
Roshan Lal Agrawal
नोट बंदी पर मेरे विचार और समीक्षा
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देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा नोट बंदी के संबंध में लिए गए निर्णय को अब लगभग पोने दो मांह का समय बीत चुका है और उसके परिणाम भी सामने आ रहे हैं लेकिन उस पर आज भी यह विवाद छिड़ा हुआ है कि नोट बंदी का निर्णय सही था या गलत निर्णय था।
मैं स्पष्ट रुप से यह करना चाहता हूं कि मैं नोट बंदी के इस निर्णय को पूरी तरह सही मानता आया हूं और आज भी मान रहा हूं क्योंकि यह निर्णय सिद्धांतिक दृष्टि से बिल्कुल सही था लेकिन व्यावहारिक दृष्टि से इसमें बहुत कमियां भी सामने आई जिसके कारण आम जनता को काफी कठिनाइयां भी सहनी परी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या उनके समर्थक या विरोधी कुछ भी कहते रहें वह कुछ भी कहने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन मैं इस इस आधार पर सही मानता हूं कि देश की मुद्रा की रक्षा नकली मुद्रा से करने के लिए पुरानी मुद्रा को नई मुद्रा में बदलना बेहद जरूरी कदम था इसके पहले की सरकारों ने इसकी भारी उपेक्षा की थी जो गलत है।
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देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा नोट बंदी के संबंध में लिए गए निर्णय को अब लगभग पोने दो मांह का समय बीत चुका है और उसके परिणाम भी सामने आ रहे हैं लेकिन उस पर आज भी यह विवाद छिड़ा हुआ है कि नोट बंदी का निर्णय सही था या गलत निर्णय था।
मैं स्पष्ट रुप से यह करना चाहता हूं कि मैं नोट बंदी के इस निर्णय को पूरी तरह सही मानता आया हूं और आज भी मान रहा हूं क्योंकि यह निर्णय सिद्धांतिक दृष्टि से बिल्कुल सही था लेकिन व्यावहारिक दृष्टि से इसमें बहुत कमियां भी सामने आई जिसके कारण आम जनता को काफी कठिनाइयां भी सहनी परी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या उनके समर्थक या विरोधी कुछ भी कहते रहें वह कुछ भी कहने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन मैं इस इस आधार पर सही मानता हूं कि देश की मुद्रा की रक्षा नकली मुद्रा से करने के लिए पुरानी मुद्रा को नई मुद्रा में बदलना बेहद जरूरी कदम था इसके पहले की सरकारों ने इसकी भारी उपेक्षा की थी जो गलत है।
लेकिन इस कदम को खुद मोदी जी जी यदि देश के काले धन को बाहर निकालने का कदम बताते हैं तो यह उनके अज्ञान और अस्पष्टता को सिद्ध करता है उन्हें ऐसी अनर्गल बात नहीं करनी चाहिए क्योंकि देश के कुल धन संपत्ति का केवल अधिकतम 2 प्रतिशत धन मुद्रा के रूप में होता है और यदि सरकार को नकली मुद्रा से निपटने में 100% सफलता भी मिल जाए तो वास्तविक तौर पर यह सफलता केवल 2 प्रतिशत की मानी जाएगी जिसे असफलता कहना ज्यादा ठीक होगा।
नकली मुद्रा से देश की मुद्रा की रक्षा करने की दृष्टि से यदि सरकार द्वारा जारी किए गए नोटों से अधिक पुराने नोट नहीं सामने आते हैं तो इसी सफलता को 100% सफलता माना जाएगा मोदी जी और उनके अंध समर्थकों को बुद्धि की यह बात समझ में आनी चाहिए।
नकली मुद्रा से देश की मुद्रा की रक्षा करने की दृष्टि से यदि सरकार द्वारा जारी किए गए नोटों से अधिक पुराने नोट नहीं सामने आते हैं तो इसी सफलता को 100% सफलता माना जाएगा मोदी जी और उनके अंध समर्थकों को बुद्धि की यह बात समझ में आनी चाहिए।
लेकिन आज सबसे बड़े दुर्भाग्य की बात यह है कि लोग इस कदम के गुण दोषों पर विचार करने की बजाए मोदी समर्थक और मोदी विरोधियों में बनकर रह गए हैं यह एक घटिया मनोवृत्ति है और इससे देश को कोई लाभ नहीं होगा।
देश की अकुशल बेलगाम और बेईमान प्रशासनिक अधिकारियों की अपराध पूर्ण भूमिका के कारण देश की जनता को कठिनाइयां आई और कितने ही बैंक अधिकारियों और उच्च पदों पर बैठे हुए अन्य लोगों ने अपने पदों का दुरुपयोग कर भारी मात्रा में धन कमाया और देश की जनता को धोखा दिया लेकिन बड़ी बड़ी बात करने वाले मोदी जी ने अभी तक उनके विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाया है जिसका मेरे जैसे कितने ही लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
दूसरा सवाल यह भी है कि पुराने नोटों को बंद करना कोई बड़ी बात नहीं है बड़ी बात यह तब मानी जाती जब नकली नोटों के अपराध पूर्ण नेटवर्क को देश से पूरी तरह खत्म करने के लिए मोदी जी ने अगला कदम उठाया होता लेकिन आज तक उन्होंने यह भी नहीं उठाया और यह दिल ऐसा नहीं करते हैं तो फिर उनकी यह घटिया मनमानी ही मानी जाएगी जब तक इस नकली नोटों के नेटवर्क को देश से जर्मन से नहीं खत्म किया जाता तब तक नई मुद्रा की भी सुरक्षा नहीं की जा सकती।
जिन बैंक अधिकारियों या अन्य लोगों ने बहती गंगा में हाथ धो कर देश की जनता को धोखा देकर बाहरी धन कमाया है उन सब की भी गहराई से जांच होनी चाहिए और अपराधियों को उनके द्वारा किए गए अपराध का दंड अवश्य दिया जाना चाहिए यदि ऐसा नहीं किया जाता तो भी मोदी जी की भर्त्सना की जानी चाहिए।
देश की अकुशल बेलगाम और बेईमान प्रशासनिक अधिकारियों की अपराध पूर्ण भूमिका के कारण देश की जनता को कठिनाइयां आई और कितने ही बैंक अधिकारियों और उच्च पदों पर बैठे हुए अन्य लोगों ने अपने पदों का दुरुपयोग कर भारी मात्रा में धन कमाया और देश की जनता को धोखा दिया लेकिन बड़ी बड़ी बात करने वाले मोदी जी ने अभी तक उनके विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाया है जिसका मेरे जैसे कितने ही लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
दूसरा सवाल यह भी है कि पुराने नोटों को बंद करना कोई बड़ी बात नहीं है बड़ी बात यह तब मानी जाती जब नकली नोटों के अपराध पूर्ण नेटवर्क को देश से पूरी तरह खत्म करने के लिए मोदी जी ने अगला कदम उठाया होता लेकिन आज तक उन्होंने यह भी नहीं उठाया और यह दिल ऐसा नहीं करते हैं तो फिर उनकी यह घटिया मनमानी ही मानी जाएगी जब तक इस नकली नोटों के नेटवर्क को देश से जर्मन से नहीं खत्म किया जाता तब तक नई मुद्रा की भी सुरक्षा नहीं की जा सकती।
जिन बैंक अधिकारियों या अन्य लोगों ने बहती गंगा में हाथ धो कर देश की जनता को धोखा देकर बाहरी धन कमाया है उन सब की भी गहराई से जांच होनी चाहिए और अपराधियों को उनके द्वारा किए गए अपराध का दंड अवश्य दिया जाना चाहिए यदि ऐसा नहीं किया जाता तो भी मोदी जी की भर्त्सना की जानी चाहिए।
नोट बंदी के निर्णय से आम लोगों को जो परेशानियां सामने आई हैं इससे देश की घटिया राजनीति की भी कलई खुल गई है ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं ने खुलकर नोट बंदी का विरोध करके नकली नोटों पर चलने वाली अपनी ही राजनीति पर से पर्दा उठा दिया है।
इन्होंने देश की जनता की कठिनाइयों मैं मदद करने की बजाए कठिनाइयों को बढ़ाने के लिए शर्मनाक भूमिका निभाई तो जगजाहिर है।
इन्होंने देश की जनता की कठिनाइयों मैं मदद करने की बजाए कठिनाइयों को बढ़ाने के लिए शर्मनाक भूमिका निभाई तो जगजाहिर है।
इस कलम के महत्व को देखते हुए मोदी जी द्वारा जो गोपनीयता बरती गई मैं उसे पूरी तरह सही मानता हूं जनता की कठिनाइयों का मूल कारण तो निरंकुश और भ्रष्ट नौकरशाही भ्रष्ट राजनेता और मोदी जी के मंत्रिमंडल के सहयोगियों की संदेहास्पद भूमिका थी।
इन सब स्थितियों के बावजूद भी सरकार के पास उसके द्वारा जारी किए गए असली नोटों से अधिक पुराने नोटों का नहीं आना उनकी सफलता कार सबूत है क्योंकि जितने भी नकली नोट थे वह बाजार से बाहर हो गए और फिर से बाजार में नहीं आ पाई यह सफलता ही अपने आप में बहुत बड़ी बात है।
इन सब स्थितियों के बावजूद भी सरकार के पास उसके द्वारा जारी किए गए असली नोटों से अधिक पुराने नोटों का नहीं आना उनकी सफलता कार सबूत है क्योंकि जितने भी नकली नोट थे वह बाजार से बाहर हो गए और फिर से बाजार में नहीं आ पाई यह सफलता ही अपने आप में बहुत बड़ी बात है।
किंतु मोदी जी को चाहिए की संपूर्ण घटनाक्रम और अंतिम परिणाम की दृष्टि से वह नोट बंदी पर श्वेत पत्र जारी करें ताकि देश की जनता के सामने वास्तविक स्थिति आ सके सही और गलत का निर्णय करने का अधिकार देश के आम आदमी को ही मिलना चाहिए और यदि मोदी जी ऐसा नहीं करते हैं तो यह भी उनकी मनमानी बेईमानी या मूर्खता ही मानी जाएगी इसलिए उनको अनिवार्य रूप से स्वीट पत्र जारी करना चाहिए।
इसके साथ-साथ मोदी जी को चाहिए कि मे नोट बंदी को काला धन बाहर निकालने के लिए उठाए गए कदम कि तोता रटंत न करें यह पूरी तरह अज्ञानी व्यक्ति ही बोल सकता है यदि मोदी जी देश से काले धन को समाप्त करना चाहते हैं तो उसका एकमात्र सबसे अच्छा और निश्चित रुप से सफलता देने वाला उपाय निजी संपत्ति की गोपनीयता को खत्म करना है जिसके कारण आज हर सक्षम व्यक्ति झूठा रिटर्न देकर समाज को धोखा दे रहा हैयह बात भी मोदी जी के समझ में आनी चाहिए
मेरी दृष्टि में तो अगर मोदी जी काले धन को समाप्त करने के लिए निजी संपत्ति की गोपनीयता के काले कानून को समाप्त करने का कदम नहीं उठाते तो या तो इस देश की जनता को धोखा दे रहे हैं या फिर खुद को धोखा दे रहे हैं और इन दोनों ही स्थितियों में इसका अंतिम परिणाम समाज के लिए दुखदाई और मोदी जी के लिए अपमानजनक सिद्ध होगा।
मैं देश में कालेधन को समाप्त करने के लिए मोदी जी द्वारा उठाए जाने वाले कदम की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा हूं और यह कदम ही उनकी बदनीयती या देशप्रेम की भावनाकी वास्तविक कसौटी होगी।
लेकिन मेरे लिए सबसे दुख की बात तो यह है कि अच्छे-अच्छे लोग व्यक्ति और पार्टियों के अपनी दुराग्रह के आधार पर सही और गलत का निर्णय ले रहे हैं जो नहीं लिया जाना चाहिए हमको किसी भीकदम का विरोध किया समर्थन उसकी अच्छाई और बुराई के आधार पर करना चाहिए अपने पूर्व के दुराग्रहों के आधार पर नहीं