वारिस मिल जाएगा।       एस.ज़ेड.मलिक (प...

कांग्रेस को अब गड्ढे याद आरहे हैं ? Blogger by S.Z.Mallick(Journalist cum Social Activtst)


यदि वरुण गाँधी भी इस समय कांग्रेस के साथ आ जाते हैं तो फिर कांग्रेस और भारत दोनों को ही सही वारिस मिल जाएगा।   

 

एस.ज़ेड.मलिक (पत्रकार)
उत्तरी पश्चमी दिल्ली - के प्रीतमपूरा एमटीएनएल के दफ्तर के समीप मॉल के सामने वेस्ट इन्क्लेव रानी बाग रोड पर कुछ कांग्रेसी नेताओं को नारा लगते हुए देखा तो मै अपने दफ्तर जाने के बजाये उन्हें देखने और सुनने के लिए बस से उतर गया, पुरानी आदत और कांग्रेसियों की पुरानी परंपरा को दुहराते हुए देखते देखते अब आदत सी पद गयी है। चमन लाल इस क्षेत्र के पुराने कांग्रेसी एक संजय जो इस क्षेत्र का सक्रिय युवा कार्यकर्ता और इसके अलावा 15 - 20  कार्यकर्ता जो चमन लाल और संजय कुमार युवा कार्यकर्त्ता के हितैषी ही होंगे, ये सभी इकट्ठा हो कर  दिल्ली की मौजूदा सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे , और सामने गड्ढे में जहाँ सबवे पर थोड़ा बरसात का पानी जमा था और एमसीडी के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण सीवर का ढक्कन खुला था उस गड्ढे में घडियाल के दो खुले मुँह रख कर दिल्ली सरकार हाय हाय के नारे लगाए जा रहे थे , अब इन कार्यकर्ताओं की बेवकूफी या हटधर्मी कहें की जानभूझ कर दिल्ली सरकार के नाम से हाय हाय किये जारहा है - जब की दोषी एमसीडी है - और एमसीडी में भाजपा का वर्चस्व है , बाहर हाल आज इन्हें सड़कों पर गड्ढा और जमा हुआ पानी दिखाई दे रहा है। जब यह सत्ता में थे तो इन्हें उस समय न तो गड्ढा दिखाए दिया और न ही भ्रष्टाचार समझ में आया जिस के कारण आज इन्हें सत्ता से बेदखल होना पड़ा।  
काश की यह समझ पाते जनता को एक दिन के लिए इस भारत में लोकतंत्र के इस्तेमाल का अधिकार दिया गया है इसी एक दिन का जनता अपने अधिकार का उपयोग करती है और पांच वर्षों तक भ्रष्टाचारियों के दमन और अत्याचार सहन करते करते ऊब जाती है और उन्हें मजबूरन विकल्प तलाशना पड़ता है और फिर अपने मताधिकार का उपयोग करने का जो अवसर सरकार देती है उसका सही उपयोग उसीदिन कर के भरष्ट सत्ताधारियों को सत्ता से बहार का रास्ता दिखा देती है।  काश ! कि समझ पाते और कांग्रस की बागडोर आरएसएस के हितैषियों के हाँथ न सौंपते तो आज यह दिन देखने को मिलता - काश ! कि यह समझपाते की सरकार को बदनाम करने के लिए  विरोधी हर हरबा इस्तेमाल करते हैं और उन विरोधियों का खुल कर साथकुछ  कांग्रेसी ही देते हैं जिन के कारण उनका हौसला बुलंद हो जाता है और वह सरकार को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ते और नतीजा उनके सामने है। आज भाजपा की हरकतों से आम जनता ऊब चुकी है। जनता आने वाले चुनाव की प्रतीक्षा कर रही है , भारत की 70 % जनता दंगा फसाद साम्प्रदायिकता नहीं चाहती शांति  चाहती है , 30 % में 10 %  लोग रॉन्ग पॉलिसीय मेकर हैं और 20 % लोग ही उस पॉलिसीय को ज़बरदस्ती लागू भी करते हैं और उसका गलत तरीके से इस्तेमाल भी करवारते हैं। और कांग्रेस ने इन 30 % की गुरु बन कर इनको अपनी छत्रछाया में पलटी पोस्ती रही। 
1947 के बाद स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरू और फिर उनके बाद स्वर्गीय इंद्रागाँधी तक किसी जंगसंघ या कोई भी साम्प्रदायिक संगठन ने उनके सामने आने की हिम्मत नहीं की इंद्रागाँधी की हत्या के बाद जैसे कांग्रेसी के कुछ लोग भी प्रतीक्षा कर रहे थे की कब कांग्रेस के टुकड़े करने का मौका मिले और कांग्रेस को टुकड़े टुकड़े करदें। और वह धीरे धीरे कांग्रेस को दीमक की तरह कुछ तो चाट कर हजम कर गए और कुछ ने अलग अलग खेमे में बाँट दिया।  राजीव गाँधी ही हत्या के बाद जैसे कांग्रेस तो मानो समाप्त ही हो गयी।  अब राजीव के दोनों बच्चों रोहल और प्रियंका के कारण आज कांग्रेस में जान होने का संकेत मिलने लगा है जनता को कुछ इन दोनो से उम्मीदे बंधने लगी है यदि भारत को सही साशन दे सकता है तो सिर्फ कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जो भारत को एकता और अखंडता के एक सूत्र में पिरोये रख सकती है।  यह गुण यदि है तो सिर्फ और सिर्फ इंद्रा गाँधी और नेहरू परिवार के सदस्य में ही है।  जो आज कांग्रेस के राहुल और प्रियंका में देखनो मिल रहा है। यदि वरुण गाँधी भी इस समय कांग्रेस के साथ आ जाते हैं तो फिर कांग्रेस और भारत दोनों को ही सही वारिस मिल जाएगा।