यदि मस्जिदों में आतंकवादी गतिविधियां चलनी शुरू हो जाये तो पूरा विश्व धधक उठेगा। फ्रांस की मस्जिदों में ताला लगाने की धमकी द्वेषवद्ध,अशोभनीय और इंसानियत से हट कर है। समय रहते यूएनओ और सऊदी अरब को सोंचना होगा।
एस.जेड.मलिक(पत्रकार)
सम्पूर्ण विश्व में आखिर मुस्लिम को ही टारगेट क्यों बनाया जा रहा है क्या कारण है ? विश्व में क्रिश्चयन की आबादी के बाद मुसलमानों की सबसे बड़ी आबादी है और देश की भी संख्या अधिक है, फिर भी सऊदी अरबिया छोड़ कर मिडिलईस्ट, यूरोप, ब्रिटिश, जापान, चाइना, एशिया,हर जगह पर मुसलमानों को दबाने की कोशिश की जारही है और ताजुब है की सऊदी अरब भी जो खुद मुस्लिम देश है और मुस्लिम देशों में सबसे धनि है बावजूद इसके वह इस समय खामोश है ?
एक तरफ जहाँ आरएसएस समर्थित संघ परिवार संपूर्ण भारत को साम्प्रदायिकता के आग में झोंक देना चाहता है वहीं फ्रांस संपूर्ण विश्व में गृह युद्ध की स्थिति पैदा करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है। क्या यूएनओ को अभी तक आभास नहीं हो रहा है की विश्व में दुबारा शांति व्यवस्था की विशेष ज़रुरत है। आखिर यूएनओ खामोश क्यों है ? इससे तो अस्पष्ट है की यूएनओ भी फ़्रांस के नीतियों में शामिल है। नहीं तो विष में शांति बहाल करने वाली संस्थान आज विश्व में हो रहे आतंकवादी घटनाओं तथा फ्रांस और इज़राइल द्वारा की जारही द्वेषबद्ध करवायी जिसमे अधिकतर बेगुनाह और मासूमों की निर्मम हत्याएं की जा रही हैं और सिर्फ और सिर्फ मुसलामानों को टारगेट बया जारहा है , उनके प्रति यूएनओ की कोई संवेदना नहीं, कोई प्रतिकिर्या नहीं यूएनओ मुखदर्शक न होती - यूएनओ ने अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है या जान बुझ कर खामोश है।
दरअसल मुसलमानों ने अपना जो इन्हें धर्म के नाम पर अध्याय सिखाया गया था आज मुसलमान उससे विपरीत दिशा में चल रहे हैं - इस्लाम एक ऐसा शब्द है जिसका मतलब है इंसानियत और इसकी उत्पत्ति अरब में हुयी और सबसे पहले जिस भाषा ने जन्म लिया वह है अरबी जिसे अरब से शुरू किया गया था इसे राज़ बना कर आज भी परदे में रखा गया है। या यूँ कहिये की संसार में जब पहला इंसान यानी आदम ने क़दम रखा था तभी इस्लाम आ गया था यानी इनसान के साथ इस्लाम का आना मतलब इंसानियत का आना। यदि इस्लाम का मतलब इंससानियत है तो जब मानव ने संसार में अपना पहला क़दम रखा उसी समय उसके साथ इंसानियत अर्थात मानवता भी आ गयी थी। यह शोध का विषय है।
इस समय सिर्फ और सिर्फ मुसलमानों पर ही शोध करना उचित होगा। इसलिए की मुसलमान ही आज दुनियां के नुमाईंदों और सरपरस्तों के निशाने पर हैं। मुसलमानों की बढ़ती आबादी , संसार के नुमाईंदों और सरपरस्तों के ऊपर खौफ एक ऐसा खौफ जिन्हें लगरहा है की मुसलमानो की यदि आबादी बढ़ी तो हमारी हुकूमत छीन सकती है जिनके कारण अईयाशी और नग्नता फैशन समाप्त हो जायेंगे जो इंसानियत से हट कर जीवन बिताना चाहते हैं या व्यतित कर रहे हैं। और आज विकास शील देशों जैसे तुर्की,फलीस्तीन, फ्रांस चीन के मुसलमानो ने इंसानियत का रास्ता छोड़ कर ऐसे विकास के रस्ते को पकड़ लिया जहाँ सिर्फ और सिर्फ कीचड़ ही कीचड़ है उन जगहों पर मुसलमान सफ़ेद कपडे पहन कर अपना जीवन व्यतित करने पर आमद है की किसी भी सूरत में उसे बचना मुश्किल है दागदार तो वह खुद तो हुआ ही साथ साथ अपने सम्पूर्ण परिवार को भी उस विकसित गन्दगी में लपेट लिया जिसके कारण जो पहले से गंदगी में लिप्त अपनी हुकूमत क़ायम कर रखा था उनको मुसलमानों को अपने रस्ते पर देख कर उनका हौसला और बढ़ गया। जबकि यदि उनको सबसे अधिक डर था तो सिर्फ इंसानियत से जो मुसलमानो में ही सभ्यता और संस्कारों के रूप में आज भी देखा जाता है। मुसलमानो के सभ्यता और संस्कारों को बर्बाद करने और उनकी बढ़ती आबादी को रोकने के लिए जो जाल बिछाया गया आज वह बेहद क्रूर खतरनाक साबित हो रहा है। जो पाकिस्तान का आतंकवादी संगठन लश्करे तयबा, अफगानिस्तान का तालिबान, इज़राइल का आईएसआई और सीरिया का आईएसआईएस का रूप धारण कर विश्व के सारे मुस्लिम समुदायेव को बदनाम कर रहा है जिसके कारन विश्व के मुसलमानों को असमंजस में दाल दिया है।
इस समय सिर्फ और सिर्फ मुसलमानों पर ही शोध करना उचित होगा। इसलिए की मुसलमान ही आज दुनियां के नुमाईंदों और सरपरस्तों के निशाने पर हैं। मुसलमानों की बढ़ती आबादी , संसार के नुमाईंदों और सरपरस्तों के ऊपर खौफ एक ऐसा खौफ जिन्हें लगरहा है की मुसलमानो की यदि आबादी बढ़ी तो हमारी हुकूमत छीन सकती है जिनके कारण अईयाशी और नग्नता फैशन समाप्त हो जायेंगे जो इंसानियत से हट कर जीवन बिताना चाहते हैं या व्यतित कर रहे हैं। और आज विकास शील देशों जैसे तुर्की,फलीस्तीन, फ्रांस चीन के मुसलमानो ने इंसानियत का रास्ता छोड़ कर ऐसे विकास के रस्ते को पकड़ लिया जहाँ सिर्फ और सिर्फ कीचड़ ही कीचड़ है उन जगहों पर मुसलमान सफ़ेद कपडे पहन कर अपना जीवन व्यतित करने पर आमद है की किसी भी सूरत में उसे बचना मुश्किल है दागदार तो वह खुद तो हुआ ही साथ साथ अपने सम्पूर्ण परिवार को भी उस विकसित गन्दगी में लपेट लिया जिसके कारण जो पहले से गंदगी में लिप्त अपनी हुकूमत क़ायम कर रखा था उनको मुसलमानों को अपने रस्ते पर देख कर उनका हौसला और बढ़ गया। जबकि यदि उनको सबसे अधिक डर था तो सिर्फ इंसानियत से जो मुसलमानो में ही सभ्यता और संस्कारों के रूप में आज भी देखा जाता है। मुसलमानो के सभ्यता और संस्कारों को बर्बाद करने और उनकी बढ़ती आबादी को रोकने के लिए जो जाल बिछाया गया आज वह बेहद क्रूर खतरनाक साबित हो रहा है। जो पाकिस्तान का आतंकवादी संगठन लश्करे तयबा, अफगानिस्तान का तालिबान, इज़राइल का आईएसआई और सीरिया का आईएसआईएस का रूप धारण कर विश्व के सारे मुस्लिम समुदायेव को बदनाम कर रहा है जिसके कारन विश्व के मुसलमानों को असमंजस में दाल दिया है।